प्रश्न की मुख्य माँग
- समझाइए कि प्रभावी शासन के लिए कार्यशील संसद क्यों आवश्यक है।
- भारतीय लोकतंत्र में जवाबदेही सुनिश्चित करने में संसदीय बहस की भूमिका पर चर्चा कीजिए।
- भारतीय लोकतंत्र में पारदर्शिता सुनिश्चित करने में संसदीय बहस की भूमिका का परीक्षण कीजिए।
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उत्तर
प्रभावी शासन के लिए एक क्रियाशील संसद महत्त्वपूर्ण है, जो ऐसी विधायी निकाय के रूप में कार्य करती है जो जवाबदेही सुनिश्चित करती है और बहस के माध्यम से राष्ट्रीय मुद्दों को संबोधित करती है। संसद को अक्सर ‘लोकतंत्र का मंदिर’ कहा जाता है, जो लोगों की इच्छा का प्रतिनिधित्व करने में इसकी महत्त्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है। हालाँकि, हाल ही में संसद में हुए व्यवधान और अनियंत्रित व्यवहार ने सार्थक विचार-विमर्श को बाधित किया है, जिससे बहस की गुणवत्ता कम हुई है।
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प्रभावी शासन के लिए कार्यशील संसद क्यों आवश्यक है?
- कानून निर्माण और नीति निर्माण सुनिश्चित करता है : कानून बनाने और बहस तथा सूचित निर्णय लेने के माध्यम से सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक कार्यशील संसद महत्त्वपूर्ण है।
- उदाहरण के लिए: संसद में व्यापक विचार-विमर्श के बाद वस्तु एवं सेवा कर (GST) को सफलतापूर्वक पारित किया गया, जिससे भारत की कर प्रणाली को सुव्यवस्थित करने में मदद मिली।
- कार्यपालिका पर नियंत्रण: संसद प्रश्नों, प्रस्तावों और जाँच के माध्यम से कार्यपालिका को जवाबदेह बनाती है, जिससे उत्तरदायी शासन सुनिश्चित होता है।
- उदाहरण के लिए: कोविड-19 संकट से निपटने के लिए सरकार के तरीके पर विपक्ष की जांच ने पारदर्शिता सुनिश्चित की, जिससे महामारी के दौरान संसाधन आवंटन और निर्णय लेने में सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित हुई।
- लोगों की आकांक्षाओं के प्रतिनिधित्व को बढ़ावा देता है: संसद, विविध हितों और क्षेत्रीय चिंताओं के लिए एक मंच प्रदान करके लोगों की इच्छा को प्रतिबिंबित करती है।
- उदाहरण के लिए: संसद में शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे राष्ट्रीय मुद्दों पर होने वाली बहस ने आयुष्मान भारत जैसी नीतियों को आकार देने में मदद की है, जो सीधे नागरिकों की आवश्यकताओ से जुड़ी हैं।
- नीतिगत जाँच और निरीक्षण की सुविधा प्रदान करता है: समितियों के माध्यम से, संसद यह सुनिश्चित करती है कि नीतियों और योजनाओं की बारीकी से निगरानी की जाए और उन्हें अपेक्षित रूप से लागू किया जाए।
- उदाहरण के लिए: लोक लेखा समिति (PAC) सरकारी व्यय की जांच करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है और यह सुनिश्चित करती है, कि सार्वजनिक धन का विवेकपूर्ण तरीके से उपयोग किया जाए।
- विविध हितों का प्रतिनिधित्व: एक कार्यशील संसद सभी क्षेत्रों, समुदायों और क्षेत्रों के हितों का प्रतिनिधित्व करती है तथा समावेशी शासन को बढ़ावा देती है।
- उदाहरण के लिए: शीतकालीन सत्र 2023 के दौरान आदिवासी कल्याण कार्यक्रमों पर होने वाली बहस ने पूर्वोत्तर राज्यों की चिंताओं को उजागर किया।
भारतीय लोकतंत्र में जवाबदेही सुनिश्चित करने में संसदीय बहस की भूमिका
- सरकारी कार्यों की निगरानी करना: संसदीय बहसें सरकारी नीतियों की जाँच करने के लिए एक प्लेटफॉर्म प्रदान करती हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि कार्यपालिका अपने कार्यों के लिए जवाबदेह है।
- उदाहरण के लिए: संसद में रक्षा व्यय पर बहस यह सुनिश्चित करती है, कि सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा निधियों के आवंटन में पारदर्शी है।
- विपक्ष की भूमिका: विपक्षी सदस्य, सरकार के निर्णयों को चुनौती देने तथा स्पष्टीकरण की माँग करने के लिए बहस का लाभ उठाते हैं।
