Q. भारत के पर्यटन उद्योग को अभी अपनी पूरी क्षमता का विकास होना बाकी है।” इससे संबंधित चुनौतियों का विश्लेषण कीजिए और भारत को वैश्विक पर्यटन केंद्र के रूप में स्थापित करने के लिए एक व्यापक रणनीति की रूपरेखा तैयार कीजिए । (15 अंक , 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • इस पर टिप्पणी कीजिए कि यह कहना क्यों उचित है कि भारत के पर्यटन उद्योग को अभी भी अपनी पूर्ण क्षमता का दोहन नहीं कर पाया है।
  • भारत के पर्यटन उद्योग के सम्मुख आने वाली चुनौतियों का विश्लेषण कीजिए।
  • भारत को वैश्विक पर्यटन केंद्र के रूप में स्थापित करने के लिए एक व्यापक रणनीति की रूपरेखा तैयार कीजिए।

उत्तर

भारत का पर्यटन उद्योग, जो सकल घरेलू उत्पाद में 6.8% का योगदान देता है, अपार संभावनाओं परंतु अल्प प्रयुक्त क्षेत्र बना हुआ है। प्राकृतिक सुंदरता, संस्कृति और इतिहास से समृद्ध, भारत ने वर्ष 2023 में 9.23 मिलियन अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों को आकर्षित किया , जो इसकी क्षमता से बहुत कम है। अपर्याप्त बुनियादी ढाँचे, नियामक जटिलताओं और कम-ज्ञात स्थलों के अपर्याप्त प्रचार सहित विभिन्न चुनौतियों के कारण यह अपनी क्षमता का पूर्णरुपेण दोहन नहीं कर पाया है।

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भारत का पर्यटन उद्योग: अप्रयुक्त क्षमता

  • अल्पविकसित पर्यटन अवसंरचना: पर्यटन सुविधाओं का सीमित विकास विकास को रोकता है, विशेष रूप से कम प्रसिद्ध क्षेत्रों में। 
    • उदाहरण के लिए: प्रचुर प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण पूर्वोत्तर भारत अपर्याप्त सम्पर्क और गुणवत्तापूर्ण आवास की कमी संबंधी समस्याओं से ग्रस्त है, जिससे पर्यटक यहाँ  आने से कतराते हैं।
  • अपर्याप्त मार्केटिंग और ब्रांडिंग: भारत ने अपने अद्वितीय प्रस्तावों जैसे कि इको-टूरिज्म और एडवेंचर टूरिज्म को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रभावी ढंग से बढ़ावा नहीं दिया है। 
    • उदाहरण के लिए: भारत की समृद्ध जैव विविधता के बावजूद, सुंदरबन और पश्चिमी घाट जैसे गंतव्यों की मार्केटिंग वियतनाम के हालोंग बे जैसे समकक्षों की तुलना में कम हो पाती है।
  • महिला पर्यटकों की कम संख्या: सुरक्षा और लैंगिक संवेदनशीलता के संबंध में व्याप्त चिंताएं घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों तरह की महिला पर्यटकों को हतोत्साहित करती हैं। 
    • उदाहरण के लिए: महिला सुरक्षा सूचकांक 2023 ने महिलाओं की सुरक्षा के मामले में भारत को 128वां स्थान दिया, जो सांस्कृतिक और संरचनात्मक सुधारों की तत्काल आवश्यकता को दर्शाता है।
  • सांस्कृतिक धरोहरों का कम उपयोग: भारत के कई यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों का रखरखाव ठीक से नहीं किया जाता या उनका प्रचार-प्रसार कम किया जाता है। 
    • उदाहरण के लिए: हम्पी और खजुराहो जैसे स्थलों पर जयपुर या आगरा जैसे लोकप्रिय स्थानों की तुलना में कम आगंतुक आते हैं, जो इस समस्या  को दर्शाता है।
  • मौसमी पर्यटन निर्भरता: भारत का पर्यटन उद्योग मुख्य रूप से पीक सीजन पर निर्भर करता है, जिसमें ऑफ-सीजन आगंतुकों को आकर्षित करने के लिए सीमित रणनीतियाँ हैं। 
    • उदाहरण के लिए: शिमला और मनाली जैसे हिल स्टेशनों में गर्मियों के दौरान काफी भीड़भाड़ होती हैं, लेकिन सर्दियों में यहाँ कम लोग आते हैं, जिससे साल भर की आर्थिक क्षमता प्रभावित होती है।

