Q. भारत के चुनाव आयोग (ECI) को मतदाता पंजीकरण में कथित विसंगतियों, जिसमें कई EPIC नंबर और पंजीकृत मतदाताओं में तेजी से वृद्धि शामिल है, को लेकर आलोचना का सामना करना पड़ा है। मतदाता सूचियों की अखंडता को बनाए रखने में चुनौतियों का विश्लेषण कीजिए और समावेशिता सुनिश्चित करते हुए मतदाता दोहराव को रोकने के लिए सुधार सुझाएँ। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • इस बात पर प्रकाश डालिये कि किस प्रकार भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI) को मतदाता पंजीकरण में कथित विसंगतियों, जिसमें कई EPIC नंबर और पंजीकृत मतदाताओं की संख्या में तेजी से वृद्धि शामिल है, के कारण आलोचना का सामना करना पड़ा है।
  • मतदाता सूचियों की अखंडता बनाए रखने में आने वाली चुनौतियों का विश्लेषण कीजिए।
  • समावेशिता सुनिश्चित करते हुए मतदाता दोहराव को रोकने के लिए सुधार का सुझाव दीजिए।

उत्तर

भारतीय चुनाव आयोग (ECI), अनुच्छेद 324 के तहत गठित एक संवैधानिक निकाय है, जो स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए जिम्मेदार है। हालांकि, मतदाता पंजीकरण विसंगतियों से संबंधित चिंताएं  सामने आई  हैं परंतु कई EPIC नंबरों और मतदाताओं की असामान्य वृद्धि की रिपोर्ट के साथ चुनावी सत्यनिष्ठा पर सवाल उठ रहे हैं ।

भारतीय चुनाव आयोग (ECI) की आलोचना

  • पंजीकृत मतदाताओं में वृद्धि: विपक्ष ने वर्ष 2024 के आम चुनावों के छह महीने के भीतर महाराष्ट्र में मतदाताओं की संख्या में 48 लाख की वृद्धि होने पर चिंता जताई और पंजीकरण प्रक्रिया की सटीकता पर सवाल उठाया।
  • एकाधिक EPIC नंबर का मुद्दा: ECI ने स्वीकार किया कि विभिन्न मतदाताओं को एक ही मतदाता फोटो पहचान पत्र (EPIC) नंबर दिया गया था, जिससे मतदाता पहचान की विशिष्टता के संबंध में संदेह उत्पन्न हो गया।
  • कई राज्यों में मतदान की संभावना: यदि चुनाव निकट-निकट होते हैं, तो डुप्लिकेट प्रविष्टियों को हटाने में देरी के कारण प्रवासी मतदाता संभावित रूप से अपने निवास और गृह राज्य दोनों में मतदान कर सकते हैं।
  • पारदर्शी स्पष्टीकरण का अभाव: चुनाव आयोग मतदाता सूची में विसंगतियों के लिए स्पष्ट स्पष्टीकरण नहीं दे सका, जिससे विपक्षी दलों को चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता को चुनौती देने का मौका मिल गया। 
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2022 के उत्तर प्रदेश चुनावों के दौरान, विपक्षी नेताओं ने नामों में विसंगतियों और पंजीकृत मतदाताओं के गायब होने का हवाला देते हुए मतदाता सूची में छेड़छाड़ का आरोप लगाया।
  • आधार लिंकेज से संबंधित चिंताएँ: आधार लिंक करने से डुप्लिकेट पंजीकरण को खत्म करने में मदद मिल सकती है, लेकिन इससे प्रमाणीकरण विफलताओं के कारण डेटा के दुरुपयोग, प्रोफाइलिंग और वंचन का जोखिम बढ़ जाता है। 
    • उदाहरण के लिए: तेलंगाना (2018) में, आधार-आधारित दोहराव के कारण लाखों मतदाताओं के हटाए जाने से बड़े पैमाने पर शिकायतें हुईं, क्योंकि कई पात्र मतदाताओं को गलत तरीके से हटा दिया गया था।

