Explore Our Affordable Courses

Click Here

Q. पंजाब और हरियाणा में धान की कृषि के तरीकों ने गंभीर जल संकट उत्पन्न कर दिया है, जिससे इस क्षेत्र में सतत् कृषि के लिए एक बड़ी चुनौती उत्पन्न हो गई है। क्षेत्र में कृषि उत्पादकता, किसानों के हितों और पर्यावरणीय स्थिरता को संतुलित करने के लिए व्यापक समाधान सुझाएँ। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • चर्चा कीजिए कि पंजाब और हरियाणा में धान की कृषि के कारण किस प्रकार गंभीर जल संकट उत्पन्न हुआ है।
  • पंजाब और हरियाणा में धान की कृषि पद्धतियाँ किस प्रकार क्षेत्र में सतत् कृषि के लिए एक बड़ी चुनौती पेश कर रही हैं, इस पर प्रकाश डालिये।
  • क्षेत्र में कृषि उत्पादकता, किसानों के हितों और पर्यावरणीय स्थिरता के बीच संतुलन बनाने के लिए व्यापक समाधान सुझाएँ।

 

उत्तर:

पंजाब और हरियाणा में धान की कृषि भारत की खाद्य सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, परंतु जल पर अत्यधिक निर्भरता के कारण यह असंधारणीय होती जा रही है। धान की कृषि के कारण भूजल का अत्यधिक दोहन होने से इस क्षेत्र में गंभीर जल संकट उत्पन्न हो गया है। हरियाणा में 88 जल इकाइयों को अत्यधिक दोहन वाली श्रेणी में रखा गया है। इस समस्या से निपटने के लिए कृषि और जल संसाधनों दोनों की सुरक्षा हेतु तत्काल सुधार की आवश्यकता है।

जल संकट में धान की खेती की भूमिका

  • भूजल का अत्यधिक दोहन: पंजाब और हरियाणा में धान की खेती के लिए अत्यधिक सिंचाई की आवश्यकता होती है, जिससे भूजल स्तर में भारी कमी हुई है।
    • उदाहरण के लिए: केंद्रीय भूजल बोर्ड द्वारा 2023 में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि धान की खेती के लिए अत्यधिक जल दोहन के कारण पंजाब के 87% ब्लॉकों का अति दोहन किया गया।
  • उच्च जल खपत: धान की खेती में प्रति किलो चावल के लिए लगभग 4,000-5,000 लीटर जल की खपत होती है , जिससे क्षेत्र के जल संसाधनों पर बहुत ज़्यादा दबाव पड़ता है। 
    • उदाहरण के लिए: इसकी तुलना में, बाजरे को प्रति किलो केवल 500 लीटर जल की आवश्यकता होती है , जो जल की आवश्यकताओं में भारी अंतर और धान की खेती की असंधारणीय प्रकृति को दर्शाता है।
  • किसानों के लिए मुफ़्त बिजली: ट्यूबवेल के लिए दी जाने वाली मुफ़्त बिजली ने भूजल के अनियंत्रित दोहन को बढ़ावा दिया है, जिससे यह संकट और भी बढ़ गया है। 
    • उदाहरण के लिए: पंजाब के किसानों को वर्ष 2023-24 में बिजली, नहर के पानी और उर्वरक के लिए 38,973 रुपये प्रति हेक्टेयर की सब्सिडी मिली , जिससे भूजल का निरंतर रूप से अतिदोहन हो रहा है।
  • जलवायु परिवर्तन प्रभाव : धान की खेती के कारण बढ़ता जल तनाव ,जलवायु परिवर्तन के कारण और भी अधिक हो गया है, अनियमित वर्षा के कारण जलभृतों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
  • जल स्तर में गिरावट: पंजाब और हरियाणा के जल स्तर में तेजी से हो रही गिरावट से कृषि की दीर्घकालिक व्यवहार्यता को खतरा है।

