Q. वैश्विक प्रवासन पैटर्न पर समुद्र-स्तर में वृद्धि के संभावित परिणामों का आकलन कीजिये। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय नीतियों को जलवायु-प्रेरित विस्थापन द्वारा उत्पन्न चुनौतियों का समाधान कैसे करना चाहिए? (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग 

  • वैश्विक प्रवासन पैटर्न पर समुद्र-स्तर में वृद्धि के संभावित परिणामों का आकलन कीजिए।
  • वैश्विक प्रवासन पैटर्न पर समुद्र-स्तर में वृद्धि के सकारात्मक परिणामों का परीक्षण कीजिए।
  • चर्चा कीजिए कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय नीतियाँ जलवायु-प्रेरित विस्थापन से उत्पन्न चुनौतियों का समाधान कैसे करती हैं।

 

उत्तर:

समुद्र-स्तर में वृद्धि, जलवायु परिवर्तन के सबसे महत्वपूर्ण परिणामों में से एक है, जो ग्लोबल वार्मिंग, ध्रुवीय हिम शीट के पिघलने और समुद्री जल के तापीय विस्तार से प्रेरित है। यह घटना निम्न तटीय क्षेत्रों और छोटे द्वीपीय देशों के लिए खतरा उत्पन्न करती है, जिससे व्यापक विस्थापन होता है और वैश्विक प्रवास पैटर्न में बदलाव होता है। जैसे-जैसे समुद्र का स्तर बढ़ता जा रहा है, सुभेद्य आबादी को तेजी से पलायन करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, जिससे न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्थाएं प्रभावित हो रही हैं, बल्कि आबादी और संसाधनों में क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय परिवर्तन भी हो रहे हैं ।

वैश्विक प्रवासन पैटर्न पर समुद्र-स्तर वृद्धि के नकारात्मक परिणाम

  • तटीय समुदायों का विस्थापन: समुद्र का जलस्तर बढ़ने से निम्न तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लाखों लोगों का विस्थापन होगा, जिससे आंतरिक और सीमा पार प्रवासन को बढ़ावा मिलेगा। 
    • उदाहरण के लिए: बांग्लादेश, जिसकी अधिकांश आबादी समुद्र तट के पास रहती है, को गंभीर खतरों का सामना करना पड़ रहा है, जिसके कारण वर्ष 2050 तक 18 मिलियन से अधिक लोग विस्थापित हो सकते हैं
  • छोटे द्वीपीय देशों से पलायन: समुद्र स्तर में वृद्धि से छोटे द्वीपीय देशों के अस्तित्व को खतरा होता है, जिससे बड़े पैमाने पर अंतरराष्ट्रीय पलायन हो रहा है । 
    • उदाहरण के लिए: तुवालु और मालदीव जैसे देश पहले से ही जलमग्नता के जोखिम के कारण बड़े देशों के साथ पलायन समझौतों पर विचार कर रहे हैं।
  • शहरी आबादी पर प्रभाव: मुंबई और न्यूयॉर्क जैसे तटीय महानगर समुद्र-स्तर में वृद्धि के प्रति संवेदनशील हैं, जिसके परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर विस्थापन और गंभीर आर्थिक व्यवधान उत्पन्न हो रहे हैं । 
    • उदाहरण के लिए: इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता तेजी से डूब रही है, जिसके कारण सरकार को एक नए राजधानी शहर की योजना बनानी पड़ रही है।
  • क्षेत्रीय अस्थिरता और संघर्ष: जलवायु परिवर्तन के कारण भूमि और संसाधनों के लिए होने वाली प्रतिस्पर्धा, क्षेत्रीय तनाव को बढ़ा सकती है जिससे संभावित रूप से संघर्ष उत्पन्न हो सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: प्रशांत द्वीप समूह में समुद्र का बढ़ता स्तर ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे आस-पास के देशों में प्रवास को बढ़ावा दे रहा है, जिससे राजनयिक संबंधों में तनाव आ रहा है।

