Q. ऐतिहासिक रूप से अंतर्निहित पश्चिमी मीडिया नेरेटिव और वैचारिक निर्माण किस हद तक भारत की वैश्विक छवि को आकार देते हैं और इसकी भू-राजनीतिक स्थिति को प्रभावित करते हैं? (10 अंक, 150 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • पश्चिमी मीडिया नरेटिव किस तरह से भारत की वैश्विक छवि को प्रभावित करते हैं, इस पर चर्चा कीजिए।
  • पश्चिमी मीडिया नरेटिव किस तरह से भारत की भू-राजनीतिक स्थिति को प्रभावित करते हैं, इस पर चर्चा कीजिए।
  • इस नरेटिव का मुकाबला करने का तरीका बताएँ।

उत्तर

औपनिवेशिक एवं उत्तर-औपनिवेशिक विचारधाराओं में निहित पश्चिमी मीडिया नरेटिव भारत की वैश्विक छवि तथा भू-राजनीतिक स्थिति को महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित करते हैं। उनके प्रभाव की जाँच करना धारणाओं को नया रूप देने एवं भारत की आधुनिक आकांक्षाओं को संबोधित करने के लिए महत्त्वपूर्ण है।

ऐतिहासिक रूप से अंतर्निहित पश्चिमी मीडिया नरेटिव एवं वैचारिक निर्माण भारत की वैश्विक छवि को किस हद तक आकार देते हैं

  • औपनिवेशिक रूपक एवं प्राच्यवाद: पश्चिमी चित्रणों ने लंबे समय से भारत को पिछड़े क्षेत्र के रूप में चित्रित किया है, जो पदानुक्रमिक धारणाओं को मजबूत करता है।
    • उदाहरण: कैथरीन मेयो की वर्ष 1927 की विवादास्पद कृति मदर इंडिया में भारतीय समाज को नैतिक और सांस्कृतिक रूप से पतित दिखाया गया, जिसने दशकों तक अमेरिकी विचारों को आकार दिया।
  • आतंकवाद को ‘अस्तित्व के संघर्ष’ के रूप में प्रस्तुत करना: प्रमुख समाचार-पत्र प्रायः इस्लामी हिंसा को उग्रवाद बताते हैं तथा इसके आतंकवादी आयाम को कमतर आंकते हैं।
  • फिल्म एवं टीवी में चुनिंदा सांस्कृतिक स्पॉटलाइट: वैश्विक ब्लॉकबस्टर फिल्में गरीबी, अपराध या रहस्यवाद पर ध्यान केंद्रित करती हैं, जो भारत की विविधता और प्रगति को अस्पष्ट करती हैं।
    • उदाहरण: स्लमडॉग मिलियनेयर (2008) ने भारत के बारे में पश्चिमी धारणाओं को उत्प्रेरित किया, जिसे झुग्गियों एवं गंदगी के रूप में परिभाषित किया गया।
  • उत्पीड़क-उत्पीड़ित द्विआधारी नरेटिव: संघर्षों को अक्सर पश्चिमी वैचारिक लेंस के माध्यम से भारत को उत्पीड़क के रूप में चित्रित किया जाता है।
    • उदाहरण: पहलगाम के बाद अल जजीरा की कवरेज में इस बात पर जोर दिया गया कि कश्मीरी नागरिक हमले की आतंकी प्रकृति से पीड़ित हैं, जो ‘प्रतिरोध संघर्ष’ की बात को प्रतिध्वनित करता है।

