प्रश्न की मुख्य माँग
- चर्चा कीजिए कि किस प्रकार NEP 2020 का लक्ष्य भारत की उच्च शिक्षा को बदलना है और किस प्रकार क्लासरुम आवर्स में वृद्धि इसके उद्देश्यों के लिए प्रतिकूल हो सकती है।
- शैक्षिक परिणामों और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता पर क्लासरुम आवर्स में वृद्धि के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए।
- क्लासरुम आवर्स और स्व-निर्देशित शिक्षण में संतुलन के लिए संस्थागत स्तर पर आवश्यक सुधारों का सुझाव दीजिए।
|
उत्तर
के. कस्तूरीरंगन समिति द्वारा तैयार की गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020, बहु-विषयक शिक्षा, लचीलेपन और वैश्विक संरेखण को बढ़ावा देकर भारत के उच्च शिक्षा परिदृश्य में बदलाव लाने का प्रयास करती है। यह चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम, निरंतर मूल्यांकन और अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट जैसे सुधारों की पेशकश करती है। हालाँकि, क्लासरुम आवर्स में वृद्धि से स्व-निर्देशित शिक्षण और रचनात्मकता के अवसर कम हो सकते हैं और इसके लक्ष्यों को प्राप्त करने में बाधा आ सकती है ।
Enroll now for UPSC Online Course
NEP-2020: परिवर्तनकारी लक्ष्य और प्रतिकूल प्रभाव
NEP-2020 के परिवर्तन लक्ष्य
- बहुविषयक शिक्षा पर ध्यान देना: NEP छात्रों की अनुकूलनशीलता और समस्या-समाधान कौशल विकसित करने के लिए कला, विज्ञान और प्रौद्योगिकी जैसे विषयों को एकीकृत करने को बढ़ावा देता है।
- उदाहरण के लिए: अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स (ABC) छात्रों को विभिन्न विषयों वाले पाठ्यक्रम में शामिल होने की अनुमति देता है, जिससे शिक्षण प्रक्रिया में लचीलेपन को बढ़ावा मिलता है।
- प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा (ECCE): NEP-2030 तक गुणवत्तापूर्ण ECCE तक सार्वभौमिक पहुंच को प्राथमिकता देता है , जिसमें 3-8 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मकता पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
- उदाहरण के लिए: आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रारंभिक शिक्षार्थियों का समग्र विकास सुनिश्चित करने हेतु प्रशिक्षित किया जाता है, जो NEP के ECCE दृष्टिकोण के अनुरूप है।
- निरंतर मूल्यांकन को प्रोत्साहित करना: यह नीति अंतिम परीक्षाओं पर निर्भर रहने के बजाय पूरे सेमेस्टर के प्रदर्शन को ट्रैक करने के लिए निबंध और प्रोजेक्ट जैसे कई लघु मूल्यांकनों पर बल देती है।
उदाहरण के लिए: निरंतर मूल्यांकन किये जाने वाले असाइनमेंट और ग्रुप प्रोजेक्ट्स गहरी समझ और जुड़ाव को बढ़ावा देने में मदद करती हैं।
- कक्षा 6 से व्यावसायिक प्रशिक्षण को एकीकृत करना: NEP स्कूली शिक्षा में व्यावसायिक प्रशिक्षण को एकीकृत करता है ताकि छात्रों को कार्यबल की उभरती आवश्यकताओं के लिए तैयार किया जा सके।
- उदाहरण के लिए: छात्रों को उनकी शैक्षणिक यात्रा के आरंभ में ही कोडिंग और कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसे कौशल से परिचित कराया जाता है।
- शिक्षक शिक्षा में सुधार: NEP, शिक्षकों की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए कठोर योग्यता और निरंतर व्यावसायिक विकास की शुरुआत करता है।
- उदाहरण के लिए: शिक्षकों के लिए वार्षिक क्षमता-निर्माण कार्यक्रम यह सुनिश्चित करते हैं कि वे आधुनिक शैक्षणिक तकनीकों से अपडेट रहें।
क्लासरुम आवर्स में वृद्धि का प्रतिकूल प्रभाव
