Q. माओवादी विद्रोह के समाधान में संवाद एवं वार्ता की संभावित भूमिका पर चर्चा कीजिए। व्याख्या कीजिए ऐसे प्रयासों में कौन सी बाधाएँ आ सकती हैं और उन्हें कैसे दूर किया जा सकता है? (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग 

  • माओवादी विद्रोह का समाधान करने में संवाद एवं वार्ता की संभावित भूमिका पर चर्चा कीजिए।
  • माओवादी विद्रोह का  समाधान करने में संवाद एवं वार्ता में बाधा डालने वाली बाधाओं का परीक्षण कीजिए।
  • ऐसी बाधाओं को दूर करने के उपाय सुझाइये।

 

उत्तर:

माओवादी विद्रोह, जिसे अक्सर नक्सलवादी आंदोलन कहा जाता है, सबसे लंबे समय तक चलने वाले आंतरिक संघर्षों में से एक है, जिसका उद्देश्य माओवादी क्रांति के लिए हिंसक साधनों के माध्यम से लोकतांत्रिक सत्ता को चुनौती देना है। माओवादी विद्रोह के खिलाफ एक बड़ी जीत के रूप में, छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ क्षेत्र में वरिष्ठ माओवादी नेताओं सहित 31 माओवादी मारे गए।  राज्य के 24 वर्ष के इतिहास में  ऐसा पहली बार हुआ जब इतनी अधिक संख्या में माओवादी मारे गये, जो विद्रोही आंदोलन के और कमजोर होने का संकेत है।

Enroll now for UPSC Online Course

माओवादी उग्रवाद के समाधान में वार्ता और समझौते की संभावित भूमिका

  • सामाजिक-आर्थिक शिकायतों का समाधान: सामाजिक-आर्थिक असमानताओं को दूर करने के लिए संवाद का उपयोग किया जा सकता है जिसमें माओवादियों का समर्थन प्राप्त किया जा सके, विशेष रूप से जनजातीय आबादी के बीच। 
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2004 में आंध्र प्रदेश में सफल शांति वार्ता के कारण अस्थायी युद्धविराम हुआ और भूमि अधिकार एवं आदिवासी कल्याण जैसे मुद्दों पर चर्चा संभव हो पाई।
  • पक्षकारों के बीच विश्वास का निर्माण: समझौते से विश्वास बढ़ता है और ऐसा माहौल बन सकता है जहाँ माओवादी नेता लोकतांत्रिक प्रक्रिया में शामिल होने का विकल्प चुने। इससे हिंसा में कमी आ सकती है। 
    • उदाहरण के लिए: माओवादी नेताओं और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच वर्ष 2010 की वार्ता में सहयोग के शुरुआती संकेत दिखे, लेकिन बाद में वह स्थगित हो गईं।
  • आत्मसमर्पण के लिए अवसर उत्पन्न करना: वार्ता के जरिए आत्मसमर्पण करने और समाज की मुख्यधारा में पुनः शामिल होने के इच्छुक विद्रोहियों के लिए सुरक्षित निकास मार्ग प्रदान किया जा सकता है, जिससे आगे की हिंसा को रोका जा सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: छत्तीसगढ़ सरकार की आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति ने शांतिपूर्ण आत्मसमर्पण के जरिए माओवादियों की संख्या कम करने में मदद की है।
  • नागरिक समाज समूहों को शामिल करना: नागरिक समाज मध्यस्थ सरकार और माओवादी समूहों के बीच की खाई को कम कर सकते हैं, जिससे शांति वार्ता को बढ़ावा मिल सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश ने माओवादी नेताओं और भारत सरकार के बीच प्रारंभिक वार्ता को सुगम बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • हिंसा के चक्र को समाप्त करना: समझौते संघर्ष समाधान के लिए अहिंसक मार्ग प्रशस्त करते है जिससे आतंकवाद विरोधी अभियानों और जवाबी हमलों का चक्र टूट जाता है, जिससे दीर्घकालिक शांति का मार्ग प्रशस्त होता है। 
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2006 में नेपाल में माओवादियों और सरकार के बीच शांतिपूर्ण वार्ता के कारण एक दशक से चल रहा विद्रोह समाप्त हो गया।

