प्रश्न की मुख्य माँग
- वनाग्नि पर राष्ट्रीय कार्य योजना और वनाग्नि रोकथाम एवं प्रबंधन योजना (FFPMS) जैसी मौजूदा नीतियों के बावजूद भारत में वनाग्नि की बढ़ती घटनाओं पर प्रकाश डालिये।
- इन नीतियों की प्रभावशीलता का विश्लेषण कीजिए।
- इन नीतियों की कमियों का विश्लेषण कीजिए।
- भारत में वनाग्नि प्रबंधन को उन्नत करने के उपाय सुझाइये।
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उत्तर
वनाग्नि, प्राकृतिक या मानवजनित कारकों के कारण वन क्षेत्रों में आग का अनियंत्रित रूप से और तेजी से फैलना है, जिससे जैव विविधता ह्वास, मृदा निम्नीकरण और वायु प्रदूषण होता है। ISFR 2021 के अनुसार, देश का 36% से अधिक वन क्षेत्र, वनाग्नि के प्रति प्रवण है।
भारत में वनाग्नि की बढ़ती घटनाओं के पीछे के कारक
प्राकृतिक कारक
- बढ़ता तापमान और लंबे समय तक सूखा: जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ती गर्मी और लंबे समय तक सूखे के मौसम ने आग लगने और फैलने के लिए आदर्श परिस्थितियाँ उत्पन्न कर दी हैं।
- उदाहरण के लिए: भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने बताया कि वर्ष 2023, वर्ष 1901 के बाद से दूसरा सबसे गर्म वर्ष था, जिससे मध्य और उत्तरी भारत में आग लगने का खतरा बढ़ गया।
- तेज़ हवाएँ और कम आर्द्रता: शुष्क और हवादार परिस्थितियाँ वनाग्नि को तेज़ी से फैलाती हैं, जिससे आग पर काबू पाना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
- उदाहरण के लिए: हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में तेज़ मानसून हवाओं ने वर्ष 2023 में आग को तेज़ी से फैलाया, जिससे व्यापक क्षति हुई।
- कुछ वनस्पतियों की उच्च ज्वलनशीलता: सूखी पाइन नीडल और सूखी पत्तियां प्राकृतिक ईंधन के रूप में काम करती हैं, जिससे वनाग्नि की संभावना अधिक होती है।
- उदाहरण के लिए: उत्तराखंड में, राल युक्त नीडल वाले विशाल चीड़ के वनाग्नि लगने की आवृत्ति और तीव्रता दोनों अधिक होती है।
मानवजनित कारक
- जानबूझकर भूमि साफ़ करना: किसान, खेती के लिए भूमि साफ़ करने के लिए वनों में आग लगाते हैं और स्लेश-एंड-बर्न कृषि करते हैं जिससे अक्सर अनियंत्रित जंगल की आग लग जाती है।
- उदाहरण के लिए: ओडिशा और छत्तीसगढ़ में वर्ष 2023 में बड़े पैमाने पर आग लगी जिसका मुख्य कारण परंपरागत झूम कृषि प्रथाएँ हैं।
- बिना देखरेख के कैम्प फायर: पर्यटक और स्थानीय ग्रामीण अक्सर कैम्प फायर छोड़ देते हैं या मलबा जला देते हैं, जिससे दुर्घटनावश आग लग जाती है।
- उदाहरण के लिए: कर्नाटक के बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान में, वर्ष 2023 में हुई वनाग्नि की घटना का कारण आगंतुकों की लापरवाही थी।
- मानव-वन्यजीव संघर्ष: शिकारी जानवरों को फँसाने के लिए नियंत्रित आग लगाते हैं, जो कभी-कभी बड़े पैमाने की वनाग्नि का कारण बन जाती है।
- उदाहरण के लिए: मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में पेंच और ताड़ोबा जैसे राष्ट्रीय उद्यानों में अवैध शिकार गतिविधियों के कारण वनाग्नि लगने की खबरें आईं ।
मौजूदा नीतियों की प्रभावशीलता
- मजबूत संस्थागत ढाँचा: वनाग्नि पर राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPFF) और वन अग्नि रोकथाम व प्रबंधन योजना (FFPMS) ने अग्नि प्रबंधन रणनीतियों को संस्थागत रूप दे दिया है, जिससे केंद्र और राज्य स्तर पर समन्वित प्रयास सुनिश्चित हुए हैं।
