प्रश्न की मुख्य माँग
- विभिन्न शहरी गरीबी उन्मूलन योजनाओं पर प्रकाश डालिये।
- चर्चा कीजिए कि विभिन्न शहरी गरीबी उन्मूलन योजनाओं के बावजूद भारत में शहरी गरीबी एक सतत चुनौती क्यों बनी हुई है।
- शहरी गरीबी की बहुआयामी प्रकृति का विश्लेषण कीजिए।
- बढ़ते ग्रामीण शहरी प्रवास के मद्देनजर इस मुद्दे के समाधान हेतु व्यापक उपाय सुझाइये।
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उत्तर
नीति आयोग के बहुआयामी गरीबी सूचकांक के अनुसार, वर्ष 2013-14 में गरीबी 29.17% से घटकर वर्ष 2022-23 में 11.28% हो गई है, जबकि इस अवधि के दौरान लगभग 24.82 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। हालाँकि, शहरी गरीबी उन्मूलन एक चुनौतीपूर्ण कार्य है क्योंकि ग्रामीण गरीब लोगों के शहरी केंद्रों की ओर पलायन के कारण यह समस्या धीरे-धीरे बढ़ रही है।
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शहरी गरीबी उन्मूलन योजनाएँ
- प्रधानमंत्री आवास योजना: शहरी (PMAY-U): इसका उद्देश्य शहरी गरीबों को घर बनाने या खरीदने के लिए सब्सिडी देकर किफायती आवास उपलब्ध कराना है।
- उदाहरण के लिए: वर्ष 2024 तक, 1.18 करोड़ घरों को मंजूरी दी गई है, जिनमें से 85.5 लाख से अधिक परिवार पहले ही PMAY-U के तहत लाभार्थियों को बनाकर दिए जा चुके हैं।
- राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (NULM): शहरी गरीबों के लिए कौशल विकास, स्वरोजगार और स्थायी आजीविका पर ध्यान केंद्रित करता है ।
- उदाहरण के लिए: केरल में, कुदुम्बश्री मिशन NULM कार्यक्रम के कार्यान्वयन में मदद करता है और महिलाओं के नेतृत्व वाली उद्यमशीलता गतिविधियों को प्रोत्साहित करता है।
- जल जीवन मिशन- शहरी (JJM-U): वंचित समुदायों को लक्षित करते हुए यह योजना, शहरी परिवारों के लिए सुरक्षित और पर्याप्त पेयजल की उपलब्धि सुनिश्चित करती है।
- उदाहरण के लिए: 2.5 करोड़ से अधिक शहरी परिवारों को नल कनेक्शन प्रदान करने का लक्ष्य (SDG 6)
- स्मार्ट सिटी मिशन:यह योजना, शहरी क्षेत्रों के बुनियादी ढाँचे और जीवन स्तर में सुधार करके समावेशी शहरी विकास को बढ़ावा देती है।
- उदाहरण के लिए: पुणे जैसे शहरों ने इस पहल के तहत किफायती आवास परियोजनाओं और अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों को उन्नत किया है।
- स्वच्छ भारत मिशन-शहरी (SBM-U): शहरी मलिन बस्तियों में रहने वाले लोगों की जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए स्वच्छता और अपशिष्ट प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करता है।
- उदाहरण के लिए: आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2024 तक, 4576 शहरों ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत ODF का दर्जा हासिल किया।
शहरी गरीबी के बने रहने के कारण
- प्रवासियों का बहिष्कार: कई प्रवासियों के पास निवास या पहचान प्रमाण पत्र नहीं होता है, जिसके परिणामस्वरूप वे कल्याणकारी लाभों से वंचित रह जाते हैं।
- उदाहरण के लिए: COVID-19 के दौरान , राशन कार्ड न दिखा पाने के कारण लाखों प्रवासी खाद्य राशन नहीं प्राप्त कर सके।
- झुग्गी-झोपड़ियों की वृद्धि और अपर्याप्त आवास: अधिक किराए और किफायती आवास की कमी, शहरी गरीबों को अनौपचारिक बस्तियों में रहने के लिए मजबूर करती है।
- उदाहरण के लिए: वर्तमान में, शहरी आबादी का 17.7 प्रतिशत जिसमें लगभग 65 मिलियन लोग शामिल हैं, झुग्गियों में रहते हैं ( जनगणना 2011 )
- अनौपचारिक क्षेत्र पर निर्भरता: शहरी गरीब अक्सर अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में काम करते हैं, जिसमें कम वेतन , नौकरी की असुरक्षा और कोई सामाजिक सुरक्षा नहीं होती है।
- उदाहरण के लिए: 80% से अधिक शहरी श्रमिक अनौपचारिक रूप से कार्यरत हैं, और वे बुनियादी कर्मचारी लाभ नहीं प्राप्त कर पाते।
- अकुशल योजना कार्यान्वयन: गरीबी उन्मूलन योजनाओं में लीकेज और देरी से लाभार्थियों पर उनका प्रभाव कम हो जाता है।
- शहरी बुनियादी ढाँचे पर अत्यधिक बोझ: तेजी से हो रहे शहरीकरण के कारण मौजूदा बुनियादी ढाँचे पर दबाव बढ़ रहा है, जिससे बढ़ती आबादी की जरूरतें पूरी नहीं हो पा रही हैं।
- उदाहरण के लिए: दिल्ली जैसे शहरों में उच्च जनसंख्या घनत्व के कारण पानी, आवास और स्वच्छता की गंभीर कमी है।
- जीवन-यापन की उच्च लागत: शहरी क्षेत्रों में अक्सर आवास, स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा सहित जीवन-यापन की लागत बहुत अधिक होती है, जिससे बचत कम हो जाती है और गरीबी बढ़ती है।
