Q. समुद्री धाराओं को प्रभावित करने वाले कारक कौन-से हैं? विश्व के मत्स्य उद्योग में उनकी भूमिका का वर्णन कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • महासागरीय धाराओं को प्रभावित करने वाले कारक के बारे में बताइए।
  • विश्व के मत्स्य उद्योग में भूमिका का उल्लेख कीजिए।

उत्तर

महासागरीय धाराएँ समुद्री जल की सतत एवं दिशात्मक गतियाँ हैं, जो विभिन्न प्राकृतिक कारकों द्वारा उत्पन्न होती हैं। ये पोषक तत्वों के वितरण और समुद्री पारितंत्रों के पोषण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इन धाराओं को संचालित करने वाली शक्तियों को समझना आवश्यक है ताकि यह जाना जा सके कि वे विश्व मत्स्य उद्योग को किस प्रकार प्रभावित करती हैं।

महासागरीय धाराओं को प्रभावित करने वाले बल

  • ग्रहीय पवनें (Planetary Winds): ये पवनें सतही जल को धकेलकर विश्व स्तर पर प्रमुख धाराओं को प्रारंभ करती हैं।
    • उदाहरण: प्रशांत और अटलांटिक महासागर की उत्तर भूमध्यरेखीय धारा व्यापारिक पवनों द्वारा संचालित होती है।
  • पृथ्वी का घूर्णन:  कोरिओलिस प्रभाव के कारण उत्तरी गोलार्द्ध में धाराएँ दाएँ और दक्षिणी गोलार्द्ध में बाएँ मुड़ती हैं।
    • उदाहरण: नॉर्थ अटलांटिक प्रवाह (North Atlantic Drift) यूरोप की ओर मुड़कर वहाँ के मध्यम जलवायु में योगदान देती है।
  • तापमान और लवणता में अंतर: ठंडा एवं अधिक लवणीय जल नीचे की ओर चला जाता  है जबकि गर्म जल ऊपर की ओर चला आता है, जिससे थर्मोहैलाइन परिसंचरण का निर्माण होता है।
    • उदाहरण:ग्लोबल कन्वेयर बेल्ट’ पोषक तत्वों और ऑक्सीजन को महासागरों में फैलाकर गहरे समुद्री मत्स्य पालन को सहारा देता है।
  • गुरुत्वाकर्षण बल: चंद्रमा और सूर्य का गुरुत्वाकर्षण आकर्षण ज्वार उत्पन्न करता है, जिससे ज्वारीय धाराएँ  बनती हैं, जो तटीय और मुहाने वाले क्षेत्रों में अधिक स्पष्ट होती हैं।
  • महासागरीय तल की संरचना: स्थलखंडों और समुद्री तल के आकार से धाराओं की दिशा प्रभावित होती है। वे कभी मुड़ सकती हैं, विभाजित हो सकती हैं या तीव्र हो सकती हैं, यह निर्भर करता है कि समुद्र तल पर रिज या महाद्वीपीय तट कैसे हैं।
  • एल नीनो और ला नीना जैसी चक्रीय घटनाएँ: ये घटनाएँ महासागरीय धाराओं की दिशा और तीव्रता को बदल देती हैं, जिससे मत्स्य उद्योग के लिए अवरोध उत्पन्न होता है।

विश्व मत्स्य उद्योग में महासागरीय धाराओं की भूमिका

  • पोषक तत्वों का ऊपर उठना: कुछ धाराएँ गहरे जल के पोषक तत्वों को सतह तक लाती हैं, जिससे प्लवक (Plankton) का विकास होता है, जो समुद्री खाद्य श्रृंखला की नींव है।
    • उदाहरण: पेरू या हम्बोल्ट धारा (Peru or Humboldt Current) के कारण विश्व के सबसे समृद्ध मत्स्य क्षेत्र विकसित हुए हैं।
  • मछलियों के प्रवासन मार्ग: धाराएँ व्यावसायिक रूप से महत्त्वपूर्ण मछलियों के प्रवासन मार्गों को प्रभावित करती हैं, जिससे मछुआरे अधिक उत्पादन वाले क्षेत्रों की पहचान कर पाते हैं।
    • उदाहरण: अटलांटिक कॉड मछलियों का प्रवास उत्तरी अटलांटिक प्रवाह का अनुसरण करता है, जिससे आइसलैंड और नॉर्वे में मत्स्यन संबंधी मौसम निर्धारित होते हैं।
  • तापमान नियंत्रण: धाराएँ समुद्र के तापमान को संतुलित करती हैं, जिससे विभिन्न मछली प्रजातियों के लिए अनुकूल पर्यावरण बनता है।
  • मछली के लार्वा और किशोरों का वितरण: धाराएँ मछली के अंडों और किशोरों को उपयुक्त पालन क्षेत्रों तक पहुँचाती हैं, जो मछली आबादी के पुनर्भरण के लिए आवश्यक है।
    • उदाहरण: कैलिफोर्निया धारा सार्डीन (Sardine) के लार्वा को अमेरिकी पश्चिमी तट के पालन क्षेत्रों तक पहुँचाती है।
  • मत्स्य ऋतुओं और क्षेत्रों पर प्रभाव: धाराओं में परिवर्तन से मछलियों के स्थानांतरण और मत्स्य मौसम प्रभावित होते हैं।
    • उदाहरण: एल नीनो घटनाएँ प्रशांत महासागर की धाराओं को बदल देती हैं, जिससे पेरू के तटीय मत्स्य उत्पादन में गिरावट आती है।

निष्कर्ष

महासागरीय धाराएँ वायुमंडलीय, गुरुत्वीय और भौगोलिक कारकों के संयुक्त प्रभाव से बनती हैं। ये समुद्री पारितंत्रों के स्वास्थ्य और उत्पादकता की आधारशिला हैं तथा वैश्विक मत्स्य उद्योग की रीढ़ हैं। महासागरीय गतिशीलता की गहरी समझ खाद्य सुरक्षा, आर्थिक आजीविका और सतत समुद्री प्रबंधन को सुदृढ़ करने में सहायक सिद्ध हो सकती है।

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