Q. नालसा (NALSA) निर्णय और ‘उभयलिंगी व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम’, 2019 द्वारा स्थापित एक प्रगतिशील कानूनी ढाँचे के बावजूद, भारत में लैंगिक पहचान की प्रक्रिया अक्सर उभयलिंगी (ट्रांसजेंडर) व्यक्तियों के लिए एक "दंडात्मक प्रक्रिया" होती है। कानूनी अधिकारों और उनके कार्यान्वयन के बीच इस अंतर के प्राथमिक कारणों का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए। नौकरशाही को अधिक संवेदनशील और उत्तरदायी बनाने के उपाय सुझाइए। (15 अंक, 250 शब्द)
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