प्रश्न की मुख्य माँग
- स्पष्ट कीजिए कि टैरिफ केवल आर्थिक साधन नहीं हैं, बल्कि अमेरिकी व्यापार नीतियों के संदर्भ में रणनीतिक शक्ति के साधन हैं।
- भारत पर अमेरिकी व्यापार नीतियों के पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों पर चर्चा कीजिए।
- भारत पर अमेरिकी व्यापार नीतियों के पड़ने वाले सकारात्मक प्रभावों पर चर्चा कीजिए।
- आगे की राह लिखिये।
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उत्तर
परंपरागत रूप से व्यापार को विनियमित करने और घरेलू उद्योगों की रक्षा करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले टैरिफ, रणनीतिक प्रभाव के शक्तिशाली साधन बन गए हैं। विभिन्न प्रशासनों के तहत संयुक्त राज्य अमेरिका ने भू-राजनीतिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए टैरिफ का लाभ उठाया है, जिससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं और व्यापार संबंधों पर असर पड़ा है। यह विशेष रूप से चीन के प्रति उसकी व्यापार नीतियों और भारत जैसी अर्थव्यवस्थाओं पर उनके प्रभावों में स्पष्ट है और ये टैरिफ के रणनीतिक आयामों को दर्शाता है।
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अमेरिकी व्यापार नीतियों के संदर्भ में सामरिक शक्ति के साधन के रूप में टैरिफ
- विदेश नीति उपकरण: टैरिफ विदेश नीति निर्णयों को प्रभावित करके आर्थिक संरक्षणवाद से परे काम करते हैं।
- उदाहरण के लिए: अमेरिका के ट्रेजरी सचिव पद के लिए नामित स्कॉट बेसेन्ट ने रक्षा व्यय और अवैध आप्रवासन जैसे मुद्दों पर सहयोग सुनिश्चित करने के लिए टैरिफ के उपयोग पर बल दिया।
- समझौते का लाभ:अन्य राष्ट्रों पर अमेरिकी नीतियों के साथ तालमेल बिठाने का दबाव बनाते हुए टैरिफ, अंतर्राष्ट्रीय वार्ताओं में लाभ प्रदान करते हैं।
- उदाहरण के लिए: अमेरिका ने सीमा पार नशीली दवाओं और प्रवासियों के प्रवाह को रोकने के लिए मेक्सिको पर 25 % टैरिफ लगाने का प्रस्ताव रखा, जिससे मेक्सिको, विरोध करने के बजाय समझौता करने के लिए मजबूर हो गया।
- अनुचित प्रथा निवारक: टैरिफ, अनुचित मानी जानी वाली आर्थिक प्रथाओं को रोकते हैं, जैसे मुद्रा हेरफेर या बौद्धिक संपदा की चोरी।
- उदाहरण के लिए: अमेरिका ने अनुचित व्यापार प्रथाओं और बौद्धिक संपदा संबंधी चिंताओं का हवाला देते हुए चीन पर टैरिफ लगाया।
- गठबंधन निर्माण: विशिष्ट राष्ट्रों या क्षेत्रों को लक्षित करके, टैरिफ वैश्विक आर्थिक गठबंधनों को आकार देने में मदद करते हैं।
- उदाहरण के लिए: ‘फेयर ट्रेड ब्लॉक’ के लिए अमेरिका का प्रस्ताव साझा सुरक्षा हितों वाले सहयोगियों के बीच टैरिफ को संरेखित करता है।
- राष्ट्रीय सुरक्षा: ये महत्वपूर्ण आयातों के लिए प्रतिद्वंद्वी देशों पर निर्भरता कम करके राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के साधन हैं।
- उदाहरण के लिए: बेसेन्ट ने घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देकर और चीन पर निर्भरता कम करके टैरिफ को औद्योगिक नीति से जोड़ा ।
भारत पर अमेरिकी व्यापार नीतियों के नकारात्मक प्रभाव
- निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता: भारतीय निर्यात पर उच्च टैरिफ ,अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धात्मकता को कम कर सकते हैं।
- उदाहरण के लिए: ट्रम्प के पहले कार्यकाल के दौरान, भारत को स्टील और एल्युमीनियम निर्यात पर बढ़े हुए टैरिफ का सामना करना पड़ा, जिससे इन उद्योगों पर असर पड़ा।
- व्यापार घाटा: टैरिफ से अमेरिका के साथ भारत का व्यापार घाटा बढ़ सकता है, जिससे आर्थिक संतुलन प्रभावित हो सकता है।
- उदाहरण के लिए: अमेरिका ने भारत का GSP (सामान्यीकृत वरीयता प्रणाली) दर्जा वापस ले लिया, जिससे 5.6 बिलियन डॉलर के भारतीय निर्यात पर मिलने वाला शुल्क-मुक्त लाभ समाप्त हो गया ।
- आपूर्ति शृंखला में व्यवधान: टैरिफ़ से प्रेरित वैश्विक व्यापार तनाव भारतीय उद्योगों की महत्वपूर्ण आपूर्ति शृंखलाओं को बाधित कर सकता है।
- उदाहरण के लिए: चीनी वस्तुओं पर लगने वाले टैरिफ ने विनिर्माण के लिए चीनी घटकों पर निर्भर भारतीय फर्मों की लागत बढ़ा दी ।
- निर्यात माँग पर प्रभाव: वैश्विक व्यापार प्रवाह में कमी से भारतीय निर्यात की माँग कम हो सकती है, जिससे आर्थिक विकास प्रभावित हो सकता है।
- उदाहरण के लिए: अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध ने वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता उत्पन्न की, जिससे भारत के निर्यात प्रदर्शन पर असर पड़ा।