वैश्विक प्रवासन पैटर्न पर समुद्र-स्तर में वृद्धि के सकारात्मक परिणाम

  • संधारणीय शहरी नियोजन के लिए अवसर: समुद्र का बढ़ता स्तर, तटीय शहरों को धारणीय, प्रत्यास्थ बुनियादी ढाँचे को फिर से अभिकल्पित करने और पुनः योजना बनाने के लिए मजबूर करता है । 
    • उदाहरण के लिए: नीदरलैंड, रॉटरडैम जैसे बाढ़-प्रतिरोधी शहरों का निर्माण करके और  फ्लोटिंग  बिल्डिंग्स तथा बेहतर जल निकासी प्रणालियों का उपयोग करके संधारणीय शहरी नियोजन में नवाचार कर रहा है।
  • जलवायु मुद्दों पर मजबूत अंतरराष्ट्रीय सहयोग: समुद्र-स्तर में वृद्धि के कारण होने वाला प्रवासन, जलवायु परिवर्तन अनुकूलन नीतियों और पर्यावरण न्याय पर मजबूत वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देता है । 
    • उदाहरण के लिए: पेरिस समझौता, जलवायु-प्रेरित विस्थापन को कम करने की दिशा में सामूहिक प्रयासों पर बल देता है , जिसमें राष्ट्र प्रवासन चुनौतियों से निपटने के लिए ज्ञान और संसाधनों को साझा करेंगे।
  • सांस्कृतिक आदान-प्रदान और सामाजिक एकीकरण में वृद्धि: तटीय क्षेत्रों से पलायन सांस्कृतिक आदान-प्रदान को सुगम बनाता है, क्योंकि विस्थापित समुदाय अपनी परंपराओं और ज्ञान को नए क्षेत्रों में लाते हैं, जिससे स्थानीय संस्कृति समृद्ध होती है। 
    • उदाहरण के लिए: प्रशांत द्वीप देशों के प्रवासी व्यक्ति  न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया में एकीकृत हो गए हैं, पारंपरिक प्रथाओं को साझा कर रहे हैं और इन देशों के बहुसांस्कृतिक ताने-बाने को समृद्ध कर रहे हैं।
  • नए बाजारों और आर्थिक क्षेत्रों का निर्माण: समुद्र-स्तर में वृद्धि के कारण होने वाले पलायन से अंतर्देशीय क्षेत्रों में नई सेवाओं, बुनियादी ढाँचे और बाज़ारों की माँग उत्पन्न होती है , जिससे आर्थिक विकास होता है। 
    • उदाहरण के लिए: बांग्लादेश के अंतर्देशीय शहरों में नए आर्थिक अवसर उत्पन्न हुये क्योंकि तटीय आबादी का प्रवासन हुआ, जिससे व्यापार केन्द्रों और बाजार कस्बों के विकास को बढ़ावा मिला।

राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय नीतियाँ, जलवायु-प्रेरित विस्थापन द्वारा उत्पन्न चुनौतियों का समाधान कैसे करती हैं