- स्व-शिक्षण के लिए समय सीमित करना: विस्तारित क्लासरुम आवर्स (साप्ताहिक 20 घंटे ) छात्रों के लिए स्वतंत्र अध्ययन , असाइनमेंट या अंतःविषयक रुचियों हेतु समर्पित समय को कम कर देते हैं , जिससे गहन शिक्षण के अवसरों पर रोक लग जाती है।
- रटने की आदत को बढ़ावा: शिक्षण के घंटों में वृद्धि से टर्म पेपर जैसे विविध मूल्यांकन के लिए सीमित स्थान बचता है, जिससे संस्थानों को MCQ पर निर्भर रहना पड़ता है, जो आलोचनात्मक सोच के बजाय रटने पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
- संकाय उत्पादकता पर प्रभाव: संकाय साप्ताहिक रूप से कक्षाओं में 14-16 घंटे बिताते हैं, जिससे शोध, पाठ्यक्रम संशोधन और नवाचार के लिए समय कम हो जाता है। इससे शिक्षण की प्रासंगिकता और गुणवत्ता प्रभावित होती है।
- उदाहरण के लिए: सार्वजनिक विश्वविद्यालयों में शिक्षक अक्सर अपनी शिक्षण रणनीतियों को संशोधित करने या उन्नत करने के लिए सीमित समय के कारण पुरानी सामग्री पर निर्भर रहते हैं।
- छात्रों में थकावट उत्पन्न करता है: साप्ताहिक कक्षा में अतिरिक्त 8 घंटे का समय थकान का कारण बन सकता है, जिससे छात्रों की ध्यान केंद्रित करने और कक्षा के बाहर सार्थक शैक्षणिक गतिविधियों में शामिल होने की क्षमता कम हो जाती है।
- उदाहरण के लिए: छात्र अब विस्तारित क्लासरुम आवर्स से थकावट के कारण असाइनमेंट या टर्म पेपर को प्रबंधित करने के मामले में संघर्ष करते हैं ।
आलोचनात्मक विश्लेषण: क्लासरुम आवर्स में वृद्धि के सकारात्मक और नकारात्मक पहलू
सकारात्मक
- बेहतर पाठ्यक्रम कवरेज: विस्तारित टीचिंग आवर्स, शिक्षकों को जटिल विषयों को गहराई से समझाने की अनुमति देते हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि छात्र बुनियादी और उन्नत अवधारणाओं को अच्छी तरह से समझ पायें।
- उदाहरण के लिए: भारतीय कक्षाएँ इंजीनियरिंग और चिकित्सा जैसे विषयों में विस्तृत पाठ्यक्रम की बढ़ती माँगों को पूरा करने के लिए विस्तारित समय-सारिणी का उपयोग करती हैं ।
- शिक्षकों और छात्रों के बीच बेहतर संपर्क: क्लासरुम आवर्स बढ़ने से बेहतर संपर्क संभव होता है, जिससे छात्रों को अपनी शंकाओं को दूर करने और अपने शिक्षकों के साथ शैक्षणिक संबंध बनाने में मदद मिलती है।
- नए शिक्षार्थियों के लिए संरचित सहायता: पहली पीढ़ी के कॉलेज के छात्रों को निर्देशित शिक्षण संरचना से लाभ मिलता है, जिससे उन्हें शैक्षणिक प्रणालियों को समझने और आवश्यक कौशल विकसित करने में मदद मिलती है।
- उदाहरण के लिए: संरचित कार्यक्रम वाले सार्वजनिक संस्थान ऐसे छात्रों को उच्च शिक्षा में सुगमता से प्रवेश करने में मदद करते हैं।
- बड़ी कक्षाओं के लिए पाठ्यक्रम पूरा करने में सहायता करता है: विस्तारित घंटे, सार्वजनिक विश्वविद्यालयों में उच्च नामांकन दर सुनिश्चित करने में मदद करते हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि विविध छात्र आवश्यकताओं को प्रभावी ढंग से पूरा किया जा सके।
- उदाहरण के लिए: दिल्ली विश्वविद्यालय जैसे संस्थान अपने विशाल छात्र समूहों की माँगों को पूरा करने के लिए लंबे शिक्षण कार्यक्रम पर निर्भर करते हैं।
नकारात्मक
- अन्वेषण के लिए कम अवसर: अधिक क्लासरूम आवर्स स्व-अध्ययन, स्वतंत्र अनुसंधान या अंतःविषय सहयोग जैसी गतिविधियों के समय को कम करते हैं, जिससे समग्र विकास सीमित हो जाता है।
- सतही शिक्षा को बढ़ावा: समय की कमी के कारण कम असाइनमेंट होने के परिणामस्वरूप MCQ पर निर्भरता बढ़ जाती है, जो विश्लेषणात्मक और आलोचनात्मक सोच के बजाय रटने पर ध्यान केंद्रित करता है।
