Q. विश्व खुशहाली रिपोर्ट में भारत की निम्न रैंकिंग वास्तविक कल्याण परिणामों के बजाय अवधारणात्मक पूर्वाग्रहों को दर्शाती है। रिपोर्ट की कार्यप्रणाली संबंधी सीमाओं के आलोक में चर्चा कीजिए। भारत में अधिक समावेशी ‘सहानुभूति अवसंरचना’ के निर्माण के लिए उपाय सुझाएँ। (10 अंक, 150 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • पद्धतिगत सीमाएँ
  • समावेशी ‘सहानुभूति अवसंरचना’ के निर्माण के उपाय

उत्तर

हाल ही में जारी विश्व खुशहाली रिपोर्ट में भारत का निम्न स्थान (वर्ष 2025 में 118वीं रैंक) प्रायः व्यक्तिपरक आत्म-मूल्यांकन और सांस्कृतिक रूप से विकृत सर्वेक्षण विधियों से उत्पन्न अवधारणात्मक पूर्वाग्रहों को दर्शाता है। इसलिए, ये रैंकिंग स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच, गरीबी उन्मूलन और सामाजिक सुरक्षा विस्तार जैसे कल्याण संकेतकों में भारत के व्यापक सुधारों को दर्शाने में विफल रहती हैं।

पद्धतिगत सीमाएँ

  • व्यक्तिपरक स्व-रिपोर्टिंग: यह रिपोर्ट स्व-मूल्यांकित जीवन परिदृश्य पर आधारित है, जो संस्कृति के अनुसार अलग-अलग होती है।
  • ‘सैंपल’ का छोटा आकार: प्रति देश सर्वेक्षण के नमूने भारत की विशाल और विविध जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करने के लिए बहुत छोटे हो सकते हैं।
    • उदाहरण: आलोचकों का कहना है कि सीमित उत्तरदाता (प्रति देश लगभग 1,000) एक सघन आबादी वाले, विषम राष्ट्र के लिए अपर्याप्त हैं।
  • सांस्कृतिक पूर्वाग्रह: कैंट्रिल लेडर (Cantril Ladder) खुशी की सांस्कृतिक रूप से विशिष्ट धारणाओं को ध्यान में नहीं रखते।
    • उदाहरण: शोध बताते हैं कि रिपोर्ट के सार्वभौमिक पैमाने में भारत की आध्यात्मिकता और पारिवारिक संबंधों को कम आँका गया है।
  • मानक पूर्वाग्रह: “खुशी” की पश्चिमी परिभाषाएँ प्रभावी हो सकती हैं, तथा स्थानीय अवधारणाओं की उपेक्षा कर सकती हैं।

समावेशी ‘सहानुभूति अवसंरचना’ के निर्माण के उपाय

  • मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार: प्राथमिक देखभाल और डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से सामुदायिक मानसिक स्वास्थ्य का विस्तार करना।
    • उदाहरण: राष्ट्रीय टेली-मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम का उद्देश्य प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा में मानसिक स्वास्थ्य को एकीकृत करना है।
  • विभिन्न क्षेत्रों के बीच गठबंधन: केवल स्वास्थ्य प्रणालियों में ही नहीं, बल्कि दैनिक कार्यों में संलग्न संस्थाओं मानसिक स्वास्थ्य को शामिल करने के लिए नेटवर्क स्थापित करना।
  • उपेक्षा-विरोधी अभियान: सहानुभूति को बढ़ावा देना और मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बातचीत को सामान्य बनाना।
  • सामुदायिक सहकर्मी-समर्थन: भावनात्मक सुरक्षा के लिए आस-पड़ोस में सरल, कल्याणकारी कार्यों और सहकर्मी समूहों को प्रोत्साहित करना।
  • कार्यस्थलों में सहानुभूति प्रशिक्षण: मानसिक कल्याण को एक रणनीतिक अनिवार्यता के रूप में कॉरपोरेट संस्कृति में एकीकृत करना।
  • डिजिटल सहानुभूति उपकरण: सहानुभूतिपूर्ण भावनात्मक स्वास्थ्य सहायता प्रदान करने के लिए AI और तकनीक का उपयोग करना।
    • उदाहरण: IIT खड़गपुर ने समर्थन, सहानुभूति, परिवर्तन और उत्थान (SETU) ढाँचे के तहत एक AI ऐप और “कैंपस मदर्स” लॉन्च किया।
  • अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों को प्रशिक्षित करना: सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों को मानसिक कष्टों के प्रति सहानुभूतिपूर्वक प्रतिक्रिया करने के लिए सक्षम बनाना।
    • उदाहरण: उत्तर पश्चिम रेलवे के कर्मचारियों को “3T” (ट्रैक, टॉक, टैग) आत्महत्या-रोकथाम रणनीति में प्रशिक्षित किया जा रहा है।

निष्कर्ष

विश्व खुशहाली रिपोर्ट भले ही कथित संतुष्टि पर बल देती है, लेकिन इसकी कार्यप्रणाली भारत की वास्तविक सामाजिक और भावनात्मक शक्तियों को कम करके आँक सकती है। मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं, सामुदायिक देखभाल और सहानुभूति प्रणालियों के माध्यम से एक मजबूत सहानुभूति ढाँचे का निर्माण, वास्तविक कल्याण को बेहतर ढंग से प्रतिबिंबित और समर्थित कर सकता है।

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