Q. भीड़ प्रबंधन पर NDMA दिशानिर्देशों की मौजूदगी के बावजूद, भारत में भगदड़ अक्सर होती रहती है। मौजूदा नीतियों की प्रभावशीलता का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए और भीड़ प्रबंधन को मजबूत करने के उपाय सुझाएँ। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • इस बात पर प्रकाश डालिये कि भीड़ प्रबंधन पर NDMA के दिशा-निर्देशों के बावजूद भारत में भगदड़ की घटनाएं लगातार क्यों होती रहती हैं।
  • मौजूदा नीतियों के सकारात्मक पहलुओं का मूल्यांकन कीजिए।
  • मौजूदा नीतियों की प्रभावशीलता में कमियों का मूल्यांकन कीजिए।
  • भीड़ प्रबंधन को मजबूत करने के उपाय सुझाइये।

उत्तर

भगदड़, जिसे विशाल भीड़ की अचानक, अराजक हरकतों के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसके कारण चोट और मौतें होती हैं, भारत में एक आवर्ती आपदा बनी हुई है। NDMA के दिशा-निर्देश ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्षमता नियोजन, भीड़ नियंत्रण, जोखिम मूल्यांकन और रियलटाइम निगरानी पर बल देते हैं। फिर भी, 2001 से 2022 के बीच भारत में भगदड़ के कारण कुल 3074 लोगों की जान चली गई है।

भीड़ प्रबंधन पर NDMA के दिशानिर्देशों के बावजूद भारत में भगदड़ की घटनाएं लगातार क्यों हो रही हैं

  • खराब क्रियान्वयन: जबकि NDMA दिशा-निर्देश एक मजबूत ढाँचा प्रदान करते हैं, जागरूकता और प्रवर्तन की कमी के कारण राज्य और जिला स्तर पर इनका असंगत क्रियान्वयन होता है। कई आयोजक क्षमता नियोजन मानदंडों का पालन नहीं करते हैं।
    • उदाहरण के लिए: मध्य प्रदेश में 2013 में रतनगढ़ मंदिर में हुई भगदड़, जिसमें 115 से अधिक लोग मारे गए, भीड़भाड़ की पूर्व चेतावनी के बावजूद पुल की रेलिंग गिरने के कारण हुई थी।
  • रियलटाइम में भीड़ की निगरानी का अभाव: NDMA, लाइव निगरानी की सिफारिश करता है, परंतु कई आयोजनों में रियलटाइम भीड़ का पता लगाने और तत्काल कार्रवाई करने के लिए पर्याप्त CCTV कैमरे, क्राउड डेन्सिटी सेंसर और AI-आधारित निगरानी का अभाव होता है।
    •  उदाहरण के लिए: भक्तों की अचानक भीड़ और रियलटाइम निगरानी प्रणाली की अनुपस्थिति के परिणामस्वरूप वर्ष 2022 में माता वैष्णो देवी मंदिर में भगदड़ हुई, जिसके परिणामस्वरूप 12 मौतें हुईं।