ये नरेटिव भारत की भू-राजनीतिक स्थिति को किस तरह प्रभावित करता हैं

  • विदेश नीति पर पक्षपातपूर्ण बहस: मीडिया द्वारा संचालित पूर्वाग्रह वाशिंगटन जैसी राजधानियों में विधायी सुनवाई और नीतिगत रुख को प्रभावित करते हैं।
  • प्रवासी भेदभाव एवं सक्रियता: रूढ़िवादिता विदेशों में भारतीय समुदायों के खिलाफ पूर्वाग्रह को बढ़ावा देती है एवं उनकी समर्थन में बाधा डालती है।
    • उदाहरण: स्लमडॉग मिलियनेयर के बाद, भारतीय-अमेरिकियों ने अपमानजनक रूप से “स्लमडॉग” कहे जाने की बात कही, जो दर्शाता है कि कैसे फिल्मी नरेटिव वास्तविक दुनिया के पूर्वाग्रह में बदल जाते हैं।
  • आतंकवाद विरोधी एकजुटता का क्षरण: आतंकवादी घटनाओं को कम करके आँकना दक्षिण एशिया में इस्लामी उग्रवाद के विरुद्ध समन्वित कार्रवाई के लिए वैश्विक दृढ़ विश्वास को कमजोर करता है।
  • मानवाधिकार मंचों में कमजोर नैतिक अधिकार: धार्मिक स्वतंत्रता एवं अल्पसंख्यक अधिकारों पर नकारात्मक चित्रण UNHRC जैसी संस्थाओं में भारत की स्थिति को कमजोर करता है।
  • प्रतिद्वंद्वी नरेटिव का सशक्तीकरण: चीन एवं पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र जैसे मंचों एवं CGTN तथा ARY न्यूज जैसे मीडिया चैनलों पर अपने स्वयं के रणनीतिक नरेटिव का प्रचार करने के लिए पश्चिमी मीडिया पूर्वाग्रह का लाभ उठाते हैं। 
    • उदाहरण: वर्ष 2017 के डोकलाम गतिरोध के दौरान, चीन के सरकारी ग्लोबल टाइम्स ने मौजूदा नरेटिव अंतराल का लाभ उठाते हुए भारत के उद्देश्यों पर पश्चिमी संदेह को उजागर किया।

भारत को इस नरेटिव को बदलने के लिए ये कदम उठाने चाहिए

  • विश्व स्तरीय वैश्विक समाचार सेवा स्थापित करना: BBC वर्ल्ड सर्विस के समान एक स्वतंत्र, बहुभाषी अंतरराष्ट्रीय प्रसारक लॉन्च करना।
  • सांस्कृतिक कूटनीति छात्रवृत्ति का विस्तार करना: विदेशी छात्रों को दी जाने वाली वार्षिक ICCR छात्रवृत्ति में वृद्धि करना, जिससे भारत की विरासत की गहरी, जमीनी समझ को बढ़ावा मिले।
    • उदाहरण: भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद वर्तमान में प्रत्येक वर्ष 140 से अधिक देशों के छात्रों को 3,938 छात्रवृत्तियाँ प्रदान करती है।
  • सरकारी स्वामित्व वाले अंतरराष्ट्रीय समाचार चैनलों को मजबूत करना: DD इंडिया एवं DD न्यूज को 190 से अधिक देशों में बेहतर संसाधनों तथा डिजिटल वितरण के साथ पुनः स्थापित करना, ताकि वैश्विक मीडिया में एक विश्वसनीय भारतीय प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो सके।
    • प्रवासी मीडिया नेटवर्क का समर्थन करना: प्रमुख पश्चिमी बाजारों में भारतीय दृष्टिकोण को पेश करने के लिए प्रवासी समर्थक संगठनों एवं समाचार आउटलेट (जैसे- हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन) को फंड करना तथा उनके साथ साझेदारी करना।
  • डिजिटल कूटनीति को बढ़ावा देना: गलत सूचनाओं का मुकाबला करने एवं भारतीय नरेटिव को बढ़ावा देने वाले लक्षित अभियानों के साथ विदेश मंत्रालय की सोशल मीडिया उपस्थिति का लाभ उठाना।
    • उदाहरण: @MEAIndia एवं @IndianDiplomacy मिलकर ट्विटर पर 2.7 मिलियन उपयोगकर्ताओं को जोड़ते हैं, जो वास्तविक समय में नरेटिव मैनेजमेंट के लिए मंच की शक्ति को दर्शाता है।

ऐतिहासिक नरेटिव के बावजूद, भारत की कूटनीति, सांस्कृतिक पहुँच एवं विकास इसकी छवि को पुनः परिभाषित करने के अवसर प्रदान करते हैं। सॉफ्ट पॉवर का लाभ उठाना तथा अपने स्वयं के नरेटिव को बढ़ावा देना वैश्विक धारणाओं को इसके भू-राजनीतिक लक्ष्यों के साथ जोड़ सकता है।

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