Q. पिछले 80 वर्षों में विश्व ने खाद्य उत्पादन बढ़ाने में उल्लेखनीय प्रगति की है, लेकिन वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए खतरों की प्रकृति और अधिक जटिल हो गई है। इस संदर्भ में, भुखमरी-मुक्त विश्व के निर्माण में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और आधुनिक पहलों की भूमिका पर चर्चा कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • भुखमरी-मुक्त विश्व के निर्माण में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की भूमिका।
  • भुखमरी-मुक्त विश्व के निर्माण में आधुनिक पहलों की भूमिका। 

उत्तर

पिछले आठ दशकों में मानवता ने विज्ञान, व्यापार और सामूहिक संकल्प के माध्यम से अकाल पर विजय प्राप्त की है। फिर भी आज, खाद्य असुरक्षा पहले से अधिक जटिल हो गई है, जो जलवायु परिवर्तन, संघर्षों, महामारियों और आर्थिक अस्थिरता से प्रभावित है। यह स्थिति एक नवीन अंतरराष्ट्रीय सहयोग और नवाचारी पहलों की माँग करती है ताकि एक भुखमरी-मुक्त भविष्य सुनिश्चित किया जा सके।

भुखमरी-मुक्त विश्व के निर्माण में अंतरराष्ट्रीय सहयोग की भूमिका

  • ज्ञान और संसाधनों का एकीकरण: सहयोग निगरानी, अनुसंधान, और कीट प्रबंधन के माध्यम से सामूहिक कार्रवाई को सक्षम बनाता है, जिससे कृषि-खाद्य प्रणालियों की लचीलापन सुनिश्चित होती है।
    • उदाहरण: FAO की प्रारंभिक चेतावनी निगरानी योजनाएँ कीटों और रोगों से खाद्य आपूर्ति श्रृंखलाओं की रक्षा करती हैं।
  • राजनीतिक इच्छाशक्ति और साझेदारी: धन और विशेषज्ञता की संयुक्त लामबंदी संकटों को बढ़ने से रोकती है।
    • उदाहरण: अफ्रीकी रेगिस्तानी टिड्डी प्रकोप (वर्ष 2019) से निपटने के लिए 231 मिलियन डॉलर की धनराशि जुटाई गई, जिससे 1.77 अरब डॉलर की हानि रोकी गई और 4 करोड़ लोगों के लिए भोजन सुरक्षित हुआ।
  • वैश्विक संधियाँ और मानक: अंतरराष्ट्रीय समझौते न्यायसंगत, सुरक्षित और सतत् खाद्य प्रणालियाँ सुनिश्चित करते हैं।
    • उदाहरण: कोडेक्स एलीमेंटेरियस के खाद्य सुरक्षा मानक, मत्स्य पालन और आनुवंशिक संसाधनों पर संधियाँ वैश्विक खाद्य सुरक्षा को सुदृढ़ करती हैं।
  • दक्षिण-दक्षिण और त्रिकोणीय सहयोग: विकासशील राष्ट्र ज्ञान, निवेश, और नवाचारों का आदान-प्रदान कर सामूहिक खाद्य लचीलापन को मजबूत करते हैं।
  • बहुपक्षीय ढाँचे:  वैश्विक गठबंधन के माध्यम से सामूहिक प्रयास देशों और साझेदारों को भुखमरी के विरुद्ध एकजुट करते हैं।
    • उदाहरण: G20 का वैश्विक गठबंधन (ग्लोबल अलायंस अगेंस्ट हंगर एंड पॉवर्टी), जो राजनीतिक और वित्तीय संसाधनों को विश्व स्तर पर संगठित करता है।
  • साझा बाजार सूचना प्रणाली: अंतरराष्ट्रीय समंवित डेटा प्लेटफॉर्म व्यापार को स्थिर रखते हैं और खाद्य असुरक्षा को रोकते हैं।
    • उदाहरण: FAO का ‘एग्रीकल्चरल मार्केट इन्फॉर्मेशन सिस्टम’ (AMIS) पारदर्शिता प्रदान करता है, जिससे अस्थिरता कम होती है और खाद्य उपलब्धता में सुधार होता है।
  • वैश्विक रोग और आपदा प्रतिक्रिया: संयुक्त तंत्र सीमापार खतरों से निपटते हैं जिन्हें कोई देश अकेले प्रबंधित नहीं कर सकता है।
    • उदाहरण: बर्ड फ्लू और फॉल आर्मीवर्म पर सामूहिक प्रतिक्रियाएँ सीमापार समन्वय  की आवश्यकता को दर्शाती हैं।