  • कानूनी ढाँचे विकसित करना: ये नीतियाँ जलवायु-विस्थापित आबादी की रक्षा करने, उनके अधिकारों को सुनिश्चित करने और पुनर्वास के लिए उपयुक्त राह प्रदान करने हेतु कानूनी ढाँचे विकसित करती हैं। ये ढाँचे जलवायु शरणार्थियों को परिभाषित करते हैं और प्रवासन दिशा-निर्देशों की रूपरेखा तैयार करते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: बांग्लादेश की जलवायु परिवर्तन रणनीति  में पुनर्वास के लिए कानूनी प्रावधान शामिल हैं, जबकि प्रवासन के लिए वैश्विक समझौता (Global Compact for Migration), जलवायु प्रवासियों की सुरक्षा पर बल देता है ।
  • तत्परता और प्रतिक्रिया को उन्नत करना: प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों और जलवायु-प्रतिरोधी बुनियादी ढाँचे के विकास के माध्यम से देश, आपदा तत्परता के संबंध में उन्नत हो रहे हैं । 
    • उदाहरण के लिए: भारत का आपदा रोधी बुनियादी ढाँचे के लिए गठबंधन (CDRI) तटीय राज्यों को बढ़ते समुद्र स्तर के प्रति तत्पर होने और प्रतिक्रिया करने में मदद करता है, जिससे स्थानीय आबादी पर इसका कम  प्रभाव पड़ता है।
  • सतत विकास को बढ़ावा देना: इससे जलवायु-प्रेरित विस्थापन के दीर्घकालिक जोखिमों को कम करने में मदद मिलती है। सरकारें उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में सुभेद्यता को कम करने के लिए हरित ऊर्जा, संधारणीय कृषि और तटीय प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं।
    • उदाहरण के लिए: भारत की जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPCC) में सुभेद्य आबादी पर पड़ने वाले जलवायु प्रभावों को कम करने के लिए सतत विकास रणनीतियों को शामिल किया गया है।
  • सुरक्षित प्रवासन को सुविधाजनक बनाना:  राष्ट्र, जलवायु परिवर्तन के कारण विस्थापित आबादी के लिए ऐसी कानूनी प्रवासन की विधियों पर कार्य कर रहे हैं जिनसे यह सुनिश्चित हो सके कि प्रवासन एक संरचित और सुरक्षित तरीके से हो। 
    • उदाहरण के लिए: तुवालु के साथ ऑस्ट्रेलिया का प्रवास समझौता, बढ़ते समुद्री स्तर से प्रभावित तुवालुवासियों को कानूनी और सुरक्षित तरीके से ऑस्ट्रेलिया में प्रवास करने की सुविधा प्रदान करता है।
  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग: विभिन्न वैश्विक पहल महत्वपूर्ण जलवायु चुनौतियों का सामना कर रहे देशों को वित्त पोषण और सहायता प्रदान करती हैं, भेद्यताओं को कम करती हैं और संसाधनों को साझा करती हैं। 
    • उदाहरण के लिए: पेरिस समझौते का अनुकूलन कोष जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले विस्थापन का प्रबंधन करने के लिए बांग्लादेश जैसे देशों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
  • सामुदायिक सहभागिता: राष्ट्रीय नीतियों में अनुकूलन और विस्थापन रणनीतियों को आकार देने में स्थानीय समुदायों को शामिल किया जा रहा है। सामुदायिक प्रतिक्रिया को एकीकृत करके, सरकारें स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार नीतियों को तैयार कर सकती हैं और उनकी प्रभावशीलता को बढ़ा सकती हैं। 
    • उदाहरण के लिए: फिजी के समुदाय-आधारित पुनर्वास कार्यक्रम समुद्र-स्तर में वृद्धि से प्रभावित गांवों के पुनर्वास में स्थानीय आबादी को शामिल करते हैं, जिससे सुचारू परिवर्तन सुनिश्चित होता है।
  • डेटा संग्रह और अनुसंधान: यह जलवायु प्रवासन पैटर्न में महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान करता है और नीति विकास में सहायता करता है। सटीक डेटा, सरकारों को जलवायु विस्थापन का पूर्वानुमान लगाने और उसे अधिक प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने में सक्षम बनाता है। 
    • उदाहरण के लिए: संयुक्त राष्ट्र भविष्य के विस्थापन जोखिमों के प्रति उत्तरदायी अंतरराष्ट्रीय नीतियों को आकार देने के लिए जलवायु प्रवासन पर व्यापक शोध में निवेश करता है।

जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र के स्तर में वृद्धि तटीय समुदायों और छोटे द्वीप राष्ट्रों के लिए एक गंभीर खतरा बन गई है, जिससे बड़े पैमाने पर विस्थापन हो रहा है। जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले इस प्रवास को प्रबंधित करने के लिए प्रभावी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय नीतियाँ महत्वपूर्ण हैं, जिनमें अनुकूलन , वित्तीय सहायता और वैश्विक सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया जाये । इन उभरते खतरों को कम करने के लिए एक संयुक्त दृष्टिकोण आवश्यक है जो प्रवासन चुनौतियों और जलवायु प्रतिरोध, दोनों मुद्दों को संबोधित करता हो।

 

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