प्रश्न की मुख्य माँग
- भारत में सार्वजनिक संस्थानों, विशेषकर अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा सुनिश्चित करने में आने वाली प्रमुख चुनौतियों पर चर्चा कीजिए।
- इन चुनौतियों से निपटने के उपाय सुझाइये।
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उत्तर
हाल ही में झाँसी में एक अस्पताल में आग लगने की घटना हुई , जिसमें 11 नवजात शिशुओं की जान चली गई। यह घटना भारत के सार्वजनिक संस्थानों में अग्नि सुरक्षा उपायों की विफलता को उजागर करती है। राष्ट्रीय भवन संहिता (NBC) और अग्नि सुरक्षा एवं रोकथाम नियमों के बावजूद, कई अस्पताल इन नियमों का पालन नहीं करते हैं। यह बेहतर अग्नि सुरक्षा प्रवर्तन और भविष्य में जानमाल के नुकसान को रोकने के लिए बुनियादी ढाँचे में पर्याप्त उन्नयन की तत्काल आवश्यकता पर जोर देता है ।
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सार्वजनिक संस्थानों में अग्नि सुरक्षा सुनिश्चित करने में आने वाली चुनौतियाँ
- अग्नि सुरक्षा कार्यान्वयन में खामियाँ: भ्रष्टाचार और अग्नि अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOCs)
प्राप्त करने में उचित निगरानी की कमी के कारण कई अस्पताल निर्धारित अग्नि सुरक्षा नियमों का पालन करने में विफल रहते हैं।
- उदाहरण के लिए: राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के अनुसार, कई अस्पताल विनियामक जाँच को दरकिनार कर देते हैं और इस तरह से वे असुरक्षित संरचनाओं को बढ़ावा देते हैं जो अग्नि सुरक्षा मानकों को पूरा नहीं करती हैं।
- अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा और योजना: अनुचित योजना और घटिया निर्माण के कारण अक्सर सार्वजनिक संस्थानों में, विशेषकर अस्पतालों में आग लगने का खतरा होता है।
- उदाहरण के लिए: कोलकाता AMRI अस्पताल में आग लगने की घटना (2011) ने संरचनात्मक योजना में गंभीर खामियों को उजागर किया, जैसे कि बचने के रास्ते बंद होना और फॉयर एग्जिट का न होना, जिसके कारण बड़ी संख्या में मौतें हुईं।
- जागरूकता और प्रशिक्षण का अभाव: मेडिकल स्टाफ और अग्नि सुरक्षा कर्मियों को अक्सर आग की रोकथाम, आपातकालीन निकासी या अग्निशमन तकनीकों में पर्याप्त रूप से प्रशिक्षित नहीं किया जाता है।
- उदाहरण के लिए : मुंबई में एक कोविड-19 फैसिलिटी में आग लगने की घटना (2020) ने तत्परता संबंधी कमियों को उजागर किया।इस घटना के दौरान अस्पताल के कर्मचारी अपर्याप्त प्रशिक्षण और जागरूकता के कारण फॉयर इमरजेंसी से निपटने में असमर्थ थे।
- अग्नि सुरक्षा उपायों के लिए सीमित वित्तपोषण: कई अस्पतालों विशेषकर ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में स्थित अस्पतालों में, अग्नि सुरक्षा बुनियादी ढाँचे को उन्नत करने या पर्याप्त अग्निशमन उपकरण खरीदने के लिए वित्तीय संसाधनों की कमी है।
- अग्नि सुरक्षा विनियमों का कमज़ोर प्रवर्तन: सार्वजनिक संस्थानों में अग्नि सुरक्षा संहिताओं के सख्त प्रवर्तन की कमी है और निरीक्षण अक्सर अपर्याप्त या अनियमित होते हैं, जिससे नियमों का गैर-अनुपालन होता है।
- उदाहरण के लिए: राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) द्वारा प्रस्तुत की गई ‘भारत में आकस्मिक मृत्यु और आत्महत्या (ADSI)’ रिपोर्ट में वर्ष 2022 में 7,500 से अधिक अग्नि दुर्घटनाएँ दर्ज की गईं , जिसके परिणामस्वरूप 7,435 लोगों की मृत्यु हुईं , जो विनियमों के खराब प्रवर्तन के गंभीर परिणामों को दर्शाता है।
- समर्पित आपातकालीन अवसंरचना का अभाव: कई अस्पतालों में आग के खतरों से बचाव के लिए समर्पित निकासी मार्ग, अग्निरोधी सामग्री और अन्य आवश्यक अवसंरचना का अभाव है।
- उदाहरण के लिए: उपहार सिनेमा अग्निकांड (1997), जिसमें 59 लोग मारे गए थे, अपर्याप्त एग्जिट प्वांइट्स के कारण और भी गंभीर हो गई थी, जिससे NBC और NDMA दिशानिर्देशों के अनुसार मजबूत निकासी योजना की आवश्यकता उजागर होती है।
