Q. मानव विकास सूचकांक (HDI) समृद्धि की पर्यावरणीय लागतों की अनदेखी करता है, जिससे प्रगति का एक अस्थिर मॉडल बनता है। इस कथन का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए और वैकल्पिक उपाय सुझाएँ जो विकास को ग्रहीय सीमाओं के साथ संरेखित करते हैं। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • इस बात पर प्रकाश डालिए कि किस प्रकार मानव विकास सूचकांक (HDI), समृद्धि की पर्यावरणीय लागतों को नजर अंदाज करता है।
  • विश्लेषण कीजिए कि यह किस प्रकार प्रगति का एक गैर-संधारणीय मॉडल निर्मित करता है।
  • वैकल्पिक मापदण्ड सुझाइये जो विकास को ग्रहीय सीमाओं के साथ संरेखित कीजिए।

उत्तर

UNDP  द्वारा विकसित मानव विकास सूचकांक (HDI) स्वास्थ्य, शिक्षा और आय के माध्यम से प्रगति को मापता है परंतु पर्यावरणीय संधारणीयता की अनदेखी करता है। वर्ष 2023-2024 में, वायु प्रदूषण और भूजल की कमी जैसी गंभीर पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करते हुए भारत HDI में 134वें स्थान पर था जो आर्थिक विकास की पारिस्थितिक लागत को उजागर करता है।

मानव विकास सूचकांक, समृद्धि की पर्यावरणीय लागतों की अनदेखी करता है

  • संसाधनों का अत्यधिक उपभोग: मानव विकास सूचकांक (HDI) उच्च आय वाले देशों को उनके संसाधनों के असंगत उपभोग पर विचार किए बिना रैंक करता है, जिससे वैश्विक भंडार कम हो जाता है और पारिस्थितिक तनाव बढ़ता है।
    • उदाहरण के लिए: अमेरिका और यूरोपीय संघ 5+ Earths के बराबर संसाधनों का उपभोग करते हैं फिर भी वे पर्यावरणीय प्रभाव के लिए किसी पेनॉल्टी का सामना किये  बिना, HDI रैंकिंग में शीर्ष पर हैं।
  • कार्बन फुटप्रिंट उपेक्षा: HDI सूचकांक उच्च, प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन को ध्यान में रखने में विफल रहता है, जिससे अप्रत्यक्ष रूप से कार्बन-गहन विकास मॉडल को प्रोत्साहन मिलता है।
    • उदाहरण के लिए: नॉर्वे दुनिया के सबसे बड़े संसाधन उपभोक्ताओं में से एक है, लेकिन यह अपनी संपत्ति और सामाजिक संकेतकों के कारण मानव विकास सूचकांक में सबसे ऊंचे स्थान पर है।
  • पारिस्थितिकीय बाह्यताएँ: मानव विकास सूचकांक (HDI) समृद्ध देशों की औद्योगिक गतिविधियों और उपभोक्तावादी जीवन शैली के कारण होने वाले प्रदूषण, वनों की कटाई और जैव विविधता ह्वास को नजरअंदाज करता है।
  • असंगत वैश्विक प्रभाव: संपन्न राष्ट्र, संसाधन निष्कर्षण और प्रदूषण का कार्य विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को सौंपकर उच्च मानव विकास सूचकांक (HDI) प्राप्त करते हैं, जिससे वैश्विक पर्यावरणीय अन्याय उत्पन्न होता है।
    •  उदाहरण के लिए: इलेक्ट्रॉनिक कचरे का यूरोप से अफ्रीका में निर्यात किया जाता है, जहां अनुचित निपटान के कारण मृदा और जल संदूषित हो जाते हैं।
  • वृद्धि-केंद्रित विकास को प्रोत्साहित करता है: मानव विकास सूचकांक, संधारणीयता की तुलना में आय और औद्योगिकीकरण को प्राथमिकता देता है, जिसके परिणामस्वरूप उच्च रैंकिंग की चाह में असंवहनीय शहरी विस्तार, अत्यधिक मत्स्यन और मरूस्थलीकरण को बढ़ावा मिलता है।
    • उदाहरण के लिए: चीन की तीव्र मानव विकास सूचकांक वृद्धि गंभीर वायु और जल प्रदूषण के साथ-साथ हुई, जिससे पर्यावरणीय संकट उत्पन्न हुआ।

