Q. ट्रम्प प्रशासन के तहत अमेरिकी आव्रजन नीतियों के भारत के रणनीतिक और आर्थिक हितों पर प्रभाव का विशेष रूप से भारतीय प्रवासी और कुशल प्रवास के संदर्भ में मूल्यांकन कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • ट्रंप प्रशासन के तहत अमेरिकी आव्रजन नीतियों के भारतीय प्रवासियों के संबंध में भारत के सामरिक और आर्थिक हितों पर पड़ने वाले प्रभाव का मूल्यांकन कीजिये।
  • ट्रंप प्रशासन के तहत अमेरिकी आव्रजन नीतियों के भारत के सामरिक और आर्थिक हितों पर पड़ने वाले प्रभाव का मूल्यांकन कीजिये, विशेष रूप से कुशल प्रवासन के संदर्भ में।

उत्तर

ट्रंप प्रशासन की प्रतिबंधात्मक आव्रजन नीतियों ने वीजा, सीमा नियंत्रण और निर्वासन को कड़ा कर दिया, जिससे भारत के हितों और अमेरिका में 3 मिलियन से अधिक भारतीय प्रवासियों पर गंभीर प्रभाव पड़ा, तथा कुशल प्रवास, प्रतिभा प्रवाह और द्विपक्षीय जुड़ाव बाधित हुआ।

सामरिक हित: भारतीय प्रवासी

  • सॉफ्ट-पावर में गिरावट: परिवार-आधारित वीजा प्रतिबंधों ने अंतर-पीढ़ीगत और अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक संबंधों को कमजोर कर दिया, जिससे अमेरिका में भारत की सॉफ्ट-पावर उपस्थिति कम हो गई। 
    • उदाहरण: वर्ष 2018 से वर्ष 2019 तक, भारतीयों को दिए गए ग्रीन कार्ड का हिस्सा 13 प्रतिशत से घटकर 10 प्रतिशत हो गया।
  • कूटनीतिक तनाव: बिना दस्तावेज वाले भारतीयों के निरंतर निर्वासन और हिरासत ने भारत-अमेरिका द्विपक्षीय विश्वास और विदेश नीति संबंधों को प्रभावित किया। 
    • उदाहरण: फरवरी 2025 में एक सैन्य विमान ने 104 भारतीयों को निर्वासित कर दिया, जिससे भारत में कूटनीतिक चिंता उत्पन्न हो गई।
  • प्रवासी असुरक्षा: बढ़ती आप्रवासी विरोधी बयानबाजी और हिंसा ने भारतीय मूल के अमेरिकी निवासियों के बीच असुरक्षा को जन्म दिया। 
    • उदाहरण: वर्ष 2017 के बाद, घृणा से दुष्प्रेरित घटनाओं में उल्लेखनीय वृद्धि हुई, जैसे श्रीनिवास कुचिभोटला की गोलीबारी जिसने प्रवासी मनोबल को नुकसान पहुँचाया।
  • नीतिगत प्रभाव कम हुआ: आप्रवासन दर्जे में अनिश्चितता ने अमेरिका में प्रवासी समुदाय की राजनीतिक भागीदारी और नीतिगत प्रभाव को सीमित कर दिया।

आर्थिक हित: भारतीय प्रवासी

  • धन प्रेषण जोखिम: कार्य में कटौती और निर्वासन ने भारतीय-अमेरिकी समुदाय से धन प्रेषण सुरक्षा को कम कर दिया। 
    • उदाहरण: भारत के 100 बिलियन डॉलर के 28% धन का प्रेषण अमेरिका से होता है।
  • प्रवासी उद्यमिता पर असर: वीजा संबंधी समस्याओं और पारिवारिक देरी ने भारतीय समुदाय के व्यवसायों को नुकसान पहुँचाया, विशेषकर तकनीक और सेवाओं के क्षेत्र में। 
    • उदाहरण: भारतीय रेस्तरां मालिकों और तकनीकी उद्यमियों को ग्रीन कार्ड के लंबित मामलों के कारण नुकसान उठाना पड़ा
  • H-4 EAD में गिरावट: H-4 रोजगार प्राधिकरण दस्तावेजों (EAD) को खत्म करने से अमेरिका में दोहरी आय वाले भारतीय परिवार प्रभावित हुए।
  • शैक्षणिक-आर्थिक संबंध बाधित: वीजा प्रतिबंधों ने भारतीय छात्रों को हतोत्साहित किया, जिससे अमेरिकी शिक्षा राजस्व में कमी आई और भारत के प्रवासी पाइपलाइन कमजोर हुए। 
    • उदाहरण: नामांकन में 4.4% की गिरावट (ओपन डोर्स 2020) ने अमेरिकी विश्वविद्यालयों और भारत के प्रतिभा प्रवाह को प्रभावित किया।

