प्रश्न की मुख्य माँग
- अनुसंधान तक सार्वजनिक पहुँच में सुधार के संदर्भ में ‘वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन’ (ONOS) के गुणों पर चर्चा कीजिए।
- दीर्घकालिक स्थिरता और समावेशिता के संदर्भ में ONOS की कमियों पर प्रकाश डालिये।
- आगे की राह लिखिये।
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उत्तर
‘वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन’ (ONOS) पहल का उद्देश्य सरकारी वित्तपोषित संस्थानों के लिए सिंगल सब्सक्रिप्शन की पेशकश करके अनुसंधान तक सार्वजनिक पहुँच में सुधार करना है। शोध पत्रिकाओं और सब्सक्रिप्शन फीस की उच्च लागत की समस्या का समाधान करके, ONOS महत्त्वपूर्ण शोध सामग्रियों तक पहुँच को बढ़ाने का प्रयास करता है, विशेषकर टियर 2 और टियर 3 शहरों में।
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‘वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन’ (ONOS) योजना के लाभ
- शोध तक बेहतर पहुँच: ONOS यह सुनिश्चित करता है कि सभी सरकारी वित्तपोषित संस्थानों की शोध पत्रिकाओं तक पहुँच हो, जिससे उच्च गुणवत्ता वाली शैक्षणिक सामग्री तक पहुँच प्राप्त करने में आने वाली वित्तीय बाधाएँ कम हो जाएँगी।
- उदाहरण के लिए: ONOS के तहत, दूरदराज के क्षेत्रों के संस्थानों को महानगरीय क्षेत्रों के समान वैश्विक अनुसंधान तक पहुँच प्राप्त होगी, जिससे अधिक शैक्षणिक समानता को बढ़ावा मिलेगा।
- संस्थानों के लिए लागत दक्षता: सिंगल सब्सक्रिप्शन के माध्यम से ONOS, संस्थानों को व्यक्तिगत सदस्यता लागतों की बचत करने में मदद करता है, जिससे शोध सामग्री तक पहुँच अधिक किफायती हो जाती है।
- उदाहरण के लिए: सब्सक्रिप्शन को समेकित करके, विश्वविद्यालय संसाधनों को एकत्र कर सकते हैं, जिससे छोटे संस्थानों को महंगी पत्रिकाओं तक पहुँच मिल सकती है, जिन्हें वे अन्यथा वहन करने में असमर्थ होंगे।
- शोध और नवाचार को बढ़ावा देना: ONOS के माध्यम से होने वाले वैश्विक अनुसंधान तक व्यापक पहुँच, भारतीय शोधकर्ताओं के बीच अधिक सहयोग और नवाचार को बढ़ावा दे सकती है।
- उदाहरण के लिए: छोटे शहरों सहित विभिन्न संस्थानों के शोधकर्ता समान अनुसंधान सामग्री तक समान पहुँच के कारण अत्याधुनिक परियोजनाओं पर सहयोग करने में सक्षम होंगे।
- शैक्षणिक गुणवत्ता को मजबूत करना: ONOS छात्रों और शिक्षकों को व्यापक संसाधन प्रदान करके शिक्षा और शैक्षणिक अनुसंधान की गुणवत्ता को बढ़ा सकता है।
- उदाहरण के लिए: पत्रिकाओं और डेटाबेस तक पहुँच, छात्रों को अपने शोध की गहनता में सुधार करने में सक्षम बनाती है, जिससे संस्थानों में समग्र शैक्षणिक मानक को बढ़ावा मिलता है।
- अनुसंधान की समावेशिता में वृद्धि: ONOS अनुसंधान तक पहुँच को लोकतांत्रिक बना सकता है, जिससे कम वित्तपोषित संस्थानों को वैश्विक शैक्षणिक वार्ताओं में भाग लेने की अनुमति मिल सकती है।
दीर्घकालिक स्थिरता और समावेशिता के संदर्भ में ONOS की कमियाँ
- वित्तीय स्थिरता: ONOS मॉडल दीर्घकालिक वित्तीय व्यवहार्यता के साथ संघर्ष कर सकता है, क्योंकि प्रकाशक सिंगल सब्सक्रिप्शन मॉडल की भरपाई के लिए उच्च शुल्क की माँग कर सकते हैं।
- निजी संस्थानों का सीमित समावेश: ONOS मुख्य रूप से सरकारी वित्तपोषित संस्थानों को लक्षित करता है और संभावित रूप से निजी संस्थानों को समान लाभों का आनंद लेने से बाहर रखता है।
- उदाहरण के लिए: चूँकि ONOS सार्वजनिक विश्वविद्यालयों पर ध्यान केंद्रित करता है, इसलिए निजी शोध संस्थानों को अभी भी शोध पत्रिकाओं तक पहुँचने में वित्तीय बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है, जिससे अकादमिक समावेशिता में अंतर उत्पन्न होता है।
- संभावित संसाधन आवंटन मुद्दे: सरकार को सभी संस्थानों के बीच संसाधनों का समान वितरण सुनिश्चित करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहाँ अनुसंधान सामग्री की उच्च माँग है।
