प्रश्न की मुख्य माँग
- इस बात पर प्रकाश डालिये कि उत्तर-पूर्व भारत दशकों से उग्रवाद से जूझ रहा है।
- हाल के मणिपुर संकट के संदर्भ में, उन कारकों का विश्लेषण कीजिए जो क्षेत्र में सशस्त्र विद्रोह में योगदान करते हैं।
- भारत की आंतरिक सुरक्षा पर इन विद्रोहों के प्रभाव पर चर्चा कीजिए।
- भारत की क्षेत्रीय स्थिरता पर इन विद्रोहों के निहितार्थ पर चर्चा कीजिए।
- आगे की राह सुझाएं।
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उत्तर
उत्तर-पूर्व भारत, अपने विविध जातीय एवं सांस्कृतिक परिदृश्य से चिह्नित क्षेत्र, दशकों से उग्रवाद से जूझ रहा है। मणिपुर में जिरीबाम में हाल ही में हुई हिंसा, जो मैतेई तथा कुकी समुदायों के बीच जातीय तनाव से प्रेरित है, ने इस क्षेत्र को लंबे समय तक संकट में डाल दिया है।
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उत्तर पूर्व में उग्रवाद के पीछे के कारक
- ऐतिहासिक जातीय विभाजन: पूर्वोत्तर के विविध जातीय समूह अक्सर स्वायत्तता या अलग मातृभूमि की माँग करते हैं क्योंकि मुख्य भूमि भारत के साथ सांस्कृतिक अलगाव की भावना के कारण अलगाव एवं अलगाववादी प्रवृत्तियां उत्पन्न होती हैं।
- उदाहरण के लिए: नागा एवं कुकी विद्रोह आत्मनिर्णय तथा राजनीतिक प्रतिनिधित्व चाहते हैं।
- भौगोलिक अलगाव एवं अविकसितता: पूर्वोत्तर भारत सीमित कनेक्टिविटी, बुनियादी ढाँचे एवं आर्थिक अवसरों के साथ भौगोलिक रूप से मुख्य भूमि से अलग है।
- नशीली दवाओं की तस्करी एवं संगठित अपराध: इस क्षेत्र की ‘गोल्डन ट्राइएंगल’ (म्यांमार, लाओस एवं थाईलैंड) से निकटता ने नशीली दवाओं की तस्करी के नेटवर्क को सुविधाजनक बनाया है, जिसका विद्रोही समूह वित्तपोषण के लिए लाभ उठाते हैं।
- उदाहरण के लिए: क्षेत्र की 98% सीमाएँ अंतर्राष्ट्रीय सीमा हैं (ARC 7वीं रिपोर्ट)
- राजनीतिक स्वायत्तता की माँग: जातीय समूह पहचान बनाए रखने के लिए शासन पर अधिक नियंत्रण की माँग करते हैं।
- उदाहरण के लिए: मणिपुर में कुकी एक अलग केंद्र शासित प्रदेश चाहते हैं।
- सरकारी बलों पर अविश्वास: AFSPA की लंबी तैनाती के कारण मानवाधिकारों के दुरुपयोग के आरोप लगे हैं, जिससे आक्रोश उत्पन्न हुआ है।
- उदाहरण के लिए: AFSPA मणिपुर में वर्ष 1980 से लागू है, जिसे लागू हुए 40 वर्ष से अधिक हो गए हैं।
हाल के मणिपुर संकट में सशस्त्र विद्रोह में योगदान देने वाले कारक
- विषम राजनीतिक प्रतिनिधित्व: मणिपुर का भूगोल 90% पर्वतीय है, जिसमें कुकी एवं नागा जनजातियाँ निवास करती हैं, जबकि मैतेई समुदाय 10% घाटी क्षेत्र पर प्रभुत्त स्थापित करता है। यह छोटा घाटी क्षेत्र पर्याप्त राजनीतिक शक्ति रखता है, जिससे पहाड़ी समुदायों के बीच हाशिये पर होने की धारणा पैदा होती है।
- कुकी एवं मैतेई के बीच जातीय तनाव: राजनीतिक एवं भूमि अधिकारों पर संघर्ष बढ़ गया है।
- उदाहरण के लिए: मैतेई की अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribe- ST) दर्जे की माँग से कुकी को भूमि अधिकार खोने का डर उत्पन्न हो गया है।
