Q. भारत के अनौपचारिक श्रमिकों को भीषण गर्मी की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, हालाँकि हीट एक्शन प्लान अपर्याप्त हैं। बहुआयामी चुनौतियों का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए और गर्मी-प्रतिरोधी शहरों का निर्माण करने के लिए श्रमिक सुरक्षा, शहरी नियोजन, आर्थिक सुरक्षा और संस्थागत सुधारों को एकीकृत करने वाला एक व्यापक ढाँचा सुझाएँ। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • भारत के अनौपचारिक श्रमिकों के समक्ष भीषण गर्मी की संवेदनशीलता के कारण आने वाली बहुआयामी चुनौतियों का विश्लेषण कीजिए।
  • भारत की हीट एक्शन योजनाओं की कमियों पर प्रकाश डालिए।
  • ताप प्रतिरोधी शहरों के निर्माण के लिए श्रमिक संरक्षण, शहरी नियोजन, आर्थिक सुरक्षा और संस्थागत सुधारों को एकीकृत करने वाले एक व्यापक का सुझाव दीजिए।

उत्तर

भारत के अनौपचारिक श्रमिक, जो कार्यबल का 90% से अधिक हिस्सा हैं, बढ़ती हीटवेव के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हैं। लंबे समय तक जोखिम, अपर्याप्त आवास और सामाजिक सुरक्षा की कमी स्वास्थ्य जोखिम और आर्थिक अस्थिरता को बढ़ाती है, जो व्यापक, समावेशी और जलवायु-प्रत्यास्थ शहरी रणनीतियों की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करती है।

भीषण गर्मी के कारण भारत के अनौपचारिक श्रमिकों के समक्ष आने वाली बहुआयामी चुनौतियाँ

  • स्वास्थ्य जोखिम: लंबे समय तक गर्मी के संपर्क में रहने से बाहर में खुले वातावरण में कार्य करने वालों में निर्जलीकरण, तापघात और दीर्घकालिक बीमारियाँ हो सकती हैं।
  • आय में कमी: गर्मी के कारण काम के घंटे और उत्पादकता कम हो जाती है, जिससे आय में कमी आती है। 
    • उदाहरण: शोध से पता चलता है, कि अनौपचारिक श्रमिकों के बीच वेट बल्ब तापमान में प्रत्येक 1°C की वृद्धि के साथ उनकी  शुद्ध आय में 19% की गिरावट होती है।
  • अपर्याप्त आवास: कई लोग अनपयुक्त हवादार घरों में रहते हैं, जिनमें गर्मी को रोकने वाली सामग्री लगी होती है, जिससे गर्मी का जोखिम बढ़ जाता है।
  • सामाजिक सुरक्षा का अभाव: औपचारिक रोजगार अनुबंधों की अनुपस्थिति, श्रमिकों को स्वास्थ्य बीमा और सवेतनिक  छुट्टी  से वंचित करती है। 
    • उदाहरण: अनौपचारिक श्रमिक अक्सर वित्तीय बाधाओं के कारण अत्यधिक गर्मी के दौरान छुट्टी लेने का जोखिम नहीं उठा सकते हैं।
  • लैंगिक असमानताएँ: अनौपचारिक क्षेत्रों में महिलाओं को देखभाल संबंधी जिम्मेदारियों और संसाधनों तक सीमित पहुँच के कारण जटिल जोखिमों का सामना करना पड़ता है।

भारत में ताप कार्य योजनाओं (HAP) की कमियाँ

  • सीमित कवरेज: कई HAP शहरी केंद्रों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, और अर्ध-शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों की उपेक्षा करते हैं जहां अनौपचारिक श्रमिक रहते हैं। 
    • उदाहरण: दिल्ली के हीट हॉटस्पॉट अक्सर बाहरी इलाकों में स्थित होते हैं, फिर भी HAP मुख्य रूप से केंद्रीय क्षेत्रों को लक्ष्य बनाते हैं।
  • अपर्याप्त वित्तपोषण: HAP में अक्सर समर्पित बजट का अभाव होता है, जिससे प्रभावी कार्यान्वयन और पहुँच में बाधा उत्पन्न होती है।
  • अंतर्विभागीय समन्वय का अभाव: प्रभावी ताप शमन के लिए विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग की आवश्यकता होती है, जो प्रायः अनुपस्थित रहता है।
  • अनौपचारिक कार्यबल की आवश्यकताओं का सीमित लक्ष्यीकरण: अधिकांश हीट एक्शन योजनाओं में अनौपचारिक श्रमिकों के लिए विशेष हस्तक्षेप का अभाव है तथा उन्हें केवल व्यापक रूप से संबोधित किया जाता है।
    • उदाहरण:  NDMA के वर्ष 2019 हीटवेव दिशानिर्देश सामान्यतः “आउटडोर श्रमिकों” को संदर्भित करते हैं, लेकिन विक्रेताओं, निर्माण श्रमिकों या कचरा बीनने वालों के लिए विशिष्ट सुरक्षा की रूपरेखा का उल्लेख नहीं करते हैं।
  • अपर्याप्त जन जागरूकता: सामुदायिक सहभागिता और जागरूकता अभियानों की कमी HAPs की प्रभावशीलता को कम करती है। 
    • उदाहरण: गर्मी से संबंधित जानकारी का सीमित प्रसार अनौपचारिक श्रमिकों के बीच तैयारी को बाधित करता है।