- उदाहरण के लिए: टियर 2 और टियर 3 के शहरों में अनुसंधान सब्सक्रिप्शन की माँग अधिक हो सकती है परंतु संसाधन आवंटन हमेशा क्षेत्रीय आवश्यकता के अनुरूप नहीं हो सकता है, जिससे पहुँच के संबंध में असमानताएँ उत्पन्न होती हैं।
- सरकारी फंडिंग पर अत्यधिक निर्भरता: ONOS सरकारी फंडिंग पर अत्यधिक निर्भर हो सकता है, जो दीर्घकालिक रूप से एक धारणीय विकल्प नहीं है।
- उदाहरण के लिए: यदि सरकार अनुसंधान के लिए अपने बजट आवंटन को कम करती है, तो संस्थानों को महत्त्वपूर्ण शैक्षणिक संसाधनों तक पहुँच प्राप्त करने में बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है , जिससे अनुसंधान की निरंतरता बाधित हो सकती है।
- स्थानीय शोध के लिए सीमित सहायता: ONOS संभावित रूप से स्थानीय या क्षेत्रीय शोध पर वैश्विक पत्रिकाओं को अधिक प्राथमिकता दे सकता है।
- उदाहरण के लिए: यदि अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं का ONOS सब्सक्रिप्शन पर प्रभुत्व रहा, तो स्वदेशी अनुसंधानों का हाशियाकरण हो सकता है, जिससे स्थानीय शैक्षणिक चर्चाओं में बाधा आ सकती है ।
आगे की राह
- निजी प्रकाशकों के साथ सहयोग: सरकार और निजी प्रकाशकों के बीच रणनीतिक साझेदारी, ONOS के भीतर स्थिरता और समावेशिता दोनों को सुनिश्चित कर सकती है।
- उदाहरण के लिए: सहयोग से सरकारी फंडिंग पर निर्भरता कम करने में मदद मिल सकती है जबकि उपलब्ध शोध सामग्री की गुणवत्ता और दायरे में सुधार हो सकता है।
- निजी संस्थानों को शामिल करने के लिए ONOS का विस्तार करना: अधिक समावेशी शैक्षणिक पारिस्थितिकी तंत्र सुनिश्चित करने के लिए निजी विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों को शामिल करने हेतु ONOS का विस्तार किया जाना चाहिए।
- सब्सक्रिप्शन मॉडल में विविधता लाना: ONOS मॉडल के अंतर्गत समान पहुँच सुनिश्चित करने के लिए संस्था के आकार और क्षेत्रीय आवश्यकताओं के आधार पर टियर्ड सब्सक्रिप्शन (Tiered Subscription) विकल्पों पर विचार किया जा सकता है।
- उदाहरण के लिए: छोटे संस्थानों या अल्पविकसित क्षेत्रों में स्थित संस्थानों को रियायती दरों की पेशकश की जा सकती है, जबकि बड़े संस्थान अधिक व्यापक योजनाओं का विकल्प चुन सकते हैं।
- ओपन एक्सेस पहल को प्रोत्साहित करना: सरकार को ओपन एक्सेस प्रकाशन को प्रोत्साहित करना चाहिए और स्थानीय पत्रिकाओं को सुलभ प्रारूपों में प्रकाशित करने के लिए प्रोत्साहन प्रदान करना चाहिए।
- उदाहरण के लिए: ओपन एक्सेस पहल को सुविधाजनक बनाने से शोधकर्ताओं को वैश्विक और स्थानीय प्रकाशनों तक स्वतंत्र रूप से पहुँचने की अनुमति मिलेगी, जिससे सदस्यता मॉडल पर दबाव कम होगा।
- नियमित निगरानी और प्रतिक्रिया: निरंतर निगरानी और प्रतिक्रिया तंत्र, संसाधन वितरण और संस्थागत आवश्यकताओं से संबंधित मुद्दों का समाधान करने में मदद कर सकता है।
- उदाहरण के लिए: ONOS के प्रभाव का नियमित मूल्यांकन, अनुकूली परिवर्तनों की सुविधा प्रदान करेगा जो इसकी दीर्घकालिक स्थिरता और समावेशिता सुनिश्चित करेगा जिसके परिणामस्वरूप सभी शोध संस्थानों को लाभ होगा।
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‘वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन’ पहल में अनुसंधान तक पहुँच को लोकतांत्रिक बनाने और पूरे भारत में अकादमिक समावेशिता को बढ़ाने की क्षमता है। मौजूदा बाधाओं को दूर करके और दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करके, ONOS एक अधिक न्यायसंगत शैक्षणिक वातावरण में योगदान दे सकता है, जिससे भारत को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और आजीवन शिक्षण के SDG 4 के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
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