Q. भारत में आधुनिक पूँजीवाद की चुनौतियों का समाधान करने में टाटा के नेतृत्व मॉडल की प्रासंगिकता का विश्लेषण कीजिये। पारंपरिक भारतीय शासन सिद्धांतों को समकालीन व्यावसायिक प्रथाओं के साथ कैसे एकीकृत किया जा सकता है ताकि अधिक टिकाऊ और सामाजिक रूप से जिम्मेदार उद्यम बनाए जा सकें। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • भारत में आधुनिक पूँजीवाद की चुनौतियों का समाधान करने में टाटा नेतृत्व मॉडल की प्रासंगिकता का विश्लेषण कीजिए।
  • चर्चा कीजिए कि पारंपरिक भारतीय शासन सिद्धांतों को समकालीन व्यावसायिक प्रथाओं के साथ कैसे एकीकृत किया जा सकता है ताकि अधिक संधारणीय और सामाजिक रूप से जिम्मेदार उद्यम बनाए जा सकें।

उत्तर

नेतृत्वशैली का टाटा मॉडल, नैतिकता, परोपकार और राष्ट्र निर्माण पर बल देने के लिए प्रसिद्ध है, जो भारत में कॉर्पोरेट प्रशासन के लिए एक उच्च मानक स्थापित करता है। विश्वास और अखंडता के मूल्यों में निहित, टाटा समूह की वैश्विक स्तर पर 100 से अधिक कंपनियाँ हैं, जो भारत के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 4% का योगदान देती हैं। यह मॉडल आधुनिक पूँजीवाद की चुनौतियों का समाधान करते हुये कॉर्पोरेट सफलता और सामाजिक जिम्मेदारी का एक अनूठा मिश्रण प्रदर्शित करता है।

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भारत में आधुनिक पूँजीवाद से निपटने में टाटा नेतृत्व मॉडल की प्रासंगिकता

  • नैतिक कॉर्पोरेट प्रशासन: टाटा मॉडल नैतिक नेतृत्व को बढ़ावा देता है, जहाँ निर्णय लेने में अल्पकालिक लाभ की तुलना में दीर्घकालिक मूल्य को प्राथमिकता दी जाती है, जिससे संधारणीय व्यावसायिक प्रथायें सुनिश्चित होती हैं। 
    • उदाहरण के लिए: रतन टाटा के नेतृत्व में, टाटा समूह ने भूमि अधिग्रहण के संबंध में नैतिक चिंताओं का सामना करने पर पश्चिम बंगाल में सिंगूर कार संयंत्र परियोजना से पीछे हटने का निर्णय लिया था।
  • लाभ और उद्देश्य में संतुलन: टाटा कंपनियाँ लाभ और सामाजिक उद्देश्यों में संतुलन बनाने के लिए जानी जाती हैं, जिससे शेयरधारक मूल्य को अधिकतम करने के लिए पूँजीवादी दबावों के बीच भी टाटा समूह लचीला बना रहता है। 
    • उदाहरण के लिए: टाटा स्टील एक शीर्ष वैश्विक इस्पात उत्पादक के रूप में अपनी स्थिति बनाए रखते हुए संधारणीय पहलों पर ध्यान केंद्रित करती है।
  • कर्मचारी कल्याण: टाटा समूह की नेतृत्वशैली के अंतर्गत कर्मचारी कल्याण को प्राथमिकता दी जाती है जिसके अंतर्गत स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और सेवानिवृत्ति योजनाओं जैसे लाभ प्रदान किये जाते हैं और आधुनिक पूँजीवाद में कर्मचारियों के शोषण से संबंधित चिंताओं का भी समाधान करने का प्रयास किया जाता है। 
    • उदाहरण के लिए: टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) अपने विशाल कार्यबल के लिए व्यापक कर्मचारी कल्याण कार्यक्रमों का आयोजन करती है और उन्हें कौशल विकास के अवसर प्रदान करती है।
  • कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR): टाटा समूह का नेतृत्व कॉर्पोरेट परोपकार पर जोर देता है, जो शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास में योगदान देती है। यह पूँजीवाद की केवल लाभ-आधारित मानसिकता के एकदम विपरीत है। 
    • उदाहरण के लिए: टाटा ट्रस्ट्स पूरे भारत में स्वास्थ्य एवं शिक्षा संबंधी पहलों में पर्याप्त निवेश करता है, जिससे लाखों लोगों के जीवन पर प्रभाव पड़ता है।
  • राष्ट्रीय परिसंपत्तियों का निर्माण: टाटा समूह का नेतृत्व वैश्विक बाजारों पर पूरी तरह ध्यान केंद्रित करने के बजाय आर्थिक आत्मनिर्भरता में योगदान देते हुये भारत के विकास के लिए महत्वपूर्ण उद्योगों को विकसित करके राष्ट्र निर्माण को बढ़ावा देता है। 
    • उदाहरण के लिए: टाटा मोटर्स ने टाटा नैनो के लॉन्च के साथ भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग में अग्रणी भूमिका निभाई, जिसका उद्देश्य भारतीय परिवारों को किफायती परिवहन सुविधा प्रदान करना था।

