प्रश्न की मुख्य माँग
- भारत में संधारणीय कृषि को बढ़ावा देने में राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (NMNF) की भूमिका का परीक्षण कीजिए ।
- यह बताइये कि यह देश में अत्यधिक उर्वरक उपयोग की चुनौतियों का समाधान कैसे करता है।
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उत्तर
नवंबर 2023 में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा स्वीकृत, प्राकृतिक खेती हेतु राष्ट्रीय मिशन (NMNF) का उद्देश्य उर्वरकों और कीटनाशकों जैसे सिंथेटिक रसायनों के उपयोग को कम करने वाली संधारणीय कृषि प्रथाओं को बढ़ावा देकर भारत में कृषि क्षेत्र में बदलाव लाना है। यह मृदा की गुणवत्ता और रासायनिक इनपुट पर अत्यधिक निर्भरता पर बढ़ती चिंताओं का समाधान करते हुए पारंपरिक खेती के लिए पर्यावरण के अनुकूल और आर्थिक रूप से व्यवहार्य विकल्प बनाने का प्रयास करता है ।
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संधारणीय कृषि को बढ़ावा देने में NMNF की भूमिका
- रसायन मुक्त खेती को प्रोत्साहित करना: NMNF, प्राकृतिक खेती की विधियों को बढ़ावा देता है जो सिंथेटिक रसायनों के उपयोग को कम करते हैं, किसानों को कीट नियंत्रण और मिट्टी की उर्वरता के लिए पर्यावरण के अनुकूल विकल्प अपनाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
- उदाहरण के लिए: यह मिशन गाय के गोबर आधारित उर्वरकों और नीम व लहसुन जैसे जैव-कीटनाशकों के उपयोग को बढ़ावा देता है, जो मृदा की गुणवत्ता को बनाए रखने में मदद करते हैं।
- मृदा गुणवत्ता और जैव विविधता संरक्षण: NMNF का एक मुख्य लक्ष्य मृदा की उर्वरता को बढ़ाना और मृदा पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुँचाने वाले रासायनिक इनपुट को कम करके जैव विविधता को संरक्षित करना है।
- उदाहरण के लिए: वर्मीकंपोस्टिंग और जैव उर्वरकों के उपयोग से मृदा पोषक तत्वों का प्राकृतिक रूप से पुनर्भरण करने में मदद मिलती है, जिससे दीर्घकालिक कृषि उत्पादकता में सुधार होता है।
- किसानों के लिए आर्थिक व्यवहार्यता: प्राकृतिक खेती के तरीकों को बढ़ावा देकर, NMNF महंगे रासायनिक इनपुट के लिए लागत प्रभावी विकल्प प्रदान करता है, जिससे किसानों की वित्तीय स्थिरता में सुधार होता है।
- उदाहरण के लिए: मल्टीक्रॉपिंग और फसल चक्र जैसी प्राकृतिक खेती की विधियाँ महंगे रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता को कम करती हैं, जिससे इनपुट लागत कम होती है।
- जल और मृदा प्रदूषण में कमी: इस मिशन का उद्देश्य हानिकारक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग को कम करके रासायनिक खेती के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करना है, जो जल और मृदा प्रदूषण में योगदान करते हैं।
- उदाहरण के लिए : प्राकृतिक खेती की तकनीकों का उपयोग रासायनिक उर्वरकों से अतिरिक्त पोषक तत्वों के अपवाह के कारण जल निकायों के यूट्रोफिकेशन को रोकने में मदद करता है।
- जलवायु प्रतिरोध को बढ़ावा देना: NMNF ऐसी कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देता है, जो मृदा की आद्रता बनाए रखने की क्षमता में सुधार करके और जैव विविधता को बढ़ावा देकर जलवायु प्रतिरोध को बढ़ावा देती हैं।
- उदाहरण के लिए: जैविक मल्चिंग का उपयोग करने की प्रथा, मृदा की आर्द्रता को बनाए रखने में मदद करती है, और सूखे के प्रभावों को कम करती है, जिससे कृषि लचीलापन बेहतर होता है।
- क्षमता निर्माण और किसान प्रशिक्षण: प्राकृतिक खेती की सफलता सुनिश्चित करने के लिए NMNF, किसानों को नई प्रथाओं, प्रौद्योगिकियों और विधियों का प्रशिक्षण देने के महत्व पर बल देता है।
- उदाहरण के लिए: सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में संधारणीय कृषि को लक्षित करते हुए प्राकृतिक खेती की विधियों पर प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रदान करने के लिए कृषि विज्ञान केंद्रों (KVK) के साथ भागीदारी की है।
