प्रश्न की मुख्य माँग
- आदर्श आचार संहिता के विकास पर चर्चा कीजिए।
- भारत के चुनाव आयोग की भूमिका पर चर्चा कीजिए।
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उत्तर
अनुच्छेद- 324 के तहत स्थापित भारतीय चुनाव आयोग (ECI) स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करता है। एक प्रमुख नियामक उपकरण आदर्श आचार संहिता (MCC) है, जो राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के लिए नैतिक दिशा-निर्देश प्रदान करता है। केरल में पहली बार वर्ष 1960 में शुरू की गई आदर्श आचार संहिता, ECI की संवैधानिक शक्तियों द्वारा लागू एक सख्त ढाँचे के रूप में विकसित हुई है।
आदर्श आचार संहिता का विकास
- वर्ष 1960- चुनाव प्रचार को विनियमित करने के लिए केरल में शुरू किया गया।
- वर्ष 1968- राष्ट्रव्यापी अंगीकरण, जिसमें भाषण, जुलूस और आचरण शामिल थे।
- वर्ष 1991- चुनावों के दौरान सरकारी घोषणाओं पर प्रतिबंध लगाते हुए प्रवर्तन को मजबूत किया गया।
- 2000 का दशक- डिजिटल मीडिया मॉनिटरिंग, ऑनलाइन अभियान और फेक न्यूज को कवर करना।
- हाल ही में- गलत सूचना और MCC उल्लंघनों का पता लगाने के लिए AI-आधारित सोशल मीडिया मॉनिटरिंग का सहारा लिया गया।
आदर्श आचार संहिता के कार्यान्वयन में चुनाव आयोग की भूमिका
- स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करना: चुनाव आयोग सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग और अनैतिक प्रथाओं को रोकता है।
- उदाहरण: चुनाव आयोग ने विभाजनकारी चुनावी भाषणों के खिलाफ कार्रवाई की है।
- उम्मीदवारों और अभियानों को विनियमित करना: राजनीतिक गतिविधियों पर नज़र रखता है व रिश्वतखोरी और अनुचित प्रभाव को रोकता है।
- उदाहरण: भड़काऊ भाषणों के लिए वर्ष 2024 में नोटिस जारी किए गए।
- चुनावों के दौरान सरकारी कार्यों पर प्रतिबंध: सत्तारूढ़ दलों को नई नीतियों की घोषणा करने से रोकता है।
- चुनाव खर्च की निगरानी और अवैध फंडिंग को रोकना: अभियान व्यय पर नजर रखता है और अत्यधिक वित्तीय प्रभाव को रोकता है।
- उदाहरण: वर्ष 2019 में, ECI ने 3,400 करोड़ रुपये की बेहिसाब चुनावी धनराशि जब्त की।
- मीडिया और सोशल मीडिया को विनियमित करना: फेक न्यूज और भ्रामक डिजिटल विज्ञापनों पर अंकुश लगाता है।
- उदाहरण: चुनाव आयोग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को भ्रामक राजनीतिक सामग्री हटाने का निर्देश दिया।
- आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के लिए अनुशासनात्मक कार्रवाई: चेतावनी जारी करता है, नेताओं के प्रचार पर प्रतिबंध लगाता है और FIR दर्ज करता है।
- उदाहरण: उल्लंघन के लिए नेताओं को वर्ष 2024 में प्रचार करने से अस्थायी रूप से प्रतिबंधित कर दिया गया ।
नैतिक चुनाव सुनिश्चित करने में MCC महत्त्वपूर्ण रही है हालांकि सोशल मीडिया में हेरफेर, गलत सूचना और वित्तीय कदाचार जैसी चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं। कानूनी समर्थन को मजबूत करना, AI-आधारित निगरानी और सख्त प्रवर्तन भारत की चुनावी अखंडता की सुरक्षा में इसकी प्रभावशीलता को और बढ़ा सकता है।
विशेष
- कानूनी समर्थन पर बहस: कुछ विशेषज्ञ बेहतर प्रवर्तन के लिए जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत MCC को वैधानिक दर्जा देने का सुझाव देते हैं।
- वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाएँ: रियलटाइम वित्तपोषण प्रकटीकरण से पारदर्शिता में सुधार हो सकता है।
- चुनावों में ब्लॉकचेन: यह बेहिसाब चुनावी वित्तपोषण को रोक सकता है और चुनावी सत्यनिष्ठा को बढ़ा सकता है।
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