उत्तर:
दृष्टिकोण:
- परिचय: ई-कचरे को परिभाषित करते हुए तीव्र तकनीकी प्रगति के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण पर्यावरण और स्वास्थ्य चिंता के रूप में इसकी बढ़ती प्रासंगिकता पर प्रकाश डालिए।
- मुख्य विषयवस्तु:
- ई-कचरे द्वारा प्रस्तुत प्राथमिक चुनौतियों की रूपरेखा तैयार करके शुरुआत कीजिए।
- घरेलू स्तर पर जिम्मेदार निपटान के लिए आवश्यक उपायों की रूपरेखा तैयार कीजिए।
- अंतर्राष्ट्रीय समझौतों को मजबूत करने, ई-कचरा प्रबंधन के लिए मानकीकृत दिशानिर्देश बनाने, प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करने और कॉर्पोरेट उत्तरदायित्व पर बल देने पर ध्यान केंद्रित करते हुए चर्चा को वैश्विक स्तर पर विस्तारित कीजिए।
- निष्कर्ष: पर्यावरण संरक्षण और संसाधन पुनर्प्राप्ति के दोहरे लाभों पर जोर देते हुए निष्कर्ष निकालिए।
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परिचय:
इलेक्ट्रॉनिक कचरा, या ई-कचरा, बेकार पड़े इलेक्ट्रॉनिक या विद्युत उपकरणों को संदर्भित करता है। गौरतलब है कि यह एक गंभीर वैश्विक चिंता का विषय बन गया है। ग्लोबल ई-वेस्ट मॉनिटर-2020 के अनुसार वर्ष 2019 में ही दुनिया भर में 53.6 मिलियन मीट्रिक टन ई-कचरा उत्पन्न हुआ था। इस प्रकार चिंताजनक रूप से, ग्लोबल ट्रांसबाउंडरी ई-वेस्ट फ्लो मॉनिटर-2022 इंगित करता है कि कुल ई-कचरे का लगभग 10%, या 5.1 मीट्रिक टन कचरा, अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं को पार कर गया, जिसमें एक महत्वपूर्ण हिस्सा उचित नियंत्रण के बिना भेजा गया था। ये संख्याएँ इसके तीव्र विकास और संभावित पर्यावरणीय तथा स्वास्थ्य प्रभावों के मद्देनजर बेहतर ई-कचरा प्रबंधन की तत्काल आवश्यकता पर बल देती हैं।
मुख्य विषयवस्तु:
ई-कचरे की चुनौतियाँ:
- विषैले तत्व: ई-कचरे में सीसा, पारा और कैडमियम जैसे विषैले तत्व होते हैं जिनका यदि ठीक से निपटान न किया जाए, तो मिट्टी, जल और वायु प्रदूषित हो सकते हैं।
- अनौपचारिक प्रसंस्करण: भारत जैसे देशों में, ई-कचरे की एक बड़ी मात्रा को अनौपचारिक रूप से संसाधित किया जाता है, जिससे श्रमिकों को स्वास्थ्य जोखिमों का सामना करना पड़ता है और पर्यावरणीय क्षति होती है।
- सीमा पार संचलन: विकसित देश अक्सर ई-कचरा विकासशील देशों में भेजते हैं, कभी-कभी ‘सेकंड-हैंड सामान‘ की आड़ में, जिससे इसे संभालने के लिए अपर्याप्त रूप से सुसज्जित देशों में डंप किया जाता है।
ई-कचरे के लिए जिम्मेदार और पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित निपटान के लिए आवश्यक उपाय:
घरेलू स्तर:
- विधान और विनियमन: ई-कचरा निपटान को विनियमित करने वाले कड़े कानून बनाना।
- उदाहरण के लिए, भारत का ई-कचरा (प्रबंधन) नियम, 2016 उत्पादकों को ई-कचरे के संग्रह और विनिमय की जिम्मेदारी लेने का आदेश देता है।
- औपचारिक पुनर्चक्रण को बढ़ावा देना: धातुओं को पुनर्प्राप्त करने और खतरनाक प्रभावों को कम करने के लिए उचित तकनीक के साथ औपचारिक पुनर्चक्रण इकाईयों की स्थापना को प्रोत्साहित करें।
- जन जागरूकता अभियान: जनता को ई-कचरे के हानिकारक प्रभावों और उचित निपटान विधियों के महत्व के बारे में जागरूक करना।
- निर्माता की जिम्मेदारी: निर्माताओं को पुराने उत्पादों को वापस लेने के लिए बाध्य किया जाना चाहिए, यह सुनिश्चित करते हुए कि उनका पुनर्चक्रण या सुरक्षित रूप से निपटान किया जाए।
वैश्विक स्तर:
- अंतर्राष्ट्रीय समझौते: बेसल कन्वेंशन जैसे अंतर्राष्ट्रीय समझौतों को मजबूत करें, जो खतरनाक कचरे के सीमा पार संचलन को नियंत्रित करते हैं।
- मानकीकृत दिशानिर्देश: मानकीकृत ई-कचरा प्रबंधन दिशानिर्देश बनाएं, यह सुनिश्चित करते हुए कि सर्वोत्तम प्रथाओं को वैश्विक स्तर पर साझा और कार्यान्वित किया जाए।
- प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण: विकसित देशों को सुरक्षित ई-कचरा निपटान के लिए प्रौद्योगिकी प्राप्त करने में विकासशील देशों की सहायता करनी चाहिए।
- उदाहरण के लिए, यूएनईपी की ई-कचरा समस्या समाधान (एसटीईपी) पहल प्रौद्योगिकी और ज्ञान हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करके स्थायी ई-कचरा प्रबंधन को बढ़ावा देती है।
- कॉर्पोरेट जिम्मेदारी: वैश्विक तकनीकी कंपनियां ऐसे उत्पादों को डिजाइन करके महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं जो अधिक टिकाऊ, मरम्मत में आसान और रीसाइक्लिंग में आसान हों। वे वैश्विक टेक-बैक योजनाएं भी स्थापित कर सकते हैं।
- उदाहरण के लिए, Apple का रीसाइक्लिंग प्रोग्राम iPhones को अलग करने और मूल्यवान सामग्रियों को कुशलतापूर्वक पुनर्प्राप्त करने के लिए रोबोट का उपयोग करता है।
निष्कर्ष:
ई-कचरे की बढ़ती समस्या पर तत्काल ध्यान देने और सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता है। घरेलू पहल और वैश्विक सहयोग के संयोजन के माध्यम से, हम टिकाऊ और जिम्मेदार ई-कचरा प्रबंधन का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं। यह न केवल हमारे पर्यावरण की रक्षा करेगा, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगा कि इलेक्ट्रॉनिक्स में निहित संसाधनों को कुशलतापूर्वक पुनर्प्राप्त और पुन: उपयोग किया जाए।
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