माओवादी उग्रवाद के समाधान में वार्ता और समझौते में बाधा उत्पन्न करने वाली बाधाएँ

  • पक्षकारों के बीच अविश्वास: सरकार और माओवादी नेताओं के बीच गहरा अविश्वास है। दोनों पक्षों ने पिछली वार्ताओं के दौरान निरंतर एक-दूसरे पर विश्वासघात का आरोप लगाया 
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2011 में पश्चिम बंगाल में वार्ता के रूकने का कारण सरकार द्वारा सहमत शर्तों को पूरी तरह से पूरा करने में विफलता को माना गया, जिससे माओवादियों के मन  अविश्वास बढ़ा।
  • माओवादी वैचारिक कठोरता: माओवादी नेतृत्व वैचारिक रूप से कठोर दृष्टिकोण अपनाता है। वह शांतिपूर्ण वार्ता के पक्ष में सशस्त्र संघर्ष को छोड़ने से इनकार करता है तथा सरकार के साथ वार्ता को अपनी अप्रभावशीलता का संकेत मानता है।
  • राजनीतिक अनिच्छा: सरकारी अधिकारी आंतरिक सुरक्षा मामलों में कमजोर दिखने के डर से वार्ता में शामिल होने के लिए अनिच्छुक हो सकते हैं, विशेष रूप से उच्च माओवादी गतिविधि वाले क्षेत्रों में।
  • माओवादियों के बीच आंतरिक गुटबाजी: माओवादी आंदोलन विकेंद्रित है। इसमें विभिन्न गुटों के अलग-अलग लक्ष्य हैं, जिससे शांति वार्ता के लिए आम सहमति बनाना मुश्किल हो जाता है। 
    • उदाहरण के लिए: झारखंड में माओवादियों के बीच गुटबाजी के परिणामस्वरुप नियंत्रण प्राप्त करने के लिए कई समूह प्रतिस्पर्द्धा में हैं, जिससे वार्ता के प्रयास जटिल हो जाते हैं।
  • हिंसा और हमले: निरंतर हो रही  हिंसा और आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन किसी भी सार्थक संवाद में बाधा डालते हैं, क्योंकि जब कोई भी पक्ष निरंतर हो रहे हमलों को दुर्भावनापूर्ण मानता है तो विश्वास खत्म हो जाता है। 
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2010 में दंतेवाड़ा में घात लगाकर किया गया हमला, जिसमें 76 CRPF जवान मारे गए थे, ने क्षेत्र में संभावित शांति प्रयासों को बाधित किया।

माओवादी संवाद और समझौतों में बाधाओं को दूर करने के उपाय

  • विश्वास-निर्माण उपाय (CBM): दोनों पक्षों को विश्वास-निर्माण उपायों जैसे कि युद्ध विराम और वार्ता के दौरान हिंसा को रोकने की प्रतिबद्धता को अपनाने की आवश्यकता है ताकि आपसी विश्वास को बढ़ावा मिले। 
    • उदाहरण के लिए: भारत सरकार और नागा विद्रोहियों के बीच वर्ष 2014 के युद्ध विराम समझौते ने शांति वार्ता शुरू करने के लिए एक सकारात्मक मिसाल कायम की।
  • तृतीय पक्ष की मध्यस्थता: तृतीय पक्ष के स्वतंत्र मध्यस्थ जैसे कि नागरिक समाज के नेता या पूर्व विद्रोही, सरकार और माओवादियों के बीच बातचीत को सुविधाजनक बना सकते हैं और अविश्वास को कम कर सकते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: स्वामी अग्निवेश जैसे मध्यस्थों ने पिछले प्रयासों में दोनों पक्षों की वार्ता शुरु कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  • स्थानीय विकास पहल: उग्रवाद के मूल कारणों को संबोधित करने के लिए सरकार को प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्यक्रमों को लागू करना चाहिए जिसमें आदिवासी आबादी के बीच विश्वास उत्पन्न करने के लिए शिक्षा , स्वास्थ्य सेवा और रोजगार पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। 
    • उदाहरण के लिए: आकांक्षी जिला कार्यक्रम का उद्देश्य आर्थिक विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए माओवादी प्रभावित क्षेत्रों सहित पिछड़े जिलों का विकास करना है।
  • मुख्यधारा की राजनीति में धीरे-धीरे एकीकरण: सरकार माओवादी नेताओं और समर्थकों को मुख्यधारा की राजनीति में शामिल होने के लिए मार्ग प्रदान कर सकती है, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में उनके हितों का ध्यान रखा जाए। 
    • उदाहरण के लिए: नेपाल में पूर्व माओवादी विद्रोही वर्ष 2006 के शांति समझौते के बाद सफलतापूर्वक मुख्यधारा की राजनीति में शामिल हो गए, जिससे उन्हें संसदीय प्रतिनिधित्व हासिल हुआ।
  • कानूनी सुधार: माओवादियों की मुख्य माँग को  पूरा करने और उन्हें वार्ता हेतु प्रोत्साहित करने के लिए भूमि अधिकार और आदिवासी स्वायत्तता जैसे मुद्दों को संबोधित करने वाले सुधार पेश किए जा सकते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: PESA अधिनियम, 1996 ने शासन में आदिवासी क्षेत्रों को अधिक स्वायत्तता प्रदान की, जो कई माओवादी समर्थकों की एक महत्वपूर्ण माँग  थी।

Check Out UPSC CSE Books From PW Store

सैन्य अभियानों ने माओवाद को कमजोर किया है परंतु दीर्घकालिक शांति केवल संवाद और समझौते के जरिए ही हासिल की जा सकती है। विश्वास का निर्माण करके, सामाजिक-आर्थिक शिकायतों का समाधान करके और नागरिक समाज को शामिल करने से, इन वार्ताओं को सफल बनाया जा सकता है। वैचारिक कठोरता और राजनीतिक अनिच्छा पर नियंत्रण पाने के लिए सरकार और माओवादी नेताओं दोनों की ओर से समर्पित प्रयासों की आवश्यकता होगी

To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

Need help preparing for UPSC or State PSCs?

Connect with our experts to get free counselling & start preparing

Aiming for UPSC?

Download Our App

      
Quick Revise Now !
AVAILABLE FOR DOWNLOAD SOON
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध
Quick Revise Now !
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध

<div class="new-fform">






    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.