संधारणीय कृषि हेतु चुनौतियाँ

  • एकल फसल प्रणाली: धान की खेती एकल फसल प्रणाली को बढ़ावा देती है, जिससे जैव विविधता कम होती है और मृदा के पोषक तत्व कम होते हैं, जिससे कृषि संधारणीयता में कमी आती है। 
    • उदाहरण के लिए: ICAR द्वारा किए गए अध्ययनों के अनुसार फसल चक्रण से मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होता है परंतु धान की खेती ऐसी विविधता को हतोत्साहित करती है।
  • उर्वरकों का अत्यधिक उपयोग: जल की अधिक माँग के कारण रासायनिक उर्वरकों का उपयोग भी बढ़ जाता है, जिससे मृदा की गुणवत्ता और भी खराब हो जाती है तथा जल स्रोत प्रदूषित हो जाते हैं।
  • अकुशल जल उपयोग पद्धतियाँ: बाढ़ सिंचाई, धान की खेती में प्रयुक्त होने वाली एक प्रमुख विधि है, जिससे वाष्पीकरण और अपवाह के माध्यम से  जल की बहुत बर्बादी होती है।
  • मृदा लवणता संबंधी मुद्दे: निरंतर धान की खेती से मृदा लवणता बढ़ जाती है, जिससे कृषि भूमि की उत्पादकता कम हो जाती है और यह अन्य फसलों के लिए कम उपयुक्त हो जाती है।
  • धान के खेतों से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन: धान के खेत, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं, विशेष रूप से मीथेन के उत्सर्जन में जो जलवायु परिवर्तन को बढ़ाता है और दीर्घकालिक कृषि व्यवहार्यता को प्रभावित करता है।
    • उदाहरण के लिए: धान की खेती प्रति हेक्टेयर 5 टन CO2 समतुल्य हानिकारक गैस  उत्पन्न करती है , जो इसे कृषि उत्सर्जन में एक प्रमुख योगदानकर्ता बनाती है।

उत्पादकता, किसानों के हितों और संधारणीयता में संतुलन के लिए समाधान

  • फसलों का विविधीकरण: दालों, तिलहनों और बाजरा जैसी कम जल की खपत वाली फसलों की खेती को प्रोत्साहित करने से जल का उपयोग काफी कम हो सकता है और संधारणीयता में सुधार हो सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: पंजाब की 2024 की योजना, धान को छोड़कर वैकल्पिक फसलों को उगाने के लिए 17,500 रुपये प्रति हेक्टेयर प्रोत्साहन की पेशकश करती है , जिसका उद्देश्य विविधीकरण को प्रोत्साहित करना है।
  • सब्सिडी का पुनर्गठन: किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए धान से अन्य संधारणीय फसलों पर सब्सिडी को पुनर्निर्देशित करना आवश्यक है।
  • जल-कुशल कृषि तकनीकें: डायरेक्ट सीडिंग ऑफ राइस (DSR) और सूक्ष्म सिंचाई प्रणालियों जैसी प्रथाओं को बढ़ावा देने से पैदावार को बनाए रखते हुए जल संरक्षण में मदद मिल सकती है।
  • वैकल्पिक फसलों के लिए गारंटीकृत खरीद: MSP और खरीद कार्यक्रमों के माध्यम से दालों और तिलहन जैसी फसलों के लिए बाजार आश्वासन सुनिश्चित करने से किसानों के धान के अलावा अन्य फसलों को उगाने का डर , कम हो सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: भारतीय खाद्य निगम ने वर्ष 2023 में पंजाब का 92.5% चावल खरीदा, इसी तरह के तंत्र वैकल्पिक फसलों को उगाने की प्रथा को बढ़ावा दे सकते हैं।
  • जन जागरूकता और प्रशिक्षण कार्यक्रम: फसल विविधीकरण और जल-बचत प्रथाओं के लाभों के संबंध में किसानों को शिक्षित करने से दीर्घकालिक परिवर्तन को बढ़ावा मिल सकता है।

केंद्र और राज्य सरकारों के बीच समन्वित प्रयास , पुनर्गठित सब्सिडी , जल-कुशल प्रथाओं और बाजार आश्वासन पर ध्यान केंद्रित करके , पंजाब और हरियाणा को सतत कृषि की ओर उन्मुख किया जा सकता है। इस तरह के सुधार कृषि उत्पादकता को पर्यावरण संरक्षण के साथ संतुलित करेंगे, क्षेत्र के जल संसाधनों को सुरक्षित करेंगे और इसके कृषक समुदायों के भविष्य को सुनिश्चित करेंगे।

 

To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

Need help preparing for UPSC or State PSCs?

Connect with our experts to get free counselling & start preparing

 Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023.   Udaan-Prelims Wallah ( Static ) booklets 2024 released both in english and hindi : Download from Here!     Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF  Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing  , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz ,  4) PDF Downloads  UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

 Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023.   Udaan-Prelims Wallah ( Static ) booklets 2024 released both in english and hindi : Download from Here!     Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF  Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing  , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz ,  4) PDF Downloads  UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

Quick Revise Now !
AVAILABLE FOR DOWNLOAD SOON
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध
Quick Revise Now !
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.