प्रश्न की मुख्य माँग
- भारत की पारंपरिक अवधारणाओं जैसे ‘राजधर्म’ और ‘अंत्योदय’ और उनके ऐतिहासिक महत्त्व पर चर्चा कीजिए।
- आधुनिक शासन संरचना में उनकी प्रासंगिकता का परीक्षण कीजिए।
- चर्चा कीजिए कि ये सिद्धांत लोकतांत्रिक शासन में समकालीन वैश्विक चुनौतियों का समाधान कैसे कर सकते हैं।
- इन पारंपरिक मूल्यों को आधुनिक शासन संरचना में एकीकृत करने के लिए कार्यान्वयन योग्य तरीके सुझाइये।
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उत्तर
भारत में अटल बिहारी वाजपेयी की जन्म शताब्दी पर सुशासन दिवस मनाया जा रहा है, यह राजधर्म और अंत्योदय जैसे प्राचीन सिद्धांतों पर विचार करने का अवसर है, जो नैतिक शासन और समावेशिता को बढ़ावा देते हैं। ये कालातीत अवधारणाएँ असमानता , लोकतंत्र से मोहभंग और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों का समाधान करने में सहायक सिद्ध हो सकती हैं जिससे आधुनिक चुनौतियों के लिए जनकेंद्रित, सतत प्रणाली का निर्माण करने में मदद मिलती है।
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‘राजधर्म’ और ‘अंत्योदय’ का ऐतिहासिक महत्त्व
- शासन में नैतिक उत्तरदायित्व: अर्थशास्त्र में वर्णित राजधर्म के सिद्धांत के अनुसार शासकों को लोगों के सेवक के रूप में कार्य करना चाहिए, तथा नैतिक निर्णय लेने को प्राथमिकता देते हुए उनका कल्याण करने और उन्हें न्याय प्रदान करने में मदद करनी चाहिए।
- अंत्योदय के माध्यम से समावेशिता: अंत्योदय, जिसका अर्थ है सर्वाधिक कमजोर वर्ग का उत्थान, महात्मा गाँधी द्वारा प्रचारित किया गया था और बाद में भारत की ग्रामीण विकास नीतियों में परिलक्षित हुआ। यह सुनिश्चित करता है कि विकास से समाज के सभी वर्गों को लाभ मिले।
- उदाहरण के लिए: एकीकृत ग्रामीण विकास कार्यक्रम (IRDP) का उद्देश्य आत्मनिर्भरता के माध्यम से हाशिए पर स्थित समुदायों को सशक्त बनाना है।
- सहभागी नेतृत्व: राज धर्म ने संतुलित विकास सुनिश्चित करने के लिए निर्णयन प्रक्रिया में
साझा जिम्मेदारी और सार्वजनिक भागीदारी पर बल दिया।
- उदाहरण के लिए: शिवाजी महाराज की अष्ट प्रधान परिषद के माध्यम से विकेन्द्रित शासन प्रणाली, सामूहिक नेतृत्व का एक अद्भुत उदाहरण थी।
- सामाजिक आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशीलता: अशोक जैसे भारतीय शासकों ने सामाजिक कल्याण को प्राथमिकता दी और स्वास्थ्य, शिक्षा व बुनियादी ढाँचे में सुधारों के साथ समकालीन संकटों का समाधान करने का प्रयास किया।
- उदाहरण के लिए: अशोक द्वारा अस्पतालों और विश्रामगृहों की स्थापना ने शासन में जवाबदेही के सिद्धांत को प्रदर्शित किया।
आधुनिक शासन व्यवस्था में ‘राजधर्म’ और ‘अंत्योदय’ की प्रासंगिकता
- जवाबदेही और नैतिक नेतृत्व: राजधर्म पारदर्शी और नैतिक नेतृत्व पर जोर देता है, जो आज भ्रष्टाचार से निपटने और न्याय सुनिश्चित करने के लिए महत्त्वपूर्ण है।
- उदाहरण के लिए: लोकपाल अधिनियम सार्वजनिक अधिकारियों को जवाबदेह बनाने के लिए लाया गया था, जो इन मूल्यों को दर्शाता है।
- शासन में समानता: अंत्योदय समावेशी विकास के आधुनिक लक्ष्यों के साथ संरेखित है और यह सिद्धांत सुनिश्चित करता है कि वंचित समुदायों को प्रगति से वंचित न रखा जाए।
- उदाहरण के लिए: प्रधानमंत्री जन धन योजना बैंकिंग सेवाओं से वंचित आबादी के लिए वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देती है, जिससे आर्थिक अंतर को कम किया जा सके।
- विकेंद्रीकृत प्रशासन : परंपरागत संरचनाओं से प्रेरित विकेंद्रीकृत शासन, शासन संबंधित चुनौतियों के लिए कुशल और स्थानीयकृत समाधान सुनिश्चित करता है।
- उदाहरण के लिए: कल्याणकारी वितरण में ग्राम पंचायतों की प्रभावशीलता, राजधर्म की निरंतर प्रासंगिकता को दर्शाती है।
- विकास में स्थिरता: राजधर्म जिम्मेदार संसाधन प्रबंधन को बढ़ावा देता है, जो सतत विकास के लिए आधुनिक आवश्यकताओं के साथ संरेखित होता है।
- उदाहरण के लिए: भारत का राष्ट्रीय वनरोपण कार्यक्रम सामुदायिक भागीदारी को शामिल करता है, जो परंपरागत पारिस्थितिक मूल्यों को दर्शाता है।
- सहभागी लोकतंत्र: अंत्योदय और राजधर्म के सिद्धांत शासन में जनता की भागीदारी को मजबूत करते हैं, विश्वास का निर्माण करते हैं और असंतोष को कम करते हैं।
- उदाहरण के लिए: MyGov जैसे प्लेटफ़ॉर्म नागरिकों को नीति निर्माण में योगदान करने में सक्षम बनाते हैं, जिससे पारदर्शिता और समावेशिता सुनिश्चित होती है।