  • अपर्याप्त अंतर-एजेंसी समन्वय: विभिन्न प्राधिकरण (पुलिस, स्थानीय प्रशासन, कार्यक्रम आयोजक) प्रभावी ढंग से समन्वय करने में विफल रहते हैं, जिससे आपातकालीन स्थितियों के दौरान देरी से प्रतिक्रिया और कुप्रबंधन होता है। NDMA का विफलता मोड और प्रभाव विश्लेषण (FMEA) शायद ही कभी आयोजित किया जाता है। 
    • उदाहरण के लिए: आंध्र प्रदेश में वर्ष 2015 में गोदावरी पुष्करालु भगदड़, जिसमें 27 लोग मारे गए थे, में कई एजेंसियों ने परस्पर विरोधी निर्देश दिए, जिससे अराजकता और बढ़ गई।
  • अपर्याप्त निकास योजना: कई स्थानों पर चौड़े निकास, स्पष्ट निकासी मार्ग और आपातकालीन प्रतिक्रिया क्षेत्रों का अभाव है, जो सामूहिक समारोहों के लिए NDMA के संरचनात्मक सुरक्षा दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हैं। खराब संकेत और प्रकाश व्यवस्था निकासी को और भी जटिल बना देती है। 
    • उदाहरण के लिए: महाराष्ट्र में वर्ष 2005 में मंधरदेवी मंदिर में हुई भगदड़ जिसमें 300 लोग मारे गए थे, एक संकरी सीढ़ी और अवरुद्ध निकास मार्गों के कारण और भी बदतर हो गई थी, जिससे भक्त फंस गए थे।
  • स्वतः स्फूर्त भीड़ को नियंत्रित करने में विफलता: नियोजित आयोजनों में NDMA के भीड़ नियंत्रण प्रोटोकॉल का पालन किया जा सकता है, लेकिन धार्मिक आयोजनों या रेलवे स्टेशन पर भीड़ जैसी स्वतःस्फूर्त भीड़-भाड़ अक्सर अनियंत्रित भीड़ का कारण बनती है। 
    • उदाहरण के लिए: महाकुंभ के दौरान 2024 में नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़, उचित पूर्व-नियंत्रित भीड़ नियंत्रण व्यवस्था के अभाव में  यात्रियों की अप्रत्याशित भीड़ के कारण हुई थी।
  • मानव मनोविज्ञान: मानव मनोविज्ञान, भगदड़ के लिए एक महत्त्वपूर्ण कारक है, क्योंकि सभी भगदड़ें या तो घबराहट के कारण होती हैं या फिर घबराहट के कारण और भी बदतर हो जाती हैं।
  • उच्च भीड़ घनत्व: उच्च भीड़ घनत्व प्रति इकाई क्षेत्र में लोगों की संख्या को संदर्भित करता है, जो सामूहिक समारोहों के आयोजन के लिए महत्त्वपूर्ण है। जब उचित प्रबंधन के बिना भीड़ का घनत्व क्षमता से अधिक हो जाता है, तो इससे भगदड़ जैसी खतरनाक स्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।

