Q. ‘ओलंपिक मूवमेंट न केवल ‘ग्लोबल नार्थ’ में पारंपरिक मेजबानों का है, बल्कि ‘ग्लोबल साउथ’ की आकांक्षाओं का भी हिस्सा है।’ वर्ष 2036 ओलंपिक के लिए भारत की दावेदारी के संदर्भ में इस कथन की आलोचनात्मक जाँच कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • ओलंपिक मूवमेंट  में वैश्विक उत्तर के प्रभुत्व पर चर्चा कीजिए।
  • वर्ष 2036 ओलंपिक के लिए भारत की बोली के संदर्भ में वैश्विक दक्षिण में ओलंपिक की मेजबानी के लाभों का परीक्षण कीजिए।
  • ग्लोबल साउथ में ओलंपिक खेलों की मेजबानी की प्रमुख चुनौतियों पर प्रकाश डालिये।
  • आगे की राह लिखिये।

उत्तर

वर्ष 2036 ओलंपिक के लिए भारत का प्रस्तावित नाम ओलंपिक मूवमेंट  के भीतर ग्लोबल साउथ की बढ़ती आकांक्षाओं को उजागर करती है, जो परंपरागत रूप से ग्लोबल नॉर्थ से संबंधित है। इस दावेदारी का उद्देश्य भारत के खेल बुनियादी ढाँचे को बढ़ावा देना, इसकी वैश्विक प्रतिष्ठा को बढ़ाना और दिल्ली में वर्ष 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों जैसे अनुभवों का निर्माण करते हुए ओलंपिक मेजबानों के विशिष्ट समूह में शामिल होना है ।

ओलंपिक मूवमेंट  में ग्लोबल नॉर्थ का प्रभुत्व

  • दावेदारी के अधिकार का संकेन्द्रण: बेहतर बुनियादी ढाँचे और आर्थिक मजबूती के कारण ओलंपिक की मेजबानी ग्लोबल नॉर्थ के राष्ट्र अधिक करते हैं। 
    • उदाहरण के लिए, अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और जापान ने अधिकांश ग्रीष्मकालीन और शीतकालीन ओलंपिक की मेजबानी की है।
  • IOC निर्णय लेने में प्रभाव: ग्लोबल नॉर्थ अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) में प्रमुख पदों पर हावी है जो ओलंपिक नीतियों और मेजबान चयन को प्रभावित करता है। 
    • उदाहरण के लिए, IOC का मुख्यालय स्विट्जरलैंड में स्थित है जो ग्लोबल नॉर्थ का एक देश है।
  • उच्च बुनियादी ढाँचे की लागत: ओलंपिक की मेज़बानी से जुड़ी भारी लागत अक्सर विकासशील देशों को इसकी बोली नहीं लगाने देती। 
    • उदाहरण के लिए, ब्राजील में वर्ष 2016 के रियो ओलंपिक में बजट में काफी वृद्धि हुई, जिससे समान देशों को बोली लगाने से हतोत्साहित होना पड़ा।
  • विरासत के लाभ ग्लोबल नॉर्थ शहरों के पक्ष में हैं: खेलों के बाद आर्थिक और शहरी नवीनीकरण के लाभ ग्लोबल नॉर्थ शहरों में अधिक स्पष्ट होते हैं। 
    • उदाहरण के लिए, लंदन वर्ष 2012 ओलंपिक ने पूर्वी लंदन में बड़े पैमाने पर पुनरुद्धार और विकास को बढ़ावा दिया।

वैश्विक दक्षिण में ओलंपिक की मेजबानी के लाभ

  • खेल अवसंरचना का विकास: ओलंपिक की मेजबानी से विश्व स्तरीय खेल सुविधाओं के निर्माण में तेज़ी आती है और स्थानीय प्रतिभाओं को बढ़ावा मिलता है। 
    • उदाहरण के लिए, भारत की खेलो इंडिया पहल का उद्देश्य वर्ष 2036 ओलंपिक की तैयारी के लिए जमीनी स्तर पर खेलों को बढ़ावा देना है।
  • आर्थिक विकास और रोजगार के अवसर: यह आयोजन पर्यटन और निवेश को आकर्षित करता है, जिससे रोजगार और आर्थिक गतिविधि उत्पन्न होती है।
  • वैश्विक दृश्यता में वृद्धि: खेलों की मेजबानी करने से देश की अंतरराष्ट्रीय छवि और सॉफ्ट पावर बढ़ती है। 
    • उदाहरण के लिए, दिल्ली में वर्ष 2010 के सफल राष्ट्रमंडल खेलों के बाद भारत की वैश्विक स्थिति में सुधार हुआ।
  • शहरी आधुनिकीकरण और सतत विकास: ओलंपिक शहरी बुनियादी ढाँचे में सुधार और स्थिरता को बढ़ावा देते हैं।