आधुनिक पहलों की भूमिका

  • हैंड-इन-हैंड पहल: उच्च गरीबी और कृषि क्षमता वाले क्षेत्रों को लक्षित कर निवेश प्राथमिकता के माध्यम से खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण आजीविका में सुधार करती है।
    • उदाहरण: FAO ऐसे क्षेत्रों की पहचान कर लक्षित निवेशों को मार्गदर्शित करता है।
  • ‘वन कंट्री वन प्रायोरिटी प्रोडक्ट’: प्रत्येक देश के विशिष्ट कृषि उत्पाद को बढ़ावा देकर सततता, स्थानीय अर्थव्यवस्था, और कृषि-खाद्य प्रणालियों को सुदृढ़ करता है।
  • डिजिटल विलेजेस पहल: किसानों को डिजिटल तकनीकों, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, और सूचनाओं तक पहुँच प्रदान कर उत्पादकता बढ़ाने और डिजिटल अंतराल को कम करने में मदद करती है।
    • उदाहरण: विश्वभर के किसान बाजार डेटा और डिजिटल संसाधनों तक पहुँच प्राप्त कर आय और लचीलापन बढ़ाते हैं।
  • प्रौद्योगिकीय और वित्तीय उपकरण: प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली और सूखा-रोधी बीज ने वर्ष 2019 के टिड्डी प्रकोप के दौरान 1.77 अरब डॉलर बचाए और 4 करोड़ लोगों के लिए भोजन सुरक्षित किया।
  • FAO का 4 बेटर्स फ्रेमवर्क:  यह समग्र विकास को सुनिश्चित करता है  बेहतर उत्पादन, बेहतर पोषण, बेहतर पर्यावरण, और बेहतर जीवन, जिससे कोई भी पीछे न रहे।
  • आधुनिक उपकरणों से समन्वित प्रतिक्रिया: प्रौद्योगिकी, वित्त, और नीतियों का संयुक्त उपयोग खाद्य सुरक्षा खतरों को शीघ्रता से कम करने में सहायक होता है।

निष्कर्ष

यद्यपि विश्व स्तर पर पर्याप्त खाद्य उत्पादन उपलब्ध है, फिर भी भुखमरी बनी हुई है, जिसका कारण जटिल और सीमापार चुनौतियाँ हैं। अंतरराष्ट्रीय सहयोग, प्रभावी बहुपक्षीय ढाँचे और FAO की हैंड-इन-हैंड तथा डिजिटल विलेजेस जैसी आधुनिक पहलें लचीली कृषि-खाद्य प्रणालियाँ बनाने के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। केवल सतत और सामूहिक प्रयासों के माध्यम से ही भुखमरी-मुक्त विश्व के स्वप्न को साकार किया जा सकता है।

PWOnlyIAS विशेष

वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए खतरों का जटिल और सीमापार स्वरूप 

  • जलवायु परिवर्तन: सूखा, बाढ़ तथा चरम मौसम घटनाओं की बढ़ती आवृत्ति से विश्वभर में कृषि उत्पादन बाधित हो रहा है।
  • सीमापार कीट एवं रोग: अफ्रीका में रेगिस्तानी टिड्डियों का प्रकोप (2019), फॉल आर्मीवर्म तथा अत्यधिक रोगजनक एवियन इन्फ्लुएंजा जैसे उदाहरण दर्शाते हैं कि ये खतरे राष्ट्रीय सीमाओं को पार कर फैलते हैं।
  • जनसंख्या वृद्धि: वर्ष 1946 से अब तक विश्व की जनसंख्या में तीन गुना वृद्धि हुई है, जिससे बढ़ती माँग के कारण खाद्य आपूर्ति पर भारी दबाव पड़ा है, भले ही उत्पादन में वृद्धि हुई हो।
  • आर्थिक और राजनीतिक अस्थिरता: संघर्ष, व्यापार में बाधाएँ तथा आर्थिक मंदी जैसी परिस्थितियाँ भुखमरी मिटाने की वैश्विक प्रगति को उलट सकती हैं।
  • खाद्य प्रणालियों की वैश्विक परस्पर निर्भरता: आज विश्व में उपभोग से पहले 20% से अधिक कैलोरी  अंतरराष्ट्रीय सीमाएँ पार करती हैं, जिससे किसी भी स्थानीय खतरे का प्रभाव वैश्विक स्तर पर महसूस किया जाता है।

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