- नीतिगत दबाव: रणनीतिक टैरिफ़ का उपयोग, भारत पर महत्वपूर्ण घरेलू नीतियों पर समझौता करने का दबाव डाल सकता है।
- उदाहरण के लिए: अमेरिका ने भारत पर कृषि सब्सिडी कम करने का दबाव बनाया है ताकि अमेरिकी कृषि उत्पादों को भारतीय बाजार में अधिक पहुँच प्राप्त हो सके।
भारत पर अमेरिकी व्यापार नीतियों के सकारात्मक प्रभाव
- बाजार के अवसर: चीन पर लक्षित टैरिफ भारत के लिए अमेरिकी बाजार में हिस्सेदारी हासिल करने के अवसर उत्पन्न कर सकते हैं।
- उदाहरण के लिए: अमेरिका ने चीनी वस्तुओं पर 25% टैरिफ लगाया, जिससे अमेरिकी कंपनियों ने भारत की ओर रुख करना शुरू कर दिया।
- भू-राजनीतिक संरेखण: भारत, व्यापार नीतियों को संरेखित करके अमेरिका के साथ अपनी भू-राजनीतिक साझेदारी को मजबूत कर सकता है।
- उदाहरण के लिए: भारत और अमेरिका ने QUAD फ्रेमवर्क के तहत रक्षा और प्रौद्योगिकी पर सहयोग किया, जिससे द्विपक्षीय संबंध मजबूत होंगे।
- घरेलू उद्योग वृद्धि: रणनीतिक टैरिफ संरेखण घरेलू औद्योगिक विकास को बढ़ावा दे सकता है और व्यापार असंतुलन को कम कर सकता है।
- उदाहरण के लिए: भारत की मेक इन इंडिया पहल को अमेरिका-चीन तनाव के कारण आपूर्ति श्रृंखलाओं के पुनर्निर्देशन से लाभ हो सकता है।
- नए निर्यात क्षेत्र: टैरिफ वार्ता से अमेरिका में भारतीय निर्यात के लिए नए क्षेत्र खुल सकते हैं।
- उदाहरण के लिए: भारत ने व्यापार वार्ता के दौरान अमेरिका को फार्मास्यूटिकल और IT सेवाओं के निर्यात का विस्तार किया।
- प्रौद्योगिकी तक पहुँच: मजबूत होते भारत-अमेरिका व्यापार संबंध भारत को उन्नत प्रौद्योगिकियों तक पहुँच प्रदान कर सकते हैं।
- उदाहरण के लिए: अमेरिका-भारत रक्षा सौदों के अंतर्गत एयरोस्पेस और साइबर सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण किये गये थे।
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भारत के लिए आगे की राह
- संतुलित व्यापार दृष्टिकोण: भारत को संतुलित दृष्टिकोण अपनाना चाहिए और अमेरिका के साथ व्यापार सौदों में पारस्परिकता पर जोर देना चाहिए।
- उदाहरण के लिए: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत-अमेरिका संबंधों में पारस्परिक रूप से लाभकारी शर्तों पर जोर दिया।
- बाजार विविधीकरण: निर्यात बाजारों में विविधता लाने से भारत की अमेरिका पर निर्भरता कम हो सकती है, जिससे टैरिफ वृद्धि के जोखिम कम हो सकते हैं।
- उदाहरण के लिए: भारत ने बाजार पहुँच का विस्तार करने के लिए यूरोपीय संघ और ऑस्ट्रेलिया के साथ व्यापार समझौतों को सक्रिय रूप से आगे बढ़ाया है।
- घरेलू उद्योग को बढ़ावा: वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए घरेलू उद्योगों को मजबूत करना प्राथमिकता होनी चाहिए।
- उदाहरण के लिए: उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना का उद्देश्य इलेक्ट्रॉनिक्स और फार्मास्यूटिकल्स जैसे क्षेत्रों में विनिर्माण को बढ़ावा देना है।
- सक्रिय वार्ता: भारत को नई अमेरिकी नीतियों के तहत अनुकूल शर्तें हासिल करने के लिए द्विपक्षीय वार्ता में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए।
- उदाहरण के लिए: भारत ने ट्रम्प के पहले कार्यकाल के दौरान पोल्ट्री और कृषि उत्पादों जैसे क्षेत्रों में अमेरिका के साथ व्यापार विवादों को सुलझाया।
- वैश्विक व्यापार ब्लॉक: भारत के आर्थिक और सुरक्षा हितों के पूरक ग्लोबल ट्रेड ब्लॉक्स के साथ जुड़ाव से भारत के व्यापार संबंध मजबूत होंगे।
- उदाहरण के लिए: IPEF (इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क) में भारत की सदस्यता अमेरिका और सहयोगी देशों के साथ उसके व्यापार संबंधों को मजबूत कर सकती है।
जबकि टैरिफ अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में रणनीतिक लाभ प्रदान करते हैं, उनका दुरुपयोग वैश्विक आर्थिक स्थिरता को बाधित कर सकता है। प्रतिकूल प्रभावों को कम करने के लिए, भारत और अमेरिका को रचनात्मक वार्ता में शामिल होना चाहिए व व्यापार कूटनीति के माध्यम से पारस्परिक लाभों पर बल देना चाहिए । बहुपक्षीय संस्थानों को मजबूत करने और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने से संतुलित शक्ति गतिशीलता सुनिश्चित होगी और नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।
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