Q. देश में महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा के बढ़ते मामलों को देखा जा रहा हैं। इसके खिलाफ मौजूदा कानूनी प्रावधानों के बावजूद, ऐसी घटनाओं की संख्या बढ़ रही है। इस समस्या से निपटने के लिए कुछ अभिनव उपाय सुझाएँ। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • भारत में महिलाओं के विरुद्ध यौन हिंसा की बढ़ती घटनाओं के कारणों पर चर्चा कीजिए।
  • महिलाओं के विरुद्ध यौन हिंसा के संबंध में मौजूदा कानूनी प्रावधानों का उल्लेख कीजिए।
  • इस समस्या से निपटने के लिए कुछ नवीन उपाय सुझाइये।

 

उत्तर:

कोलकाता में एक प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ हाल ही में हुई बलात्कार और हत्या की घटना ने  महिलाओं की सुरक्षा को लेकर पूरे देश में चिंताएँ उत्पन्न कर दी हैं। मौजूदा कानूनी प्रावधानों के बावजूद यौन हिंसा के मामले बढ़ रहे हैं। यह चिंताजनक प्रवृत्ति पितृसत्ता, सांस्कृतिक मानदंडों और अप्रभावी कानून प्रवर्तन जैसे मुद्दों को उजागर करती है। इस खतरे से निपटने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जो कानूनी सुधारों, जागरूकता कार्यक्रमों और तकनीकी नवाचारों को जोड़ता है ताकि देश भर की महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

Enroll now for UPSC Online Course

भारत में महिलाओं के विरुद्ध यौन हिंसा की बढ़ती घटनाओं के कारण

  • पितृसत्तात्मक मानदंड: भारतीय समाज में पितृसत्तात्मक दृष्टिकोण इस विश्वास को कायम रखता हैं, कि पुरुषों का महिलाओं पर नियंत्रण है, जो महिलाओ पर हिंसा को सामान्य बनाने में योगदान देता है
    • उदाहरण के लिए: राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) के अनुसार, भारत में 15-49 वर्ष की लगभग एक तिहाई महिलाओं ने अपने जीवन काल में किसी न किसी प्रकार से हिंसा का अनुभव किया है।
  • कानून का कमजोर प्रवर्तन: त्वरित कार्रवाई और पुलिस की जवाबदेही की कमी अक्सर न्याय में देरी करती है, जिससे अपराधियों को इस तरह के कृत्य करने का प्रोत्साहन मिलता है। 
    • उदाहरण के लिए: राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) 2022 के अनुसार, यौन अपराधों से संबंधित न्यायालीन निर्णयों में बहुत अधिक विलम्ब होता है, जिससे पीड़ितों को न्याय मिलने में देरी होती है।
  • सामाजिक बहिष्कार का भय: यौन हिंसा से जुड़ा सामाजिक कलंक कई पीड़ित महिलाओ को चुप रहने के लिए मजबूर करता है, क्योंकि अपराध की रिपोर्ट करने से पीड़िता को भी  दोषी ठहराया जा सकता है या सामाजिक बहिष्कार किया जा सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: अध्ययनों के अनुसार,  ग्रामीण भारत में सामुदायिक प्रतिक्रिया के डर से यौन हिंसा की केवल 10-15% घटनाएं ही रिपोर्ट की जाती हैं।
  • अपर्याप्त शिक्षा: व्यापक यौन शिक्षा का अभाव सहमति से संबंध बनाने एवं लैंगिक समानता के संबंध में व्यापक अज्ञानता को बढ़ावा देता है, जिससे ऐसी संस्कृति विकसित होती है, जहाँ हिंसा को सामान्य माना जाता है। 
    • उदाहरण के लिए: स्वास्थ्य मंत्रालय ने अधिकांश भारतीय स्कूलों में संरचित यौन शिक्षा के अभाव को उजागर किया है तथा सुधारों की आवश्यकता पर बल दिया है।
  • इंटरनेट और मीडिया का प्रभाव: इंटरनेट और मीडिया प्लेटफॉर्म पर हिंसक और सेक्सुअल कंटेंट  के संपर्क में आने से टॉक्सिक मैस्कुलैनिटी और महिलाओं के प्रति आक्रामक व्यवहार को बढ़ावा मिलता है।
    • उदाहरण के लिए: इंटरनेट फ़्रीडम फ़ाउंडेशन (IFF) द्वारा किए गए अध्ययनों के अनुसार ऑनलाइन उत्पीड़न के मामलों में वृद्धि सेक्सुअल कंटेंट के संपर्क में आने के साथ और तीव्र गति से बढ़ रही है।

