प्रश्न की मुख्य माँग
- अमेरिकी निर्भरता ने कैसे कमजोरियों को प्रदर्शितकिया
- घाटे को बढ़ाने वाले अन्य कारक
- सरकारी उपाय और नीतिगत राह।
|
उत्तर
अक्टूबर 2025 में भारत का वस्तु व्यापार घाटा रिकॉर्ड 41.68 अरब डॉलर तक पहुँच गया, जो एकल बाजार पर अत्यधिक निर्भरता के जोखिमों को दर्शाता है। अमेरिका के प्रति अत्यधिक निर्भरता, जो अब उच्च शुल्कों के अधीन है, ने भारत के बाह्य व्यापार ढाँचे की संरचनात्मक कमजोरियों को और अधिक गहरा कर दिया है।
अमेरिकी निर्भरता से उत्पन्न घाटे के कारण
- बाजार संकेंद्रण: एक देश को भारी निर्यात अचानक नीतिगत तनावों और माँग में उतार-चढ़ाव का जोखिम बढ़ाता है।
- उदाहरण: टैरिफ कार्रवाइयों के बीच अमेरिका को भारत का निर्यात कम हो गया, जिससे मासिक रूप से व्यापार संबंधी तनाव बढ़ गया।
- टैरिफ संबंधी तनाव: अमेरिकी टैरिफ में अचानक वृद्धि ने प्रमुख क्षेत्रों में भारतीय उत्पादों को अप्रतिस्पर्द्धी बना दिया।
- उदाहरण: वर्ष 2025 में अमेरिकी टैरिफ वृद्धि के बाद क्षेत्रवार गिरावट (वस्त्र, इंजीनियरिंग सामान) हुई।
- मूल्य-शृंखला अंतराल: आयातित इनपुट पर निर्भरता बाजारों की तेजी से बदलने की क्षमता को सीमित करती है।
- उदाहरण: वित्त वर्ष 2024-25 में इलेक्ट्रॉनिक्स/इनपुट के लिए आयात पर निर्भरता बढ़ी, जिससे व्यापार संतुलन बिगड़ गया।
- निर्यात संरचना: कुछ श्रम-प्रधान, टैरिफ-संवेदनशील वस्तुओं पर निर्भरता लचीलेपन को कम करती है।
घाटे में वृद्धि के अन्य कारक
- तेल आयात में वृद्धि: निर्यात वृद्धि के बावजूद, कच्चे तेल के उच्च बिलों ने व्यापारिक घाटा बढ़ा दिया है।
- उदाहरण: मार्च 2025 में तेल आयात में वृद्धि ने मासिक व्यापारिक घाटे को और बढ़ा दिया।
- सोने की माँग: सोने के आयात में वृद्धि ने आयात मूल्य में वृद्धि की, जिससे घाटा और बढ़ गया।
- उदाहरण: अक्टूबर 2025 में सोने का रिकॉर्ड आयात हुआ, जिसने मासिक अंतराल में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
- वैश्विक मंदी: कमजोर बाह्य माँग और संरक्षणवाद ने निर्यात की गति को प्रभावित किया।
- उदाहरण: सरकारी अधिकारियों ने शिपमेंट को प्रभावित करने वाले अमेरिकी/यूरोपीय संघ के नीतिगत दबावों की ओर संकेत किया।
- व्यापार विचलन: शुल्कों के कारण शिपमेंट का मार्ग बदलना पड़ा और वैकल्पिक आपूर्तिकर्ताओं से आयात में वृद्धि हुई।
- मुक्त व्यापार समझौते (FTA) में असमानताएँ: मौजूदा समझौते शुल्क असंतुलन दर्शाते हैं, जिससे कुछ क्षेत्रों में प्रतिस्पर्द्धात्मकता प्रभावित होती है।
सरकारी उपाय एवं नीतिगत मार्ग
- बाजार विविधीकरण: नए बाजारों (अफ्रीका, लैटिन अमेरिका, आसियान पुनरीक्षण) की ओर तीव्र प्रयास।
- निर्यात प्रोत्साहन मिशन: MSME निर्यात और बाजार विकास को मजबूत करने के लिए बड़ा मिशन।
- उदाहरण: मंत्रिमंडल ने 25,060 करोड़ रुपये के परिव्यय (नवंबर 2025) के साथ निर्यात संवर्द्धन मिशन को मंजूरी प्रदान की।
- आपूर्ति-शृंखला लचीलापन: इनपुट के लिए आयात निर्भरता कम करने हेतु स्थानीय मूल्य-संवर्द्धन को प्रोत्साहित करना।
- व्यापारिक सूचना: निर्यातकों को मुक्त व्यापार समझौतों (FTA) का उपयोग करने और वैकल्पिक बाजार खोजने में मदद करने के लिए डेटा उपकरण।
- उदाहरण: निर्यातकों की सहायता के लिए व्यापार सूचना और विश्लेषण (TIA) पोर्टल का शुभारंभ।
- लक्षित समर्थन: प्रभावित क्षेत्रों के लिए निर्यात ऋण, संपार्श्विक राहत और प्रोत्साहन पैकेज।
- मुक्त व्यापार समझौतों (FTA) का पुनर्गठन: व्यापार असंतुलन को कम करने के लिए मुक्त व्यापार समझौतों से संबंधित वार्ता में वृद्धि करना।
निष्कर्ष
वर्ष 2025 के रिकॉर्ड व्यापार घाटे ने भारत के संकेंद्रण जोखिम और संरचनात्मक आयात निर्भरता को उजागर कर दिया है। अनुकूलन स्थापित करने के लिए तीव्र बाजार विविधीकरण, घरेलू मूल्य-संवर्द्धन, लक्षित निर्यातक समर्थन और बेहतर व्यापार विश्लेषण उपायों की आवश्यकता है, जो सुभेद्यता को कम करेंगे और भारत के बाह्य खातों को स्थिर करेंगे।
To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.
Latest Comments