प्रश्न की मुख्य माँग
- पिछले दशक में ऊर्जा क्षेत्र में हुये संरचनात्मक सुधारों ने भारत की आर्थिक वृद्धि और विकास में किस प्रकार सहायता की है, इसका परीक्षण कीजिए।
- पिछले दशक में ऊर्जा क्षेत्र में हुये नवाचारों ने भारत की आर्थिक वृद्धि और विकास को किस प्रकार समर्थन दिया है, इसका परीक्षण कीजिए।
|
उत्तर
भारत का चौथी सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बनना, उसके ऊर्जा क्षेत्र में परिवर्तनकारी प्रगति से जुड़ा हुआ है। पिछले दशक में, व्यापक संरचनात्मक सुधारों और अग्रणी नवाचारों ने न केवल ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत किया है, बल्कि सतत आर्थिक विकास और प्रगति को भी गति दी है।
ऊर्जा क्षेत्र में संरचनात्मक सुधार जिनसे आर्थिक विकास में मदद मिली
- कोयला क्षेत्र में सुधार: कोयला खान विशेष प्रावधान अधिनियम 2015 के कार्यान्वयन से वित्त वर्ष 23 में 893.19 मीट्रिक टन का रिकॉर्ड कोयला उत्पादन हुआ जो वित्त वर्ष 2014 से 57.8% की वृद्धि दर्शाता है।
- बिजली क्षेत्र में बदलाव: वर्ष 2014 से अब तक 196,558 मेगावाट उत्पादन क्षमता में वृद्धि और “एक राष्ट्र,एक ग्रिड – एक फ्रीक्वेंसी” की उपलब्धि ने निरंतर बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की।
- उदाहरण: ग्रामीण विद्युत की उपलब्धता 12 घंटे से बढ़कर 20.6 घंटे (2023) हो गई जिससे ग्रामीण उत्पादकता में वृद्धि हुई।
- नवीकरणीय ऊर्जा विस्तार: भारत नवीकरणीय ऊर्जा स्थापित क्षमता में विश्व स्तर पर चौथे स्थान पर है, जिसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट है।
- उदाहरण: अप्रैल 2025 तक, सौर ऊर्जा क्षमता 107.94 गीगावाट तक पहुँच गई जिससे जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम हो गई।
- विद्युतीकरण पहल: सौभाग्य जैसी योजनाओं ने लगभग सार्वभौमिक घरेलू विद्युतीकरण हासिल किया, जिससे जीवन की गुणवत्ता में सुधार हुआ।
- उदाहरण: सौभाग्य योजना के तहत वर्ष 2017 से अब तक 28 मिलियन से अधिक घरों में बिजली पहुंचाई गई, जिससे समावेशी विकास को बढ़ावा मिला।
- ऊर्जा दक्षता उपाय: राष्ट्रीय संवर्धित ऊर्जा दक्षता मिशन (NMEEE) के तहत कार्यक्रमों से पर्याप्त ऊर्जा बचत हुई है।
- उदाहरण: NMEEE ने 19,598 मेगावाट की क्षमता वृद्धि को रोका है और सालाना 98.55 मिलियन टन CO₂ उत्सर्जन में कमी की है।
- पेट्रोलियम क्षेत्र में सुधार: BS-VI मानकों को अपनाने और जैव ईंधन को बढ़ावा देने से ईंधन की गुणवत्ता में सुधार हुआ और उत्सर्जन में कमी आई।
- उदाहरण: वर्ष 2025-26 तक इथेनॉल मिश्रण को 20% करने का लक्ष्य है जिससे विदेशी मुद्रा में 85,000 करोड़ रुपये की बचत होगी।
- जलविद्युत विकास: पंप भंडारण क्षमता का विस्तार लगभग 4,800 मेगावाट तक किया जाएगा, जिससे ग्रिड स्थिरता और ऊर्जा भंडारण में वृद्धि होगी।
- उदाहरण: दिसंबर 2023 तक अतिरिक्त 2,780 मेगावाट निर्माणाधीन है, जो पीक लोड प्रबंधन में सहायता करेगा।
आर्थिक विकास को समर्थन देने वाले ऊर्जा क्षेत्र में नवाचार
- सौर ऊर्जा पहल: राष्ट्रीय सौर मिशन की शुरूआत और बड़े सौर पार्कों के विकास ने सौर ऊर्जा अपनाने में तेजी लाई।
- उदाहरण:राजस्थान में भादला सौर पार्क 2,245 मेगावाट बिजली उत्पन्न करता है जो ऊर्जा विविधीकरण में योगदान देता है।
- बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (BESS): BESS की तैनाती से अक्षय ऊर्जा एकीकरण और ग्रिड विश्वसनीयता में सुधार हुआ।
- उदाहरण: दिल्ली ने दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी 20 मेगावाट की BEES का उद्घाटन किया, जिससे 100,000 से अधिक निवासियों को स्थिर बिजली आपूर्ति का लाभ मिला।
- PM-KUSUM योजना: सौर ऊर्जा से सिंचाई को बढ़ावा देने से कृषि में डीजल पर निर्भरता कम हुई है।
- उदाहरण: अक्टूबर 2023 तक 2.73 लाख स्टैंडअलोन सोलर पंपों की स्थापना, किसानों की आय और स्थिरता में वृद्धि।
- हरित हाइड्रोजन विकास: हरित हाइड्रोजन के लिए इनक्यूबेशन केंद्रों की स्थापना ने स्वच्छ ऊर्जा उद्यमिता को बढ़ावा दिया।
- उदाहरण: हरित हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय सौर ऊर्जा संस्थान (NISE) और भारतीय राष्ट्रीय सौर ऊर्जा महासंघ (NSEFI) के बीच समझौता ज्ञापन।
- ऊर्जा पहुँच समाधान: माइक्रो-ग्रिड जैसे विकेंद्रीकृत नवीकरणीय समाधानों ने ग्रामीण विद्युतीकरण में सुधार किया।
- उदाहरण: टाटा पावर की पहल ने 10,000 गांवों में बिजली पहुंचाई जिससे शहरी-ग्रामीण ऊर्जा अंतर को कम किया जा सका।
- इलेक्ट्रिक वाहन (EV) प्रोत्साहन: EV अपनाने को प्रोत्साहन देने से शहरी प्रदूषण और तेल आयात में कमी आई।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: महत्त्वपूर्ण खनिजों पर केंद्रित व्यापार समझौतों ने स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के लिए संसाधन उपलब्धता सुनिश्चित की।
- उदाहरण: भारत-ऑस्ट्रेलिया वार्ता का उद्देश्य अक्षय ऊर्जा विस्तार के लिए आवश्यक
महत्त्वपूर्ण खनिजों को सुरक्षित करना था।
ऊर्जा क्षेत्र में भारत के रणनीतिक संरचनात्मक सुधार और अभिनव दृष्टिकोण इसकी आर्थिक उन्नति को गति देने में सहायक रहे हैं। ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाकर, स्थिरता को बढ़ावा देकर और समावेशी विकास को बढ़ावा देकर, इन पहलों ने ऊर्जा क्षेत्र में भारत के निरंतर विकास और वैश्विक नेतृत्व के लिए एक मजबूत आधार तैयार किया है।
To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.
Latest Comments