Q. भारत के ई-अपशिष्ट के संकट के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है। विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (Extended Producer Responsibility-EPR) आधारित फ्लोर मूल्य तंत्र (Floor Price Mechanism) पर्यावरणीय, आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों का समाधान कैसे करता है, इसकी आलोचनात्मक जाँच कीजिए और इसके सफल कार्यान्वयन में संभावित बाधाओं का विश्लेषण कीजिए। बेहतर कार्यान्वयन के लिए नवीन उपाय भी सुझाएँ। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • परीक्षण कीजिए कि विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व फ्लोर प्राइस तंत्र, ई-कचरा अपशिष्ट से संबंधित पर्यावरणीय, आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों का किस प्रकार समाधान करता है।
  • विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व फ्लोर प्राइस तंत्र के सफल कार्यान्वयन में संभावित बाधाओं का विश्लेषण कीजिये।
  • इसके बेहतर कार्यान्वयन के लिए नवीन उपाय सुझाइये।

उत्तर

विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (EPR) एक नीतिगत दृष्टिकोण है, जो उत्पादकों को उनके उत्पादों के पूरे जीवनचक्र के दौरान, विशेष रूप से उपभोक्ता-पश्चात अपशिष्ट प्रबंधन के दौरान उनके पर्यावरणीय प्रभावों के लिए जिम्मेदारी सौंपता है। भारत के ई-अपशिष्ट (प्रबंधन) नियम, 2022 बढ़ते ई-अपशिष्ट के संकट से निपटने के लिए लक्ष्य, दंड और EPR फ्लोर प्राइस तंत्र के साथ EPR को संस्थागत बनाते हैं।

पर्यावरणीय चुनौतियाँ और EPR न्यूनतम मूल्य तंत्र

  • असुरक्षित ई-कचरा निपटान प्रथाएँ: फ्लोर प्राइस, औपचारिक रीसाइकिलर्स को आर्थिक व्यवहार्यता प्रदान करके अनौपचारिक क्षेत्र में उपयोग किए जाने वाले ओपेन बर्निंग और एसिड ट्रीटमेंट को कम करने में मदद करता करता है। 
    • उदाहरण: दिल्ली के सीलमपुर में, PPE के बिना असुरक्षित तरीके से नष्ट करने से सीसा, कैडमियम और डाइऑक्सिन निर्मुक्त होते हैं, जो वायु एवं जल के लिए खतरा हैं।
  • प्रदूषण नियंत्रण: EPR अधिकृत सुविधाओं के माध्यम से विनियमित हैंडलिंग सुनिश्चित करता है और विषाक्त उत्सर्जन को कम करता है। 
    • उदाहरण: चेन्नई के पेरुंगुडी ई-अपशिष्ट क्लस्टर में औपचारिक इकाइयाँ, मशीनीकृत पृथक्करण का उपयोग करती हैं जिससे मिट्टी और भूजल प्रदूषण कम होता है
  • सामग्री पुनर्प्राप्ति और परिपत्र अर्थव्यवस्था: स्थिर कीमतें, दुर्लभ धातुओं की पुनर्प्राप्ति को प्रोत्साहित करती हैं, जिससे प्राकृतिक संसाधनों पर निष्कर्षण तनाव कम होता है। 
    • उदाहरण: CPCB-पंजीकृत सुविधाओं में सर्किट बोर्डों से सोने और पैलेडियम की वसूली भारत की संसाधन दक्षता रणनीति को मजबूत करती है।

आर्थिक चुनौतियाँ और EPR फ्लोर प्राइस मैकेनिज्म

  • औपचारिक पुनर्चक्रण की आर्थिक व्यवहार्यता: फ्लोर प्राइस, पुनर्चक्रणकर्ताओं को उचित प्रतिफल तथा आधुनिक बुनियादी ढाँचे को बनाए रखने का आश्वासन देता है।
  • अनौपचारिक क्षेत्र के प्रभुत्व को कम करता है: समान अवसर प्रदान करने से असुरक्षित अनौपचारिक प्रथाओं द्वारा होने वाले नुकसान को रोका जा सकता है। 
    • उदाहरण: देश में उत्पन्न होने वाले कुल ई-अपशिष्ट का 90% से अधिक, अनौपचारिक अपशिष्ट प्रबंधन क्षेत्र द्वारा संसाधित किया जाता है, न्यूनतम मूल्य निर्धारण से अपशिष्ट का प्रवाह औपचारिक पुनर्चक्रणकर्ताओं की ओर स्थानांतरित करने में मदद मिलती है।
  • राष्ट्रीय संपत्ति की वसूली: EPR के अंतर्गत भौतिक वसूली से, अनौपचारिक व्यापार में खोई हुई धातु और कर मूल्य की वसूली होती है।

