Q. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्य के रूप में वर्ष 2021-22 के कार्यकाल के दौरान भारत की उपलब्धियों पर विचार कीजिए। वैश्विक बहुपक्षीय संस्थाओं में भविष्य में भारत की भागीदारी बढ़ाने के लिए क्या सबक लिए जा सकते हैं? (10 अंक, 150 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 2021-22 कार्यकाल के दौरान इसके अस्थायी सदस्य के रूप में भारत की उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
  • वैश्विक बहुपक्षीय संस्थाओं में भविष्य की भागीदारी को बढ़ाने के लिए सीखे जा सकने वाले अनुभवों पर प्रकाश डालिये।

उत्तर

वर्ष 2021-22 तक UNSC के गैर-स्थायी सदस्य के रूप में भारत के कार्यकाल ने वैश्विक शांति और सुरक्षा को आकार देने में इसकी सक्रिय भूमिका को उजागर किया। भारत ने बहुपक्षवाद के महत्त्व को बढ़ावा देते हुए संयुक्त राष्ट्र में सुधार, आतंकवाद निरोध और शांति स्थापना की वकालत की। इस कार्यकाल के दौरान के अनुभवों में कूटनीतिक पहल को मजबूत करना, गठबंधन बनाना और बहुपक्षीय संस्थानों में भारत के भविष्य के प्रभाव को बढ़ाने के लिए घरेलू नीतियों को वैश्विक प्राथमिकताओं के साथ जोड़ना शामिल है।

Enroll now for UPSC Online Course

वर्ष 2021-22 के कार्यकाल के दौरान UNSC के गैर-स्थायी सदस्य के रूप में भारत की उपलब्धियाँ

  • आतंकवाद निरोधक ढाँचे को मजबूत करना: भारत ने UNSC 1267 प्रतिबंध व्यवस्था
    के तहत एक पाकिस्तानी आतंकवादी अब्दुल रहमान मक्की को संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक आतंकवादियों की सूची में शामिल करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। 

    • उदाहरण के लिए: भारत ने संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ मिलकर इस सूची का सह-प्रस्ताव किया। इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब जम्मू और कश्मीर के किसी आतंकवादी को इस सूची में शामिल करने के लिए भारत ने प्रस्तावक के रूप में भूमिका निभाई है। 
  • बहुपक्षीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देना: भारत ने अंतरराष्ट्रीय शांति स्थापना को प्राथमिकता दी और संयुक्त राष्ट्र मिशनों में सैन्य योगदान के लिए अपनी प्रतिबद्धता को बनाए रखा। 
    • उदाहरण के लिए: भारत ने माली और दक्षिण सूडान जैसे संघर्ष क्षेत्रों में शांति सेना के अधिदेश और प्रभावशीलता को बढ़ाने की पहल का सक्रिय रूप से समर्थन किया।
  • समुद्री सुरक्षा की वकालत: भारत ने सुरक्षित और संरक्षित समुद्री मार्गों की आवश्यकता पर बल देते हुए समुद्री सुरक्षा को एक प्रमुख वैश्विक मुद्दे के रूप में उजागर किया। 
    • उदाहरण के लिए: भारत ने अगस्त 2021 में UNSC की अपनी अध्यक्षता के दौरान समुद्री सुरक्षा पर एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की, जिसके परिणामस्वरूप इस मुद्दे पर एक प्रस्ताव पारित हुआ।
  • समावेशी विकास सुनिश्चित करना: भारत ने सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs) के महत्त्व पर बल दिया और जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न होने वाली चुनौतियों का समाधान करने पर ध्यान केंद्रित किया। 
    • उदाहरण के लिए: भारत ने अक्षय ऊर्जा अपनाने में वैश्विक सहयोग बढ़ाने की वकालत की और आपदा रोधी बुनियादी ढाँचे के लिए गठबंधन (CDRI) का समर्थन किया ।
  • वैश्विक शासन में सुधारों की वकालत: भारत ने बहुपक्षीय संस्थाओं में सुधारों पर बल दिया, जिसमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का विस्तार करना भी शामिल है ताकि इसे और अधिक प्रतिनिधिरूपक बनाया जा सके। 
    • उदाहरण के लिए: भारत की निरपक्षकारिता ने मौजूदा वैश्विक शासन संरचनाओं, विशेष रूप से निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में असमानताओं को उजागर किया।
  • कूटनीतिक सामंजस्य का प्रभावी उपयोग: भारत ने अफगानिस्तान की स्थिरता जैसे महत्त्वपूर्ण मुद्दों का समाधान करने के लिए P-5 और गैर-P-5 दोनों देशों के साथ प्रभावी ढंग से सहयोग किया। 
    • उदाहरण के लिए: भारत ने अफगानिस्तान में मानवीय संकट से संबंधित समस्याओं का समाधान करने के लिए बैठकें आयोजित कीं और क्षेत्र में समावेशी शासन के आह्वान का समर्थन किया।
  • मानवीय प्रयासों को आगे बढ़ाना: भारत ने अपने कार्यकाल के दौरान वैश्विक मानवीय सहायता में नेतृत्व का प्रदर्शन किया। 
    • उदाहरण के लिए: COVAX जैसी पहलों के माध्यम से COVID-19 टीकों के एकसमान वितरण के लिए भारत के समर्थन को व्यापक रूप से स्वीकार किया गया।

