Q. रूस-यूक्रेन संघर्ष वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए एक निर्णायक चुनौती बन गया है। इसके समाधान की तलाश में प्रमुख वैश्विक हितधारकों के रणनीतिक हितों का विश्लेषण कीजिए। शांति में प्रमुख बाधक तत्व क्या हैं, और एक स्थायी समाधान सुनिश्चित करने के लिए कौन से उपाय आवश्यक हैं? (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • रूस-यूक्रेन संघर्ष के समाधान की तलाश में प्रमुख वैश्विक हितधारकों के रणनीतिक हित।
  • रूस-यूक्रेन संघर्ष के संबंध में शांति वार्ता में अवरोधक प्रमुख बाधाएँ।
  • सतत्  समाधान सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक उपाय।

उत्तर

फरवरी 2022 से, रूस-यूक्रेन संघर्ष वैश्विक शांति, सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता के लिए एक बड़े खतरे के रूप में उभरा है। ऊर्जा संकट, खाद्य असुरक्षा और भू-राजनीतिक तनावों को जन्म देते हुए, यह यूरोप, एशिया और भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित कर रहा है, जिससे एक सतत् समाधान की तत्काल आवश्यकता उजागर हुई है।

प्रमुख वैश्विक हितधारकों के रणनीतिक हित

  • रूस: अधिग्रहित क्षेत्रों की मान्यता, यूक्रेन की तटस्थता और निरस्त्रीकरण चाहता है ताकि रूस का भू-राजनीतिक प्रभाव और उसका बफर जोन सुरक्षित हो सकें। 
    • उदाहरण: शिखर सम्मेलन के बाद की रिपोर्टों से पता चलता है कि  पुतिन दक्षिण (जापोरिज्जिया और खेरसॉन) के अग्रिम मोर्चे पर युद्ध को रोकने के लिए तैयार हैं, बशर्ते रूस को डोनबास (डोनेट्स्क और लुगांस्क) पर पूर्ण नियंत्रण बनाए रखने दिया जाए।
  • यूक्रेन: क्षेत्रीय अखंडता, अंतरराष्ट्रीय समर्थन और सुरक्षा गारंटी बनाए रखना चाहता है ताकि आगे के आक्रमण को रोका जा सके। 
    • उदाहरण: यूक्रेन भूमि रियायतों को अस्वीकार करता है और नाटो व यूरोपीय संघ का सहयोग चाहता है
  • संयुक्त राज्य अमेरिका: लोकतंत्र, नाटो की विश्वसनीयता बनाए रखने और रूसी विस्तारवाद को रोकने का प्रयास करता है, साथ ही यूरोपीय और वैश्विक सुरक्षा हितों का संतुलन करता है। 
    • उदाहरण: कील इंस्टिट्यूट फॉर द वर्ल्ड इकोनॉमी के अनुसार, अमेरिका ने यूक्रेन को सैन्य और आर्थिक सहायता में 128 अरब डॉलर आवंटित किए हैं।
  • भारत: ऊर्जा सुरक्षा, व्यापार निरंतरता और रणनीतिक तटस्थता पर ध्यान केंद्रित करता है, रूस और पश्चिमी शक्तियों दोनों के साथ संबंध बनाए रखता है। 
    • उदाहरण: ICRA के एक अध्ययन के अनुसार, भारत ने पिछले दो वर्षों में रूस से रियायती दरों पर कच्चा तेल आयात करके लगभग 13 अरब डॉलर की बचत की है।
  • यूरोप (EU और NATO): पूर्वी यूरोप में रूसी प्रभाव को नियंत्रित करते हुए क्षेत्रीय स्थिरता, ऊर्जा सुरक्षा और शरणार्थी प्रबंधन की माँग करता है ।
  • चीन: बिना किसी प्रत्यक्ष संघर्ष के रणनीतिक लाभ, ऊर्जा और अनाज आपूर्ति सुरक्षा और संभावित राजनयिक प्रभाव प्राप्त करने का प्रयास करता है। 
    • उदाहरण: चीन, रूस के साथ 240 अरब डॉलर (2023) का व्यापार करता है , जबकि प्रत्यक्ष सैन्य समर्थन से बचता है।