महिलाओं के विरुद्ध यौन हिंसा के संबंध में मौजूदा कानूनी प्रावधान

  • भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 63: बलात्कार को परिभाषित करती है और सजा को निर्दिष्ट करती है जिससे यौन अपराधों के खिलाफ आपराधिक न्याय के लिए रूपरेखा निर्धारित होती है
    उदाहरण के लिए: आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम, 2013 ने बलात्कार की परिभाषा को व्यापक बनाते हुए गैर-प्रवेशात्मक अपराधों (Non-penetrative Offenses) को भी इसमें शामिल किया और सख्त सजा सुनिश्चित की।
  • घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा अधिनियम, 2005 (PWDVA): वैवाहिक जीवन में यौन हिंसा सहित घरेलू दुर्व्यवहार से पीड़ित सभी महिलाओं के लिए कानूनी सुरक्षा उपाय प्रदान करता है। 
    • उदाहरण के लिए: यह अधिनियम महिलाओं को कानूनी सुरक्षा की माँग करने और शारीरिक तथा यौन शोषण के खिलाफ उपचार प्राप्त करने की सुविधा प्रदान करता है।
  • कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न अधिनियम, 2013: यह कानून निवारण तंत्र स्थापित करके कार्यस्थलों पर महिलाओं को यौन उत्पीड़न से बचाने का प्रयास करता है । 
    • उदाहरण के लिए: यौन उत्पीड़न की शिकायतों को दूर करने के लिए प्रत्येक संगठन में एक आंतरिक शिकायत समिति (ICC) होना अनिवार्य है ।
  • बाल यौन अपराध संरक्षण अधिनियम (POCSO) अधिनियम, 2012: यह कानून नाबालिगों के खिलाफ यौन हिंसा को अपराध मानता है तथा त्वरित न्यायालीन सुनवाई और अनुकूल जाँच प्रक्रिया का प्रावधान करता है। 
    • उदाहरण के लिए: यह अधिनियम बंद कमरे में सुनवाई का प्रावधान करता हैं और पीड़िता की गरिमा की रक्षा के लिए उनकी पहचान का खुलासा करने पर रोक है।
  • आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2018: 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के साथ बलात्कार के लिए मृत्युदंड और यौन अपराधों के लिए त्वरित सुनवाई सहित कठोर दंड का प्रारंभ किया गया। 
    • उदाहरण के लिए: कठुआ और उन्नाव बलात्कार मामलों के बाद, इस संशोधन का उद्देश्य गंभीर यौन अपराधों के मामलों में त्वरित न्याय सुनिश्चित करना है।

यौन हिंसा से निपटने के लिए नवीन उपाय

  • सामुदायिक जागरूकता कार्यक्रम: सहमति और लैंगिक समानता के संबंध में व्यक्तियों को शिक्षित करने के लिए समुदाय-संचालित कार्यक्रम शुरू करने से सांस्कृतिक रूढ़िवादिता  दूर हो सकती  हैं और महिलाओं को अपनी बात रखने का अधिकार मिल सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ जैसी पहल पूरे भारत में लैंगिक संवेदनशीलता को बढ़ावा देने और लैंगिक पूर्वाग्रह को कम करने में सफल रही है।
  • अनिवार्य लैंगिक संवेदनशीलता प्रशिक्षण: पुलिसकर्मियों और न्यायिक अधिकारियों को  लैंगिक संवेदनशीलता प्रशिक्षण प्रदान करने से यौन हिंसा के मामलों के निपटन में उनके तरीके को बेहतर बना सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो (BPRD) ने पुलिस बलों में  लैंगिक संवेदनशीलता बढ़ाने के लिए कार्यक्रम शुरू किए हैं।
  • प्रौद्योगिकी का उपयोग: यौन उत्पीड़न की रियल टाइम में रिपोर्ट करने के लिए ऐप जैसे डिजिटल प्लेटफार्म को लागू करने से महिलाओं को यौन हिंसा की रिपोर्ट करने का एक सुरक्षित और तीव्र उपाय मिल सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: दिल्ली पुलिस द्वारा ‘हिम्मत’ जैसे ऐप महिलाओं को आपातकाल के दौरान तुरंत मदद लेने में सक्षम बनाते हैं।
  • स्पेशल फास्ट-ट्रैक कोर्ट: यौन हिंसा के मामलों को निपटाने के लिए समर्पित अधिक फास्ट-ट्रैक कोर्ट स्थापित करने से त्वरित न्याय सुनिश्चित हो सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: निर्भया मामले के बाद, सरकार ने लंबित यौन हिंसा मामलों को निपटाने के लिए देश भर में 1,023 फास्ट-ट्रैक कोर्ट स्थापित किए।
  • व्यापक यौन शिक्षा: राष्ट्रीय पाठ्यक्रम में आयु-आधारित यौन शिक्षा को शामिल करने से सहमति, लैंगिक समानता और महिलाओं के अधिकारों के प्रति सम्मान के बारे में जागरूकता उत्पन्न करने में मदद मिल सकती है। 
    • उदाहरण के लिए: NEP 2020 के तहत राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (NCF) महिलाओं के प्रति सम्मानजनक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के लिए स्कूलों में यौन शिक्षा को शामिल करने की सिफारिश करती है।

Check Out UPSC CSE Books From PW Store

भारत में यौन हिंसा की बढ़ती घटनाओं के लिए कानूनी सुधार, सामाजिक परिवर्तन और तकनीकी नवाचार को मिलाकर एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है। जबकि मौजूदा कानून एक मजबूत ढाँचा प्रदान करते हैं, उनका प्रभावी कार्यान्वयन और जागरूकता-निर्माण उपाय महत्त्वपूर्ण बने हुए हैं। इस खतरे से निपटने हेतु भारत में महिलाओं के लिए एक सुरक्षित वातावरण बनाने के लिए सरकार, समुदायों और शैक्षणिक संस्थानों सहित सभी हितधारकों के सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है।

To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

Need help preparing for UPSC or State PSCs?

Connect with our experts to get free counselling & start preparing

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      
Quick Revise Now !
AVAILABLE FOR DOWNLOAD SOON
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध
Quick Revise Now !
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.