मौजूदा नीतियों के सकारात्मक पहलुओं का मूल्यांकन

  • बहु-एजेंसी दृष्टिकोण: NDMA के दिशा-निर्देश आपदा तैयारी और प्रतिक्रिया योजना में राज्य सरकारों, स्थानीय अधिकारियों, पुलिस और कार्यक्रम आयोजकों को शामिल करके
    अंतर-एजेंसी समन्वय पर बल देते हैं।

    • उदाहरण के लिए: प्रयागराज में कुंभ मेला 2019 में पुलिस, स्वास्थ्य अधिकारियों और आपदा प्रबंधन टीमों के बीच एक अच्छी तरह से समन्वित प्रयास देखा गया  जिससे काफी हद तक दुर्घटना-मुक्त आयोजन सुनिश्चित हुआ।
  • वैज्ञानिक जोखिम मूल्यांकन: संकट, जोखिम और भेद्यता विश्लेषण (HRVA) व विफलता मोड और प्रभाव विश्लेषण (FMEA) संभावित भगदड़ जोखिमों की पहचान करने और घटना से पहले निवारक उपाय करने में मदद करते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: ओडिशा में जगन्नाथ रथ यात्रा में अब एक जोखिम मूल्यांकन मॉडल का उपयोग किया जाता है जो भीड़ की आवाजाही और बाधाओं के लिए पहले से योजना बनाता है, जिससे भगदड़ के जोखिम कम हो जाते हैं।
  • प्रौद्योगिकी-संचालित भीड़ नियंत्रण: NDMA, क्राउड-डेंसिंटी का आकलन करने और हस्तक्षेप के लिए अलर्ट ट्रिगर करने हेतु लाइव निगरानी, ड्रोन निगरानी और AI-आधारित पूर्वानुमान विश्लेषण के उपयोग को प्रोत्साहित करता है। 
    • उदाहरण के लिए: कुंभ मेला 2021 के दौरान, रियल टाइम में फुटफॉल का विश्लेषण करने और भीड़भाड़ वाले हॉटस्पॉट की पहचान करने के लिए AI-संचालित भीड़ प्रबंधन प्रणाली का उपयोग किया गया था।
  • संरचित निकासी प्रोटोकॉल: NDMA ने स्टेजिंग पॉइंट, कई मार्ग और नियंत्रित भीड़ के आने/जाने को अनिवार्य किया है, जिससे प्रमुख आयोजनों में भीड़भाड़ और अड़चनों का जोखिम कम हो जाता है। 
    • उदाहरण के लिए: केरल में त्रिशूर पूरम उत्सव में भारी भीड़ को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए नियंत्रित प्रवेश-निकास बिंदुओं और अस्थायी होल्डिंग ज़ोन का सफलतापूर्वक उपयोग किया जाता है।
  • जन जागरूकता और प्रशिक्षण का एकीकरण: NDMA सुरक्षित भीड़ व्यवहार, निकास रणनीतियों और आपातकालीन प्रतिक्रिया कार्यों पर सामुदायिक भागीदारी और जन जागरूकता अभियानों पर बल देता है, जिससे संकट के दौरान घबराहट कम होती है। 
    • उदाहरण के लिए: तिरुपति बालाजी मंदिर प्रशासन भीड़ अनुशासन और व्यस्त समय के दौरान सुरक्षित आवागमन पर भक्तों और कर्मचारियों के लिए नियमित जागरूकता सत्र आयोजित करता है।

मौजूदा नीतियों की प्रभावशीलता में कमियों का मूल्यांकन

  • जवाबदेही का अभाव: NDMA के दिशा-निर्देशों के बावजूद  स्थानीय अधिकारियों, कार्यक्रम आयोजकों और सुरक्षा एजेंसियों के बीच खराब समन्वय के कारण प्रवर्तन कमज़ोर बना हुआ है। दिशा-निर्देश अक्सर केवल कागज़ों पर ही होते हैं और उनमें कोई सख्त जवाबदेही नहीं होती।
  • अपर्याप्त जोखिम मूल्यांकन: कई कार्यक्रम आयोजक सामूहिक समारोहों से पहले उचित संकट, जोखिम और भेद्यता विश्लेषण (HRVA) करने में विफल रहते हैं, जिससे महत्त्वपूर्ण स्थानों पर भीड़भाड़ और रुकावटें होती हैं। 
    • उदाहरण के लिए: 2024 में हाथरस में हुई भगदड़ अनियंत्रित भीड़ के कारण हुई थी, जहाँ भक्त उपदेशक के पैर छूने के लिए दौड़ पड़े थे, जिससे घातक भीड़ उमड़ पड़ी थी।
  • भीड़ नियोजन में कमी: कई स्थानों पर अच्छी तरह से डिजाइन किए गए निकास, पर्याप्त प्रकाश व्यवस्था या आपातकालीन निकासी मार्गों का अभाव है, जिससे घबराहट से उत्पन्न भगदड़ का खतरा बढ़ जाता है।
  • लाइव निगरानी तंत्र की कमी: CCTV निगरानी और AI-आधारित क्राउड डेंसिंटी विश्लेषण जैसी रियलटाइम निगरानी अभी भी बहुत सफलतापूर्वक नहीं बनाई जा सकी है, जो उच्च जोखिम वाली घटनाओं में भगदड़ की स्थिति की भविष्यवाणी और रोकथाम कर सकती है। 
    • उदाहरण के लिए: मुंबई एलफिंस्टन स्टेशन भगदड़ (2017) भारी बारिश और भीड़भाड़ के कारण हुई थी, जिसे रियलटाइम भीड़ निगरानी से टाला जा सकता था।
  • कोई एकीकृत कमान संरचना नहीं: भीड़ नियंत्रण में अक्सर पुलिस, आपदा प्रतिक्रिया दल और स्थानीय प्रशासन जैसी कई एजेंसियां शामिल होती हैं, लेकिन त्वरित प्रतिक्रियाओं के समन्वय के लिए कोई एकीकृत कमान संरचना नहीं होती है।