समकालीन वैश्विक चुनौतियों का समाधान
- जलवायु परिवर्तन से निपटना: अंत्योदय का जमीनी स्तर का दृष्टिकोण,सतत प्रथाओं को प्रोत्साहित करता है जिससे शासन समुदाय-केंद्रित और पर्यावरण के अनुकूल बनता है।
- उदाहरण के लिए: भारत का अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन राष्ट्रों में अक्षय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देता है।
- सामाजिक-आर्थिक असमानताओं को कम करना: राजधर्म का समानता पर जोर, संसाधनों के उचित वितरण को सुनिश्चित करता है, जिससे धन के बढ़ते अंतर के संबंध में वैश्विक चिंताओं का समाधान होता है।
- उदाहरण के लिए: जल जीवन मिशन वंचित क्षेत्रों में स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराता है, जिससे शहरी-ग्रामीण असमानताएँ कम होती हैं।
- लोकतंत्र में भरोसा बहाल करना: जवाबदेही और समावेशिता को बढ़ावा देकर, ये सिद्धांत लोकतांत्रिक संस्थाओं में जनता का भरोसा बहाल करते हैं।
- उदाहरण के लिए: सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम, पारदर्शिता सुनिश्चित करते हुए नागरिकों को अधिकारियों को जवाबदेह ठहराने की अनुमति देता है।
- लैंगिक समावेशिता: वंचित समूहों के प्रति अंत्योदय की प्रतिबद्धता, महिलाओं को नेतृत्व और शासन की भूमिकाओं में शामिल करने का समर्थन करती है।
- उदाहरण के लिए: स्वयं सहायता समूह आंदोलन ग्रामीण महिलाओं को सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त बनाता है और जमीनी स्तर पर नेतृत्व को बढ़ावा देता है।
- वैश्विक नेतृत्व: राजधर्म और अंत्योदय से प्रेरित भारत के शासन मॉडल असमानता और जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक चुनौतियों के लिए नैतिक समाधान प्रदान करते हैं।
- उदाहरण के लिए: लाइफस्टाइल फॉर इनवॉयरेनमेंट(LiFE) पहल वैश्विक स्तर पर सतत उपभोग को बढ़ावा देती है।
आधुनिक शासन में परंपरागत मूल्यों को एकीकृत करने के कार्यान्वयन योग्य तरीके
- नैतिक शासन पर नेतृत्व प्रशिक्षण: शासन में जवाबदेही और नैतिकता को बढ़ावा देने के लिए सिविल सेवकों के प्रशिक्षण कार्यक्रमों में राजधर्म के सिद्धांतों को शामिल करना चाहिए।
- उदाहरण के लिए: मिशन कर्मयोगी कार्यक्रम सार्वजनिक अधिकारियों को नैतिक शासन प्रथाओं से अच्छी तरह से अवगत कराने पर केंद्रित है।
- हाशिए पर स्थित समुदायों को सशक्त बनाना: समाज के सबसे कमज़ोर वर्गों की आवश्यकताओं को प्राथमिकता देकर नीति-निर्माण में अंत्योदय सिद्धांतों को अपनाना चाहिए।
- उदाहरण के लिए: वन धन योजना आदिवासी समुदायों को वन उत्पादों का मूल्य संवर्धन करने में सक्षम बनाती है, जिससे आजीविका में सुधार होता है।
- जवाबदेही के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना: शासन में पारदर्शिता और दक्षता सुनिश्चित करने के लिए डिजिटल उपकरणों का उपयोग करना चाहिए , जिससे भ्रष्टाचार के अवसर कम हों।
- उदाहरण के लिए: आधार -सक्षम प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) यह सुनिश्चित करता है कि कल्याणकारी लाभ सीधे लक्षित लाभार्थियों तक पहुँचें।
- विकेंद्रीकृत शासन : समुदायों को सशक्त बनाने और क्षेत्रीय असमानताओं को प्रभावी ढंग से संबोधित करने के लिए स्थानीय शासन मॉडल को प्रोत्साहित करना चाहिए।
- उदाहरण के लिए: केरल का पीपुल्स प्लान अभियान सहभागी शासन की सफलता को दर्शाता है।
- वैश्विक स्तर पर परंपरागत ज्ञान की वकालत करना : असमानता और पर्यावरण निम्नीकरण जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारतीय शासन सिद्धांतों को बढ़ावा देना चाहिए।
- उदाहरण के लिए: अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन में भारत का नेतृत्व सतत विकास के लिए वैश्विक एकजुटता को दर्शाता है।
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जलवायु परिवर्तन, असमानता और लोकतांत्रिक विश्वास की कमी जैसी आधुनिक चुनौतियों से निपटने में भारत की राज धर्म और अंत्योदय की परंपरागत अवधारणाएँ अत्यधिक प्रासंगिक बनी हुई हैं। विकेंद्रीकरण, तकनीकी प्रगति और वैश्विक पक्षकारिता के माध्यम से इन मूल्यों को शासन में एकीकृत करके, भारत न्यायसंगत, संधारणीय और जन-केंद्रित शासन प्रणाली का निर्माण करने की ओर अग्रसर हो सकता है।
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