Q. कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) द्वारा उत्पन्न डीपफेक का उदय गंभीर कानूनी और सुरक्षा चुनौतियाँ प्रस्तुत करता है। चर्चा कीजिए कि सिंथेटिक सामग्री की अनिवार्य लेबलिंग भारत के डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र में नवाचार और जवाबदेही के बीच कैसे संतुलन स्थापित कर सकती है। (10 अंक, 150 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • सिंथेटिक सामग्री की अनिवार्य लेबलिंग किस प्रकार भारत के डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र में नवाचार और जवाबदेही के बीच संतुलन स्थापित कर सकती है।

उत्तर

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) द्वारा निर्मित सिंथेटिक कंटेंट, जिसमें डीपफेक भी शामिल हैं, ने डिजिटल मीडिया की प्रकृति को पूरी तरह बदल दिया है। इसने जहाँ रचनात्मकता को बढ़ावा दिया है, वहीं विश्वास, चुनावों की निष्पक्षता और नागरिक अधिकारों के लिए गंभीर खतरे भी उत्पन्न किए हैं। इस परिप्रेक्ष्य में, भारत द्वारा लेबलिंग को अनिवार्य करने की पहल नवाचार और जवाबदेही के बीच संतुलन स्थापित करने का प्रयास है।

कैसे अनिवार्य लेबलिंग नवाचार और जवाबदेही के बीच संतुलन स्थापित कर सकती है

  • पारदर्शिता और डिजिटल विश्वास को बढ़ावा देना: AI द्वारा निर्मित सामग्री पर लेबल लगाने से पारदर्शिता बढ़ती है और उपयोगकर्ताओं को वास्तविक तथा कृत्रिम मीडिया के बीच अंतर समझने में सहायता मिलती है।
  • लोकतांत्रिक अखंडता की सुरक्षा:  संशोधित या भ्रामक दृश्यों की पहचान के माध्यम से लेबलिंग से यह जोखिम घटता है कि डीपफेक चुनावों या जनमत को प्रभावित करें।
    • उदाहरण: वर्ष 2024 में, डीपफेक वीडियो के माध्यम से राजनीतिक प्रचार और चुनावी विमर्श को विकृत करने की चिंताएँ उठाई गई थीं।
  • व्यक्तिगत गोपनीयता और प्रतिष्ठा की रक्षा: अनिवार्य प्रकटीकरण (मैंडेटरी डिस्क्लोजर) व्यक्तिगत पहचान या रूप का दुरुपयोग रोकता है और नागरिकों व सार्वजनिक हस्तियों को पहचान की हेराफेरी से सुरक्षा प्रदान करता है।
  • जिम्मेदार नवाचार को प्रोत्साहन:  लेबलिंग रचनात्मकता को बाधित नहीं करती, बल्कि यह सुनिश्चित करती है कि जवाबदेही और नवाचार एक साथ आगे बढ़ें।
    • उदाहरण: मेटा इंक. ने फेसबुक पर एआई-निर्मित सामग्री के लिए लेबलिंग प्रणाली शुरू की है, जिससे जिम्मेदार सृजन को प्रोत्साहन मिला है।
  • भारत को वैश्विक श्रेष्ठ प्रथाओं के अनुरूप लाना:  लेबलिंग डिजिटल उत्पत्ति (डिजिटल प्रोवेनेन्स) और सामग्री की प्रामाणिकता से संबंधित वैश्विक प्रयासों के अनुरूप है, जिससे भारत की वैश्विक तकनीकी विश्वसनीयता मजबूत होती है।
    • उदाहरण: कन्टेंट प्रोवेनेन्स एंड ऑथेंटिसिटी गठबंधन (C2PA) विश्वभर की तकनीकी कंपनियों को सामग्री सत्यापन के लिए एकजुट कर रहा है।
  • झूठी सूचनाओं और सार्वजनिक हानि की रोकथाम:  स्पष्ट लेबलिंग से भ्रामक या भावनात्मक रूप से प्रेरित सूचनाओं के तेजी से वायरल होने की संभावना घटती है, जिससे समाज को राजनीतिक और मानसिक दुष्प्रभावों से बचाया जा सकता है।
    • उदाहरण: हाल में तेजी से फैल रही “AI स्लॉप” सामग्री ने सोशल मीडिया पर सूचना प्रवाह को विकृत किया है।
  • कानूनी और नियामक तैयारी को सुदृढ़ करना:  लेबलिंग व्यापक AI शासन ढाँचे (AI  गवर्नेंस फ्रेमवर्क) की नींव रखती है, जो नवाचार और नैतिक-वैधानिक सुरक्षा के बीच संतुलन बनाती है।
    • उदाहरण: सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 (IT  रूल्स, 2021) में संशोधन एआई जवाबदेही प्रणाली की दिशा में एक प्रारंभिक कदम सिद्ध हो सकता है।

निष्कर्ष

सिंथेटिक सामग्री की अनिवार्य लेबलिंग एआई की संभावनाओं का उपयोग करते हुए उसके जोखिमों को नियंत्रित करने का एक संतुलित मार्ग प्रदान करती है। इसकी सफलता मजबूत क्रियान्वयन, जन-जागरूकता, और सरकार–तकनीकी उद्योग के सहयोग पर निर्भर करेगी। एक पारदर्शी और जवाबदेह ढाँचा भारत को जिम्मेदार एआई नवाचार के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व प्रदान कर सकता है।

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