प्रश्न की मुख्य माँग
- वर्तमान व्यवस्था के अंतर्गत GST के अनुपालन संबंधी प्रमुख चुनौतियों का उल्लेख कीजिए।
- भारत में GST को सरल एवं कारगर बनाने के उपाय सुझाइए।
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उत्तर
भारत में GST को वर्ष 2017 में एक एकीकृत और सरलीकृत अप्रत्यक्ष कर प्रणाली बनाने के संकल्प के साथ लागू किया गया था। हालाँकि, संघीय समझौतों और जटिल अनुपालन संरचनाओं के कारण, यह विशेष रूप से बहु-राज्यीय व्यवसायों के लिए, अधिक जटिल होता जा रहा है।
वर्तमान GST व्यवस्था के तहत अनुपालन संबंधी चुनौतियाँ
- विखंडित पंजीकरण आवश्यकताएँ: व्यवसायों को अपने प्रत्येक राज्य/संघ राज्य क्षेत्र में अलग-अलग GSTIN प्राप्त करना होगा, जिससे प्रशासन जटिल हो जाता है।
- बोझिल रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया: मासिक और वार्षिक GST रिटर्न में व्यापक तकनीकी समस्याएँ शामिल होती हैं।
- IGST निपटान और राजस्व आवंटन में जटिलता: राज्यों के बीच IGST वितरण में विसंगतियाँ, वित्तीय और समन्वय संबंधी समस्याएँ पैदा करती हैं।
- उदाहरण: अप्रैल-जुलाई 2024 के बीच, कुछ राज्यों को ₹10,659 करोड़ का अधिक आवंटन किया गया, जिसके कारण IGST तंत्र को सुधारने के लिए एक केंद्रीय-राज्य समिति का गठन किया गया।
- डिजिटल डिवाइड और ई-इनवॉइसिंग चुनौतियाँ: 5 करोड़ रुपये से अधिक के B2B लेन-देन के लिए अनिवार्य ई-इनवॉइसिंग सीमित डिजिटल बुनियादी ढाँचे वाली छोटी फर्मों के लिए बाधाएँ उत्पन्न करती है।
- उदाहरण: ई-इनवॉयसिंग को सार्वभौमिक बनाने की दिशा में कदम उठाया जा रहा है, जिसका उद्देश्य ई-वे बिलों का स्थान लेना है, लेकिन इससे कम डिजिटल परिपक्वता वाले व्यवसायों को चुनौती मिल सकती है।
- एकसमान एकल कर पहचानकर्ता का अभाव: एकीकृत GSTIN के अभाव से प्रयासों का दोहराव और प्रशासनिक भार बढ़ता है।
- उदाहरण: वर्तमान प्रणाली में पैन-एकीकृत एकल GSTIN का अभाव है, जबकि UAE में एक ही वैट संख्या सभी अमीरातों को कवर करती है।
- VAT युग से प्रक्रियागत जटिलता बरकरार: यद्यपि कानून एक समान हैं, फिर भी बहु-राज्य फाइलिंग और विकेंद्रीकृत अनुपालन जैसे प्रक्रियागत बोझ अभी भी बने हुए हैं।
GST को सरल और कारगर बनाने के उपाय
- एकीकृत कर पहचान के लिए PAN 2.0 की शुरुआत: अखिल भारतीय परिचालनों के लिए एकल पैन-आधारित GSTIN से अतिरेक कम हो सकता है।
- उदाहरण: PAN 2.0 करदाता पहचान को आधुनिक बनाएगा तथा ई-इनवॉयसिंग और आपूर्ति नियमों का उपयोग करके बैक-एंड पर कर आवंटित कर सकेगा।
- प्रौद्योगिकी के माध्यम से बैकएंड राजस्व आवंटन: केंद्र और राज्यों के बीच करों का स्वतः आवंटन करने के लिए रियलटाइम ई-इनवॉइसिंग डेटा का लाभ उठाना चाहिए।
- राज्यवार रिटर्न आवश्यकताओं को समाप्त करना: कई राज्यों में संचालित व्यवसायों के लिए एक केंद्रीय फाइलिंग प्रणाली सक्षम करना चाहिए।
- उदाहरण: संयुक्त अरब अमीरात के वैट मॉडल की तरह, भारत भी क्षेत्राधिकार-विशिष्ट अनुपालन के बिना एकीकृत फाइलिंग प्रक्रिया की ओर बढ़ सकता है।
- ई-इनवॉयसिंग को सुव्यवस्थित करना और ई-वे बिलों को हटाना: अनुपालन को स्वचालित करने और अनावश्यक दस्तावेजीकरण को समाप्त करने के लिए ई-इनवॉयसिंग को सार्वभौमिक बनाना।
- एकीकृत अनुपालन पोर्टल की स्थापना: PAN, GSTIN और कर रिटर्न सेवाओं को एक ही डिजिटल प्लेटफॉर्म पर एकीकृत करना चाहिए।
- उदाहरण: PAN 2.0 के अंतर्गत एकीकृत पोर्टल से कर सेवाओं में सिंगल-विंडो अनुपालन संभव होगा तथा दोहराव कम होगा।
- कर स्लैब और दरों का युक्तिकरण: विवादों, वर्गीकरण संबंधी भ्रम और मुकदमेबाजी को कम करने के लिए GST दरों को सरल बनाया जाना चाहिए।
- उदाहरण: वर्तमान में अनेक दरें वर्गीकरण संबंधी समस्याएँ उत्पन्न करती हैं, 2-3 स्लैबों को युक्तिसंगत बनाने से स्पष्टता में सुधार हो सकता है तथा व्यापार करने में सुगमता हो सकती है।
निष्कर्ष
GST ने भारत की अप्रत्यक्ष कर प्रणाली को एकीकृत तो कर दिया है, लेकिन इसकी जटिलता व्यवसायों के लिए चुनौती बनी हुई है। प्रौद्योगिकी, सुव्यवस्थित प्रक्रियाओं और वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के माध्यम से अनुपालन को सरल बनाकर प्रशासनिक बोझ कम किया जा सकता है। एक अधिक कुशल GST व्यवस्था व्यवसाय करने में सुगमता और आर्थिक विकास को बढ़ावा देगी।
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