मानव विकास सूचकांक, प्रगति का एक असंवहनीय मॉडल बनाता है

  • ग्रहीय सीमाओं की अनदेखी: मानव विकास सूचकांक (HDI) असीमित आर्थिक विकास को मानता है तथा सीमित पारिस्थितिक संसाधनों और जलवायु परिवर्तन के पर्यावरणीय निर्णायक बिंदुओं की अनदेखी करता है।
  • उच्च ऊर्जा उपभोग जीवनशैली को बढ़ावा देता है: यह सूचकांक ऊर्जा-गहन औद्योगिकीकरण को‌ बढ़ावा देता है, जिससे जीवाश्म ईंधन पर वैश्विक निर्भरता बढ़ रही है।
  • असमान विकास मॉडल का निर्माण: विकासशील देश पश्चिमी शैली के आर्थिक विकास के लिए प्रयास करते हैं, जिससे सामाजिक समता प्राप्त किए बिना पर्यावरणीय निम्नीकरण बढ़ता है।
  • दीर्घकालिक संधारणीयता की तुलना में अल्पकालिक लाभ को प्रोत्साहित करता है: HDI, अंतर-पीढ़ीगत स्थिरता और पर्यावरणीय प्रत्यास्थता के बजाय तात्कालिक मानव विकास लाभ को मापता है।
    • उदाहरण के लिए: अमेजन में वनों की कटाई से ब्राज़ील की अल्पकालिक GDP को बढ़ावा मिलता है, लेकिन दीर्घकालिक जलवायु संधारणीयता और स्वदेशी आजीविका को खतरा भी उत्पन्न हुआ है।
  • संधारणीय बनाम गैरसंधारणीय विकास में अंतर करने में विफल: कम पर्यावरणीय प्रभाव लेकिन उच्च सामाजिक कल्याण वाले राष्ट्रों को प्रदूषणकारी, उच्च आय वाले देशों की तुलना में कम आंका जाता है।

वैकल्पिक सुझाव जो विकास को ग्रहीय सीमाओं के साथ संरेखित करते हों

  • ग्रहीय सीमा सूचकांक (PBI):  परंपरागत HDI कारकों के साथ-साथ संसाधन उपयोग, कार्बन उत्सर्जन, जैव विविधता ह्वास और प्रदूषण को मापता है। 
    • उदाहरण के लिए: PBI प्रति व्यक्ति पारिस्थितिक सीमा का उल्लंघन करने वाले देशों को दंडित कर सकता है, जिससे विकास और स्थिरता के बीच संतुलन सुनिश्चित हो सकेगा।
  • डोनट इकोनॉमिक्स फ्रेमवर्क: संधारणीय प्रगति के लिए सामाजिक नींव (स्वास्थ्य, शिक्षा) को ‘इकोलॉजिकल सीलिंग’ (कार्बन, जल, भूमि उपयोग) के साथ एकीकृत करता है।
    • उदाहरण के लिए: एम्स्टर्डम ने नागरिकों की भलाई सुनिश्चित करते हुए शहरी विस्तार को सीमित करने के लिए डोनट इकोनॉमिक्स को अपनाया।
  • सकल पारिस्थितिकी तंत्र उत्पाद (GEP): यह आर्थिक परिसंपत्तियों के रूप में वनों, नदियों और जैव विविधता को महत्व देकर मानव कल्याण में प्रकृति के योगदान को दर्शाता है
    • उदाहरण के लिए: चीन ने सकल घरेलू उत्पाद के साथ-साथ पारिस्थितिक स्वास्थ्य का मूल्यांकन करने के लिए GEP की शुरुआत की, तथा संरक्षण-आधारित नीतियों को बढ़ावा दिया।
  • हैप्पी प्लैनेट इंडेक्स (HPI): जीवन प्रत्याशा, कल्याण और इकोलॉजिकल फुटप्रिंट को मापता है, तथा संधारणीय और समतापूर्ण जीवन शैली वाले देशों का पक्ष लेता है।
    • उदाहरण के लिए: कोस्टा रिका HPI  में निरंतर रूप से उच्च स्थान पर है, जो यह साबित करता है कि न्यूनतम पर्यावरणीय क्षति के साथ खुशहाली हासिल की जा सकती है।
  • सतत विकास सूचकांक (SDI): अत्यधिक कार्बन उत्सर्जन और संसाधन उपयोग को दंडित करके तथा कम प्रभाव वाले विकास को पुरस्कृत करके HDI को समायोजित करता है।

एक समग्र विकास मॉडल में संधारणीयता को मानव कल्याण के साथ एकीकृत किया जाना चाहिए। वास्तविक प्रगति संकेतक (GPI), समावेशी धन सूचकांक (IWI) और डोनट इकोनॉमिक्स जैसे उपाय एक संतुलित ढाँचा प्रदान करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि आर्थिक लाभ पारिस्थितिक पूंजी को नष्ट न करें। कार्बन फुटप्रिंट और संसाधन दक्षता को शामिल करते हुए एक पुनर्परिभाषित HDI, संधारणीय नीति निर्माण को आगे बढ़ा सकता है।

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