मतदाता सूची की अखंडता बनाए रखने में चुनौतियाँ

  • डुप्लिकेट और फर्जी मतदाता प्रविष्टियाँ: राज्यों में चुनावी डेटाबेस के रियलटाइम समन्वय की कमी से धोखाधड़ीपूर्ण पंजीकरण संभव हो जाता है, जिससे एक ही व्यक्ति का नाम कई बार सूचीबद्ध हो जाता है।
  • माइग्रेशन और पता अपडेट: कई मतदाता माइग्रेट करते समय अपने मतदाता पंजीकरण को अपडेट करने में विफल रहते हैं, जिससे पुरानी प्रविष्टियाँ हो जाती हैं और कई स्थानों पर संभावित रूप से दोहरा मतदान होता है। 
    • उदाहरण के लिए: मुंबई और बिहार (2019) में, एक अध्ययन में पाया गया कि हजारों प्रवासी श्रमिकों ने दोनों स्थानों पर मतदाता पहचान पत्र बनाए रखे, जिससे वास्तविक मतदाताओं को ट्रैक करना मुश्किल हो गया।
  • मतदाता सूची में मैनुअल त्रुटियाँ: मैन्युअल डेटा प्रविष्टि और सत्यापन पर निर्भरता के परिणामस्वरूप लिपिकीय त्रुटियाँ होती हैं, जैसे गलत नाम, आयु या मतदाता विवरण का गायब होना।
  • प्रौद्योगिकी प्रेरित बहिष्करण: आधार-आधारित बायोमेट्रिक सत्यापन फिंगरप्रिंट बेमेल, खराब इंटरनेट कनेक्टिविटी और प्रमाणीकरण त्रुटियों के कारण विफल हो सकता है, जिससे मताधिकार से वंचित होना पड़ सकता है।
  • स्वतंत्र ऑडिट का अभाव: मतदाता सूचियों की आवधिक तृतीय-पक्ष ऑडिट की अनुपस्थिति मतदाता सूचियों में व्यवस्थित त्रुटियों या जानबूझकर हेरफेर का पता लगाना कठिन बनाती है। 
    • उदाहरण के लिए: मध्य प्रदेश (2018) में एक स्वतंत्र समीक्षा में लगभग 60 लाख संदिग्ध मतदाता प्रविष्टियाँ पाई गईं  जिससे मतदाता सूची प्रबंधन की सवेंदंशीलता उजागर हुईं।

समावेशिता सुनिश्चित करते हुए मतदाता दोहराव को रोकने के लिए सुधार

  • विशिष्ट मतदाता पहचान प्रणाली: राज्यों में कई पंजीकरणों का पता लगाने और उन्हें हटाने के लिए AI-आधारित डी-डुप्लीकेशन के साथ एक केंद्रीकृत मतदाता डेटाबेस लागू करना चाहिए और इसके साथ ही यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वास्तविक मतदाता बाहर न रहें।
    • उदाहरण के लिए: एस्टोनिया की इलेक्ट्रॉनिक मतदाता रजिस्ट्री स्वचालित रूप से देश भर में मतदाता विवरणों को अपडेट और क्रॉस-चेक करती है, जिससे दोहराव कम होता है और सटीकता सुनिश्चित होती है।
  • अनिवार्य मतदाता सूची ऑडिट: चुनाव से पहले मतदाता सूचियों का स्वतंत्र, थर्ड पार्टी ऑडिट आयोजित करना चाहिए, पारदर्शिता सुनिश्चित करनी चाहिए और समयबद्ध तरीके से विसंगतियों को दूर करने पर‌ ध्यान  केंद्रित करना चाहिए।
    • उदाहरण के लिए: यूनाइटेड किंगडम में  चुनाव आयोग नियमित रूप से मतदाता सूची ऑडिट करते हैं, जिससे फर्जी पंजीकरण को रोका जा सके और सिस्टम में विश्वास बढ़ाया जा सके।
  • प्रवासियों के लिए सुव्यवस्थित मतदाता पंजीकरण: प्रवासियों के लिए निवास बदलने पर उनके मतदाता पंजीकरण को अपडेट करने के लिए एक सरलीकृत प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए जिससे कई नामांकनों का जोखिम कम हो। 
    • उदाहरण के लिए: कनाडा का नेशनल रजिस्टर ऑफ इलेक्टर्स रियलटाइम पता अपडेट करने की सुविधा प्रदान करता  है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि प्रवासी मतदाता केवल अपने वर्तमान निर्वाचन क्षेत्र में सूचीबद्ध हों।
  • सुरक्षा उपायों के साथ सुरक्षित बायोमेट्रिक सत्यापन: मैन्युअल सत्यापन बैकअप के साथ फिंगरप्रिंट और फेशियल रिकॉग्निशन तकनीक का उपयोग करना चाहिए जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि प्रमाणीकरण विफलताओं के कारण कोई भी पात्र मतदाता वंचित न रह जाए।
  • पारदर्शी डेटा शेयरिंग के लिए कानून: राजनीतिक दलों और स्वतंत्र निकायों के साथ गुमनाम मतदाता डेटा साझा करने हेतु एक कानूनी ढाँचा स्थापित करना चाहिए जिससे  विसंगतियों का पता लगाया जा सके। 
    • उदाहरण के लिए: जर्मनी में  राजनीतिक दल सख्त गोपनीयता कानूनों के तहत मतदाता सूचियों तक पहुँच सकते हैं, जिससे बाहरी सत्यापन संभव हो सके और चुनावी अखंडता को बढ़ाया जा सके।

लोकतंत्र विश्वास और पारदर्शिता पर पनपता है, और एक मजबूत मतदाता सूची इसकी रीढ़ है। सुरक्षित मतदाता सत्यापन के लिए ब्लॉकचेन का लाभ उठाना, AI-संचालित डी-डुप्लीकेशन को एकीकृत करना और घर-घर जाकर सत्यापन को बढ़ाना चुनावी अखंडता को मजबूत कर सकता है। ECI के डिजिटल बुनियादी ढाँचे  को मजबूत करने से समावेशी और धोखाधड़ी मुक्त चुनाव सुनिश्चित होंगे।

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