Q. भारत की डेटा गोपनीयता और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए स्टारलिंक के सुरक्षा निहितार्थों का विश्लेषण कीजिए। उपग्रह-आधारित इंटरनेट सेवाओं को अपनाते हुए भारत अपने हितों की सुरक्षा कैसे कर सकता है? (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • भारत की डेटा गोपनीयता के लिए स्टारलिंक के सुरक्षा निहितार्थों का विश्लेषण कीजिए।
  • भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए स्टारलिंक के सुरक्षा निहितार्थों की जाँच कीजिए।
  • चर्चा कीजिए कि भारत उपग्रह-आधारित इंटरनेट सेवाओं को अपनाते हुए अपने हितों की रक्षा कैसे कर सकता है।

उत्तर

SpaceX द्वारा उपग्रह-आधारित इंटरनेट परियोजना, स्टारलिंक का उद्देश्य वैश्विक स्तर पर, विशेष रूप से दूरदराज और कम सेवा वाले क्षेत्रों में हाई-स्पीड इंटरनेट प्रदान करना है। लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) उपग्रहों के एक समूह का उपयोग करके, स्टारलिंक  ब्रॉडबैंड कर्मियों का समाधान करते हुए न्यूनतम लेटेंसी प्रदान करता है। हालाँकि, यह परियोजना भारत जैसे देशों के लिए गंभीर सुरक्षा चिंताएँ उत्पन्न करती है, विशेषकर डेटा गोपनीयता और राष्ट्रीय सुरक्षा  के संबंध में। 

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भारत की डेटा गोपनीयता के लिए स्टारलिंक के सुरक्षा निहितार्थ

  • विदेशी उपग्रहों के माध्यम से डेटा राउटिंग: स्टारलिंक विदेशी उपग्रहों के माध्यम से भारतीय डेटा प्रसारित करता है, जिससे भारत के बाहर डेटा अवरोधन और अनधिकृत डेटा स्टोरेज के संबंध में चिंताएँ बढ़ जाती हैं।
  • भारतीय विनियामक नियंत्रण का अभाव: अमेरिकी अधिकार क्षेत्र के तहत काम करते हुए, स्टारलिंक भारत की डेटा हैंडलिंग प्रथाओं की निगरानी करने की क्षमता को सीमित करता है, जिससे थर्ड पार्टीज द्वारा अनधिकृत डेटा एक्सेस हो सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: भारत का डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट, 2023 (DPDP एक्ट) डेटा स्थानीयकरण को अनिवार्य करता है, लेकिन स्टारलिंक उपग्रहों के माध्यम से रूट किए गए डेटा, इन नियंत्रणों को दरकिनार करते हुए पाये जाते हैं।
  • साइबर हमलों के प्रति भेद्यता: आपस में जुड़े उपग्रह नेटवर्क से साइबर जोखिम उत्पन्न होता है, क्योंकि द्वेषपूर्ण उद्देश्य से डेटा की हैकिंग या सिग्नल जैमिंग  की जा सकती है। 
  • व्यावसायिक शोषण की संभावना: स्टारलिंक, सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए उपयोगकर्ता डेटा एकत्र कर सकता है और यदि ऐसा डेटा थर्ड पार्टी के साथ बेचा या साझा किया जाता है तो गोपनीयता भंग हो सकती है। 
    • उदाहरण के लिए: तकनीकी कंपनियों द्वारा डेटा साझा करने के उदाहरण, भारत में स्टारलिंक के संचालन के लिए सख्त उपयोगकर्ता सहमति तंत्र की आवश्यकता को उजागर करते हैं ।

भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए स्टारलिंक के सुरक्षा निहितार्थ