रणनीतिक हित: कुशल प्रवास

  • ज्ञान-नेटवर्क क्षरण: H-1B वीजा प्रतिबंधों ने अमेरिका में भारतीय तकनीकी भागीदारी को कम कर दिया, जिससे ज्ञान के आदान-प्रदान को नुकसान पहुँचा। 
    • उदाहरण: यूनाइटेड स्टेट्स सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज (USCIS) ने वित्त वर्ष 2026 के लिए H-1B पंजीकरण में 27% की गिरावट देखी।
  • टेक-कूटनीतिक घर्षण: भारतीय टेक कर्मचारियों पर सीमा लगाने से रणनीतिक क्षेत्रों में द्विपक्षीय नवाचार साझेदारी को नुकसान पहुँचता है।
  • वापसी पर दबाव: वीजा नवीनीकरण की अनिश्चितताओं ने कई कुशल भारतीयों को वापस लौटने पर मजबूर कर दिया, जिससे नौकरियों पर दबाव पड़ा है। 
    • उदाहरण: विदेश मंत्रालय ने वर्ष 2018 के बाद रिटर्न में वृद्धि की सूचना दी है, जिससे घरेलू रोजगार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
  • रणनीतिक मानव पूँजी का विचलन: अमेरिका में कम अवसरों ने भारतीय प्रतिभाओं को कनाडा, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ की ओर रुख करने को मजबूर किया जिससे अमेरिका-भारत टेक संबंध कमजोर हुए। 
    • उदाहरण: अमेरिकी वीजा अनिश्चितता के बीच भारतीय पेशेवरों ने कनाडा PR को तेजी से चुना।

आर्थिक हित: कुशल प्रवास

  • उच्च कॉर्पोरेट लागत: वीजा अस्वीकृतियों के कारण भारतीय IT कम्पनियों को अमेरिका में स्थानीय स्तर पर उच्च लागत पर नियुक्तियाँ करने के लिए बाध्य होना पड़ा।
  • नवप्रवर्तन मंदी: आव्रजन में देरी ने अमेरिका में कार्यरत भारतीय प्रौद्योगिकी कंपनियों की अनुसंधान एवं विकास समयसीमा को बाधित किया 
    • उदाहरण: ब्रूकिंग्स ने कहा कि वीजा में देरी के कारण कम्पनियाँ अपतटीय नवाचार केंद्र विकसित करने के लिए बाध्य हुई हैं
  • STEM में कौशल संबंधी बाधाएँ: कुशल भारतीयों की वापसी ने भारत की STEM श्रम अवशोषण क्षमताओं को प्रभावित किया।
  • स्टार्टअप उत्प्रवास: कुछ स्टार्टअप संस्थापक संभावित अप्रवास से बचने के लिए अपनी कंपनियों को अमेरिका के बाहर स्थापित करना चुनते हैं। 
    • उदाहरण: FICCI ने बताया कि भारतीय स्टार्टअप संस्थापक वीजा अस्थिरता के कारण विदेशी क्षेत्राधिकारों का चयन कर रहे हैं।

ट्रंप-युग की आव्रजन नीतियों ने भारत की रणनीतिक भागीदारी और प्रवासी क्षमता को बाधित किया, कुशल प्रवास को प्रतिबंधित किया और भारतीय टेक पर परिचालन बोझ को बढ़ाया है।इसको देखते हुए एक संतुलित भारत-अमेरिका आव्रजन वार्ता के अंतर्गत पारस्परिक रणनीतिक और आर्थिक लाभ के लिए कानूनी मार्गों, और प्रवासी सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

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