प्रश्न की मुख्य माँग
- प्लांट बेस्ड मिल्क की माँग को बढ़ाने वाले कारकों का परीक्षण कीजिए।
- पारंपरिक डेयरी उद्योग के समक्ष आने वाली प्रमुख चुनौतियों पर चर्चा कीजिए।
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उत्तर
पोषण संबंधी और कानूनी चिंताओं के हवाले से पारंपरिक डेयरी क्षेत्रों के विरोध के बावजूद, सोया, बादाम और जई जैसे प्लांट बेस्ड मिल्क का वैश्विक स्तर पर तेजी से विस्तार हो रहा है। विश्व के सबसे बड़े दुग्ध उत्पादक देश भारत में भी उपभोक्ता वरीयताओं में आ रहे बदलाव के चलते शाकाहारी दुग्ध की माँग निरंतर बढ़ रही है।
प्लांट बेस्ड मिल्क की माँग को बढ़ाने वाले कारक
- उपभोक्ताओं में बढ़ती स्वास्थ्य जागरूकता: स्वास्थ्य के प्रति जागरूक व्यक्ति कम वसा, कैलोरी एवं पाचन संबंधी लाभों के कारण शाकाहारी दूध पसंद करते हैं।
- असहिष्णुता एवं आहार संबंधी एलर्जी: लैक्टोज असहिष्णुता या डेयरी एलर्जी वाले लोग गोवंशीय दूध के विकल्प तलाशते हैं।
- उदाहरण: वनस्पति-आधारित पेय पदार्थ उन लोगों के लिए उपयुक्त हैं, जिन्हें डेयरी दूध से एलर्जी है या जो लैक्टोज असहिष्णुता या उच्च कोलेस्ट्रॉल से पीड़ित हैं।
- निर्माताओं द्वारा पोषण संबंधी वृद्धि: पोषण चाहने वाले उपभोक्ताओं को आकर्षित करने के लिए शाकाहारी दूध को मजबूत बनाया जाता है।
- उदाहरण: निर्माता प्लांट बेस्ड मिल्क को पोषण संबंधी रूप से प्रतिस्पर्द्धी बनाने के लिए प्रोटीन, लिपिड, एंजाइम एवं खनिज मिलाते हैं।
- विविध आधार सामग्री विकल्प प्रदान करती है: प्रत्येक प्रकार केप्लांट बेस्ड मिल्क की एक अनूठी पोषण प्रोफाइल होती है, जो विभिन्न उपभोक्ता आवश्यकताओं को पूरा करती है।
- उदाहरण: बादाम के दूध में अधिक असंतृप्त वसा होती है, जई का दूध कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में मदद करता है एवं सोया दूध में गाय के दूध के बराबर प्रोटीन होता है।
- दूध की कमी वाले क्षेत्रों में बाजार की माँग: डेयरी उत्पादों की कम पहुँच वाले क्षेत्रों में पादप-आधारित विकल्प अधिक प्रचलित हैं।
- एक कार्यात्मक एवं ट्रेंडी पेय के रूप में धारणा: इन्हें फैंसी, आधुनिक एवं कार्यात्मक गैर-कार्बोनेटेड पेय माना जाता है।
- उदाहरण: युवा शहरी आबादी को आकर्षित करने के लिए शाकाहारी दूध में स्वाद बढ़ाने वाले, कृत्रिम रंग एवं फ्लेवर मिलाए जाते हैं।
- अनुमानित बाजार विकास एवं आर्थिक अवसर: प्लांट बेस्ड मिल्क तेजी से एक व्यावसायिक रूप से आकर्षक उद्योग बनता जा रहा है।
- उदाहरण: IMARK का अनुमान है कि भारत का शाकाहारी दूध बाजार वर्ष 2033 तक 855.51 मिलियन डॉलर से बढ़कर 2,166.30 मिलियन डॉलर हो जाएगा।
निष्कर्ष
डेयरी उद्योग के विरोध के बावजूद, प्लांट बेस्ड मिल्क ने भारत एवं विश्व स्तर पर अपनी पैठ बना ली है। यह स्वास्थ्य, नैतिकता तथा जीवन शैली में बदलाव के कारण बदलते आहार विकल्पों को दर्शाता है। हालाँकि चुनौतियाँ बनी हुई हैं, खासकर विनियमन एवं धारणा के संदर्भ में, यह क्षेत्र महत्त्वपूर्ण विस्तार के लिए तैयार है। IMARK के अनुसार, भारत का शाकाहारी दूध बाजार सालाना 10% से अधिक बढ़ सकता है, जो खाद्य उपभोग के पैटर्न में दीर्घकालिक बदलाव का संकेत देता है, जिसके लिए उचित नियामक स्पष्टता एवं उपभोक्ता शिक्षा की आवश्यकता है।
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