प्रश्न की मुख्य माँग
- इस रणनीतिक गतिरोध के प्रमुख कारणों का विश्लेषण कीजिए।
- एक स्थायी समाधान के लिए उठाए जाने वाले कदमों का सुझाव दीजिए।
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उत्तर
फरवरी 2022 में शुरू हुआ रूस-यूक्रेन संघर्ष अब एक भीषण युद्ध में परिवर्तित हो चुका है। क्रमिक क्षेत्रीय लाभ, राजनीतिक थकान और भू-राजनीतिक पुनर्संतुलन के मध्य यह संघर्ष अब जीत के बजाय धैर्य की लंबी लड़ाई का रूप ले चुका है।
रणनीतिक गतिरोध के कारण
- यूक्रेन के जवाबी हमले की विफलता: रूस की मजबूत स्थिति एवं पश्चिमी हथियारों की सीमाओं के कारण यूक्रेन का वर्ष 2023 का जवाबी हमला सफलता हासिल करने में विफल रहा।
- उदाहरण: उन्नत उपकरणों के बावजूद, यूक्रेन डोनबास जैसे प्रमुख क्षेत्रों को पुनः प्राप्त नहीं कर सका।
- उच्च लागत पर रूस की वृद्धिशील बढ़त: रूसी सेनाओं ने धीरे-धीरे बढ़त हासिल की, लेकिन उन्हें सैन्य, कूटनीतिक एवं मानवीय लागतों का सामना करना पड़ा, जिससे पूर्ण विजय असंभव हो गई।
- पश्चिमी सहायता की सीमाएँ: अमेरिका एवं NATO का समर्थन यूक्रेन को बनाए रखने के लिए पर्याप्त है, लेकिन पूर्ण विजय के लिए अपर्याप्त है, जिससे संघर्ष की गतिशीलता स्थिर हो जाती है।
- विजय पर रणनीतिक स्पष्टता का अभाव: दोनों पक्षों के पास स्पष्ट एवं साध्य लक्ष्य का अभाव युद्ध को दिशाहीन बना रहा है, जिससे विजय एक अस्पष्ट और दूर की संभावना बन गई है।
- उदाहरण: यूक्रेन क्रीमिया एवं डोनबास पर पूर्ण संप्रभुता की माँग करता है, रूस नियंत्रण की मान्यता चाहता है, जो दोनों ही असंगत स्थितियाँ हैं।
- वैश्विक ध्यान एवं संसाधनों का विचलन: अन्य वैश्विक टकरावों की उपस्थिति यूक्रेन पर ध्यान और संसाधनों को विभाजित करती है, जिससे यह युद्ध अप्रत्यक्ष रूप से लंबा खिंचता जा रहा है।
- उदाहरण: अप्रैल 2024 में ईरान-इजरायल संघर्ष ने पश्चिमी देशों का ध्यान भटका दिया, जिससे यूक्रेन को मिलने वाली सहायता में कटौती का जोखिम उत्पन्न हुआ।
स्थायी समाधान के उपाय
- स्पष्ट अंतरराष्ट्रीय गारंटी के साथ युद्धविराम: संयुक्त राष्ट्र या OSCE की निगरानी में युद्धविराम, जिसमें विसैन्यीकृत क्षेत्र एवं विश्वास निर्माण हेतु सुरक्षा निगरानी हो।
- उदाहरण: बाल्कन या उत्तर एवं दक्षिण कोरिया के बीच विसैन्यीकृत क्षेत्र में संघर्षोत्तर निगरानी के समान।
- राजनीतिक दृष्टि से विजय को पुनर्परिभाषित करना: अधिकतम लक्ष्यों की अपेक्षा छोड़ते हुए अब पारस्परिक रियायतों पर आधारित यथार्थवादी समझौतों की ओर झुकाव बढ़ रहा है।
- उदाहरण: यूक्रेन को क्रीमिया पर कूटनीतिक वार्ता पर विचार करना पड़ सकता है, जबकि रूस को हालिया कब्जे वाले क्षेत्रों से पीछे हटने की आवश्यकता हो सकती है।
- तटस्थ संवाद के लिए बहुध्रुवीय मध्यस्थता: विश्वसनीय बैकचैनल कूटनीति के लिए भारत जैसे तटस्थ लेकिन प्रभावशाली देशों को शामिल करना।
- हाइब्रिड एवं साइबर वृद्धि के खतरों को सीमित करना: साइबर हमलों या हाइब्रिड खतरों को रोकने के लिए वैश्विक मानदंडों को सुदृढ़ किया जाना चाहिए।
- उदाहरण: बाल्टिक देशों के लिए संभावित रूसी साइबर खतरे या रूस के अंदर जवाबी यूक्रेनी हमले, ऊर्ध्वाधर वृद्धि का जोखिम उत्पन्न करते हैं।
रूस-यूक्रेन युद्ध 21वीं सदी के संघर्षों की उन जटिल चुनौतियों को प्रतिबिंबित करता है, जहाँ सैन्य शक्ति राजनीतिक सीमाओं और भू-राजनीतिक उलझनों के कारण प्रभावहीन हो जाती है। इस युद्ध का स्थायी समाधान युद्धभूमि पर विजय में नहीं, बल्कि संवाद आधारित समझौतों, विश्वसनीय सुरक्षा गारंटियों और बहुपक्षीय सहयोग में निहित है। यदि ऐसा समन्वित रोडमैप विकसित नहीं किया गया, तो विश्व एक ऐसे अंतहीन संघर्ष के जोखिम का सामना करेगा, जहाँ किसी भी पक्ष को वास्तविक जीत प्राप्त नहीं होगी।
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