वैश्विक बहुपक्षीय संस्थाओं में भारत की भावी भागीदारी बढ़ाने के लिए सबक

  • गैर-स्थायी सदस्यों के साथ मजबूत गठबंधन बनाना: UNSC में अधिक प्रभावी पक्षकारिता के लिए ग्लोबल साउथ और अन्य समान विचारधारा वाले देशों के साथ गठबंधन बनाने चाहिए। 
    • उदाहरण के लिए: अफ्रीकी और लैटिन अमेरिकी देशों के साथ मजबूत सहयोग, जलवायु वित्त और ऋण पुनर्गठन जैसे मुद्दों पर भारत के हितों की पूर्ति कर सकता है।
  • क्षेत्रीय मुद्दों पर सक्रिय भागीदारी: क्षेत्रीय स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करते हुए विरोधी देशों का मुकाबला करने के लिए बहुपक्षीय मंचों का उपयोग करना चाहिए।
    • उदाहरण के लिए: अफगानिस्तान के संकट के दौरान भारत के सक्रिय उपायों ने क्षेत्रीय चर्चाओं को प्रभावित करने की उसकी क्षमता को प्रदर्शित किया।
  • कूटनीतिक ढाँचे को मजबूत करना: बहुपक्षीय संस्थाओं के सम्मुख आने वाली चुनौतियों का प्रभावी ढंग से समाधान करने के लिए वैश्विक स्तर पर अपने मिशनों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करना चाहिए।
    • उदाहरण के लिए: कश्मीर जैसे द्विपक्षीय विवादों के लिए UNSC का दुरुपयोग करने के पाकिस्तान के प्रयासों को रोकने हेतु अन्य देशों के साथ समन्वय करना।
  • जलवायु कार्रवाई में नेतृत्व को बढ़ाना: जलवायु-जनित चुनौतियों का समाधान करने के लिए, नवीकरणीय ऊर्जा में भारत की विशेषज्ञता का लाभ उठाया जाना चाहिए। 
    • उदाहरण के लिए: अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) और CDRI जैसी पहलों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनाने को बढ़ावा देना चाहिए।
  • सार्वजनिक कूटनीति प्रयासों को बढ़ावा देना: शांति स्थापना, आतंकवाद-रोधी और विकास में भारत के योगदान के संबंध में वैश्विक जागरूकता को बढ़ाना चाहिए ताकि संपूर्ण विश्व में भारत के योगदान को मान्यता प्राप्त हो। 
    • उदाहरण के लिए: अंतरराष्ट्रीय राय को प्रभावित करने और गलत सूचनाओं का मुकाबला करने में भारत की बहुपक्षीय उपलब्धियों पर व्यापक रिपोर्ट प्रकाशित करनी चाहिए।
  • प्रमुख शक्तियों के साथ संबंधों में विविधता लाना: उभरती वैश्विक शक्तियों के साथ संबंधों को मजबूत करते हुए P-5 देशों के साथ संबंधों को संतुलित करना चाहिए। 
    • उदाहरण के लिए: स्वास्थ्य और सतत् विकास जैसे वैश्विक मुद्दों पर अमेरिका और चीन दोनों के साथ सहयोग करना, भारत की रणनीतिक स्वायत्तता को दर्शाता है।
  • पूर्व भागीदारी से प्राप्त अनुभव को संस्थागत बनाना: पूर्व बहुपक्षीय भागीदारी से प्राप्त अनुभवों का विश्लेषण और प्रसार करने के लिए एक समर्पित निकाय बनाना चाहिये। 
    • उदाहरण के लिए: UNSC के कार्यकाल के दौरान भारत की सफलताओं और चुनौतियों का दस्तावेजीकरण करना चाहिए और भविष्य की रणनीतियों को आकार देने के लिए इन सूचनाओं का उपयोग करना चाहिए।

Check Out UPSC CSE Books From PW Store

भारत के वर्ष 2021-22 के UNSC कार्यकाल ने वैश्विक सुरक्षा, जलवायु कार्रवाई और आतंकवाद-रोधी प्रयासों में उसकी सक्रिय भूमिका को प्रदर्शित किया। इसका मुख्य कारण  रणनीतिक कूटनीति है जो वैश्विक गठबंधनों को मजबूत करते हुए राष्ट्रीय एवं वैश्विक हितों को संतुलित करेगी। वैश्विक शासन में भारत के हितों से, भारत का बढ़ता हुआ कद परिलक्षित होना चाहिए। 

To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

Need help preparing for UPSC or State PSCs?

Connect with our experts to get free counselling & start preparing

To Download Toppers Copies: Click here

Aiming for UPSC?

Download Our App

      
Quick Revise Now !
AVAILABLE FOR DOWNLOAD SOON
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध
Quick Revise Now !
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध

<div class="new-fform">






    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.