उत्तर:
दृष्टिकोण:
- भूमिका : माओवादी विद्रोह, इसकी उत्पत्ति और भारत में इसके महत्व का भूमिका दें।
- मुख्य भाग :
- विद्रोह को बढ़ावा देने वाले सामाजिक-आर्थिक मुद्दों और राजनीतिक कारकों पर चर्चा करें।
- सुरक्षा उपायों और विकासात्मक पहलों का मूल्यांकन करें।
- समग्र सुरक्षा दृष्टिकोण और एकीकृत विकास का सुझाव दें।
- राजनीतिक एकीकरण और दीर्घकालिक नीति सुधारों का प्रस्ताव रखें।
- निष्कर्ष: एक बहुआयामी रणनीति की आवश्यकता का सारांश प्रस्तुत करें जो मूल कारणों और लक्षणों का समाधान करे।
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भूमिका :
माओवादी उग्रवाद, जिसे अक्सर नक्सलवाद कहा जाता है, भारत के समक्ष सबसे स्थायी और जटिल आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों में से एक रहा है। 1960 के दशक के अंत में पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी गाँव से उत्पन्न, यह वामपंथी उग्रवाद कई राज्यों में फैल गया है, जो मुख्य रूप से भारत के पूर्वी, मध्य और दक्षिणी हिस्सों को प्रभावित करता है।
मुख्य भाग :
माओवादी विद्रोह में योगदान देने वाले कारक
- सामाजिक-आर्थिक नुकसान
- गरीबी और अल्पविकास: नक्सलवाद से प्रभावित कई क्षेत्रों में उच्च स्तर की गरीबी के साथ आधारभूत संरचनाओं एवं सेवाओं का अभाव है। ये स्थितियाँ माओवादी विचारधारा के लिए उपजाऊ जमीन प्रदान करती हैं, जो सशस्त्र संघर्ष के माध्यम से सशक्तिकरण का वादा करती है।
- भूमि विवाद और विस्थापन: आदिवासी क्षेत्रों में विस्तृत पैमाने पर परियोजनाओं और खनन कार्यों के कारण विस्थापन और पर्यावरण का अवनयन हुआ है, साथ ही भूमि विवाद में वृद्धि हुई है जिसने माओवादियों को सरकार से निराश लोगों को एक समूह प्रदान किया है।
- राजनीतिक कारक
- शासनिक शून्यता: स्थानीय शासन में अक्षमताओं और भ्रष्टाचार ने कई ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों को प्रभावी प्रतिनिधित्व और सेवाओं से वंचित कर दिया है, जिससे एक शून्यता उत्पन्न हुई है जिसे माओवादी वैकल्पिक शासन संरचनाओं द्वारा संचालित करते हैं ।
- नीतिगत विफलताएँ: आदिवासी और ग्रामीण विकास के उद्देश्य से बनाई गई ऐतिहासिक सरकारी नीतियों को अक्सर दोषपूर्ण तरीके से कार्यान्वित किया गया है, जिससे इन समुदायों का अलगाव बढ़ गया है।
माओवादी विद्रोह पर सरकार की प्रतिक्रिया
- सुरक्षा-केंद्रित उपाय
- सशस्त्र अभियान: केंद्र और राज्य सरकारों ने माओवादी प्रभाव को समाप्त करने के उद्देश्य से कई अभियान शुरू किए हैं, जिसमें विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के बीच समन्वय शामिल है।
- विधान: गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम जैसे कानूनों का उपयोग माओवादी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए किया गया है, हालांकि कभी-कभी बहुत कठोर होने के कारण इसकी आलोचना भी की जाती है।
- विकास संबंधी पहल
- अवसंरचना का विकास: प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) और नक्सल प्रभावित जिलों के लिए एकीकृत कार्य योजना (आईएपी) जैसी पहलों का उद्देश्य अवसंरचना और पहुंच में सुधार करना है।
- सामाजिक कल्याण कार्यक्रम: स्वास्थ्य, शिक्षा, और रोजगार को ध्यान में रखते हुए कार्यक्रमों का लक्ष्य प्रभावित क्षेत्रों में जीवन की स्थितियों में सुधार करके माओवादी समर्थन का आधार कम करना है।
माओवादी विद्रोह का समाधान करने के लिए व्यापक रणनीति
- समग्र सुरक्षा दृष्टिकोण
- गुप्त सुचना के संग्रह में सुधार करना: बेहतर पूर्वानुमान और हमलों को रोकने के लिए माओवादियों क्षेत्रों में ख़ुफ़िया नेटवर्क में सुधार करना।
- मानवाधिकारों का पालन: सुरक्षा ऑपरेशनों में मानवाधिकारों का पालन सुनिश्चित करें ताकि स्थानीय आबादी को अधिक अलग न किया जाए।
- एकीकृत विकास दृष्टिकोण
- केंद्रित सामाजिक-आर्थिक विकास: उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार के अवसरों को बढ़ाकर असंतोष के मूल कारणों पर ध्यान दें।
- भूमि अधिकार और पुनर्वास: निष्पक्ष नीतियों के माध्यम से भूमि विवादों का समाधान करें और औद्योगिक या आधारभूत संरचना परियोजनाओं से विस्थापित लोगों के लिए बेहतर पुनर्वास प्रदान करें।
- राजनीतिक और सामाजिक एकता
- संवाद और सुलह: राजनीतिक समाधान के लिए माओवादी आंदोलन के अहिंसक पक्षों के साथ संवाद की सुविधा प्रदान करना।
- सामुदायिक सहभागिता : स्थानीय समुदायों को पंचायतों और स्थानीय शासन संरचनाओं के माध्यम से सशक्त करने के साथ सरकारी पहुंच और जवाबदेही में सुधार करें ,
- दीर्घकालिक नीतिगत उपाय
- शैक्षिक सुधार: शैक्षिक सुधारों को लागू करें जिसमें स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप व्यावसायिक प्रशिक्षण शामिल हो, जिससे युवाओं को मुख्यधारा की अर्थव्यवस्था में एकीकृत करने में मदद मिले।
- विकास परियोजनाओं में सतत प्रथाओं का पालन: सुनिश्चित करें कि शोषण और विस्थापन को रोकने के लिए विकास परियोजनाएं पर्यावरणीय रूप से सतत एवं सामाजिक रूप से समावेशी हों।
निष्कर्ष:
माओवादी विद्रोह का समाधान करने के लिए एक सूक्ष्म दृष्टिकोण की आवश्यकता है जो व्यापक सामाजिक-आर्थिक विकास और राजनीतिक एकीकरण के साथ सुरक्षा उपायों को सम्मिलित करे । उग्रवाद के लक्षण और मूल कारण दोनों पर ध्यान केंद्रित करके, भारत प्रभावित क्षेत्रों में स्थायी शांति और विकास को बढ़ावा दे सकता है। लक्ष्य यह होना चाहिए कि संघर्ष क्षेत्रों को जीवंत आर्थिक गतिविधि और सामाजिक सद्भाव के क्षेत्रों में परिवर्तित क्र दिया जाए, जिससे उस वैचारिक और भौतिक स्थान को नकार दिया जाए जिसमें विद्रोह उत्पन्न होता है।। ऐसी रणनीति न केवल वर्तमान खतरों को बेअसर करती है बल्कि शिकायत पर आधारित हिंसा का समाधान करने के लिए एक मिसाल स्थापित करके भविष्य के विद्रोह को भी रोकती है।
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