प्रश्न की मुख्य माँग
- पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच राजनयिक संबंधों में आई नरमी के पीछे के कारकों का उल्लेख कीजिए।
- उन तरीकों पर चर्चा कीजिए जिनसे ये संबंध क्षेत्रीय शक्ति गतिशीलता को नया आकार दे सकते हैं।
- इसका दक्षिण एशिया में भारत के सामरिक हित पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
- अपने हितों की सुरक्षा के लिए भारत को क्या कदम उठाने चाहिए?
|
उत्तर
पाकिस्तान के विदेश सचिव की हाल ही में बांग्लादेश यात्रा, 15 वर्षों में दोनों दक्षिण एशियाई देशों के बीच पहली ऐसी कूटनीतिक बैठक है। संबंधों में यह गर्मजोशी, क्षेत्रीय शक्ति समीकरणों को नया आकार देने की क्षमता रखती है विशेषकर दक्षिण एशियाई भू-राजनीति में हो रहे परिवर्तनों के बीच।
पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच राजनयिक संबंधों में आई खटास के पीछे के कारक
- बदलती क्षेत्रीय भूराजनीति: दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन में आए परिवर्तन ने दोनों देशों को अपनी विदेश नीति को फिर से निर्धारित करने के लिए प्रेरित किया है।
- उदाहरण के लिए: बंगाल की खाड़ी में चीन और अमेरिका की बढ़ती दिलचस्पी के साथ, पाकिस्तान बांग्लादेश जैसे देश के साथ नए सिरे से जुड़ाव की कोशिश कर रहा है।
- आर्थिक सहयोग की इच्छा: आर्थिक दबाव और क्षेत्रीय संपर्क की आवश्यकता ने दोनों देशों को ऐतिहासिक शिकायतों से परे देखने के लिए प्रोत्साहित किया है।
- उदाहरण के लिए: बांग्लादेश के बढ़ते परिधान निर्यात और व्यापार विविधीकरण में पाकिस्तान की रुचि ने व्यापार कॉरिडोर के पुनरुद्धार पर वार्ता को बढ़ावा दिया है।
- नेतृत्व परिदृश्य में पीढ़ीगत बदलाव: दोनों देशों में युवा राजनीतिक नेतृत्व, ऐतिहासिक विरोध के बजाय भविष्योन्मुखी कूटनीति पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहा है।
- साझा इस्लामी पहचान और OIC सहभागिता: धार्मिक और सांस्कृतिक समानताएं सहभागिता के लिए सॉफ्ट डिप्लोमेसी के मार्ग प्रदान करती रहती हैं।
- उदाहरण के लिए: दोनों देशों ने इस्लामोफोबिया और फिलिस्तीन जैसे मुद्दों पर इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) मंचों पर एकरूपता दिखाई है।
- चीन की मध्यस्थता और रणनीतिक हित: चीन दोनों देशों के साथ मजबूत संबंध रखता है और अपनी BRI उपस्थिति को मजबूत करने के लिए संवाद को प्रोत्साहित कर सकता है।
- उदाहरण के लिए: बांग्लादेश बुनियादी ढाँचे की परियोजनाओं के माध्यम से BRI का हिस्सा है, और पाकिस्तान CPEC का केंद्र है, दोनों को जोड़ने से चीन की रणनीतिक शक्ति में वृद्धि होगी।
पाकिस्तान-बांग्लादेश संबंध क्षेत्रीय शक्ति गतिशीलता को नया आकार दे सकते हैं
- दक्षिण एशिया में रणनीतिक पुनर्संतुलन: पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच बेहतर संबंध क्षेत्रीय संतुलन को बदल सकते हैं, जिससे भारत की पारंपरिक रणनीतिक बढ़त कमज़ोर हो सकती है।
- उदाहरण के लिए: बांग्लादेश का बढ़ता कूटनीतिक विविधीकरण BIMSTEC और SAARC जैसे मंचों पर भारत के प्रभाव को सीमित कर सकता है।
- बंगाल की खाड़ी में चीन की भूमिका में वृद्धि: पाकिस्तान-बांग्लादेश के बीच घनिष्ठ संबंध चीन को बंगाल की खाड़ी और पूर्वोत्तर हिंद महासागर में अधिक पहुँच और प्रभाव प्रदान कर सकता है।
- उदाहरण के लिए: पाकिस्तान (CPEC) और बांग्लादेश (पद्मा ब्रिज, पायरा पोर्ट) दोनों में चीन के BRI निवेश को विस्तारित समुद्री प्रभुत्व के लिए समन्वित किया जा सकता है।
- SAARC कूटनीति का पुनरुद्धार: पाकिस्तान-बांग्लादेश संबंधों को मजबूत करने से SAARC को पुनर्जीवित करने की दिशा में प्रयास हो सकता है, जिससे भारत की BIMSTEC के प्रति प्राथमिकता कम हो सकती है।
- उदाहरण के लिए: पाकिस्तान ने SAARC को पुनर्जीवित करने में रुचि दिखाई है और बांग्लादेश की बेहतर भागीदारी उस प्रयास को बल दे सकती है, जिससे भारत के क्षेत्रीय मंचों को चुनौती मिल सकती है।
- बांग्लादेश में भारतीय कूटनीतिक स्थान में कमी: यदि ढाका इस्लामाबाद के साथ संबंधों को मजबूत करता है, तो वह भारत-पाकिस्तान विवादों पर अधिक तटस्थ रुख अपना सकता है, जिससे भारत की क्षेत्रीय स्थिति कमजोर पड़ सकती है।
दक्षिण एशिया में भारत के सामरिक हित पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा?