- नशीली दवाओं की तस्करी एवं सीमा सुरक्षा: म्यांमार के साथ मणिपुर की सीमा उग्रवाद को वित्तपोषित करने के लिए सीमा पार तस्करी को सक्षम बनाती है।
- उदाहरण के लिए: कुकी क्षेत्रों में बढ़ती पोस्ता की खेती बाहरी फंडिंग के आरोपों को उजागर करती है।
- म्यांमार से शरणार्थियों की आमद: शरणार्थियों की आमद से स्थानीय संसाधनों पर दबाव पड़ता है एवं तनाव में वृद्धि होती है।
- उदाहरण के लिए: चिन शरणार्थियों का आगमन मैतेई के साथ गतिशीलता को जटिल बनाता है।
- राजनीतिक असंतोष एवं स्वायत्तता की माँग: कथित मैतेई प्रभुत्व के कारण कुकी एवं नागा अलग प्रशासन चाहते हैं।
- उदाहरण के लिए: कुकी राष्ट्रीय संगठन (Kuki National Organization- KNO) ने अपनी चिंताओं को दूर करने के लिए एक अलग केंद्र शासित प्रदेश की मांग की है।
- राज्य शासन के प्रति अविश्वास: मैतेई-प्रभुत्व वाले शासन में कथित पूर्वाग्रह कुकी उग्रवाद को बढ़ावा देता है।
- उदाहरण के लिए: कुकी लोग राज्य में पुलिस स्थापना के समर्थक नहीं हैं, जिसके कारण दोनों के बीच झड़पें होती हैं।
भारत की आंतरिक सुरक्षा पर विद्रोह का प्रभाव
- सुरक्षा बलों पर दबाव: लंबे समय तक चलने वाला उग्रवाद भारतीय सुरक्षा संसाधनों को प्रभावित करता है।
- उदाहरण के लिए: मणिपुर में विद्रोहियों के साथ संघर्ष ने संसाधनों को आतंकवाद-निरोध एवं अन्य महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों से हटा दिया है।
- मानवीय एवं सामाजिक लागत: हिंसा से बड़े पैमाने पर विस्थापन होता है, पड़ोसी राज्यों के संसाधनों एवं स्थिरता पर दबाव पड़ता है
- उदाहरण के लिए: मणिपुर की हिंसा के कारण वर्ष 2023 में दक्षिण एशिया में 97% आंतरिक विस्थापन हुआ।
- राष्ट्रीय एकता प्रयासों के लिए चुनौतियाँ: उग्रवाद राष्ट्रीय मुख्यधारा में एकीकरण को जटिल बनाता है।
- उदाहरण के लिए: विद्रोहियों के व्यवधान के कारण विकास परियोजनाएँ अक्सर रुक जाती हैं।
- आर्थिक निवेश पर प्रभाव: लगातार अशांति निवेश को रोकती है, जिससे गरीबी एवं अशांति बनी रहती है।
- उदाहरण के लिए: उग्रवाद-प्रवण क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं में देरी होती है, जिससे आर्थिक कनेक्टिविटी प्रभावित होती है।
क्षेत्रीय स्थिरता पर उग्रवाद के निहितार्थ
- सीमा पार नशीली दवाओं के व्यापार में वृद्धि: गोल्डन ट्रायंगल मार्ग नशीले पदार्थों के व्यापार का विस्तार करते हैं, जिससे क्षेत्रीय स्थिरता प्रभावित होती है।
- उदाहरण के लिए: नशीली दवाओं के मार्ग भारतीय सीमावर्ती राज्यों को प्रभावित करते हैं, जिससे युवाओं की लत बिगड़ती है।
- भारत की पूर्व की ओर देखो नीति पर प्रभाव: संघर्ष दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ संबंधों को मजबूत करने के भारत के प्रयासों में बाधा बन सकता है।
- उदाहरण के लिए: भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग में देरी से क्षेत्रीय व्यापार प्रभावित होता है।
