Q. समुद्री आनुवंशिक संसाधनों के संदर्भ में ‘राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार से परे जैव विविधता’ (BBNJ) समझौते के प्रावधानों का विश्लेषण कीजिए। ये प्रावधान विकसित देशों द्वारा संभावित शोषण से बचते हुए समानता संबंधी चिंताओं को कैसे संबोधित कर सकते हैं? (10 अंक , 150 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • समुद्री आनुवंशिक संसाधनों (MGR) के संबंध में ‘राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार से परे जैव विविधता’ (BBNJ) समझौते के प्रावधानों का विश्लेषण कीजिए।
  • परीक्षण कीजिए कि किस प्रकार ये प्रावधान समता संबंधी चिंताओं का समाधान कर सकते हैं तथा विकसित देशों द्वारा संभावित शोषण से बच सकते हैं।

उत्तर

जून 2023 में संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि (UNCLOS) के तहत अपनाए गए ‘राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र से परे जैव विविधता’ (BBNJ) समझौते का उद्देश्य राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र से परे क्षेत्रों में समुद्री जैव विविधता का संरक्षण करना और उनका संधारणीय उपयोग करना है। समुद्र के लगभग 95% हिस्से को कवर करते हुए इस समझौते में समानता, संधारणीयता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए समुद्री आनुवंशिक संसाधनों (MGRs) के लिए महत्त्व पूर्ण प्रावधान किये गये हैं। 

Enroll now for UPSC Online Course

समुद्री आनुवंशिक संसाधनों (MGR) से संबंधित BBNJ समझौते के प्रावधान

  • वैश्विक पहुँच और लाभ-साझाकरण (ABS) ढांचा: BBNJ समझौता, MGR से प्राप्त लाभों के निष्पक्ष और न्यायसंगत बंटवारे को अनिवार्य बनाता है, जिसमें मौद्रिक और गैर-मौद्रिक दोनों तरह के लाभ शामिल हैं।
    • उदाहरण के लिए: समुद्री जैव प्रौद्योगिकी से राजस्व का एक हिस्सा, जैसे कि उच्च समुद्री जीवों से विकसित औषधीयाँ, वैश्विक समुद्री कोष के माध्यम से वैश्विक स्तर पर पुनर्वितरित की जाएँगी
  • डिजिटल सीक्वेंस इन्फॉर्मेशन (DSI) का समावेशन: डिजिटल प्रारूप में आनुवंशिक डेटा, जिसे DSI के रूप में जाना जाता है, को प्रौद्योगिकी अंतराल के माध्यम से शोषण को रोकने के लिए लाभ-साझाकरण तंत्र में स्पष्ट रूप से शामिल किया गया है।
  • पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA): संधि के अनुसार MGR निष्कर्षण के पर्यावरणीय परिणामों का आकलन करने तथा समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा के लिए EIA को अनिवार्य बनाया गया है।
  • क्षमता निर्माण और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण: यह संधि,न्यायसंगत भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए समुद्री प्रौद्योगिकी तक पहुँच, वित्तपोषण, प्रशिक्षण और पहुँच प्रदान करते हुए विकासशील देशों के लिए क्षमता निर्माण पर बल देती है। 
    • उदाहरण के लिए: भारत विकसित देशों से वित्तपोषण और प्रौद्योगिकी प्राप्त करके अपने विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) से परे अपनी अनुसंधान क्षमताओं को बढ़ाने के लिए संधि का लाभ उठाने की योजना बना रहा है।
  • संस्थागत निरीक्षण तंत्र: COP, अनुपालन की निगरानी करेगा, लाभ-साझाकरण को विनियमित करेगा, दंड लागू करेगा, तथा क्लियरिंग -हाउस तंत्र जैसे तंत्रों के माध्यम से डेटा पारदर्शिता सुनिश्चित करेगा। 
    • उदाहरण के लिए: संपन्न देशों को समय-समय पर MGR से संबंधित गतिविधियों का खुलासा COP को होगा, ताकि जवाबदेही सुनिश्चित हो सके।