- उदाहरण के लिए: संसद में अडानी-हिंडेनबर्ग विवाद पर चर्चा हुई, जिसमें नियामक निगरानी पर सवाल उठाया गया।
- सार्वजनिक व्यय पर सवाल उठाना: संसदीय चर्चाओं से सरकारी व्यय पर सवाल उठाने में मदद मिलती है, जिससे वित्तीय जवाबदेही सुनिश्चित होती है।
- उदाहरण के लिए: संसद में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रदर्शन और गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPA) पर चर्चा से वित्तीय अक्षमताओं को दूर करने के उद्देश्य से उपाय किए गए।
- नेताओं को जवाबदेह बनाना: संसदीय बहसें यह सुनिश्चित करके कार्यकारी को जवाबदेह बनाने में मदद करती हैं कि नेता अपनी नीतियों को जनता की नजर में उचित ठहराएँ।
- उदाहरण के लिए: पर्यावरण नीतियों पर बहस से जलवायु कार्य योजनाओं के कार्यान्वयन के बारे में जवाबदेही बढ़ी है।
- लोकतांत्रिक अखंडता को मजबूत करना: संसदीय बहसें ,विविध विचारों और आलोचनात्मक मूल्यांकन के लिए एक मंच प्रदान करके देश की लोकतांत्रिक अखंडता को बनाए रखती हैं।
- उदाहरण के लिए : महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) जैसी सामाजिक कल्याण योजनाओं पर बहस से ऐसे कार्यक्रमों को बेहतर बनाने में मदद मिलती है ताकि अधिकांश आबादी को लाभ पहुँचाया जा सके।
भारतीय लोकतंत्र में पारदर्शिता सुनिश्चित करने में संसदीय बहस की भूमिका
- सूचना का सार्वजनिक प्रकटीकरण: मंत्रियों को नीतियों और निर्णयों के संबंध में विस्तृत स्पष्टीकरण देना होगा, जिससे सरकारी संचालन पारदर्शी बनेंगे।
- उदाहरण के लिए: डेटा संरक्षण अधिनियम 2023 पर हुई बहस ने गोपनीयता के लिए इसके प्रावधानों और निहितार्थों को स्पष्ट किया।
- सरकार की मंशा और योजनाओं का खुलासा: संसदीय चर्चाओं से सरकार की नीतियों के पीछे की मंशा उजागर होती है, जिससे जनता को जानकारी मिलती है।
- उदाहरण के लिए: संसद में डिजिटलीकरण पर हुई बहस ने डिजिटल इंडिया जैसी योजनाओं के पीछे सरकार के दृष्टिकोण को स्पष्ट किया है।
- जन विश्वास में वृद्धि: महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर होने वाली खुली बहस से सरकारी कार्यों में जनता का विश्वास बढ़ता है, क्योंकि इससे यह सुनिश्चित होता है कि निर्णय बंद दरवाजों के पीछे न लिये जायें।
- आलोचनात्मक समीक्षा के माध्यम से शासन में सुधार:संसदीय बहस उन नीतियों की समीक्षा और संशोधन को प्रोत्साहित करती है जो पारदर्शी या प्रभावी नहीं हो सकती हैं, जिससे देश बेहतर शासन की ओर अग्रसर होता है।
- उदाहरण के लिए: राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) पर हुई बहस ने संशोधनों को जन्म दिया जिससे नीति अधिक समावेशी और पारदर्शी बन गई।
- नीति-निर्माण में पारदर्शिता को बढ़ावा देना: बहस से विपक्षी दलों को संवेदनशील मुद्दों पर पारदर्शिता की माँग करने, भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग को रोकने का मौका मिलता है।
- उदाहरण के लिए: संसद में राफेल सौदे पर हुई चर्चा ने रक्षा अनुबंधों में पारदर्शिता की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
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किसी भी राष्ट्र की समृद्धि और स्थिरता के लिए एक अच्छी तरह से कार्य करने वाली विधायी संस्था महत्त्वपूर्ण है। ऐसी संस्था के भीतर की गई चर्चाओं और निर्णयों की गुणवत्ता सीधे नागरिकों के जीवन को प्रभावित करती है। संसदीय शासन प्रणाली में 3Ds– बहस(Debate), चर्चा (Discussion) और विचार-विमर्श (Deliberation) का अत्यधिक महत्त्व है, क्योंकि यह विविध दृष्टिकोणों पर विचार करने की सुविधा प्रदान करता है, सूचित निर्णय लेने को बढ़ावा देता है और जवाबदेही सुनिश्चित करता है।
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