भारत के पर्यटन उद्योग के समक्ष चुनौतियाँ

  • अपर्याप्त कनेक्टिविटी: खराब सड़क, रेल और हवाई बुनियादी ढाँचे के कारण संभावित पर्यटन स्थलों तक पहुँच  सीमित हो जाती है। 
    • उदाहरण के लिए: अरुणाचल प्रदेश जैसे दूरदराज के इलाके अपने प्राकृतिक आकर्षण के बावजूद अपर्याप्त बुनियादी ढाँचे होने के परिणामस्वरूप, पर्यटकों को अधिक आकर्षित नहीं कर पाये हैं।
  • स्वच्छता और सफाई के मुद्दे: खराब अपशिष्ट प्रबंधन और स्वच्छता मानकों के कारण कई पर्यटक स्थलों का आकर्षण कम हो जाता है। 
    • उदाहरण के लिए: अपने आध्यात्मिक महत्व के बावजूद, वाराणसी अपर्याप्त अपशिष्ट निपटान प्रणालियों से जूझ रहा है, जिससे इसकी वैश्विक छवि प्रभावित हो रही है।
  • भाषा संबंधी बाधाएँ: ग्रामीण और दूरदराज के गंतव्यों में बहुभाषी सेवाओं की कमी अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए पहुँच को सीमित करती है। 
    • उदाहरण के लिए: दक्षिण भारत के पर्यटन स्थलों पर अक्सर अंग्रेजी भाषा में संकेत नहीं होते, जिससे गैर-स्थानीय आगंतुकों के लिए आवागमन करना मुश्किल हो जाता है।
  • अनियमित पर्यटन प्रथाएँ: अधिक कीमत वसूलना, दलालों द्वारा परेशान करना और धोखाधड़ी जैसी घटनाएं पर्यटकों के बीच विश्वास को कम करती है। 
    • उदाहरण के लिए: ताजमहल जैसे प्रमुख स्थलों पर दलाल, पर्यटकों का शोषण करते हैं, जिससे भारत की पर्यटन-अनुकूल राष्ट्र के रूप में प्रतिष्ठा को नुक़सान पहुँच ता है।
  • कुशल कार्यबल का अभाव: पर्यटन क्षेत्र प्रशिक्षित पेशेवरों की कमी की समस्या से ग्रस्त है, जिसमें टूर गाइड, आतिथ्य कर्मचारी और प्रबंधक शामिल हैं, जिससे सेवा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है और उद्योग की बढ़ती वैश्विक बाजार की आवश्यकताओं को पूरा करने की क्षमता सीमित हो रही है।

भारत को वैश्विक पर्यटन केंद्र के रूप में स्थापित करने के लिए व्यापक रणनीति

  • बुनियादी ढाँचे को उन्नत करना: कम ज्ञात स्थलों तक सड़क, रेल और हवाई संपर्क में सुधार करना और सार्वजनिक सुविधाओं को बढ़ाना चाहिए। 
    • उदाहरण के लिए: पूर्वोत्तर में हवाई अड्डों का विकास करना और क्षेत्रीय परिवहन नेटवर्क का विस्तार करना, पर्यटकों की पहुँच में सुधार कर सकता है।
  • संधारणीय पर्यटन को बढ़ावा देना: पर्यावरण के प्रति जागरूक यात्रियों को आकर्षित करने के लिए इको-टूरिज्म और समुदाय-आधारित मॉडल पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए ।
    • उदाहरण के लिए: केरल की “रिस्पांसिबल टूरिज्म” पहल, संधारणीयता को बढ़ावा देते हुए स्थानीय समुदायों को एकीकृत करती है।
  • मार्केटिंग अभियान को बढ़ावा देना: भारत की सांस्कृतिक और प्राकृतिक विविधता को प्रदर्शित करने के लिए लक्षित वैश्विक अभियान शुरू करना चाहिए । 
    • उदाहरण के लिए: आवश्यक सुधारों के साथ  “अतुल्य भारत” अभियान, आयुर्वेद और हिमालयी ट्रेकिंग जैसे विशिष्ट विषयों पर जोर दे सकता है।
  • पर्यटक सुरक्षा को मजबूत करना: मजबूत कानून प्रवर्तन, आपातकालीन सेवाएं और डिजिटल सुरक्षा प्लेटफॉर्म सुनिश्चित करना। 
    • उदाहरण के लिए: गोवा और राजस्थान जैसे हॉटस्पॉट में टूरिस्ट पुलिस की तैनाती से आगंतुकों का आत्मविश्वास बढ़ता है।
  • आतिथ्य में कौशल विकास: स्थानीय लोगों को प्रशिक्षण देने से सेवा की गुणवत्ता बढ़ती है और यह वैश्विक मानकों के अनुरूप बनती है, जिससे प्रतिस्पर्धा और ग्राहक संतुष्टि बढ़ती है। 
    • उदाहरण के लिए: ‘हुनर से रोजगार तक’ जैसे कार्यक्रम आगंतुकों के अनुभव को बेहतर बनाते हुए रोज़गार के अवसर बढ़ाते हैं।

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भारत की पर्यटन क्षमता को साकार करने के लिए बुनियादी ढाँचे की कमियों को दूर करना, सुरक्षा को बढ़ाना और संधारणीय प्रथाओं को अपनाना आवश्यक है। स्पेन की स्मार्ट टूरिज्म पहल जैसे मॉडलों से प्रेरित होकर, भारत को वर्ष 2047 तक 100 मिलियन वार्षिक पर्यटकों के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपनी अद्भुत धरोहर और प्राकृतिक संपत्तियों का लाभ उठाना चाहिए , जिससे एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में इसकी वैश्विक स्थिति मजबूत होगी।

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