- अग्नि सुरक्षा मानकों में क्षेत्रीय असमानताएं: भारत में विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के अग्नि सुरक्षा मानकों के कार्यान्वयन में व्याप्त भिन्नताएं, क्षेत्रीय असमानताएं उत्पन्न करती हैं।
इन चुनौतियों से निपटने के उपाय
- निगरानी और विनियमन को मजबूत करना: अग्नि सुरक्षा मानदंडों की मजबूत निगरानी सुनिश्चित करने और सभी अस्पतालों के लिए अग्नि सुरक्षा ऑडिट को अनिवार्य बनाने से नियमों के अनुपालन में सुधार लाया जा सकता है।
- उदाहरण के लिए: सार्वजनिक संस्थानों में अग्नि सुरक्षा के लिए NDMA के दिशा-निर्देशों को नियमित निरीक्षण और गैर-अनुपालन के लिए दंड के प्रावधान के साथ, और अधिक सख्ती से लागू किया जाना चाहिए।
- बुनियादी ढाँचे और प्रौद्योगिकी का उन्नयन: अस्पतालों को आधुनिक अग्नि सुरक्षा बुनियादी ढाँचे में निवेश करना चाहिए, जिसमें फायर अलार्म , स्प्रिंकलर और अग्नि शमन प्रणाली शामिल हैं।
- उदाहरण के लिए : AIIMS दिल्ली में अग्नि सुरक्षा उपाय, जिसमें एडवांस्ड फॉयर डिटेक्शन और शमन प्रणाली शामिल हैं, अन्य अस्पतालों के लिए एक मॉडल के रूप में काम कर सकते हैं।
- स्टाफ़ प्रशिक्षण और जागरूकता में सुधार: आपातकालीन प्रक्रियाओं पर अस्पताल के कर्मचारियों के लिए नियमित फॉयर सेफ्टी ड्रिल और व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम आवश्यक हैं।
- उदाहरण के लिए: NDRF द्वारा शुरू किए गए अग्नि सुरक्षा प्रशिक्षण कार्यक्रमों को सभी अस्पतालों में अपनाया जा सकता है ताकि संकट के दौरान कर्मचारियों की तत्परता सुनिश्चित की जा सके।
- अग्नि सुरक्षा के लिए उपलब्ध निधि को बढ़ाना: सरकारों और अस्पताल के अधिकारियों को अग्नि सुरक्षा बुनियादी ढाँचे और नियमित रखरखाव के लिए अधिक निधि आवंटित करनी चाहिए।
- उदाहरण के लिए: राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM), नई अस्पताल परियोजनाओं के लिए अपने वित्तपोषण प्रस्तावों के अनिवार्य भाग के रूप में अग्नि सुरक्षा को शामिल कर सकता है।
- NBC मानकों का सख्त प्रवर्तन: राष्ट्रीय भवन संहिता (NBC) को और अधिक सख्ती से लागू करने व इसे स्थानीय भवन उपनियमों का हिस्सा बनाने से राज्यों में एक समान सुरक्षा मानकों को सुनिश्चित किया जा सकता है।
- उदाहरण के लिए: राज्य सरकारों को अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा उपायों और दिशा-निर्देशों को लागू करने के लिए मॉडल बिल्डिंग उपनियम 2016 को शामिल करना चाहिए ।
- जन जागरूकता अभियान: अस्पतालों और सार्वजनिक संस्थानों में अग्नि सुरक्षा के बारे में जन जागरूकता बढ़ाने से बेहतर सतर्कता और सुरक्षा मानकों के पालन को बढ़ावा मिल सकता है।
- उदाहरण के लिए: भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) द्वारा चलाए जाने वाले जागरूकता अभियान, अग्नि रोकथाम और आपातकालीन प्रतिक्रिया के बारे में जागरूकता फैलाने में मदद कर सकते हैं।
- अनुपालन को प्रोत्साहित करना: अग्नि सुरक्षा मानकों का अनुपालन करने वाले अस्पतालों को सब्सिडी या अनुदान जैसे प्रोत्साहन प्रदान करने से बेहतर कार्यान्वयन को प्रोत्साहन मिल सकता है।
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झाँसी के अस्पताल में लगी आग की दुखद घटना, सार्वजनिक संस्थानों में अग्नि सुरक्षा प्रवर्तन में चल रही खामियों को उजागर करती है। जापान जहाँ आग से होने वाली मृत्यु की दर सबसे कम है, में अपनाई जाने वाली सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने से अग्नि सुरक्षा की दिशा में प्रगति की जा सकती है। सरकार को सुरक्षित सार्वजनिक स्थान के निर्माण के लिए बुनियादी ढाँचे को उन्नत करने, विनियमन को बढ़ाने और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में सुधार करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। प्रतिबद्ध कार्रवाई और उचित संसाधनों के साथ, भारत आग से संबंधित मौतों के जोखिम को काफी हद तक कम कर सकता है।
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