Q. भारतीय प्रवासी भारत के 'राजदूत' के रूप में कार्य करते हैं, सामुदायिक विकास को बढ़ावा देते हैं और भारत की समृद्धि में योगदान देते हैं। मजबूत संबंधों और पारस्परिक लाभों को सुनिश्चित करने के लिए प्रवासी समुदाय के साथ समावेशी जुड़ाव की आवश्यकता का आकलन कीजिये और प्रवासी समुदाय के मुद्दों को हल करने के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए गए उपायों का मूल्यांकन कीजिये। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • विश्लेषण कीजिए कि किस प्रकार प्रवासी भारतीय भारत के ‘राजदूत’ के रूप में विश्व स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं, सामुदायिक विकास को बढ़ावा देते हैं, तथा भारत की समृद्धि में योगदान देते हैं।
  • मूल्यांकन कीजिए कि संबंधों को मजबूत करने तथा भारत और प्रवासी समुदाय के लिए पारस्परिक लाभ सुनिश्चित करने हेतु प्रवासी समुदाय के साथ समावेशी जुड़ाव क्यों आवश्यक है।
  • प्रवासी भारतीयों के मुद्दों का उल्लेख कीजिए।
  • प्रवासी समुदाय के मुद्दों के समाधान के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का मूल्यांकन कीजिए।

उत्तर

विश्व भर में 32 मिलियन से अधिक की संख्या के साथ भारतीय प्रवासी समुदाय भारत के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं। वर्ष 2022 में, उन्होंने रिकॉर्ड 110 बिलियन डॉलर का प्रेषण किया, जो वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक है, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिला। सांस्कृतिक राजदूतों और आर्थिक योगदानकर्ताओं के रूप में उनकी भूमिकाएँ, संबंधों को मजबूत करने और आपसी लाभ सुनिश्चित करने के लिए समावेशी जुड़ाव के महत्त्व को रेखांकित करती हैं।

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भारत के ‘राजदूत’ के रूप में प्रवासी भारतीयों का प्रतिनिधित्व और योगदान

  • सांस्कृतिक प्रतिनिधित्व: प्रवासी समुदाय भारत की समृद्ध संस्कृति, परंपराओं और मूल्यों को प्रदर्शित करते हैं, वैश्विक स्तर पर सकारात्मक छवि बनाते हैं और भारतीय विरासत के प्रति सम्मान बढ़ाते हैं।
    उदाहरण के लिए: दिवाली जैसे भारतीय त्योहार, अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों में मनाए जाते हैं जिससे भारतीय संस्कृति को बढ़ावा मिलता है और सांस्कृतिक कूटनीति का निर्माण होता है।
  • आर्थिक योगदान: वे धन प्रेषण, निवेश और व्यापार में मध्यस्थ के रूप में कार्य करके भारत के आर्थिक विकास को बढ़ावा देते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2022 में, भारत को 111 बिलियन डॉलर का धन प्रेषण प्राप्त हुआ, जो विश्व स्तर पर सबसे अधिक है, जिससे परिवारों और स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को सहायता मिली।
  • राजनीतिक प्रभाव: वैश्विक राजनीति में भारतीय मूल के नेता भारत के हितों की वकालत करते हैं और भारत के अंतरराष्ट्रीय संबंधों व कूटनीतिक स्थिति को मजबूत करते हैं।
    • उदाहरण के लिए: UK में ऋषि सुनक और US में कमला हैरिस जैसे नेता, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को मजबूत करते हैं।
  • तकनीकी उन्नति: प्रवासी पेशेवर वैश्विक तकनीकी केंद्रों में योगदान करते हैं और भारत में ज्ञान के आदान-प्रदान और नवाचार को बढ़ावा देते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: सुंदर पिचाई (गूगल) और सत्या नडेला (माइक्रोसॉफ्ट) जैसे CEO, वैश्विक स्तर पर भारतीय प्रतिभा को उजागर करते हैं।
  • परोपकारी प्रयास: प्रवासी समुदाय भारत में स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और आपदा राहत में सहायता करते हैं, जो भारत के प्रति उनकी  प्रतिबद्धता को दर्शाता है। 
    • उदाहरण के लिए: अमेरिकन इंडिया फाउंडेशन, ग्रामीण भारत में शिक्षा और आजीविका परियोजनाओं को वित्तपोषित करता है।