पारंपरिक भारतीय शासन सिद्धांत संधारणीय और सामाजिक रूप से जिम्मेदार उद्यम का निर्माण कर सकते हैं

संधारणीय उद्यम

  • धर्म (नैतिक कर्तव्य): व्यवसाय में धर्म को शामिल करने से कंपनियों को समाज और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी की भावना के साथ काम करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, जिससे दीर्घकालिक संधारणीयता सुनिश्चित होती है। 
    • उदाहरण के लिए: इंफोसिस ने हितधारकों के साथ व्यवहार में पारदर्शिता और निष्पक्षता पर ध्यान केंद्रित करते हुए नैतिक शासन लागू किया है।
  • अहिंसा: व्यवसाय संधारणीय संसाधनों के उपयोग और पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम करके, मूल्य श्रृंखला में नैतिक संचालन सुनिश्चित करते हुए अहिंसा के सिद्धांत को अपना सकते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: ITC के संधारणीय कृषि कार्यक्रम पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम करते हैं और किसानों के लिए बेहतर आजीविका प्रदान करते हैं।
  • स्वदेशी (आत्मनिर्भरता): स्थानीय संसाधनों पर ध्यान केंद्रित करके और विदेशी आयात पर निर्भरता कम करके, व्यवसाय एक आत्मनिर्भर पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण कर सकते हैं जो स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं का समर्थन करे और कार्बन फुटप्रिंट्स को कम करे। 
    • उदाहरण के लिए: टाटा स्टील ने घरेलू कच्चे माल का अत्यधिक उपयोग किया, जिससे भारत इस्पात उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने की राह पर अग्रसर हुआ है।
  • सत्याग्रह (सत्य एवं सत्यनिष्ठा): व्यापारिक लेन-देन में सत्यनिष्ठा को अपनाने से हितधारकों के साथ दीर्घकालिक विश्वास का निर्माण होता है और पारदर्शिता को बढ़ावा देते हुए कंपनियों को अपनी सकारात्मक छवि बनाए रखने में मदद मिलती है। 
    • उदाहरण के लिए: नैतिक प्रथाओं और पारदर्शी शासन के प्रति विप्रो (Wipro) की प्रतिबद्धता, आधुनिक व्यवसाय में सत्याग्रह का एक शानदार प्रतीक है।
  • प्रकृति (मार्गदर्शक के रूप में प्रकृति): व्यावसायिक चुनौतियों के लिए प्रकृति-आधारित समाधानों को अपनाने से पर्यावरणीय रूप से संधारणीय नवाचारों को बढ़ावा मिल सकता है और कॉर्पोरेट लक्ष्यों को पारिस्थितिक संतुलन के साथ संरेखित किया जा सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: हरित ऊर्जा परियोजनाओं में रिलायंस इंडस्ट्रीज का निवेश प्राकृतिक संसाधनों के जिम्मेदारीपूर्वक दोहन पर बल देता है।