भीड़ प्रबंधन को मजबूत करने के उपाय

  • अनिवार्य पूर्व-कार्यक्रम जोखिम मूल्यांकन: सभी सामूहिक समारोहों से पहले संकट, जोखिम और भेद्यता विश्लेषण (HRVA) को लागू करना, कार्यक्रम की मंजूरी के लिए अनिवार्य होना चाहिए, जिससे बेहतर भीड़ प्रवाह डिजाइन सुनिश्चित हो सके। 
    • उदाहरण के लिए: प्रयागराज में वर्ष 2019 के कुंभ मेले में विस्तृत भीड़ प्रबंधन योजनाओं, डायवर्जन रणनीतियों और अलग-अलग प्रवेश-निकास मार्गों के कारण भगदड़ को सफलतापूर्वक रोका गया।
  • AI-आधारित भीड़ निगरानी: AI-संचालित क्राउड डेंसिटी विश्लेषण, ड्रोन निगरानी और पूर्वानुमान विश्लेषण का उपयोग करके भीड़भाड़ वाले स्थानों की पहचान की जा सकती है और भीड़ बढ़ने से रोकने के लिए प्रारंभिक चेतावनी दी जा सकती है।
  • मजबूत कानूनी जवाबदेही: भीड़ नियंत्रण दिशानिर्देशों का उल्लंघन होने पर आयोजकों और अधिकारियों के लिए सख्त दायित्व स्थापित करने से बेहतर अनुपालन सुनिश्चित हो सकता है और लापरवाही से बचा  जा सकता है।
  • भीड़ को रोकने के लिए बेहतर अवरोध: निकास मार्गों को अनिवार्य रूप से चौड़ा करना, प्रवेश-निकास बिंदुओं को अलग-अलग रखना और सॉफ्ट बैरियर का उपयोग, सघन आबादी वाले क्षेत्रों में भीड़भाड़ को रोक सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: जगन्नाथ पुरी मंदिर के अधिकारियों ने वर्ष 1993 की भगदड़ के बाद निकास मार्गों को फिर से डिज़ाइन किया, जिससे बाद के त्योहारों में इस तरह की घटना को सफलतापूर्वक रोका जा सका।
  • एकीकृत कमान और त्वरित प्रतिक्रिया दल: त्वरित प्रतिक्रिया दलों के साथ एकल कमान संरचना बनाने से समन्वय में सुधार हो सकता है और आपात स्थिति के दौरान प्रतिक्रिया समय कम हो सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2019 के अर्ध कुंभ मेले में पुलिस, पैरामेडिक्स और स्थानीय प्रशासकों को जोड़ने वाले एक एकीकृत नियंत्रण कक्ष का उपयोग किया गया , जिससे त्वरित हस्तक्षेप सुनिश्चित हुआ‌

नवीन, प्रौद्योगिकी-संचालित रणनीतियों और मजबूत प्रशिक्षण के साथ NDMA प्रोटोकॉल को मजबूत करना भीड़ प्रबंधन को बदल सकता है। रियलटाइम निगरानी, सार्वजनिक जुड़ाव और डेटा विश्लेषण से भगदड़ पर लगाम लगेगी। सक्रिय सुधारों और ‘सेफ्टी फर्स्ट‘ पहलों के साथ, हम एक सुरक्षित, एकजुट भारत के लिए संधारणीय, अनुकूली नीतियों को सुनिश्चित करते हुए प्रत्यास्थ, सुरक्षित सामूहिक समारोहों का भविष्य बनाते हैं।

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