उत्तर:
हल करने का दृष्टिकोण:
- भूमिका: 2047 के लिए भारत के दृष्टिकोण और राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में राज्यों की महत्वपूर्ण भूमिका का परिचय दीजिए।
- मुख्य भाग:
- राज्य परिवर्तन संस्थान के प्रमुख उद्देश्यों पर चर्चा कीजिए।
- भारत की संघीय संरचना में एसआईटी की महत्वपूर्ण आवश्यकता को पहचानिए और उसका उल्लेख कीजिए।
- प्रभावी शासन और सतत विकास में एसआईटी के योगदान का उल्लेख कीजिए।
- निष्कर्ष: भारत के संघीय ढांचे की प्रभावकारिता बढ़ाने और सतत रूप से जमीनी स्तर के विकास को प्राप्त करने में एसआईटी की क्षमता पर जोर देते हुए निष्कर्ष निकालें।
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परिचय:
भारत ने 2047 तक स्वंत्रता की एक सदी का जश्न मनाने की राह पर, महत्वाकांक्षी सामाजिक-आर्थिक लक्ष्य निर्धारित किए हैं। संघीय ढांचे की रीढ़ होने के कारण, यह जरूरी हो जाता है कि अलग-अलग राज्य व्यापक राष्ट्रीय दृष्टिकोण की दिशा में प्रभावी ढंग से योगदान करें। इसे स्वीकार करते हुए नीति आयोग ने राज्य स्तर पर स्टेट इंस्टीट्यूट फॉर ट्रांसफॉर्मेशन (एसआईटी) की स्थापना की परिकल्पना की है।
मुख्य भाग:
एसआईटी के प्रमुख उद्देश्य:
- मौजूदा संरचनाओं की जांच करना: प्राथमिक उद्देश्यों में से एक राज्य योजना बोर्डों की वर्तमान संरचना की जांच करना और उन्हें अधिक प्रभावी बनाने और 2047 तक लक्ष्यों के साथ संरेखित करने के लिए आवश्यक संशोधनों की सिफारिश करना है।
- नीति अनुशंसाएँ: पार्श्व प्रवेश के माध्यम से पेशेवरों को लाकर, एसआईटी का उद्देश्य विश्लेषणात्मक कार्य की गुणवत्ता को बढ़ाना और राज्य की विशिष्ट चुनौतियों का सामना करने के लिए व्यावहारिक नीति अनुशंसाएँ प्रदान करना है।
- सतत विकास: एसआईटी का लक्ष्य बढ़ते कार्बन पदचिह्न और ऊर्जा सुरक्षा की गंभीर चिंताओं को संबोधित करने के साथ-साथ टिकाऊ, समावेशी और रोजगार पैदा करने वाली उच्च वृद्धि सुनिश्चित करना होगा।
- व्यापारिक पारिस्थितिकी तंत्र को आसान बनाना: चूंकि राज्य सरकारें व्यापार पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ाने में एक आवश्यक भूमिका निभाती हैं, इसलिए एसआईटी प्रत्येक राज्य में व्यापार करने में आसानी को बेहतर बनाने में योगदान देगी।
- विभिन्न क्षेत्रों पर फोकस: भूमि सुधार, बुनियादी ढांचे के विकास, ऋण प्रवाह और शहरीकरण जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर जोर देने के साथ, एसआईटी राज्य स्तर पर निरंतर आर्थिक विकास सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
भारत के संघीय ढांचे में एसआईटी की महत्वपूर्ण आवश्यकता:
- विकेंद्रीकृत योजना और निर्णय लेना: भारत की विविधता का अर्थ है कि वन साइज फिट्स ऑल अप्रोच(एक शैली या प्रक्रिया सभी संबंधित अनुप्रयोगों में फिट होगी) दृष्टिकोण अकसर काम नहीं करता है। एसआईटी राज्य की विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप विकेंद्रीकृत योजना और निर्णय लेने की अनुमति देती है।
- व्यावसायिक विशेषज्ञता: पेशेवरों की प्रस्तावित लेटरल एंट्री(lateral entry) सुनिश्चित करती है कि वैश्विक सर्वोत्तम प्रक्रियाओं और अत्याधुनिक विश्लेषणात्मक तरीकों का उपयोग राज्य से संबंधित विशिष्ट चुनौतियों का समाधान करने के लिए किया जा सकता है।
- समग्र विकास: 2047 तक राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक राज्य को समग्र रूप से प्रगति करने की आवश्यकता है। एसआईटी यह सुनिश्चित कर सकती है कि प्रत्येक राज्य अपनी अनूठी चुनौतियों का समाधान करके राष्ट्रीय आकांक्षाओं में प्रभावी ढंग से योगदान दे।
- बेहतर समन्वय: नीति आयोग और एसआईटी के मिलकर काम करने से नीति निर्माण और कार्यान्वयन में केंद्र और राज्य सरकारों के बीच बेहतर समन्वय हो सकता है।
एसआईटी प्रभावी शासन और सतत विकास में कैसे योगदान देती है:
- बेस्पोक समाधान: चूंकि एसआईटी को राज्य की विशिष्ट चुनौतियों के अनुरूप तैयार किया जाएगा, इसलिए वे ऐसे समाधान प्रदान कर सकते हैं जो प्रत्येक राज्य के अद्वितीय सामाजिक-आर्थिक संदर्भ को देखते हुए उनके रीति रिवाज के अनुरूप निर्मित हों।
- डेटा-संचालित शासन: उच्च-गुणवत्ता वाले विश्लेषणात्मक कार्य पर ध्यान देने के साथ, डेटा के आधार पर निर्णय लेने से संसाधनों का कुशल आवंटन सुनिश्चित हो सकेगा।
- हितधारक जुड़ाव: एसआईटी नीति निर्माण और कार्यान्वयन के लिए सरकार, निजी क्षेत्र, नागरिक समाज और शिक्षा जगत को एक साथ लाकर बेहतर हितधारक जुड़ाव को बढ़ावा दे सकती है।
निष्कर्ष:
राज्यों में नीति आयोग के तत्वावधान में एसआईटी की स्थापना 2047 के लिए भारत के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में एक दूरदर्शी दृष्टिकोण को दर्शाती है। राज्य-विशिष्ट रणनीतियों को सुनिश्चित करने और विकेंद्रीकृत योजना को बढ़ावा देने से, एसआईटी भारत के संघीय ढांचे की क्षमता का दोहन करने, प्रभावी शासन चलाने और जमीनी स्तर पर सतत विकास सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
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