Q. स्वच्छ भारत मिशन (SBM) को भारत की विकास यात्रा में एक परिवर्तनकारी पहल के रूप में सराहा गया है। सार्वजनिक स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था और सामाजिक सम्मान सहित भारतीय समाज के विभिन्न पहलुओं पर SBM के प्रभाव की आलोचनात्मक जाँच कीजिये। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • चर्चा कीजिए, कि किस प्रकार स्वच्छ भारत मिशन को भारत की विकास यात्रा में एक परिवर्तनकारी पहल के रूप में सराहा गया है।
  • भारतीय समाज के विभिन्न पहलुओं: सार्वजनिक स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था और सामाजिक गरिमा पर स्वच्छ भारत मिशन के सकारात्मक प्रभाव का परीक्षण कीजिए।
  • भारतीय समाज के विभिन्न पहलुओं जैसे सार्वजनिक स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था और सामाजिक गरिमा पर स्वच्छ भारत मिशन के नकारात्मक प्रभाव का परीक्षण कीजिए।
  • आगे की राह लिखिए।

 

उत्तर:

स्वच्छ भारत मिशन (SBM) ने वर्ष 2019 में 100 मिलियन से अधिक शौचालयों का निर्माण करके और ग्रामीण भारत को ओपन डिफिकेशन फ्री (ODF) घोषित करके भारत के स्वच्छता परिदृश्य को परिवर्तित कर दिया है। लाखों नागरिकों को शामिल करते हुए, स्वच्छ भारत मिशन ने सार्वजनिक स्वास्थ्य में उल्लेखनीय सुधार किया है, आर्थिक लाभ भी उत्पन्न किए हैं और स्वच्छता व्यवहार को परिवर्तित किया है, जिससे 600 मिलियन से अधिक लोगों के जीवन पर असर पड़ा है ।

भारत की विकास यात्रा में परिवर्तनकारी पहल के रूप में स्वच्छ भारत मिशन

  • खुले में शौच से मुक्ति: स्वच्छ भारत मिशन ने 100 मिलियन से अधिक शौचालयों का निर्माण करके खुले में शौच को समाप्त करने का महत्वपूर्ण लक्ष्य हासिल किया, जिससे पूरे भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य और स्वच्छता में सुधार हुआ। 
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2019 तक, सभी भारतीय राज्यों को खुले में शौच मुक्त (ODF) घोषित कर दिया गया, जिससे प्रदूषण में काफी कमी आई और स्वच्छता में सुधार हुआ।
  • बेहतर सार्वजनिक स्वास्थ्य: मिशन की वजह से डायरिया और हैजा जैसी बीमारियों में कमी आई है , जिससे स्वास्थ्य के बेहतर परिणाम सामने आए हैं। 
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2019 में यूनिसेफ की एक रिपोर्ट में स्वच्छता के बेहतर बुनियादी ढाँचे के कारण डायरिया से होने वाली मौतों में कमी पर प्रकाश डाला गया है।
  • महिलाओं का सशक्तिकरण: स्वच्छ भारत मिशन ने महिलाओं को शौचालय उपलब्ध कराके उनकी सुरक्षा और सामाजिक गरिमा में सुधार किया है, जिससे खुले में शौच करने से संबंधित जोखिम कम हुए हैं। 
    • उदाहरण के लिए: ग्रामीण राजस्थान में महिलाओं ने बताया कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत घरेलू शौचालयों के निर्माण के बाद वे अधिक सुरक्षित और अधिक सम्मानित महसूस कर रही हैं।
  • सामुदायिक भागीदारी और व्यवहार परिवर्तन: स्वच्छ भारत मिशन ने स्वच्छता अभियान और स्वच्छता जागरूकता कार्यक्रमों में समुदायों को शामिल करके एक जन आंदोलन को बढ़ावा दिया। 
    • उदाहरण के लिए: स्वच्छ भारत मिशन ने सार्वजनिक भागीदारी को प्रोत्साहित किया, जिससे गांवों और शहरों में बड़े पैमाने पर व्यवहारिक परिवर्तन हुए है।
  • आर्थिक बचत और वृद्धि: स्वच्छता में सुधार करके, स्वच्छ भारत मिशन ने स्वास्थ्य सेवा लागत में महत्वपूर्ण बचत की है और बेहतर स्वास्थ्य के कारण उत्पादकता को बढ़ावा दिया है। 
    • उदाहरण के लिए: विश्व बैंक के एक अध्ययन के अनुसार स्वच्छ भारत मिशन ने खराब स्वच्छता से संबंधित चिकित्सा व्यय में कमी लाई है।

