उत्तर:
प्रश्न को हल करने का दृष्टिकोण:
- भूमिका: जैसा कि भारतीय संविधान में परिलक्षित है “गणतंत्र” शब्द को परिभाषित करके शुरुआत करें और भारत के लोकतांत्रिक शासन ढांचे की स्थापना में इसके महत्व को दर्शायें।
- मुख्य भाग:
- इसकी तुलना राजशाही से करते हुए और राज्य के प्रमुख की निर्वाचित प्रकृति पर जोर देते हुए स्पष्ट करें कि भारतीय संदर्भ में गणतंत्र होने का क्या अर्थ है।
- भारत के लिए गणतंत्र मॉडल चुनने की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और संविधान निर्माताओं के इरादों पर चर्चा करें।
- लोकतांत्रिक आधारों और सत्ता के विभाजन पर ध्यान केंद्रित करते हुए, भारतीय गणराज्य में राष्ट्रपति की भूमिका का विवरण दें।
- इस बात पर प्रकाश डालें कि कैसे गणतंत्र मॉडल, लोकतांत्रिक मूल्यों को दर्शाते हुए सर्वोच्च पद तक समानता और पहुंच सुनिश्चित करता है।
- निष्कर्ष: संक्षेप में बताएं कि एक गणतंत्र के रूप में भारत की स्थिति लोकतंत्र, समानता और कानून के शासन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का प्रतीक कैसे है, जो संविधान में निहित राष्ट्र की मूलभूत मान्यताओं को दर्शाती है।
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भूमिका:
जैसा कि भारत की प्रस्तावना में व्यक्त है भारतीय संविधान में “गणराज्य” शब्द, भारत की लोकतांत्रिक नैतिकता और शासन संरचना के सार को प्रतिष्ठित करता है।। यह अवधारणा केवल एक वंशानुगत राजवंश की अनुपस्थिति का ही प्रतीक नहीं है; बल्कि यह एक ऐसी व्यवस्था को दर्शाता है जहां सर्वोच्च प्राधिकारी, राष्ट्रपति, निर्वाचित होता है और सर्वोच्च शक्ति लोगों और उनके निर्वाचित प्रतिनिधियों के पास रहती है।
मुख्य भाग :
राजशाही की परिभाषा और तुलना:
- भारतीय संदर्भ में, गणतंत्र होने का अर्थ है कि राज्य का प्रमुख, राष्ट्रपति, एक निर्वाचित अधिकारी होता है, जो कि राजशाही में वंशानुगत पद के विपरीत होता है।
- गणतंत्र का यह लोकतांत्रिक सिद्धांत संविधान में निहित है, जो एक निर्वाचक मंडल द्वारा राष्ट्रपति के चुनाव को अनिवार्य बनाता है।
ऐतिहासिक संदर्भ और संवैधानिक ढांचा:
- भारत को गणतंत्र बनाने का चुनाव,संविधान निर्माताओं द्वारा एक जानबूझकर लिया गया निर्णय था, जो लोक संप्रभुता पर आधारित सरकार स्थापित करने की इच्छा से प्रभावित था।
- जवाहरलाल नेहरू द्वारा पारित उद्देशिका ने इसके लिए आधार तैयार किया, जिसमें भारत की कल्पना न्याय, समानता और स्वतंत्रता की गारंटी देने वाले एक स्वतंत्र, संप्रभु गणराज्य के रूप में की गई।
राष्ट्रपति की भूमिका और लोकतांत्रिक सिद्धांत:
- एक महत्वपूर्ण औपचारिक पद पर रहते हुए, भारत के राष्ट्रपति संसदीय लोकतंत्र की सीमा के भीतर काम करते हैं, जहां वास्तविक कार्यकारी शक्ति निर्वाचित सरकार में निहित होती है।
- यह संरचना सुनिश्चित करती है कि देश का सर्वोच्च पद भी लोकतांत्रिक सिद्धांतों के अधीन है, जो समानता और विधि शासन की धारणा को मजबूत करता है।
कार्यालय की समानता और पहुंच:
- भारत में गणतंत्र मॉडल यह सुनिश्चित करता है कि कुछ पात्रता मानदंडों को पूरा करने वाला कोई भी नागरिक राष्ट्रपति के पद की आकांक्षा रख सकता है।
यह समानता और समावेशिता के लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुरूप है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि राष्ट्रपति का कार्यालय किसी विशेष वर्ग या वंश तक सीमित नहीं है।
निष्कर्ष:
एक गणतंत्र के रूप में भारत की स्थिति लोकतंत्र, समानता और विधि शासन के प्रति इसकी प्रतिबद्धता का प्रमाण है। भारतीय संदर्भ में गणतंत्र की अवधारणा राज्य के प्रमुख के चुनाव से परे है; यह अपने लोगों की शक्ति और संप्रभुता में देश के मूलभूत विश्वास को दर्शाता है। प्रस्तावना के “गणतंत्र” शब्द में समाहित यह लोकतांत्रिक ढांचा, भारत के राजनीतिक और सामाजिक लोकाचार का मार्गदर्शन करता है और यह सुनिश्चित करता है कि राष्ट्र अपने संविधान के आदर्शों के प्रति सच्चा बना रहे।
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