प्रवासी समुदाय के साथ समावेशी जुड़ाव की आवश्यकता

  • गैर-पक्षपात को बढ़ावा देना: राजनीतिक पूर्वाग्रह से बचना, एक दूसरे के प्रति अपनेपन की भावना को बढ़ावा देता है और भारत के विकास में भागीदारी को प्रोत्साहित करता है। 
    • उदाहरण के लिए: आलोचकों के OCI कार्ड रद्द करना, जैसा कि हाल के वर्षों में देखा गया है, आपसी विश्वास और समावेशिता को नुकसान पहुँचाता है।
  • प्रवासन चुनौतियों का समाधान: सुरक्षित प्रवासन प्रक्रिया सुनिश्चित करने और मेजबान देशों में लोकलुभावन नीतियों के कारण वीजा मुद्दों का समाधान करना, अति महत्त्वपूर्ण है। 
    • उदाहरण के लिए: भारतीयों को अमेरिका में H1-B वीजा के सख्त मानदंडों का सामना करना पड़ा, जिसके लिए राजनयिक हस्तक्षेप की आवश्यकता थी।
  • संघर्ष क्षेत्रों में सुरक्षा: वैश्विक संघर्षों के दौरान प्रवासी भारतीयों की सुरक्षा के लिए सक्रिय उपायों की आवश्यकता है, विशेषकर पश्चिम एशिया जैसे क्षेत्रों में। 
    • उदाहरण के लिए: भारत ने सूडान संकट के दौरान 7,000 नागरिकों को संकट से बाहर निकाला, जिससे अशांति की स्थिति के बीच उनकी सुरक्षा सुनिश्चित हुई।
  • आर्थिक एकीकरण: बुनियादी ढाँचे और नवाचार में प्रवासी निवेश और सहयोग को प्रोत्साहित करने से भारत के विकास पथ को मजबूत करता है। 
    • उदाहरण के लिए: वाइब्रेंट गुजरात शिखर सम्मेलन, निवेश और विकास के अवसरों के लिए NRI को सक्रिय रूप से शामिल करता है।
  • उपलब्धियों का जश्न मनाना: प्रवासी भारतीयों के योगदान को मान्यता देने से सद्भावना बढ़ती है और भारत की प्रगति में आगे की भागीदारी को बढ़ावा मिलता है। 
    • उदाहरण के लिए: प्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार, विज्ञान और व्यवसाय जैसे विभिन्न क्षेत्रों में भारतीय प्रवासियों के योगदान  के लिए दिए जाते हैं।

प्रवासी भारतीयों के मुद्दे

  • वीज़ा और प्रवेश प्रतिबंध: बढ़ते लोकलुभावनवाद और आव्रजन नियंत्रण के कारण भारतीय नागरिकों को कई पश्चिमी देशों में सख्त वीज़ा और प्रवेश नीतियों का सामना करना पड़ता है। 
    • उदाहरण के लिए: अमेरिका में H-1B वीजा प्रतिबंधों ने विदेश में काम के अवसर तलाश रहे भारतीय IT पेशेवरों पर काफी प्रभाव डाला है।
  • संघर्ष क्षेत्रों में सुरक्षा: पश्चिम एशिया जैसे संघर्ष-ग्रस्त क्षेत्रों में रहने वाले भारतीयों को राजनीतिक अस्थिरता, हिंसा और आर्थिक मंदी का खतरा रहता है। 
    • उदाहरण के लिए: यूक्रेन-रूस संघर्ष के दौरान निकासी प्रक्रिया के दौरान, ऐसे क्षेत्रों में भारतीयों की खतरनाक स्थिति का पता चला।
  • विदेश में भेदभाव: प्रवासी सदस्यों को अक्सर नस्लवाद, विदेशी द्वेष और कार्यस्थल पर भेदभाव का सामना करना पड़ता है, जो उनके सामाजिक एकीकरण और पेशेवर विकास में बाधा डालता है। 
    • उदाहरण के लिए: अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों में भारतीयों के खिलाफ हेट क्राइम्स (Hate Crimes) की रिपोर्टें मौजूदा चुनौतियों को उजागर करती हैं।
  • OCI कार्ड रद्द करना: भारत सरकार की आलोचना के कारण प्रवासी भारतीयों के साथ व्यवहार में कथित राजनीतिक पक्षपात को बढ़ावा मिला है, जिसमें OCI कार्ड न देना या उसे रद्द करना शामिल है। 
    • उदाहरण के लिए: कथित सरकार विरोधी टिप्पणियों के लिए अमेरिका में रहने वाले वकील अमृत सिंह का OCI दर्जा रद्द करना।
  • व्यापक कल्याण का अभाव: विदेशों में, विशेषकर खाड़ी देशों में कम वेतन वाली नौकरियों में काम करने वाले भारतीय श्रमिकों के कल्याण को संबोधित करने के लिए सीमित तंत्र मौजूद है।
    • उदाहरण के लिए: खाड़ी देशों में कई भारतीय मजदूरों को खराब कामकाजी परिस्थितियों और अपर्याप्त शिकायत निवारण तंत्र का सामना करना पड़ता है।