भारतीय समाज के विभिन्न पहलुओं पर स्वच्छ भारत मिशन का सकारात्मक प्रभाव

सार्वजनिक स्वास्थ्य

  • जलजनित रोगों में कमी: बड़े पैमाने पर शौचालय निर्माण से डायरिया और हैजा जैसी जलजनित बीमारियों में उल्लेखनीय कमी आई है, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य में उल्लेखनीय सुधार हुआ है । 
    • उदाहरण के लिए : यूनिसेफ के अनुसार, बेहतर स्वच्छता के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में डायरिया से होने वाली बाल मृत्यु के मामलों में कमी आई है ।
  • बेहतर मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य: बेहतर स्वच्छता ने प्रसव के दौरान होने वाले संक्रमण के जोखिम को कम कर दिया है, जिससे मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य में सुधार हुआ है।
  • स्वच्छता प्रथाओं को बढ़ावा देना: स्वच्छ भारत मिशन ने स्वच्छता आदतों को बढ़ावा दिया है , जैसे हाथ धोना, जिससे संक्रामक रोगों का संक्रमण कम हुआ है। 
    • उदाहरण के लिए : WHO ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत हाथ धोने की सुविधा प्रदान करने वाले स्कूलों में बच्चों की अनुपस्थिति में कमी की सूचना दी।
  • कुपोषण में कमी : बेहतर स्वच्छता ने रोगाणुओं के संपर्क को कम किया है , जिससे बच्चों में कुपोषण कम हुआ है। 
    • उदाहरण के लिए: UNICEF के अनुसार, उचित स्वच्छता वाले गांवों के बच्चों में स्टंटिंग (Stunting) दर कम हुई है। ‌

अर्थव्यवस्था

  • स्वास्थ्य देखभाल लागत में कमी: स्वच्छता से संबंधित बीमारियों में कमी आने से परिवारों के स्वास्थ्य देखभाल व्यय में कमी आई है ।
  • उत्पादकता में वृद्धि: स्वस्थ आबादी उत्पादकता में सुधार करने में योगदान देती है, जिससे अर्थव्यवस्था को लाभ होता है। 
    • उदाहरण के लिए: विश्व बैंक ने पाया कि ग्रामीण क्षेत्रों में बीमारी के कारण कार्य के दिनों की हानि कम हुई है , जिससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिला है।
  • रोजगार सृजन: स्वच्छता संबंधी बुनियादी ढाँचे के निर्माण से ग्रामीण इलाकों में रोजगार के अवसर उत्पन्न हुए हैं। 
    • उदाहरण के लिए: पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय का अनुमान है कि, 100 मिलियन से अधिक शौचालयों के निर्माण से रोजगार के व्यापक अवसर उत्पन्न होंगे।
  • पर्यटन राजस्व में वृद्धि: स्वच्छ सार्वजनिक स्थलों ने पर्यटन स्थल के रूप में भारत की लोकप्रियता में वृद्धि की है। 
    • उदाहरण के लिए: स्वच्छ भारत मिशन के नेतृत्व में स्वच्छता सुधारों के कारण वाराणसी में पर्यटन राजस्व में वृद्धि देखी गई ।

सामाजिक गरिमा

  • महिलाओं की सुरक्षा में वृद्धि: घरेलू शौचालयों ने महिलाओं की सुरक्षा में सुधार किया है, जिससे खुले में शौच से जुड़े जोखिम कम हुए हैं । 
    • उदाहरण के लिए: मध्य प्रदेश के एक सर्वेक्षण में घरेलू शौचालयों के निर्माण के बाद उत्पीड़न के मामलों में कमी आई है
  • निजता और गरिमा की बहाली: स्वच्छ भारत मिशन ने लाखों लोगों, खास तौर पर महिलाओं और वंचित  समूहों की निजता और गरिमा बहाल की है। 
    • उदाहरण के लिए: राजस्थान में महिलाओं ने शौचालयों तक पहुँच के कारण सामाजिक गरिमा में सुधार देखा गया है।
  • जातिगत भेदभाव में कमी: स्वच्छ भारत मिशन के तहत सार्वजनिक शौचालयों ने ग्रामीण भारत में जाति-आधारित भेदभाव को कम करने में मदद की है। 
    • उदाहरण के लिए: तमिलनाडु में स्वच्छता सुविधाओं तक समान पहुंच के कारण सामाजिक भेदभाव में कमी देखी गई।

भारतीय समाज के विभिन्न पहलुओं पर स्वच्छ भारत मिशन की चुनौतियाँ और नकारात्मक प्रभाव

सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियाँ

  • व्यवहार परिवर्तन प्रतिरोध: खुले में शौच से मुक्त होने के बावजूद, कई समुदाय अपनी पुरानी आदतों के कारण खुले में शौच करते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: झारखंड की एक रिपोर्ट के अनुसार शौचालय की उपलब्धता के बावजूद इसकी कुछ ग्रामीण आबादी खुले में शौच करती है।
  • अपर्याप्त अपशिष्ट प्रबंधन: स्वच्छ भारत मिशन को शहरी क्षेत्रों में प्रभावी अपशिष्ट निपटान के संदर्भ में संघर्ष करना पड़ा है। 
    • उदाहरण के लिए: दिल्ली को अपर्याप्त अपशिष्ट उपचार संयंत्रों के साथ कई गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
  • शौचालय के उपयोग से परे स्वच्छता पर ध्यान न देना: जबकि शौचालय निर्माण को प्राथमिकता दी गई है, सुरक्षित जल प्रबंधन और मासिक धर्म स्वच्छता जैसी प्रथाओं पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया है। 
    • उदाहरण के लिए: WaterAid द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन अभी भी कई क्षेत्रों में अपर्याप्त है।

