Q. संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों को संरचना और निष्पादन दोनों के संदर्भ में तत्कालिक सुधार की आवश्यकता है। हाल के वैश्विक संघर्षों के आलोक में वक्तव्य का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए और सुधार के लिए आवश्यक उपाय सुझाएँ। (15 अंक , 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • संरचना और कार्यान्वयन दोनों के संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना मिशनों में तत्काल सुधार की आवश्यकता पर चर्चा कीजिए।
  • हालिया वैश्विक संघर्षों के आलोक में संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना मिशनों में सुधारों के सकारात्मक प्रभाव का विश्लेषण कीजिए।
  • संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना मिशनों में सुधार लाने में आने वाली चुनौतियों का मूल्यांकन कीजिए।
  • सुधार के लिए आवश्यक उपाय सुझाइये।

उत्तर

संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना अभियान, संयुक्त राष्ट्र के वो मिशन हैं, जो सुरक्षा और शांति निर्माण प्रयासों के माध्यम से संघर्ष से शांति की ओर संक्रमण करने में देशों की सहायता करते हैं। इसके अंतर्गत वैश्विक शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए विश्व भर में 100,000 से अधिक कर्मियों को तैनात किया गया है। हालाँकि, इन मिशनों को पुरानी संरचनाओं और अकुशल निष्पादन सहित अन्य गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। यूक्रेन और गाजा जैसे हालिया संघर्षों ने नागरिकों की सुरक्षा और शांति को लागू करने में संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना को अधिक उत्तरदायी, सक्षम और कुशल बनाने के लिए तत्काल सुधारों की आवश्यकता को उजागर किया है।

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संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों की संरचना और क्रियान्वयन में तत्कालिक सुधार की आवश्यकता

  • पुरानी कमांड संरचना: संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना अभियानों के भीतर पदानुक्रमित कमांड प्रणाली निर्णय लेने की प्रक्रिया को धीमा कर देती है, जिससे अक्सर संकट की स्थितियों में होने वाली प्रतिक्रिया में देरी होती है। 
    • उदाहरण के लिए: रवांडा नरसंहार (1994) में, संयुक्त राष्ट्र सेना संचार में देरी और अस्पष्ट कमांड जिम्मेदारियों के कारण जल्दी से कार्रवाई करने में विफल रही।
  • सैनिकों की अकुशल तैनाती: शांति स्थापना सेना की तैनाती अक्सर कम आवश्यकता वाले क्षेत्रों में कर दी जाती है, जिससे उच्च-संघर्ष वाले क्षेत्रों में पर्याप्त हस्तक्षेप संभव नहीं हो पाता। 
    • उदाहरण के लिए: यूक्रेन में तत्काल आवश्यकताओं के बावजूद संयुक्त राष्ट्र इस उच्च-संघर्ष वाले क्षेत्र में, कम महत्वपूर्ण मिशनों में तैनात किये गये सैनिकों को पुनः तैनात करने में विफल रहा है।
  • संसाधनों और आधुनिक उपकरणों की कमी: संयुक्त राष्ट्र के कई शांति स्थापना अभियानों को कम निधि मिल पाती है और उन्हें आधुनिक उपकरणों की कमी की समस्या का भी सामना करना पड़ता है, जिससे संघर्ष क्षेत्रों में अप्रभावी संचालन होता है। 
    • उदाहरण के लिए: दक्षिण सूडान (UNMISS) में शांति सैनिकों को अपर्याप्त रसद और पुराने संचार उपकरणों के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिससे नागरिकों की रक्षा करने की उनकी क्षमता बाधित होती है।
  • सुरक्षा परिषद की वीटो शक्ति: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की संरचना जिसके अंतर्गत पाँच स्थायी सदस्यों  (P5) के पास वीटो शक्ति  है, अक्सर शांति अभियानों में निर्णायक कार्रवाइयों को अवरुद्ध करते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: P5 सदस्य द्वारा वीटो के उपयोग ने सीरियाई गृहयुद्ध में हस्तक्षेप  को अवरुद्ध कर दिया, जिससे शांति लागू करने की संयुक्त राष्ट्र की क्षमता सीमित हो गई।
  • बल प्रयोग के लिए कमजोर अधिदेश: कई शांति अभियानों के अधिदेश कमजोर हैं, जो सशस्त्र समूहों के खिलाफ़ सशक्त कार्रवाई करने की उनकी क्षमता को सीमित करते हैं जिससे उनके हस्तक्षेप  की प्रभावशीलता कम हो जाती है। 
    • उदाहरण के लिए: डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (DRC) में संयुक्त राष्ट्र के MONUSCO मिशन को सीमित अधिदेश के कारण हिंसा को रोकने में असमर्थ होने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा है।

संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना मिशनों में सुधारों का सकारात्मक प्रभाव