शहरी गरीबी की बहुआयामी प्रकृति
- आवास और बुनियादी सुविधाएँ: मलिन बस्तियों में भीड़भाड़ और अस्वास्थ्यकर स्थितियाँ हैं और इसके साथ स्वच्छ जल, स्वच्छता और सीमांत शहरी क्षेत्रों में पर्याप्त बिजली भी नहीं मिल पाती।
- उदाहरण के लिए: भारत में 13.75 मिलियन से अधिक परिवार अपर्याप्त सुविधायुक्त आवासीय स्थितियों वाली झुग्गी-झोपड़ियों में रहते हैं।
- आर्थिक वंचन: शहरी क्षेत्रों में औपचारिक नौकरी के सीमित अवसर उपलब्ध हैं , जिससे गरीब लोग असुरक्षित, कम वेतन वाली अनौपचारिक नौकरियों पर निर्भर हो जाते हैं।
- उदाहरण के लिए: शहरी युवाओं में बेरोजगारी दर ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में अधिक है, जो शहरी आर्थिक असमानताओं को दर्शाती है।
- शैक्षिक बाधाएँ: खराब गुणवत्ता वाली स्कूली शिक्षा के कारण शहरी झुग्गियों में पढ़ाई छोड़ने की दर बढ़ जाती है। इसके अलावा प्रवासन, स्थिरता की कमी के कारण बाल शिक्षा को बाधित करता है।
- उदाहरण के लिए: गरीब परिवारों के केवल 30% शहरी युवा ही कौशल विकास कार्यक्रमों में नामांकित हैं।
- स्वास्थ्य सेवा चुनौतियाँ: उच्च लागत और सीमित सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाएँ,शहरी गरीबों को बीमारियों और स्वास्थ्य संकटों के प्रति संवेदनशील बनाती हैं।
- उदाहरण के लिए: मुंबई में मानखुर्द जैसी शहरी झुग्गियों में कुपोषण की उच्च दर और सीमित स्वास्थ्य सेवा पहुँच की रिपोर्ट की गई है।
- सामाजिक बहिष्कार: शहरी गरीबी, शहरों में व्याप्त धन संबंधी असमानताओं के कारण
वंचन और असमानता की भावनाओं को बढ़ाती है।
- उदाहरण के लिए: धारावी की झुग्गियों और मुंबई की आलीशान गगनचुंबी इमारतों के बीच का अंतर सामाजिक बहिष्कार को उजागर करता है।

शहरी गरीबी दूर करने के लिए व्यापक उपाय
- पोर्टेबल सोशल सिक्योरिटी सिस्टम: प्रवासियों और शहरी गरीबों तक पहुँच सुनिश्चित करने के लिए कल्याणकारी योजनाओं की राष्ट्रव्यापी पोर्टेबिलिटी की शुरुआत की आवश्यकता है।
- उदाहरण के लिए: वन नेशन, वन राशन कार्ड योजना (2019) का उद्देश्य राशन कार्डों का डिजिटलीकरण करके 81 करोड़ से अधिक लाभार्थियों की खाद्य सुरक्षा में सुधार करना है।
- समावेशी शहरी नियोजन को बढ़ावा देना: किफायती आवास और स्वच्छता को बढ़ावा देना चाहिए व आवास की कमी को कम करने के लिए निजी-सार्वजनिक भागीदारी को प्रोत्साहित करना चाहिए।
- उदाहरण के लिए: आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने शहरी प्रवासियों और कम आय वाले समूहों को उनके कार्यस्थलों के पास रियायती आवास प्रदान करने के लिए वर्ष 2020 में PMAY-U के तहत किफायती किराये के आवास परिसर ( ARHC) की शुरुआत की।
- कौशल विकास और रोजगार सृजन: रोजगार सृजन के लिए उद्योग से जुड़े कौशल कार्यक्रमों और श्रम-प्रधान उद्योगों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
- उदाहरण के लिए: NULM (2013) ने 12 लाख से अधिक शहरी युवाओं को प्रशिक्षित किया है, जिससे उनकी रोजगार क्षमता में वृद्धि हुई है।
- शासन तंत्र को मजबूत करना: बेहतर जवाबदेही और निगरानी के माध्यम से शहरी गरीबी योजनाओं को लागू करने में आने वाली अक्षमताओं को दूर करने का प्रयास करना चाहिए।
- उदाहरण के लिए: CLSS Awas पोर्टल के माध्यम से PMAY-U (2015) की प्रगति की रियलटाइम ट्रैकिंग ने पारदर्शिता में सुधार किया है।
- संतुलित क्षेत्रीय विकास: बड़े शहरों पर प्रवास के दबाव को कम करने के लिए छोटे शहरों के विकास को बढ़ावा देना चाहिए।
- उदाहरण के लिए: स्मार्ट सिटीज मिशन (2015) ने इंदौर और सूरत जैसे टियर-2 शहरों में बुनियादी ढाँचे के विकास का समर्थन किया है ।
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नीति आयोग के अनुसार , भारत में शहरीकरण में उल्लेखनीय वृद्धि होने की संभावना है। एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2030 तक भारत की 40% आबादी शहरों में निवास करेगी । यह सुनिश्चित करने के लिए कि शहर , प्रत्यास्थ विकास इंजन के रूप में कार्य करें, उन्हें समावेशिता, सुरक्षा और स्थिरता पर जोर देते हुए SDG 11 के साथ संरेखित करना होगा । शहरी गरीबी से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए बुनियादी ढाँचे को मजबूत करना, असमानताओं को दूर करना और सामाजिक व आर्थिक प्रत्यास्थता विकसित करना महत्वपूर्ण होगा।
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