- संकाय की गुणवत्ता प्रभावित होती है: शिक्षकों पर कक्षा की जिम्मेदारियों का अत्यधिक बोझ होता है, जिससे शोध या पाठ्यक्रम अद्यतन के लिए कम समय बचता है, जिसके परिणामस्वरूप शिक्षण सामग्री का उचित रूप से अद्यतन नहीं हो पाता है।
- वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता कम होती है: कठोर, अधिक क्लासरूम आवर्स वाले वातावरण में प्रशिक्षित छात्र वैश्विक प्रणालियों के अनुकूल होने के लिए संघर्ष करते हैं जो स्वतंत्र और शोध-संचालित शिक्षण को महत्त्व देते हैं।
- उदाहरण के लिए: भारत के स्नातक अक्सर अनुसंधान-उन्मुख कार्यक्रमों और नवाचार चुनौतियों में उत्तरी अमेरिका और यूरोपीय संघ के साथियों की तुलना में कम बेहतर प्रदर्शन करते हैं।
Check Out UPSC CSE Books From PW Store
कक्षा और स्व-निर्देशित शिक्षण में संतुलन के लिए संस्थागत सुधार
- क्लासरुम आवर्स और पाठ्यक्रम भार को कम करना: प्रति सेमेस्टर पाठ्यक्रमों को घटाकर चार करने और कक्षा के घंटों को प्रति सप्ताह 12 तक सीमित करके शैक्षणिक कार्यक्रमों को युक्तिसंगत बनाया जाना चाहिए, जिससे छात्र स्वतंत्र रूप से शिक्षण प्राप्त करने में सक्षम हो सकें।
- उदाहरण के लिए: IGNOU जैसे संस्थान कार्यक्रमों में लचीलेपन पर जोर देते हैं, जिससे छात्र अपने शैक्षणिक और स्व-निर्देशित शिक्षण को प्रभावी ढंग से प्रबंधित कर पाते हैं।
- सक्रिय और अनुभवात्मक शिक्षण को प्रोत्साहित करना: छात्रों को सैद्धांतिक ज्ञान को वास्तविक दुनिया की स्थितियों में लागू करने योग्य बनाने और उनमें क्रिटिकल थिंकिंग कौशल विकसित करने के लिए केस स्टडी और ग्रुप असाइनमेंट जैसे प्रोजेक्ट-आधारित तरीकों का उपयोग करना चाहिए।
- उदाहरण के लिए: चिंतनशील निबंध और प्राब्लम साल्विंग प्रोजेक्ट्स जैसे असाइनमेंट विश्लेषणात्मक सोच को प्रोत्साहित करते हैं।
- मूल्यांकन विधि में विविधता लाना: विश्लेषणात्मक और अनुप्रयोग-आधारित कौशल का आकलन करने के लिए MCQ पर निर्भरता के बजाय प्रेजेंटेशन, टर्म पेपर और सहयोगी प्रोजेक्ट जैसे विविध मूल्यांकन अपनाए जाने चाहिए।
- बेहतर शिक्षण पद्धति के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षित करना: शिक्षकों को छात्रों को सलाह देने, उनके पाठ्यक्रम को अपडेट करने और उनके शिक्षण भार को कम करते हुए स्वतंत्र शिक्षण का मार्गदर्शन करने का कौशल प्रदान करना चाहिए।
- उदाहरण के लिए: निष्ठा (NISHTHA) पहल शिक्षकों को नवीन शिक्षण रणनीतियों में प्रशिक्षित करती है।
- मिश्रित शिक्षण का लाभ उठाना: फ़्लिप्ड क्लासरूम शुरू करने चाहिए जहाँ छात्र लेक्चर से पहले तैयारी करते हैं, चर्चा के लिए क्लासटाइम के उपयोग को बढ़ावा देना चाहिए, और बेहतर समझ के लिए पाठ्यक्रम सामग्री को मॉड्यूलर बनाना चाहिये।
- उदाहरण के लिए: SWAYAM और DIKSHA जैसे प्लेटफॉर्म मिश्रित शिक्षण की सुविधा देते हैं, जिससे छात्र इंटरैक्टिव सेशन्स में शिक्षकों के साथ जुड़ते हुए स्वतंत्र रूप से विषयों की गहन जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
भारत की उच्च शिक्षा के लिए NEP 2020 के परिवर्तनकारी दृष्टिकोण के अंतर्गत स्वतंत्र शिक्षण और शोध के लिए पर्याप्त समय प्रदान करने का प्रयास करना चाहिए। क्लासरुम आवर्स को कम करना, सक्रिय शिक्षण को बढ़ावा देना और मूल्यांकन विविधता में सुधार करना जैसे सुधार, भारतीय शिक्षा को वैश्विक मानकों के साथ संरेखित करने के लिए आवश्यक हैं। ये परिवर्तन छात्रों और शिक्षकों को समान रूप से लाभान्वित करेंगे तथा आलोचनात्मक सोच, नवाचार और समग्र विकास को प्रोत्साहित करेंगे ।
To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.
Latest Comments