- उदाहरण के लिए: FFPMS ने उत्तराखंड में विशेष अग्नि प्रतिक्रिया दल स्थापित करने में मदद की, जिससे प्रतिक्रिया समय और अग्नि नियंत्रण प्रयासों में सुधार हुआ।
- उपग्रह-आधारित निगरानी का उपयोग: भारत, रियलटाइम में आग लगने की घटना का पता लगाने और निगरानी करने के लिए ISRO की रिमोट सेंसिंग तकनीक और वनाग्नि चेतावनी प्रणाली का लाभ उठाता है।
- उदाहरण के लिए: FSI द्वारा विकसित वन अग्नि मोबाइल ऐप, जियो-टैग्ड फायर अलर्ट प्रदान करता है, जो वनाग्नि की प्रारंभिक पहचान में सहायता करता है और MODIS (मॉडरेट रेजोल्यूशन इमेजिंग स्पेक्ट्रो-रेडियोमीटर) में मदद करता है ताकि राज्य वन विभागों को वनाग्नि से सचेत किया जा सके।
- सामुदायिक सहभागिता प्रयास: कुछ राज्य, जागरूकता अभियान और नियंत्रित दहन तकनीकों के माध्यम से वनाग्नि की रोकथाम में स्थानीय स्वयं सहायता समूहों (SHG) और ग्रामीणों को शामिल करते हैं।
- उदाहरण के लिए: हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में, महिला SHG देवदार नीडल को इकट्ठा करती हैं, जिससे वे जंगल में जमा नहीं हो पाती है जो आग को बढ़ावा दे सकता है।
- निगरानी में प्रौद्योगिकी एकीकरण: ओडिशा और तमिलनाडु में आग का जल्द पता लगाने और आग के फैलाव को ट्रैक करने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया गया है।
- उदाहरण के लिए: ओडिशा की वनाग्नि जोखिम क्षेत्र मानचित्रण पहल आग की आशंका वाले क्षेत्रों को प्राथमिकता देने के लिए रिमोट सेंसिंग का उपयोग करती है जिससे निवारक उपायों में सहायता मिलती है।
- एजेंसियों के बीच नीति समन्वय: FSI, IMD और ISRO डेटा के एकीकरण ने आग का पूर्वानुमान करने की क्षमताओं को बढ़ाया है, लेकिन स्थानीय शासन स्तर पर इसका कम उपयोग किया गया है।
- उदाहरण के लिए: ISRO का फायर इनफॉरमेशन फॉर रिसोर्स मैनेजमेंट सिस्टम (FIRMS), उपग्रह आधारित अलर्ट प्रदान करता है, परंतु जिला वन अधिकारियों के पास अक्सर रियलटाइम पहुंच का अभाव होता है।
मौजूदा नीतियों की कमियाँ
- बजट की कमी और अस्थिर आवंटन: FFPMS फंड अपर्याप्त और असंगत हैं, जिससे आग की रोकथाम और त्वरित प्रतिक्रिया क्षमताओं में दीर्घकालिक निवेश सीमित हो जाता है।
- उदाहरण के लिए: 2023-24 का बजट शुरू में ₹51 करोड़ अनुमानित था, लेकिन इसे संशोधित कर ₹40 करोड़ कर दिया गया, जिससे नियोजित बुनियादी ढाँचे के उन्नयन में देरी हुई।
- अग्नि निवारण रणनीतियों का कमजोर क्रियान्वयन: नीतियों के बावजूद, कई वन क्षेत्रों में फॉयर लाइन्स, बफर जोन और नियंत्रित दहन प्रभावी ढंग से बनाए नहीं रखे जाते हैं।
- उदाहरण के लिए: कर्नाटक के बांदीपुर टाइगर रिजर्व में, उचित अग्निरोधक उपायों की कमी के कारण 2019 में 10,000 एकड़ से अधिक क्षेत्र जल गया, जिससे आवास नष्ट हो गए।
- प्रशिक्षित अग्निशमन कर्मियों की कमी: अधिकांश वन विभागों में समर्पित अग्निशमन दस्तों की कमी है, वे सामान्य वन कर्मचारियों पर निर्भर हैं, जिनके पास न्यूनतम अग्नि सुरक्षा प्रशिक्षण है।
- उदाहरण के लिए: ओडिशा के सिमिलिपाल राष्ट्रीय उद्यान में स्थानीय वन रक्षकों को विशेष अग्निशमन उपकरणों और कर्मियों की अनुपस्थिति के कारण आग पर काबू पाने में संघर्ष करना पड़ा।
- सीमित सामुदायिक भागीदारी: आग का शीघ्र पता लगाने और रोकथाम में उनकी भूमिका के बावजूद सामुदायिक भागीदारी सीमित बनी हुई है। उनकी भागीदारी के लिए जागरूकता और प्रोत्साहन, दोनों ही अपर्याप्त हैं।