ताप प्रतिरोधी शहरों के लिए व्यापक रूपरेखा

श्रमिक संरक्षण

  • व्यावसायिक सुरक्षा उपायों को अनिवार्य बनाना: नियोक्ताओं को छायादार विश्राम क्षेत्र, जलयोजन केंद्र और पीक हीट आवर्स के दौरान निर्धारित अवकाश प्रदान करने हेतु आवश्यक नियम लागू करने चाहिए।
    • उदाहरण: बिहार ने भीषण गर्मी के दौरान श्रमिकों की सुरक्षा के लिए सरकारी योजनाओं के तहत वर्क-ऑवर्स को समायोजित किया गया।
  • ताप-संवेदनशील श्रम संहिताओं को लागू करना: ऐसे श्रम कानून विकसित करना चाहिए जिनमें हीटस्ट्रेस के लिए प्रावधान शामिल हों तथा यह सुनिश्चित करना चाहिए कि श्रमिक अत्यधिक तापमान के दौरान बिना किसी मजदूरी दंड के कार्य बंद कर सकें।

शहरी नियोजन

  • जलवायु-अनुकूल वास्तुकला को बढ़ावा देना: पारंपरिक भवन डिजाइन और सामग्रियों के उपयोग को प्रोत्साहित करना चाहिए जो स्वाभाविक रूप से इनडोर तापमान को नियंत्रित करते हों जिससे कृत्रिम शीतलन पर निर्भरता कम होती है।
    • उदाहरण: भारत के कुछ हिस्सों में स्थानीय वास्तुकला के पुनरुद्धार ने घरों में बेहतर थर्मल कम्फर्ट प्रदान किया है।
  • हरित अवसंरचना का विकास करना: शहरी हरित स्थानों जैसे पार्क और पेड़ों से सजी सड़कें को एकीकृत करना चाहिए ताकि शहरी ऊष्मा द्वीप प्रभाव को कम किया जा सके और ठंडक प्रदान की जा सके। 
    • उदाहरण: अहमदाबाद ने बढ़ते शहरी तापमान से निपटने के लिए कूल रूफ्स और हरित स्थानों के उपयोग का विस्तार किया।

आर्थिक सुरक्षा

  • ताप-संबंधी बीमा योजनाएं स्थापित करना: पैरामीट्रिक बीमा उत्पादों का प्रयोग करना चाहिए जो अत्यधिक गर्मी के दौरान अनौपचारिक श्रमिकों को भुगतान प्रदान करते हैं तथा कम हुई आय की भरपाई करते हैं।
  • शीतलन समाधान के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना: अनौपचारिक श्रमिकों के घरों और कार्यस्थलों में निष्क्रिय शीतलन प्रौद्योगिकियों की स्थापना के लिए सब्सिडी या कम ब्याज दर पर ऋण प्रदान करना चाहिए।

संस्थागत सुधार

  • अंतर-विभागीय समन्वय को मजबूत करना: शहरी स्थानीय निकायों के भीतर समर्पित जलवायु तन्यकता इकाइयों की स्थापना करनी चाहिए ताकि विभागों में ऊष्मा शमन प्रयासों का समन्वय किया जा सके। 
    • उदाहरण: सूरत का जलवायु परिवर्तन ट्रस्ट जलवायु प्रभावों के प्रति शहर की तन्यकता को बढ़ाने के लिए विभिन्न हितधारकों को एकजुट करता है ।
  • हीट एक्शन प्लान के लिए कानूनी ढाँचे को मजबूत करना: स्पष्ट अधिदेश, जवाबदेही तंत्र और नियमित अद्यतन के साथ हीट एक्शन प्लान के विकास और कार्यान्वयन को कानूनी रूप देना चाहिए।

भारत के अनौपचारिक श्रमिकों के बीच ऊष्मा सुभेद्यता़ओं को संबोधित करने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है जिसमें श्रमिक सुरक्षा, शहरी नियोजन, आर्थिक सुरक्षा और संस्थागत सुधारों को एकीकृत किया जाए। समावेशी और अच्छी तरह से वित्त पोषित हीट एक्शन प्लान को अपनाकर और सामुदायिक सहभागिता को बढ़ावा देकर, भारत ऐसे प्रत्यास्थ शहरों का निर्माण कर सकता है जो अपनी सबसे अधिक संवेदनशील आबादी को बढ़ते गर्मी के जोखिमों से बचा सकते हैं।

To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

Need help preparing for UPSC or State PSCs?

Connect with our experts to get free counselling & start preparing

Aiming for UPSC?

Download Our App

      
Quick Revise Now !
AVAILABLE FOR DOWNLOAD SOON
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध
Quick Revise Now !
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध

<div class="new-fform">






    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.