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भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदम

  • प्रवासी भारतीय दिवस (PBD): प्रवासी भारतीयों की उपलब्धियों को सराहने और आपसी हितों के मुद्दों पर वार्ता को सुविधाजनक बनाने वाले वार्षिक कार्यक्रम आयोजित करने चाहिए।
    • उदाहरण के लिए: ओडिशा में 18 वें PBD में संबंधों को मजबूत करने और भारत के विकास एजेंडे पर चर्चा करने के लिए 3,000 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
  • कल्याण और निकासी प्रयास: वंदे भारत मिशन और ऑपरेशन गंगा जैसी पहल,संघर्ष क्षेत्रों में भारतीयों की सुरक्षा सुनिश्चित करने पर सरकार के फोकस को दर्शाती हैं। 
    • उदाहरण के लिए: वंदे भारत मिशन ने कोविड-19 महामारी के दौरान लाखों भारतीयों को सफलतापूर्वक स्वदेश वापस लाया।
  • डिजिटल आउटरीच और OCI सुधार: OCI कार्ड आवेदनों के लिए सुव्यवस्थित प्रक्रियाओं की शुरूआत और उनके तेजी से समाधान के लिए शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करना चाहिए। 
    • उदाहरण के लिए: OCI शिकायतों के लिए गृह मंत्रालय का ऑनलाइन पोर्टल, प्रवासी सदस्यों के मुद्दों को अधिक प्रभावी ढंग से संबोधित करता है।
  • आर्थिक सहभागिता नीतियाँ: मेक इन इंडिया और विकसित भारत जैसे कार्यक्रमों का उद्देश्य राष्ट्रीय विकास के लिए प्रवासी निवेश और विशेषज्ञता का लाभ उठाना है। 
    • उदाहरण के लिए: सिलिकॉन वैली भागीदारी में प्रवासी निवेश ने भारत के स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा दिया है।
  • श्रम कल्याण के लिए द्विपक्षीय समझौते: भारत ने भारतीय श्रमिकों के लिए बेहतर कार्यदशाओं और उनके अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए खाड़ी देशों के साथ समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। 
    • उदाहरण के लिए: India-UAE श्रम समझौते (2018) ने UAE में भारतीय श्रमिकों की रोजगार की स्थिति में सुधार किया।

भारतीय प्रवासी, अपने सांस्कृतिक और आर्थिक योगदान के साथ, भारत की वैश्विक उपस्थिति का एक महत्त्वपूर्ण स्तंभ है। समावेशी जुड़ाव के माध्यम से संबंधों को मजबूत करने, उनकी चुनौतियों का समाधान करने और उनकी क्षमता का लाभ उठाने से भारत की सॉफ्ट पावर मजबूत हो सकती है और विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिल सकती है। प्रवासी भारतीय दिवस और लक्षित नीतियों जैसे निरंतर प्रयास आपसी विकास सुनिश्चित करते हैं और गहन राष्ट्रीय व वैश्विक एकीकरण को बढ़ावा देते हैं।

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