वैश्विक दक्षिण में ओलंपिक की मेजबानी की प्रमुख चुनौतियाँ

  • वित्तीय बोझ और लागत में वृद्धि: मेजबानी की भारी लागत से सार्वजनिक वित्त पर दबाव पड़ सकता है और कर्ज बढ़ सकता है। 
    • उदाहरण के लिए, दिल्ली में वर्ष 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों में बजट में भारी वृद्धि और वित्तीय जाँच का सामना करना पड़ा था।
  • पर्यावरणीय प्रभाव: बड़े पैमाने पर निर्माण से अक्सर प्रदूषण होता है और पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुँचता है। 
    • उदाहरण के लिए, वर्ष 2010 के खेलों के दौरान निर्माण गतिविधियों के कारण दिल्ली की वायु गुणवत्ता खराब हो गई थी।
  • बुनियादी ढाँचे और शहरी प्रबंधन के मुद्दे: भारतीय शहरों को प्रमुख आयोजनों के दौरान भीड़भाड़ और अकुशल परिवहन की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। बेंगलुरु की 2025 RCB IPL जीत का जश्न उस समय दुखद हो गया जब चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर अत्यधिक भीड़ के कारण भगदड़ मच गई जिसमें 11 लोगों की मौत हो गई।
  • सामाजिक विस्थापन और सार्वजनिक विरोध: ओलंपिक बुनियादी ढाँचे के लिए भूमि अधिग्रहण से समुदायों को विस्थापित होना पड़ सकता है और विरोध प्रदर्शन भड़क सकता है।

आगे की राह 

  • संधारणीय शहरी नियोजन अपनाना: पर्यावरण अनुकूल और प्रत्यास्थ बुनियादी ढाँचे के विकास पर ध्यान देना चाहिए‌।
    • उदाहरण के लिए, अहमदाबाद में सरदार वल्लभभाई पटेल स्पोर्ट्स एन्क्लेव में हरित प्रौद्योगिकी को शामिल किया गया है।
  • सार्वजनिक-निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करना: वित्तीय जोखिमों और जिम्मेदारियों को साझा करने के लिए निजी निवेशकों के साथ सहयोग करना चाहिए।
  • संस्थागत क्षमता निर्माण: खेल प्रशासन, परियोजना क्रियान्वयन और अंतर-एजेंसी समन्वय के लिए दीर्घकालिक संस्थागत सुधारों की आवश्यकता है। 
    • उदाहरण के लिए, भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) जैसे निकायों को मजबूत करना और एक समर्पित ओलंपिक आयोजन समिति का गठन करना कुशल नियोजन और वितरण सुनिश्चित करेगा।
  • सरकारी योजनाओं को बढ़ावा देना: खेलों के बारे में जागरूकता बढ़ानी चाहिए और देश भर में युवाओं और खेलों से जुड़ी मौजूदा पहलों का विस्तार करना चाहिए‌।
    • उदाहरण के लिए, खेलो इंडिया, TOPS और मेरा युवा भारत जैसे कार्यक्रमों को बढ़ावा देना चाहिए और  भारत के व्यापक नीतिगत ढाँचे में खेल संस्कृति, कल्याण और नेतृत्व विकास को शामिल करना चाहिये।

वर्ष 2036 ओलंपिक के लिए भारत की दावेदारी ओलंपिक मूवमेंट में ग्लोबल साउथ की बढ़ती भूमिका को दर्शाती है। सतत विकास, समावेशी शासन और सामुदायिक सहभागिता को प्राथमिकता देकर, भारत चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना कर सकता है और वैश्विक खेलों में अपना कद बढ़ा सकता है।

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