शांति वार्ताओं में बाधा डालने वाली प्रमुख बाधाएँ

  • क्षेत्रीय विवाद: यूक्रेन अपने कब्जे वाले क्षेत्रों को छोड़ने से इनकार कर रहा है , जबकि रूस मान्यता की माँग कर रहा है, जिससे गतिरोध उत्पन्न हो रहा है। 
    • उदाहरण: डोनेट्स्क, लुगांस्क, जापोरिज्जिया और खेरसॉन पर विवाद अभी भी जारी है।
  • शांति के अलग-अलग दृष्टिकोण: यूक्रेन तत्काल युद्धविराम चाहता है, जबकि रूस ‘मूल कारणों’ को संबोधित करते हुए एक व्यापक शांति समझौते पर बल दे रहा है। 
    • उदाहरण: ट्रंप-पुतिन के बीच एंकोरेज शिखर सम्मेलन (अलास्का में) ने इन मतभेदों को उजागर किया है।
  • प्रतिबंध और आर्थिक दबाव: रूस पर पश्चिमी प्रतिबंधों से आर्थिक कठिनाइयाँ तो बढ़ती हैं लेकिन ये इसके साथ-साथ मॉस्को के वार्ता रुख को भी कठोर बनाते हैं। 
    • उदाहरण : रूसी ऊर्जा निर्यात पर यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों से वैश्विक तेल की कीमतें बढ़ गईं।
  • सुरक्षा गारंटी: यूक्रेन भविष्य में आक्रमण के विरुद्ध विश्वसनीय आश्वासन की माँग करता है, जिससे समझौता जटिल हो जाता है।
  • वैश्विक भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता: अमेरिका-रूस, नाटो-रूस और यूरोपीय संघ-रूस के बीच तनाव, वार्ताओं और थर्ड-पार्टी मध्यस्थता को प्रभावित करते हैं। 
    • उदाहरण: पोलैंड और बाल्टिक देशों में नाटो सैन्य तैनाती रूसी सुरक्षा चिंताओं को बढ़ाती है।
  • घरेलू राजनीतिक दबाव: रूस, यूक्रेन और पश्चिमी देशों के नेताओं को जनमत के दबाव का सामना करना पड़ रहा है, जो उनके लचीलेपन को सीमित करता है। 
    • उदाहरण के लिए: यूक्रेन के राजनेताओं ने समझौते के लिए बाहरी दबाव होने के बावजूद भूमि रियायतों को अस्वीकार कर दिया है।

इन बाधाओं को दूर करने के लिए सतत् समाधान हेतु सावधानीपूर्वक तैयार किए गए उपायों की आवश्यकता है।

सतत् समाधान सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक उपाय

  • वार्ता के जरिए युद्धविराम: कूटनीतिक वार्ता की राह बनाने और मानवीय राहत पर ध्यान केंद्रित करने हेतु दोनों देशों को तत्काल युद्धविराम करना चाहिए। 
    • उदाहरण: शिखर सम्मेलन में दक्षिणी मोर्चों (जापोरिज्जिया, खेरसॉन) पर आंशिक युद्धविराम पर चर्चा हुई।
  • क्षेत्रीय समझौता ढाँचा: यूक्रेन की संप्रभुता का सम्मान करते हुए रूसी सुरक्षा माँगों को संबोधित करने वाले अस्थायी प्रबंधों पर सहमति बनानी चाहिए। 
    • उदाहरण: डोनबास पर नियंत्रण के बदले खारकीव और पूर्वोत्तर क्षेत्रों से रूसी सेना की संभावित वापसी।
  • सुरक्षा गारंटी: भविष्य में किसी भी संघर्ष को रोकने के लिए थर्ड-पार्टी के अंतर्गत शांति स्थापना या अंतरराष्ट्रीय गारंटी सुनिश्चित होनी चाहिए। 
    • उदाहरण: प्रस्तावों में संयुक्त राष्ट्र या नाटो की मध्यस्थता वाली निगरानी व्यवस्था शामिल है
  • आर्थिक प्रोत्साहन और पुनर्निर्माण सहायता: यूक्रेन के बुनियादी ढाँचे के पुनर्निर्माण में सहयोग करना चाहिए और प्रभावित आबादी को मुआवजा देना चाहिए। 
    • उदाहरण: फरवरी 2024 में, यूरोपीय नेताओं ने यूक्रेन के पुनरुद्धार, पुनर्निर्माण और आधुनिकीकरण के लिए वर्ष 2027 तक 54 बिलियन डॉलर तक की प्रतिबद्धता जताई।
  • बहुपक्षीय कूटनीति: निष्पक्ष समाधान और निगरानी सुनिश्चित करने के लिए अमेरिका, यूरोपीय संघ, भारत, चीन और संयुक्त राष्ट्र की सक्रिय भागीदारी होनी चाहिए। 
    • उदाहरण: शांति वार्ताओं में चीन, भारत और ब्राजील को संभावित मध्यस्थों के रूप में पहचाना गया है, रूस ने उनकी भागीदारी के प्रति समर्थन व्यक्त किया है।

निष्कर्ष

एक सतत् समाधान के लिए सक्रिय बहुपक्षीय कूटनीति के साथ-साथ क्षेत्रीय अखंडता, सुरक्षा गारंटी और आर्थिक पुनर्निर्माण का संतुलन बनाना आवश्यक है। इन दोनों देशों के मध्य के संघर्ष का समाधान यूरोपीय स्थिरता, वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा और भू-राजनीतिक पूर्वानुमेयता को बढ़ाएगा, साथ ही यूक्रेन की संप्रभुता सुनिश्चित करेगा और पूर्वी यूरोप व उससे परे व्यापक उग्रता को रोकेगा।

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