सामाजिक चुनौतियाँ और EPR न्यूनतम मूल्य तंत्र

  • श्रमिकों के लिए स्वास्थ्य सुरक्षा: अनौपचारिक प्रसंस्करण को कम करके, यह संवेदनशील समुदायों को खतरनाक जोखिम से बचाता है। 
    • उदाहरण: अनौपचारिक ई-कचरा प्रबंधन से $20 बिलियन का वार्षिक सामाजिक नुकसान होता है और विषाक्त जोखिम के कारण महिलाओं और बच्चों की औसत आयु 27 वर्ष से कम हो जाती है।
  • लैंगिक एवं बाल सुरक्षा: अनौपचारिक डिसमैंटलिंग कार्यों पर अंकुश लगाकर बाल श्रम और महिलाओं के स्वास्थ्य जोखिम को कम किया जाता है।
  • स्वच्छ पर्यावरण तक न्यायसंगत पहुंच: हानिकारक प्रक्रियाओं को मलिन बस्तियों से बाहर स्थानांतरित करके, यह पर्यावरणीय न्याय को बढ़ावा देता है।

EPR फ्लोर प्राइस तंत्र के कार्यान्वयन में बाधाएं

  • अनौपचारिक क्षेत्र में पैठ: गहरी जड़ें जमाए अनौपचारिक नेटवर्क, औपचारिक चैनलों में एकीकरण का विरोध करते हैं।
  • कार्यात्मक मीटरिंग और ट्रैकिंग का अभाव: कमजोर निगरानी अनुपालन के प्रवर्तन और मापन में बाधा उत्पन्न करती है। 
    • उदाहरण: कमजोर निगरानी प्रणाली और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों से प्राप्त होने वाले अविश्वसनीय डेटा, EPR अनुपालन के प्रवर्तन में बाधा डालते हैं।
  • उपभोक्ता जागरूकता का अभाव: जागरूकता की कमी के कारण घरेलू या कबाड़ीवालों के माध्यम से अपशिष्ट का निपटान किया जाता है।
  • छोटे उत्पादकों पर वित्तीय दबाव: अनुपालन और न्यूनतम मूल्य निर्धारण से छोटे उत्पादकों पर बोझ पड़ सकता है।
  • मूल्य निर्धारण पर उत्पादकों का विरोध: कुछ उत्पादकों का तर्क है कि न्यूनतम मूल्य निर्धारण से उत्पाद की लागत बढ़ जाती है, जिससे बाजार में प्रतिस्पर्धात्मकता प्रभावित होती है।

बेहतर कार्यान्वयन के लिए नवीन उपाय

  • अनौपचारिक क्षेत्र को एकीकृत करना: PRO के नेतृत्व वाली सहकारी समितियों के माध्यम से अनौपचारिक पुनर्चक्रणकर्ताओं को कौशल प्रदान करना चाहिए और उनका पंजीकरण करना चाहिए।
    • उदाहरण: करो संभव पहल सुरक्षित ई-अपशिष्ट संग्रहण और अनुपालन के लिए स्थानीय कबाड़ीवालों के साथ सहयोग करती है।
  • ब्लॉकचेन-आधारित EPR ट्रैकिंग: अपशिष्ट प्रवाह का पता लगाने और सत्यापित करने के लिए छेड़छाड़-प्रूफ डिजिटल टोकन की शुरुआत करनी चाहिए।
    • उदाहरण: प्लास्टिक अपशिष्ट ट्रैकिंग के लिए आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय की पायलट ब्लॉकचेन रजिस्ट्री को ई-अपशिष्ट EPR अनुपालन के लिए दोहराया जा सकता है।
  • डायनेमिक फ्लोर प्राइसिंग मॉडल: मेटल रिकवरी और रीसाइकिलर लागत में बाजार के रुझान के आधार पर फ्लोर प्राइस को समायोजित करना चाहिए।
    • उदाहरण: CPCB, कृषि में इस्तेमाल की जाने वाली MSP प्रणाली की तरह तिमाही आधार पर दरों में संशोधन कर सकता है।
  • स्कूल और शहरी अभियान: स्कूल पाठ्यक्रम और शहरी स्वच्छता अभियानों में ई-अपशिष्ट साक्षरता को शामिल करना चाहिए।
    • उदाहरण: स्कूलों में स्वच्छ भारत ई-कचरा मॉड्यूल प्रारंभिक जागरूकता और सुरक्षित निपटान की आदतों में सुधार करते हैं।
  • वन-नेशन EPR पोर्टल: सभी उत्पादक, रीसाइकिलर और डिस्मेंटलर डेटा को निर्बाध रियलटाइम निगरानी के लिए केंद्रीकृत करना चाहिए।
    • उदाहरण: राष्ट्रीय EPR पोर्टल (वर्ष 2023) को पारदर्शी अनुपालन ट्रैकिंग के लिए SPCB डैशबोर्ड को एकीकृत करना चाहिए।

भारत का ई-अपशिष्ट गवर्नेंस, स्थिरता की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक कल्याण के साथ आर्थिक प्रोत्साहनों को संरेखित करते हुये, यह अपशिष्ट प्रवाह को औपचारिक बना सकता है, मूल्यवान संसाधनों को पुनः प्राप्त कर सकता है, और न्यायसंगत परिणाम सुनिश्चित कर सकता है बशर्ते इसकी संरचनात्मक और व्यवहारिक बाधाओं को नवाचार और समावेशिता के साथ संबोधित किया जाए।

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