समानता संबंधी चिंताओं का समाधान और शोषण को रोकना

  • समुद्री आनुवंशिक संसाधनों तक समान पहुँच: यह समझौता सुनिश्चित करता है कि विकासशील देश समुद्री आनुवंशिक संसाधनों का लाभ उठा सकें, जिससे संसाधन-समृद्ध और संसाधन-विहीन देशों के बीच का अंतर कम हो सके। 
    • उदाहरण के लिए: पहुँच और लाभ साझाकरण (ABS) प्रोटोकॉल के माध्यम से, छोटे देशों को समुद्री जैव प्रौद्योगिकी नवाचारों जैसे कि हाई सीज (High Seas) जीवों से प्राप्त नई दवाएँ का लाभ प्राप्त करने में मदद मिलती है ।
  • बायोपाइरेसी के खिलाफ सुरक्षा: समान लाभ-साझाकरण को आवश्यक बनाकर यह समझौता बायोपाइरेसी को रोकता है और यह सुनिश्चित करता है कि शक्तिशाली राष्ट्रों या कंपनियों द्वारा हाई सी‌ (High Sea) संसाधनों का अनुचित तरीके से दोहन न किया जाए। 
    • उदाहरण के लिए: जैविक विविधता पर सम्मेलन (CBD) की तरह, यह संधि  सुनिश्चित करती है कि अंतर्राष्ट्रीय जल से प्राप्त किये गए संसाधनों का उपयोग इस तरीके से हो कि उसका लाभ सभी संबंधित पक्षों को मिले। 
  • निगरानी और पारदर्शिता: संधि आनुवंशिक संसाधनों के निष्पक्ष उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए तंत्र प्रस्तुत करती है, जिससे ऐसी गुप्त प्रथाओं को रोका जा सकता है जो केवल कुछ देशों को लाभ पहुँचा सकती हैं। 
    • उदाहरण के लिए: एक्सेस एंड बेनिफिट-शेयरिंग क्लियरिंग-हाउस (ABS-CH) जैसे प्लेटफॉर्म समुद्री आनुवंशिक संसाधनों के उपयोग और वितरण को ट्रैक करते हैं, जिससे जवाबदेही सुनिश्चित होती है।
  • विकासशील देशों के लिए क्षमता निर्माण: यह समझौता छोटे देशों को समुद्री अनुसंधान और इसके लाभों को प्राप्त करने में समान रूप से भागीदार बनाने के लिए आवश्यक उपकरण, प्रशिक्षण और धन मुहैया कराकर उन्हें सशक्त बनाने पर केंद्रित है। 
    • उदाहरण के लिए: वैश्विक पर्यावरण सुविधा (GEF) द्वारा वित्तपोषित परियोजनाओं ने विकासशील देशों में वैज्ञानिक और अनुसंधान क्षमता निर्माण में मदद की है, जिससे उन्हें वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिली है।
  • विकासशील देशों की निष्पक्ष भागीदारी को बढ़ावा देना: छोटे देशों को निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में अपनी बात कहने का मौका देकर, यह समझौता अमीर देशों के नीतिगत वर्चस्व को रोकता है। 
    • उदाहरण के लिए: WTO TRIPS समझौते के साथ तालमेल बिठाते हुए, यह संधि विकासशील देशों के लिए प्रौद्योगिकी और ज्ञान को अधिक सुलभ बनाती है, जिससे असमानताएँ कम होती हैं।
  • राष्ट्रीय कार्यान्वयन को मजबूत करना: राष्ट्रीय संप्रभुता का सम्मान करते हुए , यह समझौता देशों को वैश्विक समता मानकों के साथ तालमेल बिठाते हुए अपने संसाधनों का प्रबंधन करने की अनुमति देता है। 
    • उदाहरण के लिए: राष्ट्रीय जैव विविधता रणनीतियां और कार्य योजनाएं (NBSAPs) देशों को संसाधनों के उचित उपयोग के लिए स्थानीय प्राथमिकताओं को अंतर्राष्ट्रीय लक्ष्यों के साथ एकीकृत करने में सक्षम बनाती हैं।

Check Out UPSC CSE Books From PW Store

BBNJ समझौते के प्रावधान समता, संधारणीयता और जवाबदेही को रेखांकित करते हैं। ऐतिहासिक असमानताओं को संबोधित करके, क्षमता निर्माण को बढ़ावा देकर और MGR तक पहुँच को विनियमित करके, यह संधि समुद्री जैव विविधता की सुरक्षा करते हुए साझा लाभ सुनिश्चित करती है। अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से इसका प्रभावी कार्यान्वयन यह सुनिश्चित करेगा कि हाई सीज भविष्य की पीढ़ियों के लिए वैश्विक धरोहर बने रहें।

To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

Need help preparing for UPSC or State PSCs?

Connect with our experts to get free counselling & start preparing

Aiming for UPSC?

Download Our App

      
Quick Revise Now !
AVAILABLE FOR DOWNLOAD SOON
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध
Quick Revise Now !
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध

<div class="new-fform">






    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.