  • विदेशी निगरानी का जोखिम : स्टारलिंक की वैश्विक पहुँच के साथ, संवेदनशील भारतीय क्षेत्रों में डेटा और संचार की विदेशों द्वारा निगरानी की जा सकती है। 
    • उदाहरण के लिए: स्टारलिंक के उपग्रह नेटवर्क के माध्यम से भारत में महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे से संबंधित डेटा की निगरानी की जा सकती है।
  • संचार सुरक्षा में समझौता : स्टारलिंक का बुनियादी ढाँचा, भारतीय सैन्य और सरकारी संचार में शत्रुतापूर्ण संस्थाओं द्वारा अवरोधन या व्यवधान को आसान बना सकता है।
  • स्वदेशी परियोजनाओं में व्यवधान: स्टारलिंक के प्रवेश से भारतीय परियोजनाएँ कमजोर हो सकती हैं, जिससे अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में भारत की आत्मनिर्भरता का लक्ष्य प्रभावित हो सकता है । 
    • उदाहरण के लिए: Oneweb और Jiospace Fiber जैसी घरेलू पहल भारत की अपनी सैटेलाइट इंटरनेट क्षमताओं के विकास और विस्तार में देरी कर सकती हैं।
  • रणनीतिक हेरफेर की संभावना: स्टारलिंक पर विदेशी निगम का नियंत्रण, रणनीतिक डेटा हेरफेर या व्यवधान का जोखिम उत्पन्न करता है, विशेषकर भू-राजनीतिक तनाव के दौरान। 
    • उदाहरण के लिए: देशों को विदेशी फर्मों द्वारा लगाए गए डिजिटल अवरोधों या एक्सेस संबंधी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा है, जो संघर्षों के दौरान उत्पन्न जोखिमों को उजागर करता है।
  • अंतरिक्ष मलबा और कक्षीय हस्तक्षेप: हज़ारों स्टारलिंक उपग्रहों के साथ, अंतरिक्ष मलबे के टकराव का जोखिम बढ़ जाता है, जो भारत के अंतरिक्ष संचालन और उपग्रह सुरक्षा को बाधित कर सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: इसरो उपग्रहों के साथ स्टारलिंक उपग्रहों का निकट संपर्क, बेहतर अंतरिक्ष यातायात समन्वय की आवश्यकता पर बल देता है।
  • एकाधिकारवादी प्रवृत्तियाँ: स्टारलिंक की प्रमुख उपस्थिति प्रतिस्पर्धा को कम कर सकती है, जिससे भारत आवश्यक कनेक्टिविटी के लिए एक ऑपरेटर पर अधिक निर्भर हो सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: अत्यधिक मूल्य निर्धारण से मौजूदा दूरसंचार सेवा प्रदाताओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है, जिससे वो इस क्षेत्र से बाहर हो सकती हैं। ऐसी एकाधिकारवादी प्रवृत्ति डेटा और संचार के लिए भारत की संप्रभुता को हानि पहुँचा सकती है।

उपग्रह-आधारित इंटरनेट सेवाओं को अपनाने में भारत अपने हितों की रक्षा कैसे कर सकता है

  • विनियामक ढाँचे को मजबूत करना: भारत को मजबूत विनियामक नीतियाँ स्थापित करनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि विदेशी उपग्रह ऑपरेटर डेटा गोपनीयता और राष्ट्रीय सुरक्षा मानदंडों का अनुपालन करें। 
    • उदाहरण के लिए: डेटा स्थानीयकरण आवश्यकताओं को लागू करने से यह सुनिश्चित होगा कि भारत में उत्पन्न डेटा देश के भीतर संग्रहीत किया जाएगा।
  • घरेलू कंपनियों के साथ साझेदारी: विदेशी प्रदाताओं और भारतीय फर्मों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने से ज्ञान साझा करने में सुविधा हो सकती है और घरेलू प्रौद्योगिकी क्षमताओं को मजबूत किया जा सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: Oneweb-ISRO साझेदारी सफल प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और क्षेत्रीय डेटा सुरक्षा को प्रदर्शित करती है।
  • अंतरिक्ष संपत्तियों के लिए साइबर सुरक्षा उपाय: उपग्रह नेटवर्क के लिए उन्नत साइबर सुरक्षा प्रोटोकॉल विकसित करने से डेटा जोखिम कम हो सकता है और अनधिकृत पहुँच को रोका जा सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: अंतरिक्ष बुनियादी ढाँचे के लिए एक समर्पित साइबर कमांड की स्थापना से महत्वपूर्ण संचार की सुरक्षा होगी।
  • स्वदेशी सैटेलाइट परियोजनाओं को बढ़ावा देना: Jiospace Fiber जैसी परियोजनाओं का समर्थन करने से विदेशी नेटवर्क पर निर्भरता कम हो सकती है, जिससे अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा। 
    • उदाहरण के लिए: इसरो के सैटेलाइट नेटवर्क के माध्यम से कवरेज का विस्तार करने से डेटा सुरक्षा और स्वदेशी नियंत्रण सुनिश्चित होगा।
  • वैश्विक अंतरिक्ष प्रशासन में भागीदारी : अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रशासन मंचों में भारत की सक्रिय भागीदारी, उपग्रह सुरक्षा और डेटा गोपनीयता पर मानदंडों को आकार देने में मदद कर सकती है। 
    • उदाहरण के लिए: ITU जैसे निकायों के साथ सहयोग करने से यह सुनिश्चित होगा कि डेटा संप्रभुता पर भारत का रुख वैश्विक स्तर पर बरकरार रहे।

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स्टारलिंक जैसे सैटेलाइट-आधारित इंटरनेट का एकीकरण, भारत के लिए अवसर और चुनौतियाँ दोनों लेकर आता है। अपने डेटा गोपनीयता और राष्ट्रीय सुरक्षा हितों को सुरक्षित रखने के लिए, भारत को एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाना चाहिए, जिसमें विनियामक नियंत्रण, स्वदेशी विकास और वैश्विक सहयोग पर ज़ोर दिया जाना चाहिए। यह डिजिटल इंडिया और भारत की अंतरिक्ष नीति 2023 में उल्लिखित आत्मनिर्भर डिजिटल संप्रभुता के दृष्टिकोण के अनुरूप है, जिससे भारत डिजिटल युग में नई तकनीकों को सुरक्षित रूप से अपनाने में सक्षम होगा।

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