  • बेहतर प्रतिक्रिया समय: कमांड संरचनाओं और निर्णयन प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने वाले सुधार, संकट के दौरान शांति स्थापना सेना के प्रतिक्रिया समय में भी सुधार कर सकते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: UNMIL (LIBERIA) में सुधारी गई कमांड संरचना ने तनाव बढ़ने के दौरान सैनिकों की त्वरित तैनाती की सुविधा प्रदान दी, जिससे नागरिकों की बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित हुई।
  • अधिक जवाबदेही: बेहतर निगरानी तंत्र लागू करने से जवाबदेही बढ़ेगी, कदाचार जैसी समस्याओं पर रोक लगेगी और यह सुनिश्चित होगा कि शांति स्थापना कर्मी अपने आदेशों का प्रभावी रूप से पालन करें।
  • कुशल संसाधन आवंटन: उपकरणों के आधुनिकीकरण और पर्याप्त वित्तपोषण उपलब्ध कराने के उद्देश्य से किए गए सुधारों से शांति मिशनों की परिचालन क्षमता में वृद्धि हो सकती है।
  • मजबूत अधिदेश: शांति स्थापना अभियानों के अधिदेशों में संशोधन करके, आवश्यकता पड़ने पर बल प्रयोग की अनुमति देने से  संघर्ष क्षेत्रों को स्थिर करने में मिशनों को और अधिक प्रभावी बना सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: DRC में संयुक्त राष्ट्र हस्तक्षेप  ब्रिगेड ने एक मजबूत अधिदेश के साथ, क्षेत्र में सशस्त्र समूहों की गतिविधियों को सफलतापूर्वक कम किया।
  • क्षेत्रीय संगठनों के साथ बेहतर समन्वय: संयुक्त राष्ट्र और क्षेत्रीय संगठनों के बीच समन्वय में सुधार से शांति स्थापना के प्रयास अधिक प्रभावी साबित हो सकते हैं।

संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों में सुधार लाने की चुनौतियाँ

  • स्थायी सदस्यों का विरोध: सुरक्षा परिषद के P5 सदस्य अक्सर ऐसे सुधारों का विरोध करते हैं जो उनकी वीटो शक्ति को कम कर सकते हैं भले ही वो शांति अभियानों के प्रवर्तन के लिए महत्वपूर्ण हों। 
    • उदाहरण के लिए: सुरक्षा परिषद का विस्तार करने या वीटो शक्ति को सीमित करने के किसी भी प्रस्ताव को कुछ स्थायी सदस्यों के विरोध का सामना करना पड़ा है।
  • वित्तपोषण संबंधी बढ़ाए: कई देश शांति अभियानों में अपने वित्तीय योगदान को बढ़ाने के प्रति अनिच्छुक हैं, जिसके परिणामस्वरूप संसाधनों की कमी हो रही है और मिशनों की प्रभावशीलता कम हो रही है।
  • राजनीतिक हस्तक्षेप: कभी-कभी मेजबान सरकारों के राजनीतिक हस्तक्षेप से  शांति मिशनों में बाधा उत्पन्न होती है, जिससे उनकी स्वतंत्र रूप से कार्य करने की क्षमता सीमित हो जाती है । 
    • उदाहरण के लिए: दक्षिण सूडान में , सरकार ने शांति सैनिकों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिए हैं, जिससे उन्हें संघर्ष क्षेत्रों में पहुँचने से रोका जा सके।
  • आधुनिक संघर्षों की जटिल प्रकृति: आधुनिक संघर्षों में अक्सर गैर-राज्यीय तत्व और असममित युद्ध शामिल होते हैं, जिससे पारंपरिक शांति स्थापना के तरीके कम प्रभावी हो जाते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: मध्य अफ्रीकी गणराज्य (CAR) में, शांति सैनिकों को पारंपरिक युद्धविराम समझौतों का पालन न करने वाले सशस्त्र मिलिशिया द्वारा की जाने वाली हिंसा को रोकने के लिए संघर्ष करना पड़ा है।
  • दूरस्थ क्षेत्रों में सैन्य चुनौतियाँ: कई संयुक्त राष्ट्र मिशन दूरस्थ या पहुँच के मामले में कठिन क्षेत्रों में तैनात किये जाते हैं, जहां खराब बुनियादी ढाँचे और प्रतिकूल वातावरण के कारण रसद सहायता एक बड़ी चुनौती बन जाती है।

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सुधार के लिए आवश्यक उपाय

  • सुरक्षा परिषद की सदस्यता का विस्तार: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता का विस्तार कर भारत और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों को इसमें शामिल करने से शांति स्थापना के प्रयास अधिक प्रतिनिधित्वपूर्ण और कुशल बन सकते हैं।
  • शांति सैनिकों के लिए उन्नत प्रशिक्षण: संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों को बेहतर प्रशिक्षण प्रदान करने से, विशेष रूप से गैर-राज्य अभिकर्ताओं और आधुनिक संघर्ष परिदृश्यों से निपटने के मामले में,मिशन के परिणामों में सुधार हो सकता है।
  • वित्त पोषण और संसाधन आवंटन में वृद्धि: शांति सेना को अधिक धन आवंटित करने और उपलब्ध उपकरणों का आधुनिकीकरण करने से नागरिकों की सुरक्षा और शांति स्थापित करने की उनकी क्षमता में उल्लेखनीय सुधार हो सकता है।
  • सशक्त कार्रवाई के लिए अधिदेशों को सुदृढ़ बनाना: शांति मिशनों को  ऐसे सशक्त अधिदेशों की आवश्यकता है, जो नागरिकों की सुरक्षा और युद्ध विराम को लागू करने के लिए आवश्यक होने पर बल प्रयोग की अनुमति देते हो।
  • क्षेत्रीय कर्ताओं के साथ बेहतर समन्वय: संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों और क्षेत्रीय संगठनों के बीच बेहतर समन्वय से मिशन की प्रभावशीलता बढ़ सकती है, विशेष रूप से जटिल संघर्षों में।

संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना अभियानों में सुधार, आधुनिक संघर्षों की जटिल प्रकृति को संबोधित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। इन मिशनों की संरचना और इनके कार्यान्वयन को मजबूत करके, जवाबदेही को बढ़ाकर और संसाधन आवंटन में सुधार करके, संयुक्त राष्ट्र वैश्विक शांति और सुरक्षा के अपने जनादेश को बेहतर ढंग से पूरा कर सकता है। भविष्य में, एक सुधारित संयुक्त राष्ट्र उभरते संघर्षों की चुनौतियों के अनुकूल एक अधिक उत्तरदायी और निर्णायक शक्ति के रूप में काम कर सकता है।

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