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सामाजिक रूप से जिम्मेदार उद्यम

  • वसुधैव कुटुम्बकम (संपूर्ण विश्व, एक परिवार है): विश्व को एक परिवार मानकर, व्यवसाय समावेशी विकास को बढ़ावा दे सकते हैं जिससे हाशिए पर स्थित समुदायों सहित सभी हितधारकों को लाभ हो। 
    • उदाहरण के लिए: महिंद्रा समूह की संधारणीयता संबंधी पहल सामुदायिक सशक्तिकरण और पर्यावरणीय जिम्मेदारी पर ध्यान केंद्रित करके इस लोकाचार को प्रतिबिंबित करती है।
  • सेवा (समाज की सेवा): निस्वार्थ सेवा के सिद्धांत को एकीकृत करने से कंपनियों को केवल लाभ पर ध्यान देने के बजाय समुदायों की भलाई को प्राथमिकता देने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है , जिससे सामाजिक जिम्मेदारी सुनिश्चित होती है। 
    • उदाहरण के लिए: टाटा ट्रस्ट शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और ग्रामीण विकास परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित करके, इसका उदाहरण प्रस्तुत करता है।
  • कर्म योग (निस्वार्थ कार्य): कर्म योग का अभ्यास करने वाले व्यवसाय केवल लाभ पर नहीं, बल्कि दीर्घकालिक सामाजिक लाभ पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जिससे वित्तीय सफलता और सामाजिक प्रभाव के बीच संतुलन को बढ़ावा मिलता है। 
    • उदाहरण के लिए: टाटा समूह का लाभ को परोपकार में पुनर्निवेशित करने का दर्शन इस परंपरा को प्रतिबिंबित करता है, तथा राष्ट्रीय विकास में सहयोग करता है।
  • लोकसंग्रह (सर्वकल्याण): यह सिद्धांत व्यवसायों को समान अवसरों को बढ़ावा देने और कम प्रतिनिधित्व वाले समूहों की सहायता करके सामान्य कल्याण के लिए कार्य करने हेतु प्रोत्साहित करता है। 
    • उदाहरण के लिए: शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच में सुधार लाने में इंफोसिस (Infosys) फाउंडेशन का कार्य लोकसंग्रह को दर्शाता है, जो समान विकास सुनिश्चित करता है।
  • सर्वोदय (सभी का उत्थान): सर्वोदय का विचार कंपनियों को इस बात के लिए प्रेरित करता है कि वे समावेशी रोजगार और सामुदायिक कार्यक्रमों की सहायता से प्रत्येक व्यक्ति, विशेष रूप से सुभेद्य लोगों के उत्थान की दिशा में कार्य करें। 
    • उदाहरण के लिए: HUL का प्रोजेक्ट शक्ति सर्वोदय के सिद्धांत के अनुरूप उद्यमिता को बढ़ावा देकर ग्रामीण भारत में महिलाओं को सशक्त बनाता है।

धर्म, अहिंसा और वसुधैव कुटुम्बकम जैसे पारंपरिक भारतीय शासन सिद्धांतों को आधुनिक व्यावसायिक प्रथाओं के साथ एकीकृत करके, कंपनियाँ, संधारणीय और सामाजिक रूप से जिम्मेदार उद्यमों के रूप में विकसित हो सकती हैं । यह समग्र दृष्टिकोण न केवल कॉर्पोरेट नैतिकता को मजबूत करता है, बल्कि दीर्घकालिक विकास और कल्याण को भी बढ़ावा देता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि भारतीय व्यवसाय भविष्य के लिए एक संतुलित और समावेशी अर्थव्यवस्था बनाने में अग्रणी हों।

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