- बांग्लादेश में भारत के प्रभाव में कमी: बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच घनिष्ठ संबंध ढाका में भारत के विशेष रणनीतिक प्रभाव को कम कर सकते हैं।
- उदाहरण के लिए: बांग्लादेश अधिक संतुलित विदेश नीति अपना सकता है, जिससे तीस्ता जल बंटवारे या पारगमन समझौतों जैसे द्विपक्षीय मुद्दों में भारत के हित कमजोर पड़ सकते हैं।
- क्षेत्रीय सुरक्षा ढाँचे के लिए खतरा: पाकिस्तान-बांग्लादेश के बीच नए संबंधों से भारत के पूर्वी राज्यों में ISI नेटवर्क या चरमपंथी तत्वों के फिर से सक्रिय होने की चिंता बढ़ सकती है।
- समुद्री सुरक्षा और बंगाल की खाड़ी पर प्रभाव: पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच रणनीतिक सहयोग बंगाल की खाड़ी में चीनी नौसेना की मौजूदगी के लिए रास्ता खोल सकता है।
- उदाहरण के लिए: अगर पाकिस्तान चटगाँव बंदरगाह के पास रसद या खुफिया जानकारी साझा करने में सफल हो जाता है, तो यह भारत के समुद्री प्रभुत्व के लिए चुनौती बन सकता है।
- पूर्वी क्षेत्र में रणनीतिक विकर्षण: भारत को अपने पूर्वी मोर्चे, विशेषकर पूर्वोत्तर में अधिक कूटनीतिक और सैन्य ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता हो सकती है।
- उदाहरण के लिए: यदि पाकिस्तान का प्रभाव बांग्लादेश में बढ़ता है तो उसके साथ कूटनीतिक सतर्कता और सीमा निगरानी बढ़ाने की आवश्यकता हो सकती है।
- भारत के कनेक्टिविटी लक्ष्यों का कमजोर होना: बांग्लादेश की रणनीतिक अवस्थिति भारत की एक्ट ईस्ट नीति तथा पूर्वोत्तर व आसियान से कनेक्टिविटी के लिए महत्वपूर्ण है।
उदाहरण के लिए: ढाका की प्राथमिकताओं में कोई भी परिवर्तन, भारत म्यांमार थाईलैंड राजमार्ग और BBIN पहल जैसी परियोजनाओं की प्रगति को धीमा कर सकता है।
भारत को अपने हितों की रक्षा के लिए कदम उठाने चाहिए
- बांग्लादेश के साथ रणनीतिक और आर्थिक जुड़ाव को गहरा करना: भारत को व्यापार, ऊर्जा और बुनियादी ढाँचे की साझेदारी के माध्यम से द्विपक्षीय संबंधों को सक्रिय रूप से मजबूत करना चाहिए।
- उदाहरण के लिए: भारत-बांग्लादेश मैत्री पाइपलाइन और अखौरा-अगरतला रेलवे जैसी परियोजनाओं के कार्यान्वयन में तेजी लाने से सद्भावना और परस्पर निर्भरता बढ़ेगी।
- उप-क्षेत्रीय संपर्क और पीपुल -टू-पीपुल संपर्क को मजबूत करना: भारत को BBIN के तहत क्षेत्रीय एकीकरण को बढ़ाना चाहिए और सांस्कृतिक, शैक्षणिक और जमीनी स्तर पर संपर्क को बेहतर बनाना चाहिए।
- उदाहरण के लिए: वीजा मानदंडों को सरल बनाना और कोलकाता तथा ढाका के बीच मैत्री एक्सप्रेस ट्रेन जैसी पहल को बढ़ावा देना, सार्वजनिक कूटनीति को मजबूत कर सकता है।
- समुद्री और रक्षा सहयोग को बढ़ावा देना: भारत को बंगाल की खाड़ी में क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने के लिए नौसेना कूटनीति और संयुक्त रक्षा अभ्यास का विस्तार करना चाहिए।
- उदाहरण के लिए: समुद्री डोमेन जागरूकता सुनिश्चित करने और बाह्य प्रभाव का मुकाबला करने के लिए बोंगोसागर जैसे भारत-बांग्लादेश नौसैनिक अभ्यासों को बढ़ाया जाना चाहिए।
- उग्रवाद और खुफिया खतरों का सक्रियता से मुकाबला करना: भारत को सीमा पार कट्टरपंथी गतिविधियों की निगरानी और रोकथाम के लिए बांग्लादेश के साथ खुफिया सहयोग को मजबूत करना चाहिए।
- क्षेत्रीय मंचों में दृढ़ता से भाग लेना: भारत को शत्रुतापूर्ण आख्यानों को समाप्त करने हेतु BIMSTEC, IORA और इंडो-पैसिफिक ढाँचे में अग्रणी पहल जारी रखनी चाहिए।
- उदाहरण के लिए: BIMSTEC ऊर्जा और कनेक्टिविटी परियोजनाओं में बांग्लादेश की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने से CPEC जैसे संगठन पर इसकी निर्भरता कम हो जाएगी।
पाकिस्तान-बांग्लादेश कूटनीतिक रिश्तों में आये सुधार से भारत की रणनीतिक स्थिति पर तत्काल कोई असर नहीं पड़ेगा, लेकिन इससे क्षेत्रीय बिसात में परिवर्तन का संकेत मिलता है। भारत को बांग्लादेश के साथ जन-केंद्रित विकास, संपर्क और सांस्कृतिक कूटनीति के माध्यम से अपने संबंधों को मजबूत करना चाहिए, साथ ही दक्षिण एशिया में संतुलन को बदलने वाले उभरते समीकरणों पर भी नजर रखनी चाहिए।
To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.
Latest Comments