आर्थिक चुनौतियाँ

  • बुनियादी ढाँचे का रखरखाव: स्वच्छता बुनियादी ढाँचे के खराब रखरखाव ने कई शौचालयों को बेकार कर दिया है। 
    • उदाहरण के लिए: राजस्थान की एक रिपोर्ट में पाया गया कि स्वच्छ भारत मिशन के दौरान बनाए गए कई शौचालय रखरखाव की कमी के कारण अनुपयोगी हो चुके थे
  • निम्न आय वाले परिवारों पर लागत का बोझ: कुछ घरों में शौचालय के रख-रखाव का खर्च वहन करना पड़ता है , जो निम्न आय वाले परिवारों के लिए वहनीय नहीं हो सकता है।
    • उदाहरण के लिए: ग्रामीण बिहार में परिवारों ने मरम्मत का खर्च वहन करने में चुनौतियों की सूचना दी, जिसके कारण शौचालय का उपयोग नहीं किया जाता है।

सामाजिक चुनौतियाँ

  • दूरदराज के क्षेत्रों में असमान पहुंच: आदिवासी और दूरदराज के क्षेत्रों को स्वच्छता सुविधाओं का लाभ उठाने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। 
    • उदाहरण के लिए: छत्तीसगढ़ में, भौगोलिक अलगाव के कारण कई आदिवासी समुदाय शौचालयों से वंचित हैं।
  • स्वच्छता कर्मियों के प्रति कलंक: अपशिष्ट प्रबंधन में शामिल श्रमिकों को अक्सर सामाजिक कलंक और भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है। 
    • उदाहरण के लिए : मैनुअल स्कैवेंजरों के साथ समाज में गरिमापूर्ण व्यवहार नहीं किया जाता है, जबकि कानून में ऐसी प्रथाओं पर रोक है।

आगे की राह

  • व्यवहार परिवर्तन को तीव्र करना: ODF स्थिति को बनाए रखने हेतु, व्यवहार परिवर्तन के लिए अभियानों को मजबूत करना महत्वपूर्ण है। 
    • उदाहरण के लिए: स्वच्छ भारत एम्बेसडर कार्यक्रम का विस्तार करके, स्थानीय नेताओं द्वारा  ग्रामीण समुदायों में शौचालयों और स्वच्छता प्रथाओं के निरंतर उपयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित किया जा सकता है।
  • अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों को मजबूत करना: शहरी क्षेत्रों के लिए अपशिष्ट प्रबंधन बुनियादी ढाँचे में निवेश करना महत्वपूर्ण है। 
    • उदाहरण के लिए: मुंबई जैसे शहर विकेंद्रीकृत सीवेज उपचार संयंत्रों  से लाभ उठाते हुए अपशिष्ट निपटान में सुधार और पर्यावरणीय प्रभाव को कम कर सकते हैं।
  • जल आपूर्ति और रखरखाव सुनिश्चित करना: सरकारों को स्वच्छता सुविधाओं का उचित रखरखाव और उन्हें निरंतर जल आपूर्ति की व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए। 
    • उदाहरण के लिए: मध्य प्रदेश ने शौचालय रखरखाव के लिए वित्तीय सहायता शुरू की है, यह एक ऐसा मॉडल है जिसे स्वच्छता बुनियादी ढाँचे की दीर्घकालिक कार्यक्षमता सुनिश्चित करने के लिए पूरे देश में लागू किया जा सकता है।
  • पर्याप्त वित्तपोषण सुनिश्चित करना: स्वच्छता पहल की सफलता के लिए निरंतर वित्तपोषण, आवश्यक है।
  • समावेशिता पर ध्यान केंद्रित करना: स्वच्छता तक समान पहुँच सुनिश्चित करने के लिए
    आदिवासी और दूरदराज के समुदायों पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। 

    • उदाहरण के लिए: सरकार पूर्वोत्तर राज्यों में बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को प्राथमिकता दे सकती है , यह सुनिश्चित करते हुए कि सबसे दूरदराज के क्षेत्रों को भी स्वच्छ भारत मिशन ढाँचे में शामिल किया जाए।

स्वच्छ भारत मिशन ने सार्वजनिक स्वास्थ्य को बदला है, अर्थव्यवस्था में सुधार किया है और सामाजिक गरिमा को बढ़ाया है। हालांकि, स्थायी प्रभाव के लिए, व्यवहार परिवर्तन और अपशिष्ट प्रबंधन जैसी चुनौतियों का समाधान करना महत्वपूर्ण है। निरंतर प्रयासों के साथ, स्वच्छ भारत मिशन चरण 2 स्वच्छता सुधारों को और आगे बढ़ा सकता है , जिससे भारत स्थायी स्वच्छता प्रथाओं में वैश्विक अग्रणी बन सकता है और सभी नागरिकों के जीवन की समग्र गुणवत्ता में सुधार कर सकता है।

 

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