- सीमा पार आतंकवाद: क्षेत्र में विद्रोही समूहों के अक्सर बाहरी ताकतों के साथ संबंध होते हैं, जिससे सीमा पार आतंकवाद एवं अस्थिरता उत्पन्न होती है।
- पड़ोसी राज्यों में फैलने का जोखिम: मणिपुर, नागालैंड एवं असम जैसी परस्पर जुड़ी जातीय तथा आदिवासी पहचानों को देखते हुए, एक राज्य में विद्रोह पड़ोसी राज्यों में अशांति उत्पन्न कर सकता है।
- अवैध हथियारों के व्यापार में वृद्धि: सीमा पार से हथियारों के व्यापार से विद्रोहियों को आपूर्ति होती है, जिससे सीमा सुरक्षा को खतरा है।
- उदाहरण के लिए: म्यांमार से हथियारों की तस्करी से क्षेत्र में हिंसा बढ़ती है।
- द्विपक्षीय बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं पर प्रभाव: अस्थिरता महत्त्वपूर्ण कनेक्टिविटी परियोजनाओं में देरी करती है।
- उदाहरण के लिए: भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग में विलम्ब से क्षेत्रीय व्यापार प्रभावित होता है।
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आगे की राह
- सीमा पार सुरक्षा को मजबूत करना: म्यांमार के साथ बढ़ी हुई सीमा सुरक्षा तस्करी एवं हथियारों की तस्करी पर अंकुश लगा सकती है।
- उदाहरण के लिए: गश्त एवं निगरानी बढ़ाने से विद्रोही संसाधनों को कम किया जा सकता है।
- समावेशी संवाद को सुविधाजनक बनाना: बहु-हितधारक संवाद शिकायतों का समाधान कर सकता है एवं सुलह को बढ़ावा दे सकता है।
- उदाहरण के लिए: मिजोरम समझौते के अनुरूप बनाई गई शांति समितियाँ तनाव को कम कर सकती हैं जैसा कि बोडो समझौते में हुआ था।
- संघर्ष क्षेत्रों में आर्थिक विकास को बढ़ावा देना: लक्षित विकास उग्रवाद की अपील को कम कर सकता है।
- उदाहरण के लिए: मणिपुर में विशेष आर्थिक क्षेत्र (Special Economic Zones- SEZ) रोजगार उत्पन्न कर सकते हैं।
- स्थिरता के लिए क्षेत्रीय सहयोग का लाभ उठाना: म्यांमार एवं बांग्लादेश के साथ सहयोगात्मक पहल उग्रवाद को संबोधित करती है।
- उदाहरण के लिए: संयुक्त कार्य बल आपसी खतरों को नियंत्रित कर सकते हैं एवं सुरक्षा सहयोग में सुधार कर सकते हैं।
- AFSPA की समीक्षा करना एवं उसे चरणबद्ध तरीके से समाप्त करना: धीरे-धीरे AFSPA सुधार से मानव अधिकार एवं शासन में विश्वास बढ़ सकता है, जैसा कि AFSPA पर जीवन रेड्डी समिति ने सिफारिश की है।
- उदाहरण के लिए: स्थिर क्षेत्रों में स्थानीय कानून प्रवर्तन में परिवर्तन से प्रचार कम हो जाता है।
पूर्वोत्तर भारत में विद्रोह जातीय विभाजन, सामाजिक आर्थिक असमानता एवं भू-राजनीतिक जटिलताओं में निहित चुनौतियों को उजागर करता है। मणिपुर संकट से निपटने के लिए ऐसे समाधानों की आवश्यकता है जो आंतरिक सुरक्षा तथा क्षेत्रीय स्थिरता को संतुलित करें। बढ़ी हुई सीमा सुरक्षा, बातचीत एवं आर्थिक पहल के माध्यम से, भारत पूर्वोत्तर में सुरक्षा तथा एकीकरण दोनों का समर्थन करते हुए स्थायी शांति स्थापित कर सकता है।
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