- जैविक उत्पादों के लिए बाजार पहुँच बढ़ाना: NMNF, जैविक प्रमाणीकरण को बढ़ावा देकर और किसानों को जैविक बाजारों से जोड़कर प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों के लिए बाजार पहुँच की सुविधा भी प्रदान करता है।
- उदाहरण के लिए: eNAM (राष्ट्रीय कृषि बाजार) जैसी पहल जैविक किसानों को विनियमित बाजारों में अपनी उपज बेचने में मदद करती है, जिससे उपज का उचित मूल्य सुनिश्चित होता है।
अत्यधिक उर्वरक उपयोग की चुनौतियों का समाधान
- उर्वरक पर निर्भरता को कम करना: NMNF का उद्देश्य उन प्राकृतिक विकल्पों को बढ़ावा देकर रासायनिक उर्वरकों पर भारत की अत्यधिक निर्भरता को कम करना है जो मृदा की गुणवत्ता में सुधार लाते हैं और इनपुट लागत को कम करते हैं।
- उदाहरण के लिए: Azotobacter और Rhizobium जैसे जैव-उर्वरकों को बढ़ावा देने से हानिकारक रसायनों के बिना नाइट्रोजन स्थिरीकरण होता है, जिससे उर्वरक निर्भरता कम होती है।
- मृदा क्षरण को कम करना: सिंथेटिक उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग से मृदा का क्षरण हुआ है और मृदा की उर्वरता कम हुई है। NMNF, मृदा के पारिस्थितिकी तंत्र को पुनर्जीवित करने वाली संधारणीय खेती के तरीकों को प्रोत्साहित करता है।
- उदाहरण के लिए: ग्रीन मैन्योरिंग का उपयोग अर्थात् मृदा के पोषक तत्वों को प्राकृतिक रूप से बहाल करने के लिए फलियों जैसे पौधों का उपयोग करना, मृदा की गुणवत्ता को बढ़ाता है और रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता को कम करता है।
- एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन को बढ़ावा देना : NMNF एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन ( INM) पर बल देता है, जो प्राकृतिक उर्वरकों और जैविक इनपुट के उपयोग को संतुलित करने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण है, जिससे स्वस्थ फसल विकास सुनिश्चित होता है।
- उदाहरण के लिए: खाद, वर्मीकम्पोस्टिंग और जैविक खाद का एकीकरण संतुलित तरीके से पोषक तत्व प्रदान करने में मदद करता है, जिससे रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता कम हो जाती है।
- जैविक आदानों को प्रोत्साहित करना: सरकार किसानों को जैविक आदानों जैसे जैव-कीटनाशकों और गोबर आधारित उर्वरकों को अपनाने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करती है, जो हानिकारक रासायनिक उर्वरकों का स्थान लेते हैं।
- फसल विविधीकरण को बढ़ावा देना: NMNF के माध्यम से फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित करने से एकल-फसल खेती के लिए उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग को कम करने में मदद मिलती है, जिससे अधिक संतुलित पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा मिलता है।
उदाहरण के लिए: मल्टीक्रॉपिंग प्रणाली की शुरूआत से एकल फसलों पर उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग में कमी आती है, जिससे रासायनिक निर्भरता के बिना मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है।
- पर्यावरण अनुकूल कीट प्रबंधन के लिए समर्थन: NMNF जैविक कीट प्रबंधन जैसे प्राकृतिक कीट नियंत्रण विधियों की वकालत करता है, जिससे सिंथेटिक रासायनिक कीटनाशकों की आवश्यकता कम हो जाती है।
- उदाहरण के लिए: जैव-नियंत्रण एजेंटों के रूप में ट्राइकोडर्मा और स्यूडोमोनास का उपयोग कीटनाशकों के उपयोग को कम करता है, संधारणीय खेती को बढ़ावा देता है और मृदा की गुणवत्ता में सुधार करता है।
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राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (NMNF) का उद्देश्य संधारणीय प्रथाओं को प्रोत्साहित करके, हानिकारक रसायनों पर निर्भरता को कम करके और मृदा की गुणवत्ता में सुधार करके भारत के कृषि क्षेत्र में क्रांति लाना है। प्राकृतिक खेती पर ध्यान केंद्रित करके, भारत पर्यावरणीय प्रत्यास्थता को बढ़ा सकता है, जलवायु लक्ष्यों का समर्थन कर सकता है और किसानों की आजीविका में सुधार कर सकता है , जिससे देश के संधारणीय कृषि भविष्य में योगदान मिलेगा।
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