Q. भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका ने व्यापार, रक्षा और प्रौद्योगिकी में अपनी भागीदारी को मजबूत किया है। बदलती वैश्विक आर्थिक व्यवस्था के आलोक में, भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता में प्रमुख चुनौतियों और अवसरों का विश्लेषण कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • इस बात पर प्रकाश डालिए कि भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका ने व्यापार, रक्षा और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपने संबंधों को मजबूत किया है।
  • भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता में प्रमुख चुनौतियों का विश्लेषण कीजिए, विशेष रूप से बदलती वैश्विक आर्थिक व्यवस्था के आलोक में।
  • भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता में प्रमुख अवसरों का विश्लेषण कीजिए, विशेष रूप से बदलती वैश्विक आर्थिक व्यवस्था के आलोक में।

उत्तर

वैश्विक गठबंधन, निरंतर रूप से आर्थिक और रणनीतिक परिदृश्य को फिर से परिभाषित करते हैं। भारत का बढ़ता नवाचार और संयुक्त राज्य अमेरिका की तकनीकी शक्ति विभिन्न क्षेत्रों में एक साथ कार्य कर सकती है। वर्ष 2023-24 में, द्विपक्षीय व्यापार 118 बिलियन डॉलर से अधिक हो गया, जिसमें भारत को 45 बिलियन डॉलर का अधिशेष मिला। यह साझेदारी पारस्परिक विकास को बढ़ावा देती है, सुरक्षा को बढ़ाती है और प्रगतिशील आर्थिक संबंधों के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय सहयोग को नया रूप देती है।

भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका ने व्यापार, रक्षा और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपनी भागीदारी को मजबूत किया है

  • रक्षा सहयोग में वृद्धि: भारत और अमेरिका ने COMCASA और BECA जैसे प्रमुख समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं, जिससे प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और रक्षा लॉजिस्टिक्स में दोनों देशों के बीच निकट सहयोग सुनिश्चित हुआ है। 
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2020 के BECA समझौते ने भारत को सैन्य अभियानों के लिए अमेरिकी भू-स्थानिक खुफिया जानकारी प्राप्त करने में सक्षम बनाया, जिससे हिंद महासागर क्षेत्र में स्थितिजन्य जागरूकता बढ़ी।
  • प्रौद्योगिकी सहयोग: iCET जैसी पहलों ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता, क्वांटम कंप्यूटिंग और सेमीकंडक्टर सहित महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों में साझेदारी को बढ़ावा दिया है। 
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2023 में, भारत ने आपूर्ति शृंखला प्रत्यास्थता को सशक्त करने के लिए 2.75 बिलियन डॉलर के सेमीकंडक्टर प्लांट की स्थापना करने हेतु माइक्रोन टेक्नोलॉजी के साथ साझेदारी की।
  • ऊर्जा सहयोग: भारत अमेरिकी हाइड्रोकार्बन का एक प्रमुख आयातक है, जो स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों में संक्रमण में सहायता करता है। 
    • उदाहरण के लिए: संयुक्त राज्य अमेरिका वर्ष 2024 में तेल का पाँचवाँ सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता था, जिसने 413.61 मिलियन डॉलर का आयात किया था
  • आपूर्ति शृंखला प्रत्यास्थता: दोनों देशों का लक्ष्य सुरक्षित और प्रत्यास्थ आपूर्ति शृंखला बनाकर चीन पर निर्भरता कम करना है विशेषकर महत्त्वपूर्ण वस्तुओं के लिए। 
    • उदाहरण के लिए: भारत और अमेरिका सहित QUAD देशों ने 2023 में सेमीकंडक्टर आपूर्ति शृंखलाओं के लिए साझेदारी शुरू की।

भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता में प्रमुख चुनौतियाँ

  • टैरिफ विवाद: अमेरिकी वस्तुओं, विशेषकर कृषि और प्रौद्योगिकी पर भारत के उच्च टैरिफ अक्सर वार्ता में बाधा डालते हैं और व्यापार संतुलन को प्रभावित करते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: अमेरिका ने मादक पेय पदार्थों पर भारत के 150% टैरिफ की आलोचना की है, जिससे अमेरिकी निर्यातकों के लिए बाजार तक पहुँच सीमित हो गई है।
  • बौद्धिक संपदा (IP) अधिकार मुद्दे: अमेरिका मजबूत IP सुरक्षा चाहता है, जबकि भारत का जेनेरिक दवा उद्योग सस्ती दवा बनाने के लिए अधिक संतुलित दृष्टिकोण को प्राथमिकता देता है। 
    • उदाहरण के लिए: अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि ने IP सुरक्षा चिंताओं के कारण वर्ष 2023 में भारत को अपनी “प्राथमिकता निगरानी सूची” में सूचीबद्ध किया।
  • डिजिटल व्यापार विनियमन: भारत के प्रस्तावित डेटा स्थानीयकरण कानून और ई-कॉमर्स विनियमन पर अलग-अलग रुख, अमेरिकी हितों के साथ संघर्ष करते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: अमेजन और गूगल जैसी अमेरिकी कंपनियों ने भारत के व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक पर चिंता व्यक्त की, जो सीमा पार डेटा प्रवाह को प्रतिबंधित करता है।
  • व्यापार घाटे की चिंता: भारत के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा वर्ष 2023 में 45 बिलियन डॉलर रहने का अनुमान है, जो अमेरिकी बाजार में अधिक पहुँच और टैरिफ में कटौती के लिए दबाव डालता है। 
    • उदाहरण के लिए: अमेरिका ने व्यापार असंतुलन को कम करने के लिए स्टेंट और घुटने के प्रत्यारोपण जैसे चिकित्सा उपकरणों पर कम टैरिफ की माँग की।
  • कृषि बाजार में पहुँच: फाइटोसैनिटरी मानदंडों के कारण अमेरिकी कृषि उत्पादों पर भारत के प्रतिबंध इस क्षेत्र में द्विपक्षीय व्यापार वृद्धि को सीमित करते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: भारत ने पशु आहार में ब्लड मील होने की चिंताओं के कारण अमेरिकी डेयरी आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है, जो व्यापार वार्ता में अनसुलझा मुद्दा है।

भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता में प्रमुख अवसर

  • ऊर्जा व्यापार का विस्तार: भारत की बढ़ती ऊर्जा आवश्यकताएँ और एक प्रमुख उत्पादक के रूप में अमेरिका की भूमिका LNG और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों में सहयोग के लिए गुंजाइश बनाती है । 
    • उदाहरण के लिए: इस तरह के सहयोग से भारत को ऊर्जा मिश्रण में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी को बढ़ाकर 15% करने के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी, जो कुल प्राथमिक ऊर्जा मिश्रण का वर्तमान 6% है।
  • रक्षा विनिर्माण को बढ़ावा देना: अनुकूल शर्तों के तहत रक्षा उपकरणों का सह-उत्पादन रणनीतिक संबंधों को गहरा कर सकता है, साथ ही भारत की अन्य देशों पर निर्भरता को कम कर सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: जनरल इलेक्ट्रिक ने भारत में लड़ाकू जेट इंजन के सह-उत्पादन के लिए वर्ष 2023 में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
  • प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और AI सहयोग: AI, क्वांटम कंप्यूटिंग और अंतरिक्ष अन्वेषण जैसी महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों में घनिष्ठ संबंध, साझा नवाचार के लिए अवसर प्रदान करते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: आर्टेमिस समझौते में सहयोगात्मक अंतरिक्ष अन्वेषण और चंद्र मिशन के लिए भारत का एक भागीदार के रूप में स्वागत किया।
  • आपूर्ति शृंखला विविधीकरण: घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए भारत की पहल अमेरिका की “China+1” रणनीति के अनुरूप है, जो प्रत्यास्थ आपूर्ति शृंखलाओं में साझा लक्ष्यों को बढ़ावा देती है। 
    • उदाहरण के लिए: एप्पल और सैमसंग ने उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन योजना के तहत भारत में विनिर्माण का विस्तार किया, जिससे चीनी कारखानों पर निर्भरता कम हुई।
  • व्यापार समझौते की संभावना: एक सीमित व्यापार सौदा टैरिफ विवादों को सुलझाने और बाजार पहुँच बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने से व्यापक समझौते का मार्ग प्रशस्त हो सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2024 में, भारत और अमेरिका ने कुछ कृषि और औद्योगिक वस्तुओं के लिए टैरिफ कटौती पर समझौते किए, जो एक व्यापक सौदे की संभावना का संकेत है।

एक प्रत्यास्थ भारत-अमेरिका साझेदारी वैश्विक स्थिरता की आधारशिला हो सकती है। व्यापार असंतुलन को दूर करके प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को बढ़ावा देकर और आपसी विकास के अवसर उत्पन्न करके, दोनों देश भविष्य के लिए तैयार गठबंधन को आकार दे सकते हैं। साथ मिलकर, उन्हें एक गतिशील वैश्विक अर्थव्यवस्था में नेतृत्व करने के लिए सहयोगी ढाँचे को अपनाना चाहिए ताकि बेहतर भविष्य का निर्माण हो सके।

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