Q. भारतीय रेलवे में किन विशिष्ट अवसंरचनात्मक कमियों ने हाल की दुर्घटनाओं में योगदान दिया है? 'कवच' प्रणाली के कार्यान्वयन से इन कमियों को कैसे दूर किया जा सकता है? (10अंक, 150 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • भारतीय रेलवे की उन विशिष्ट अवसंरचनात्मक कमियों पर चर्चा कीजिए, जिनके कारण हाल ही में कई  रेल दुर्घटनाएँ हुई हैं।
  • इन अवसंरचनात्मक कमियों को दूर करने में ‘कवच’ प्रणाली की भूमिका का परीक्षण कीजिए।

उत्तर

भारत की रेलवे अवसंरचना विशाल किंतु पुरानी है, जिसमें कई तरह की कमियाँ व्याप्त हैं जिनके परिणामस्वरूप दुर्घटना होने की संभावनाएँ बनी रहती हैं। हाल ही में सिग्नल फेल होने के कारण मैसूर-दरभंगा एक्सप्रेस, चेन्नई के पास खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई। यह दुर्घटना मजबूत सुरक्षा उपायों की तत्काल आवश्यकता को दर्शाती है। दुनिया के सबसे बड़े रेलवे नेटवर्क में से एक होने के बावजूद इस तरह की घटनाएँ, रेल दुर्घटनाओं को रोकने के लिए आधुनिकीकरण की आवश्यकता को रेखांकित करती हैं।

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दुर्घटनाओं में योगदान देने वाली अवसंरचनात्मक कमियाँ

  • पुराने सिग्नलिंग सिस्टम: रेलवे के कई सेक्शन अभी भी मैन्युअल सिग्नलिंग प्रक्रिया पर निर्भर हैं , जिससे मानवीय भूल का जोखिम बढ़ जाता है, जो दुर्घटनाओं का एक गंभीर कारक है। 
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2024 में हुई मैसूर-दरभंगा ट्रेन दुर्घटना, सिग्नलिंग विफलता के कारण हुई थी जिसके परिणामस्वरूप ट्रेन, गलत ट्रैक पर मुड़ गई थी।
  • अत्यधिक उपयोग किये जाने वाले ट्रेनरुट: दिल्ली-कोलकाता जैसे रूट पर कई ट्रेनें चलती हैं जिससे रेल नेटवर्क पर बढ़ते दबाव के कारण अक्सर ट्रेन के आगमन/प्रस्थान के समय में देरी होने के साथ सुरक्षा से भी  समझौता होता है।
  • स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (ATP) का अभाव: कवच जैसी ATP प्रणालियों की अनुपस्थिति से तेज गति या सिग्नल उल्लंघन के कारण होने वाली दुर्घटनाओं को रोकना मुश्किल हो जाता है।
  • रेलवे ट्रैक का खराब रखरखाव: पुरानी पटरियों और खराब रखरखाव के कारण,  ट्रेनें अक्सर  पटरी से उतर जाती हैं। 
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2017 में  रेलवे ट्रैक की खराब स्थिति के कारण,  कलिंग उत्कल एक्सप्रेस, पटरी से उतर गई थी।
  • मानव संसाधन संबंधी बाधाएँ: अत्यधिक कार्य करने वाले कर्मचारी, विशेष रूप से लोकोमोटिव पायलट, अक्सर तनावपूर्ण परिस्थितियों में कार्य करते हैं, जिससे उनसे गलतियाँ हो जाती हैं। 
    • उदाहरण के लिए: नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की 2021 की रिपोर्ट ने इस बात पर प्रकाश डाला कि प्रशिक्षित कर्मचारियों की कमी प्रत्यक्ष रूप से सुरक्षा को प्रभावित करती है।
  • पुराने रोलिंग स्टॉक: कई भारतीय ट्रेनों में पुराने कोच इस्तेमाल किए जाते हैं, जिनमें क्रैशवर्थी डिजाइन जैसी आधुनिक सुरक्षा सुविधाएँ नहीं होती हैं। 
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2023 की ओडिशा दुर्घटना में पुराने ICF कोच पाये गये थे, जो आधुनिक LHB कोचों की तुलना में टक्कर से बचाने वाले प्रभाव के मामले में कमजोर थे। 
  • आपदा प्रतिक्रिया अवसंरचना की कमी: मजबूत आपातकालीन प्रतिक्रिया तंत्र की कमी दुर्घटनाओं के दौरान होने वाले नुकसान को बढ़ा देती है। 
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2023 की बालासोर दुर्घटना में मलबा हटाने में 6 घंटे से अधिक का समय लगा, जिससे  बचाव अभियान में देरी हुई।

