Q. भारत की प्रस्तावित ग्रीन वॉल परियोजना एक पारिस्थितिक आवश्यकता और एक प्रशासनिक चुनौती दोनों है। आलोचनात्मक रूप से विश्लेषण कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • चर्चा कीजिए कि भारत की प्रस्तावित ग्रीन वॉल परियोजना किस प्रकार एक पारिस्थितिकी आवश्यकता है।
  • भारत की प्रस्तावित ग्रीन वॉल परियोजना से जुड़ी प्रशासनिक चुनौतियों का परीक्षण कीजिए।
  • परियोजना को सफल बनाने के लिए उपयुक्त राह लिखिए।

उत्तर

अफ्रीका की ग्रेट ग्रीन वॉल से प्रेरित भारत की प्रस्तावित ग्रीन वॉल परियोजना का लक्ष्य वर्ष 2027 तक दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात में वनों की पुनर्स्थापना करना है। अरावली पर्वतमाला पर 1,400 किलोमीटर लंबा, 5 किलोमीटर चौड़ा यह पारिस्थितिकी कॉरिडोर मरुस्थलीकरण को रोकने, जैव विविधता को बढ़ाने और संधारणीय भूमि उपयोग को बढ़ावा देने का प्रयास करता है।

ग्रीन वॉल परियोजना की पारिस्थितिक आवश्यकता

  • मरुस्थलीकरण नियंत्रण: यह परियोजना थार मरुस्थल के पूर्व की ओर विस्तार के विरुद्ध एक अवरोध के रूप में कार्य करती है, जिससे भूमि क्षरण को कम किया जा सकता है। 
    • उदाहरण: इसका उद्देश्य वर्ष 2027 तक चार राज्यों में 1.15 मिलियन हेक्टेयर बंजर भूमि की पुनर्बहाली करना है।
  • जैव विविधता संवर्द्धन: देशज प्रजातियों के पौधे लगाने से क्षेत्र का पुनरूद्धार होता है तथा वनस्पतियों और जीव-जंतुओं की विविधता को बढ़ावा मिलता है।
  • भूजल पुनर्भरण: वनरोपण वर्षा जल के रिसाव में सहायता करता है, जिससे भूजल स्तर में सुधार होता है। 
    • उदाहरण: इसमें जल उपलब्धता बढ़ाने के लिए 75 जल निकायों का पुनरुद्धार शामिल है।
  • मृदा अपरदन की रोकथाम: वनस्पति आवरण मृदा अपरदन को कम करता है, जिससे भूमि की उर्वरता बनी रहती है। 
    • उदाहरण: पहले चरण में 6.45 मिलियन हेक्टेयर से अधिक निम्नीकृत पारिस्थितिकी तंत्र को बहाल करने का लक्ष्य है।
  • जलवायु परिवर्तन शमन: हरित आवरण में वृद्धि कार्बन अवशोषण में योगदान देती है, जिससे जलवायु परिवर्तन से निपटा जा सकता है।

ग्रीन वॉल परियोजना की प्रशासनिक चुनौतियाँ

  • अंतरराज्यीय समन्वय: चार राज्यों में नीतियों को संरेखित करने के लिए प्रभावी सहयोग की आवश्यकता होती है।
    • उदाहरण: यह परियोजना दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात में फैली हुई है, जिसके लिए समन्वित प्रयासों की आवश्यकता है।
  • भूमि अधिग्रहण: वनरोपण के लिए भूमि सुरक्षित करने में स्थानीय समुदायों से प्रतिरोध का सामना करना पड़ सकता है। 
    • उदाहरण: 1.15 मिलियन हेक्टेयर भूमि को कवर करना, संभावित रूप से मौजूदा भूमि उपयोग को प्रभावित कर सकता है।
  • वित्तपोषण संबंधी बाधाएँ: दीर्घकालिक सफलता के लिए सतत् वित्तीय निवेश महत्त्वपूर्ण है।
  • निगरानी और मूल्यांकन: विशाल क्षेत्रों में प्रगति को ट्रैक करना, तार्किक चुनौतियाँ उत्पन्न करता है। 
    • उदाहरण: 1,400 किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए मजबूत निगरानी प्रणाली की आवश्यकता होती है।
  • सामुदायिक सहभागिता: परियोजना की संधारणीयता के लिए स्थानीय समर्थन प्राप्त करना आवश्यक है।

सफल कार्यान्वयन के लिए आगे की राह 

  • एकीकृत शासन: राज्यों में प्रयासों को सुव्यवस्थित करने हेतु एक केंद्रीय समन्वय निकाय की स्थापना करनी चाहिए।
    • उदाहरण: एक एकीकृत दृष्टिकोण, नीति संरेखण और संसाधन आवंटन को बढ़ा सकता है।
  • सामुदायिक भागीदारी: स्वामित्व सुनिश्चित करने के लिए योजना और कार्यान्वयन में स्थानीय आबादी को शामिल करना चाहिए।
  • सतत् वित्तपोषण: सरकार और निजी क्षेत्रों से दीर्घकालिक वित्तीय प्रतिबद्धताएँ सुरक्षित करनी चाहिए‌।
    • उदाहरण: सार्वजनिक-निजी भागीदारी, परियोजना की दीर्घता के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध करा सकती है।
  • तकनीकी एकीकरण: निगरानी और मूल्यांकन के लिए GIS और रिमोट सेंसिंग का उपयोग करना चाहिए।
  • नीति समर्थन: वनरोपण और संरक्षण के लिए सहायक नीतियों और प्रोत्साहनों को लागू करना चाहिए।
    • उदाहरण: देशज प्रजातियों के रोपण को बढ़ावा देने वाली नीतियों से पारिस्थितिकीय परिणाम बेहतर हो सकते हैं।

भारत की ग्रीन वॉल परियोजना, पर्यावरण क्षरण और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए एक महत्त्वपूर्ण पहल है। एक सहयोगात्मक, अच्छी तरह से वित्तपोषित और समुदाय-संचालित दृष्टिकोण परियोजना की सफलता सुनिश्चित कर सकता है, जो एक संधारणीय और प्रत्यास्थ पारिस्थितिकी तंत्र में योगदान देता है।

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