- उदाहरण के लिए: नेपाल के सामुदायिक वन उपयोगकर्ता समूहों (CFUGs) ने वनाग्नि की घटनाओं को कम किया है, परंतु भारत में ऐसे संरचित समुदाय-संचालित तंत्र का अभाव है।
- प्रौद्योगिकी और डेटा अंगीकरण में अंतराल: पूर्वानुमानित फॉयर मॉडल होने के बावजूद राज्य-स्तरीय एकीकरण और जमीनी स्तर पर कार्यान्वयन कमजोर है, जिससे धीमी प्रतिक्रिया होती है।
- उदाहरण के लिए: मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में, उपग्रह निगरानी प्रणालियों के बावजूद, जमीनी कर्मियों को बहुत देर से अलर्ट मिलते हैं, जिससे हस्तक्षेप प्रभावशीलता कम हो जाती है।
वनाग्नि प्रबंधन को उन्नत करने के उपाय
- बजट आवंटन में वृद्धि: FFPMS को निरंतर,दीर्घकालिक वित्तपोषण सुनिश्चित करना चाहिए जिससे राज्यों को अग्निशमन बुनियादी ढाँचे, कर्मियों के प्रशिक्षण और प्रौद्योगिकी में निवेश करने की सुविधा मिले।
- उदाहरण के लिए: अमेरिकी वन सेवा एक समर्पित वन्य अग्नि निधि आवंटित करती है, जिससे आग बुझाने और रोकथाम रणनीतियों के लिए स्थिर वित्तीय संसाधन सुनिश्चित होते हैं।
- उन्नत पूर्वानुमान तकनीक अपनाएँ: सटीक, रियल-टाइम फॉयर अलर्ट AI-संचालित जोखिम मानचित्रण, उपग्रह-आधारित निगरानी और ड्रोन निगरानी को एकीकृत करना चाहिए।
- उदाहरण के लिए: ऑस्ट्रेलिया का बुशफायर पूर्वानुमान मॉडल, आग के फैलाव का पूर्वानुमान लगाने तथा अग्निशमन प्रयासों को सक्रिय रूप से निर्देशित करने के लिए AI और मौसम संबंधी आंकड़ों का उपयोग करता है।
- समुदाय-आधारित अग्नि निवारण कार्यक्रमों को मजबूत करना: गांव में अग्नि प्रबंधन समूह स्थापित करने चाहिए और स्थानीय युवाओं को “फॉरेस्ट फॉयर स्काउट्स” के रूप में प्रशिक्षित करना चाहिए जिससे उन्हें जल्दी सूचना देने और आग बुझाने हेतु प्रोत्साहित किया जा सके।
- उदाहरण के लिए: इंडोनेशिया के अग्नि-मुक्त ग्राम कार्यक्रम (FFVP) ने सामुदायिक भागीदारी और अग्नि निवारण शिक्षा का उपयोग करके वनाग्नि की घटनाओं को सफलतापूर्वक कम किया है।
- अग्निशमन क्षमता में वृद्धि: प्रतिक्रिया दक्षता में सुधार के लिए आधुनिक उपकरणों, ड्रोन और थर्मल कैमरों से सुसज्जित विशेष वन अग्निशामक ब्रिगेड विकसित करने चाहिए।
- उदाहरण के लिए: US हॉटशॉट क्रू, उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में तीव्र तैनाती के लिए प्रशिक्षित उत्कृष्ट वन अग्निशामक दल होते हैं, जो आग के प्रभाव को काफी कम करते हैं।
- बहु-एजेंसी समन्वय: केंद्रीकृत अग्नि प्रबंधन डैशबोर्ड का उपयोग करके FSI, IMD, ISRO और स्थानीय वन विभागों के बीच निर्बाध सहयोग सुनिश्चित करना चाहिए।
- उदाहरण के लिए: कनाडा में, राष्ट्रीय वन्यभूमि अग्नि सूचना प्रणाली मौसम विज्ञान, रिमोट सेंसिंग और ग्राउंड रिपोर्ट से डेटा को समेकित करती है, जिससे अग्नि प्रतिक्रिया में सुधार होता है।
सामुदायिक नेतृत्व वाली अग्नि प्रबंधन को मजबूत करना, वास्तविक समय उपग्रह निगरानी (FAST 3.0) को बढ़ाना और अंतर-एजेंसी समन्वय में सुधार करके आग की रोकथाम को बढ़ावा दिया जा सकता है। 2023 G20 की अध्यक्षता करते हुए भारत ने जलवायु-प्रत्यास्थ वन प्रशासन पर बल दिया। नेट–जीरो और जैव विविधता संरक्षण लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए उच्च बजटीय आवंटन और अग्नि शमन रणनीतियों के सख्त प्रवर्तन की आवश्यकता है।
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