इन कमियों को दूर करने में ‘कवच’ प्रणाली की भूमिका

  • खतरे में सिग्नल पास करने से रोकता है (SPAD): कवच प्रणाली, लाल सिग्नल पास करने पर ट्रेनों को स्वचालित रूप से रोक देती है, जिससे खतरनाक दुर्घटनाओ को रोका जा सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: रेल मंत्रालय ने दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा मार्गों पर कवच प्रणाली को लागू किया, जिसके परिणामस्वरूप दुर्घटनाओं में कमी आई।
  • टक्कर से बचाव: यदि  दो ट्रेनें एक ही ट्रैक पर हों तो कवच प्रणाली उसका पता लगाती है और टकराव को रोकने के लिए स्वचालित रूप से ब्रेक लगाती है। 
    • उदाहरण के लिए: इस प्रणाली ने दक्षिण-मध्य रेलवे नेटवर्क पर परीक्षणों के दौरान संभावित दुर्घटनाओं को सफलतापूर्वक टाला।
  • गति अनुपालन की निगरानी: कवच प्रणाली यह सुनिश्चित करती है कि रेलगाड़ियाँ, गति सीमा का उल्लंघन न करें जिससे तेज गति से चलने के कारण होने वाली दुर्घटनाओं का जोखिम कम हो जाता है।
  • लोकोमोटिव पायलट की कार्य स्थितियों में सुधार: महत्त्वपूर्ण कार्यों को स्वचालित बनाकर, कवच प्रणाली लोकोमोटिव पायलटों पर पड़ने वाले कार्यभार को कम करती है, जिससे मानवीय त्रुटियों की संभावना कम हो जाती हैं। 
    • उदाहरण के लिए: परीक्षणों से पता चला है कि कवच-संरक्षित ट्रेनों का उपयोग करने से पायलटों की थकान-संबंधी त्रुटियों में 50%  तक की कमी हो सकती है।
  • बुनियादी ढाँचे का आधुनिकीकरण: कवच का एकीकरण एक अधिक डिजिटल और स्वचालित रेलवे प्रणाली की ओर बदलाव का संकेत देता है, जो बुनियादी ढाँचे से संबंधित कई  चुनौतियों का समाधान करता है। 
    • उदाहरण के लिए: राष्ट्रीय रेल योजना 2030 में कवच को 34,000 किलोमीटर के उच्च घनत्व वाले मार्गों पर लागू करने की परिकल्पना की गई है ।
  • लागत-प्रभावी सुरक्षा: इस प्रणाली को वार्षिक रेलवे पूंजीगत व्यय के 2% पर लागू किया जा सकता है, जो नेटवर्क को आधुनिक बनाने का एक लागत-प्रभावी तरीका है। 
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2024 के रेल बजट में प्रमुख रेलवे कॉरिडोरों पर कवच स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (ATP) प्रणाली का विस्तार करने के लिए ₹1,112.57 करोड़ आवंटित किए गए।
  • त्वरित प्रतिक्रिया की सुविधा प्रदान: ट्रेन की अवस्थिति का रियलटाइम डेटा प्रदान करके, कवच प्रणाली दुर्घटनाओं के मामले में त्वरित प्रतिक्रिया की सुविधा प्रदान करता है, जिससे सुरक्षा परिणामों में सुधार होता है। 
    • उदाहरण के लिए: कवच प्रणाली के कार्यान्वयन के बाद, बेंगलुरु-चेन्नई रूट पर आपातकालीन प्रतिक्रिया समय में कमी आई है।

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हालाँकि भारतीय रेलवे को गंभीर अवसंरचनात्मक कमियों का सामना करना पड़ रहा है, कवच प्रणाली सुरक्षा और दक्षता बढ़ाने के लिए एक परिवर्तनकारी समाधान प्रदान करती है। सिग्नलिंग सिस्टम को आधुनिक बनाकर, टकरावों को रोककर और ट्रेन संचालन में सुधार करके, कवच प्रणाली दुर्घटनाओं में योगदान देने वाली कई कमियों को दूर कर सकती है। भारत में सुरक्षित रेल यात्रा सुनिश्चित करने के लिए इसके कार्यान्वयन नेटवर्क का विस्तार करना अति महत्त्वपूर्ण है।

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